हम तो बस अटकलें लगाते हैं
कब किसे यार जान पाते हैं
आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
अश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं
लाख इनका करो ख्याल मगर
क़ैद में पंछी फडफडाते हैं
नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
ज़िन्दगी है गुलाब की डाली
साथ फूलों के खार आते हैं
चाँद आता नजर अमावस में
आप जब ग़म में मुस्कुराते हैं
हुस्न निखरे कई गुना 'नीरज'
फूल जब ओस में नहाते हैं
( गुरुदेव प्राण शर्मा जी के आर्शीवाद से संवरी ग़ज़ल )
भाई नीरज जी ,
ReplyDeleteसीधे, सपाट और सच्चे अनुभव एवं अहसास का अद्भुत खजाना है आपकी ये छोटे बहर की अद्वितीय ग़ज़ल
बधाई स्वीकार करें.
चन्द्र मोहन गुप्त
'लाख इनका करो ख़याल…'
ReplyDeleteबहुत ख़ूब!
bahut sunder kikha hai...dil ko chu gaya hai bhaaw ...har shere sunder hai...bahut khoob
ReplyDeleteनाम मां का………………………………। बहुत खूब्।
ReplyDeleteलाख इनका करो ख्याल मगर
ReplyDeleteकैद में पंछी ........
बहुत उम्दा लाइनें ,बधाई .
लाख इनका करो ख़याल मगर कैद मैं पंछी, फडफडाते हैं!!
ReplyDeleteसोने की जंजीर से भी बांध दो पर हैं तो बंधन!!
बहुत लाजवाब लिखा है आपने!!
एक एक पंक्तियाँ ...............दिल को छूते चली गयी ...........बहुत ही बढिया लिखी है आपके लेखन का जबाव नही है ..............अतिसुन्दर नीरज जी
ReplyDeletebahut sundar kavita.
ReplyDeleteहिन्दीकुंज
आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
ReplyDeleteअश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं
Kamaal hai Saahab. Bahut acchii ghazal hai Bhai.
नाम माँ का जबां पे आता है
ReplyDeleteदर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
हर पंक्ति दिल को छूती हुई।
ReplyDeleteज़िन्दगी है गुलाब की डाली
साथ फूलों के खार आते हैं
सच कहा। बहुत खूब।
bahut achchhee. dil ko chhootee hui.
ReplyDeleteनाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
ज़िन्दगी है गुलाब की डाली
साथ फूलों के खार आते हैं
in donon sheron ke liye badhaaee.
बहुत खूब!
ReplyDeleteहमेशा की तरह एक से बढ़कर एक शेर. आप केवल लिखते नहीं ज़िन्दगी जीने की राह दिखाते हैं.
नाम माँ का जबां पे आता है
ReplyDeleteदर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
बहुत खुब .......
महावीर बी सेमलानी
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मज़ा आ गया पढ़कर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना . नीरज जी बधाई.
ReplyDeleteबेहतरीन गज़ल के लिये मुबारकबाद
ReplyDeleteहुस्न निखरे कई गुना 'नीरज'
ReplyDeleteफूल जब ओस में नहाते हैं
khoob...!
नाम माँ का जबां पे आता है
ReplyDeleteदर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
जबाब नही नीरज जी, बहुत गहरे तक आप के शव्द जाते है.
धन्यवाद
नीरज जी बहुत ही बेहतरीन रचना बहुत ही बधाई हो
ReplyDeleteज़िन्दगी है गुलाब की डाली
ReplyDeleteसाथ फूलों के खार आते हैं
bahut lazbaab gazal sahj prastuti karan
नमस्कार नीरज जी,
ReplyDeleteआप इतने आसान और खूबसूरत लफ्जों में बात कह जाते हैं उसके क्या कहने.
यही खूबी है आपकी जिसकी जितनी तारीफ की जाये उतना कम है.
सुन्दर भाव,
ReplyDeleteबेहतरीन गज़ल।
बधाई।
एक से बढ़कर एक !
ReplyDeleteआपकी गजल हमेशा लाजवाब कर जाती है।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत सुन्दर रचना.. बधाई
ReplyDeleteलाख इनका करो ख्याल मगर
ReplyDeleteक़ैद में पंछी फडफडाते हैं
बहुत सुन्दर लाजवाब गज़ल के लिये बधाई
अच्छी और सीधी सादी ग़जल जैसे कोई बहुत सुंदर युवती बिना कोई सिंगार किये जा रही हो और उसके सामने सिंगार की हुई युवतियों का रंग फीका पड़ रहा हो । प्राण जी जैसे उस्ताद की संगत में ये रंग तो आना ही है ।
ReplyDeleteखूबसूरत ग़ज़ल सुनाते है……
ReplyDelete[आप जब ग़म मे मुस्कुराते है।]
-मन्सूर अली हाश्मी
नीरज जी,
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत और उम्दा गज़ल है।बधाई ।
आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
अश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं
सच्चे मन की बात
ReplyDelete---
चर्चा । Discuss INDIA
बेहतरीन गज़ल
ReplyDeleteachci gazal hain aapki.... aur aapki awaaz bhi achchi hai. Hindyugm ke podcast kavi sammelan mein suna aapko ...... achcha gate hain aap
ReplyDeletesahjta se kahe aise ashaar jinse hum sabhie relate kar sakte hain
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गजल और सारे ही शेर एक से बढकर एक. सलाम है आपको.
ReplyDeleteरामराम.
हुस्न निखरे कई गुना 'नीरज'
ReplyDeleteफूल जब ओस में नहाते हैं
wah neeraj ji, behatareen abhivyakti, bahut bahut badhai.
नाम माँ का जबां पे आता है
ReplyDeleteदर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
-वाह!! बहुत खूब!!
ये हमारे तोता राम को कहाँ से आप पा गये जी?
नाम माँ का जबां पे आता है
ReplyDeleteदर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
दिल का हर कोना झंकृत हो गया ये शेर पढ़ कर,
बहुत खूब
वीनस केसरी
E-Mail received from Om Sapra Ji:
ReplyDeletedear neeraj ji
namastey
your post regarding" kaid mein panchi pharpharete hain" is a good one, especially the
following lines:-
नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
pl convey my gratitude and thankfulness for gurudev shri pran sharma ji, for giving inspiration
and energy to your poem/ghazal.
Again congratulations,
-om sapra, delhi-9
बहुत ही ख़ूबसूरत, लाजवाब और दिल की गहराई से लिखी हुई आपकी ये कविता बहुत अच्छी लगी!
ReplyDeleteलाख इनका करो ख्याल मगर
ReplyDeleteक़ैद में पंछी फडफडाते हैं
बहुत खूब!
सभी शेर उम्दा हैं..ग़ज़ल अच्छी लगी.
poori ghazal khubsurat hai neeraj ji...
ReplyDeleteलाख इनका करो ख्याल मगर
ReplyDeleteक़ैद में पंछी फडफडाते हैं
बात तो वाजिब है हजूर ....पर आदमी प्यार भी तो अपनी शर्तो पे करना चाहता है आजकल....
ग़ज़ल तो हर बार आप नयी अंदाज़ में ले आते हैं नीरज जी, हम तारीफ़ के नये अंदाज़ कहाँ से लायें? वही वाह-वाह, क्या खूब से कुछ हट कर कहन चाहता हूँ आपके सब शेरों पर...
ReplyDeleteमक्ते पे अब लुटाने को जी चाहे
हर पंक्ति सीधी सच्ची लाजवाब
ReplyDeleteचाँद आता नजर अमावस में
ReplyDeleteआप जब ग़म में मुस्कुराते हैं
neeraj जी........ आपका अंदाज़ बहुत niraala है ............. लाजवाब gazal, seedhe saadhe khilte huve शेर........... ustaadon का aashirvaad............. सब कुछ एक साथ नज़र आता है........... बहुत खूब
bahuta hishandar rachna......
ReplyDeletemaine ek cartoon banaya hai pita putri k rishte par....
jaroor dekhen...
aour apne amoolya sujhav dekar mujhe upkrat kare...
anurag......
आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
ReplyDeleteअश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं
neeraj bhai
aapki soch dil ke kareeb hai.
bina pyar ki soch ke jiya jaye to kaise. bahut mast. badhai
आदरणीय नीरज जी
ReplyDeleteप्रणाम
पूरी ग़ज़ल को मैं कल से कई बार पढ़ चूका हूँ , जब भी मैं इस शेर को पढता हूँ तो आँखे नाम हो जाती है ...
नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
सर , इतनी सीधी और सहज ढंग से इतनी गहरी बात कह दी है आपने .... मेरा सलाम काबुल करे आपकी लेखनी के लिए ...
और हाँ , ये शेर भी बहुत मन को छु गया ...
आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
अश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं
नमन है आपको
आपका
विजय
नाम माँ का जबां पे आता है
ReplyDeleteदर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
----------
क्या नीरज जी, इन पंक्तियों से हम बोल्ड हो जाते हैं!
आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
ReplyDeleteअश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं
लाख इनका करो ख्याल मगर
क़ैद में पंछी फडफडाते हैं
नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
हुस्न निखरे कई गुना 'नीरज'
फूल जब ओस में नहाते हैं
सारे अशआर खूबसूरत है...पर ये चार शेर ...तो बस जान छिडकने को जी चाहता है..
चाँद आता नजर अमावस में
ReplyDeleteआप जब ग़म में मुस्कुराते हैं
b had sundar upma di hai aapne .
khubsurat gajal.
बहुत सुँदर लफ्ज़ोँ मेँ बात कही आपने - यूँ ही कहते रहीये -
ReplyDeleteचि. मिष्टी बिटीया को आशिष
- लावण्या
बहुत उम्दा...
ReplyDeleteछोटी बहर बहुत भाती है...
भईया प्रणाम
ReplyDeleteशब्द नहीं मिल रहे है - आपकी गजल के लिए
बस इतना ही कह सकता हूँ. -- "आपकी ये गजलें आप की तरह ही अति सरल और सुन्दर है"
आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
ReplyDeleteअश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं
.........
laajawaab
बेहद ह्रदयस्पर्शी गजल !
ReplyDeleteगजल की हर एक पंक्ति ओस की बूँद सी
पवित्र और पारदर्शी नजर आती है !
आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
अश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं
या फिर
ज़िन्दगी है गुलाब की डाली
साथ फूलों के खार आते हैं
सभी शेर सीधे दिल पे दस्तक देते हैं !
आज की आवाज
चाँद आता नजर अमावस में
ReplyDeleteआप जब ग़म में मुस्कुराते हैं
वाह नीरज जी ,अति अति सुंदर ।
बहुत इमोशनल किये हो जी !
ReplyDeleteक्या खूब लिखा है नीरज जी बहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteचाँद आता नजर अमावस में
आप जब ग़म में मुस्कुराते हैं
Mishti kaisi hai..aur ye parrot ko pinjare men kyon band kar rakha hai.
ReplyDeleteहुस्न निखरे है कई गुना 'नीरज'
ReplyDeleteफूल जब ओस में नहाते हैं
वाह वाह वाह नीरज साहब, कितनी ही बेहतरीन बात कह गए जी ! बड़ा ही सादा तिलिस्म है जी आपकी कहन में।
सच है,
नीरज, नीरज ही होता है। बहुत आभार इतनी सुन्दर रचना के लिए।
Puri gazal kamaal ki kahi hai aapne Neeraj ji aapko padhna waqayi itna sukhad hota hai man jhoom uthta hai
ReplyDeleteye sher zubaaN par hi rahega
नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
bahut khoob bharat se aane ke baad aapko padhna bahut achha laga
लाख इनका करो ख्याल मगर
ReplyDeleteक़ैद में पंछी फडफडाते हैं
सुबहान-अल्लाह !
हुज़ूर ,,,,,
इतनी प्यारी और इतनी मेआरी ग़ज़ल !!!
खूबसूरती ....सादगी .....शाइस्तगी ....
सब कुछ एक जगह समेट कर आपने नायाब
तोहफा दिया है हम सब को .....
पंकज जी ने सही फ़रमाया है क खूबसूरती को
गहनों की ज़रूरत नहीं होती .....
मान लीजे , कि हम तो फुर्सत में
आप के शेर गुनगुनाते हैं
मुबारकबाद .
---मुफलिस---
आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
ReplyDeleteअश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं
नज़र आखिर नज़र है
लाख रख लूँ सीने में मगर
अश्क़ कहाँ तुम से छुप पाते हैं
कॉमेंट देने में मैं बहुत कंजूस हूँ नीरज जी, पर कसम से अबकी कॉमेंट इस आग्र्ह पर दे रहा हूँ
ReplyDelete''तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे''
यह तो मज़ाक था जी... (इसे राजकपूर के स्टाइल में पढ़िएगा जी.)
रचना बेहद उम्दा है नीरज जी. खुदा आपको और आगे ले जाए....
हुस्न निखरे कई गुना 'नीरज'
ReplyDeleteफूल जब ओस में नहाते हैं
नीरज जी अदभुत लिखा है आपने । क्या लिखूं । बाकई बेमिसाल है धन्यवाद
नाम माँ का जबां पे आता है
ReplyDeleteदर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
wah pehli baar is sacchai ko sher ke roop main dekhkar atyant khushi hui...
"हुस्न निखरे कई गुना 'नीरज'
ReplyDeleteफूल जब ओस में नहाते हैं"
ये पंक्तियां बहुत अच्छी लगी....
इस सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत धन्यवाद...
मेरी नई रचनाएं हर ब्लाग पर जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....
वाहवा... क्या बात है...
ReplyDeleteचाँद आता नजर अमावस में
ReplyDeleteआप जब ग़म में मुस्कुराते हैं
Bahut Khoob Sir jee...
नाम माँ का जबां पे आता है
ReplyDeleteदर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
क्या खूb कहा है ,,,
और मक्ता बेहद हसीं है,,,
मुफलिस जी से सहमत,,,
( गीत लता के गाने का,,,)