{ संवैधानिक सूचना: इस पोस्ट को पढ़ते समय बुद्धि का प्रयोग वर्जित है ,ऐसा ना करने पर आप को हुई हानि के लिए आप स्वयं ही जिम्मेवार होंगे , लेखक नहीं }
नींद अभी पूरी तरह से खुली भी नहीं थी कि मोबाइल की घंटी बजी. यूं कह सकते हैं कि मोबाईल की घंटी की वजह से ही नींद खुल गई.
"हेलो" मैंने अलसाई आवाज़ मैं कहा.
"क्या बावा, सुबेरे-सुबेरे नींद का आनंद ले रयेला है? एक बात बता, ये तुम लोग सुबेरे सोता कैसे है? "
सवाल और भाषा से नींद जाती रही. आवाज़ के कड़क पन ने आलस्य को भी डपट दिया.
मैंने हड़बड़ा कर कहा; "जी मैं नीरज और आप?"
"अपुन डॉन... क्या?"
"डॉन..??? कौन शाहरुख़? "
"क्या रे. ये शाहरुख कभी से डान बना, बे ढक्कन "
"ओह तो क्या अमिताभ जी?" मैं चहका.
"क्यों बे, रात को लगा ली थी क्या? या सुबह-सुबह दिमाग मोर्निंग वाक को गए ला तेरा ? खवाब देख रए ला है क्या बे?" उधर से आवाज आई.
अब मैं उठ के बैठ गया दिमाग मैं घंटी बजी की मामला कुछ गड़बड़ है. गले से गों गों की आवाज निकलने लगी .
"अपुन असली डॉन ,बोले तो बड़ा सरोता, समझा क्या? तू अपुन का नाम तो सुना ही होगा."
"बड़ा सरोता?" मैं हकलाया. "वो ही जो किसी की भी सुपारी ले कर उसे कुतर डालता है?"
"वोहीच रे. आदमी पढ़ा लिखा है तू, क्या?" वो खुश हो के बोला.
"थैंक्यू थैंक्यू सर" मैंने थूक निगलते हुए कहा. "आप ने मुझे कैसे फ़ोन किया सर?" डर अच्छे अच्छे को तेहजीब से बोलना सिखा देता है. डॉन के लिए "सर" का संबोधन अपने आप मेरे मुह से झरने लगा. अब मैं बिस्तर छोड़ खड़ा हो गया था.
"मुझे हुक्म कीजिये सर मैं आप के क्या काम आ सकता हूँ?" मैंने ज़बान मैं जितनी मिठास लायी जा सकती थी ला कर कहा.
"ऐ स्याणे जास्ती मस्का मारने का नहीं, समझा क्या? बोले तो तू अपुन के क्या काम आएगा? अपुन अपने काम ख़ुद इच आता है " बड़ा सरोता बोला.
"येस सर येस सर" मैं फिर से हकलाया.
"देख बावा डरने का नहीं. पन अपुन सुना है, तूने कोई ब्लॉग खोले ला है."डॉन के मुहं से ब्लॉग की बात सुन के मैं चकराया. सोचने लग गया कि इसे कैसे पता चला.
मैंने कहा; " सर ब्लॉग भी कोई खोलने की चीज है. ब्लॉग तो लिखने के लिए होता है."
उसने कहा; "क्या बे, अपुन को एडा समझा है क्या तू?"
मैंने कहा; "क्या बात कर रहे हैं सर, मैं और आप को ऐसा समझूं!"
"अभी जास्ती पकाने का नहीं. एक ईच बात बताने का. तेरा ब्लॉग है या नहीं?" सरोता ने पूछा.
मैंने कहा; " है सर, है. पर इसमें मेरी कोई गलती नहीं है. वो तो शिव और ज्ञान जी ने मुझे ब्लॉग लिखने के लिए कहा. आप मेरी बात का यकीन कीजिये, मुझे मालूम होता कि आप नाराज होंगे तो मैं उन्हें ब्लॉग बनाने ही नहीं देता."
सरोता जी बोले; "क्या रे, ये तुम पढ़ा-लिखा लोग इतना सोचता काई को है? अभी तू बोल, मैं नाराज है, ऐसा बोला क्या मैं?"
"नहीं. लेकिन मुझे लगा कि आप मेरे ब्लॉग को देखकर नाराज गए हैं", मैंने उनसे कहा.
"देख, जास्ती सोचने का नहीं. अभी इतना सोचेगा, तो दिमाग का दही बन जायेगा. अपुन को देख, अपुन गोली चलाने से पहले सोचता है क्या? नई न. फिर? बोले तो, सोचने का नई. नौकरी करने का और ब्लॉग लिखने का." डान बोला.
मुझे थोड़ी राहत मिली. मैंने कहा; " ये तो अच्छी बात है न सर, कि आप नाराज नहीं हैं. अच्छा बताईये, मुझसे क्या काम है."
सरोता बोला, "देख, तू मेरा काम करीच नई सकता. मैं बोल रहा था, तू तो बस अपना काम कर. क्या, ग़लत बोला क्या मैं? नई न? मेरे को बस इतना ईच काम है तेरे से कि मेरा एक ब्लॉग बना दे"
"क्या बात कर रहे हैं, सर. आपका ब्लॉग???" मैं आसमान से गिरा और खजूर पर भी नहीं अटका.
"क्यों बे, तेरे को कोई प्रॉब्लम है क्या? नई न? नहीं बोल, प्राब्लम होने से बता, मैं तेरा भी गेम बजा दूँ अभिच . अपुन कभी-कभी शौकिया भी एक दो को टपका डालता है " डान दहाड़ा.
"नहीं सर, मुझे कोई प्राब्लम नहीं है, लेकिन आप ठहरे भाई. आपका ब्लॉग हो, इसकी क्या जरूरत है?" मैंने डरते-डरते कहा.
"काई को? अभी अमिताभ का आमिर का अल्लू बल्लू कल्लू का ब्लॉग हो सकता है तो अपुन का भी हो सकता है." डान बोला.
"सर अमिताभ ,आमिर तो मैं जान गया सर लेकिन ये अल्लू बल्लू कल्लू कौन हैं सर?" मैंने डरते डरते पूछा.
"अबे अल्लू बल्लू कल्लू माने तेरे माफिक फालतू का लोग ,समझा क्या?"
मेरी चुप रहने में ही भलाई थी सो चुप ही रहा.
"अपुन को भी फेमस होने का...इंटर नेशनल होने का...क्या ?" डॉन ने आगे कहा." अभी देख तेरे को कौन जानता था रे...तूने ब्लॉग बनाया तो कित्ता लोग तुझको जानता है,...नहीं क्या? ऐसे अपुन को भी फेमस होने का...बस." अभी बोल अपुन का ब्लॉग होना की नहीं होना चाहिए...बोल बे...मुंह सियेला है क्या?"
"नहीं नहीं सर, आपका ब्लॉग तो होना ही चाहिए, आप का नहीं तो किसी का भी नहीं होना चाहिए सर" मैं रिरियाया. मन ही मन मैंने सोचा की क्या दिन आ गए हैं एक डॉन को भी अब ब्लॉग की चाह होने लगी है .
"वो ईच तो, वो ईच तो बोल रए ला हूँ मैं इतनी देर से. तेरे भेजे में अपुन की बात उतरती ही नहीं. क्या बे, भेजा है कि नई, या दुनिया को खाली-पीली हूल देता फिरता है?"
"जी जी सर, है. भेजा है " मैंने घिघियाते हुए बताया.
"है न. तो फिर मेरे वास्ते एक ताजा ब्लॉग बना. और सुन ब्लॉग में तेरे को ईच लिखना है. समझा क्या?" डान ने मुझे धमकाते हुए बताया.
"याने मैं लिखूं आपका ब्लॉग सर ?" मैंने उससे पूछा.
"अबे एक बात बता. अभी तू बोला कि तेरे पास भेजा है. मेरे को एक ईच बात बोल, ये कैसा भेजा है बे, जो मक्खन का माफिक प्लेन बात भी नई समझता?" आगे बोला; "अभी तू सोच, अपुन ब्लॉग लिखेगा, तो अपुन का गेम बजाने का काम क्या तू करेगा? अपुन के पास एक ही ईच चीज नई है...पूछ क्या?
"क्या सर" मैंने पूछा
"वो है टाइम. समझा क्या? अपुन के पास बंदूक है. दुनिया का नियम है बे, जिसके पास टाइम नहीं उसके पास बन्दूक है और जिसके पास टाइम है उसके पास बंदूक नही होती." डान ने समझाते हुए कहा.
इतने ज्ञान की बात सुन के मेरी इच्छा हुई की मैं डॉन भाई के पांव छू लूँ."अभी तेरे पास बन्दूक नहीं सिर्फ टाइम है इसलिए तू अपुन का ब्लॉग लिख...समझा क्या?"
"मैं तो सिर्फ शायरी करता हूँ सर लेकिन मेरे भाई लोग अपने ब्लॉग में ऐसी ऐसी बातें लिखते हैं सर की दिमाग भन्ना जाता है सर...मुझसे बहुत ज्यादा विद्वान लोग हैं सर आप कहें तो उनसे बात करूँ सर..."मैंने लगभग रोती आवाज़ में अपनी जान बचने को कहा"
"अपुन का भेजा खाने का नहीं समझा क्या अपुन का ब्लॉग होने का मतलब की होने का बस . अब तू चाहे ख़ुद लिख या लिखवा ये अपुन का टेंशन नहीं समझा क्या? बस और अपुन कुछ नहीं बोलेगा. बात खल्लास." डान ने धमकाते हुए कहा.
मैं चुप रहा ,बोलने के लिए था ही क्या?
"और सुन ब्लॉग का नाम होना "मैं हूँ डॉन --ठाँय "
"ठाँय??? ठाँय क्या सर?" मैंने मूर्खता पूर्ण प्रश्न किया...
उधर से गोली चलने की आवाज़ आयी...थोडी देर की खामोशी के बाद डॉन बोला..."समझा क्या ठाँय?? "
"समझ गया समझ गया सर...बिना ठाँय के क्या डॉन सर...वाह सर आप ग्रेट हो सर...क्या नाम दिया है ब्लॉग का सर... लेकिन ब्लॉग में लिखना क्या होगा सर?"
"अबे ब्लॉग में भी सोचके लिखने का होता है क्या? अपुन की तारीफ लिखने का, पुलिस की बुराई लिखने का, चाक़ू, छुरी, कटार, तमंचा ,बन्दूक, बोम्ब का ताजा जानकारी लिखने का और क्या लिखने का रे? हाँ और लिखने का की डॉन से डरने का नहीं, डॉन को भाई मानने का, बस डॉन से पंगा लेने का नहीं सिर्फ़ उसकी बात पे मुण्डी हिलाने का"
"जी जी समझ गया सर"
"ब्लॉग जल्दी लिखने का समझा क्या? अपुन को इंटरनेशनल फ़टाफ़ट बनने का रे और सुन अगली बार अपुन का फ़ोन नहीं आएगा,या तो भेजे में गोली आएगा या डॉलर का बंडल आयेगा, अपुन उधार का धंदा नहीं करता समझा क्या?
फ़ोन कट गया. तब से परेशान हूँ की क्या लिखूं ? कोई है जो मेरी मदद करे? डॉलर के बंडल से आधा उसका जो मेरी मदद करेगा . चलो आधा नहीं पूरा का पूरा बंडल उसका, अपनी तो जान बच जाए ये ही बहुत है रे.
यहाँ अपने ब्लॉग पे लिखने के लिए कुछ नहीं मिल रहा ऊपर से डॉन के ब्लॉग के लिए टेंशन.... एक बात और आज तो डॉन का फ़ोन हमारे पास आया है हो सकता कल को किसी और डॉन की घंटी किसी ब्लोगर के पास बज जाये...एक डॉन का ब्लॉग खुला नहीं की दूसरी गेंग वाला डॉन भी अपना ब्लॉग खोलने के लिए मेरे जैसे किसी और निरीह ब्लोगर को ढूंढ़ना शुरू कर देगा...आप सब सावधान रहिएगा फ़िर न कहियेगा की मैंने बताया नहीं.और हाँ एक और बात डॉन भाई ने बोली है वो ये की जिस किसी ने उनका ब्लॉग नहीं खोला और टिपण्णी नहीं दी...तो "ठाँय"
maja aa gaya neeraj ji, sach men. ekdam naye type ka hai!!!!
ReplyDeleteअपुन के पास बी टैम नई है इधर. एक दो पोस्ट दोस्ती के मारेच लिख डाल नीरज भाय!
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग्य :) - आगे आगे देखिए होता है क्या - हिन्दी ब्लॉग जगत में डॉन, लुच्चों, टपोरों सब का आगमन हो चुका है और बस रायता फैलना बाकी है!
बोले तो इसलिए अपुन मोबाइल को स्विच ऑफ़ करके बैठेला है...भाई लोगो को इधर फ्री कंसलटेशन भी देने का शुरू किया है ...कभी आडे वक़्त काम आये तो...वैसे ये इन्टरनेशनल ब्लॉग क्या होता है नीरज भाई ??//
ReplyDeleteआईला अपुन का डॉन भाई को सलाम बोलने का भाऊ, ब्लॉग मैं सुपारी ताम्बुल का रेट लिखना मत भूलना !! अपन को पढ़ के बहुत हंसी आया बाप!! पर डान को नहीं बताने का की अपुन इधर बतिशी दिखायेला था!!!
ReplyDeleteवाह नीरज जी............ क्या बात है........... मजेदार लिखा है.... आप तो बस अब डॉन के चक्कर में आ गए ...........एक सुझाव है ..........रोज आप ही डॉन बन कर नए ब्लोगिये को खडका देना ............ (बस हमारा ख्याल रखना)..........
ReplyDeleteहां...हां..हा... आपका ये अंदाज तो लाजवाब है..... कमाल का लिखते हैं नीरज जी आप
to blog banaya kya? pahli aakhiri tipanni aap hi dena.........hahaha no badal lijiye
ReplyDeleteआपको डान से पीछा छुडाने का है क्या? तो एकेईच काम करने का..किसी लिक्खाड ब्लागर का नाम डान भाई को बताने का..फ़िर डान भाई उसको खुड ही ऊठवा लेंगे.:) क्या? समझ गयेले भाई कि अबी और समझाने का ?
ReplyDeleteरामराम.
Priy bhai Neeraj,
ReplyDeleteAapne sachchaaee se
waaqif karaayaa hai,dhanyawad aapkaa.
Aajkal kuchh aesa hee ho rahaa hai
kuchhek blogon par.Hungaamaa barpa
kar rahe hain ve bloggers don kaa naqaab
pahan kar.Aap achchhe vyangyakaar
hain.Badee khoobsoortee se aapne
unhen benaqaab kiyaa hai.Badhaaee.
:) :)
ReplyDeleteधांसू लिख मारा है आपने तो.. मज्जा ही आ गया.. वईसे.. मंटो की कहानियो वाली किताब का क्या हुआ???
ReplyDeleteश्रीमान जी, यदि ब्लॉग का पता बता दें तो पांच-सात टिप्पणी हम भी कर देते हैं, डॉन जी से पहचान बढाने का यही तरीका है. सूना है की पाकिस्तानी आतंकवादी भी आजकल महिला पत्रकार बनकर हिन्दी में ब्लॉग लिख रहे हैं.
ReplyDeleteवाह नीरज जी! यह रीठेल आने तक श्रीमान डानसिंह जी का ब्लॉग तो बन ही गया होगा! जरा यूआरएल बताईयेगा। और यह भी बताइयेगा कि शिवकुमार मिश्र उसकी घोस्टराइटिंग करते हैं या अब कोई और करता है?! :)
ReplyDeleteभाई नीरज जी,
ReplyDeleteडरने की कोई जरूरत नहीं, आई एस ओ ट्रेंड बन्दा आपके लिए हाज़िर है. जिगर पत्थर का रखने की हिमाकत रखता हूँ सो डॉन भाई का ब्लॉग लिखने को मैं तैयार हूँ, डालर के बण्डल भी नहीं चाहिए,
डॉन भाई से एवज में जो मिले उससे ब्लॉग जगत के लिखने वालों के लिए पेंशन फंड बना देना और नाम देना डॉन ब्लागिंग पेंशन फंड.
डॉन कसम फ्री में लिखूंगा, जम कर लिखूंगा, पर एक शर्त है कि जो लिखना है उसका मसाला यानी की ताज़ा तरीन और नव तकनीक की जानकारी के लिए डॉन भाई के हर किसम के कंसल्टेंट का पता चाहे वो किसी भी क्षेत्र के हों, बतलाना पड़ेगा. साथ ही उन्हें डॉन भाई की ये पुख्ता हिदायत उन कंसलटेंटों के पास होनी चाहिए कि जब जिससे जो जानकारी मेरे द्वारा मांगी जाये तुरत-फुरत मुहैया कराई जाये.
बन्दा भाई की ठाएँ-ठाएँ का गुणगान करने में कोई कसार न छोडेगा.
बन्दा पत्थर का बना है सो ठाएँ -ठाएँ से भी नहीं डरता, ये बताना भी डॉन को न भूलना, डॉन को बता देना मीठा लिखवाना हो तो बन्दे से तहजीब से पेश आना और लखनवी अंदाज़ में गुफ्तगू करने का. लिखने वाला मीठा सुनेगा तो मीठा लिखेगा........वर्ना अपुन भी भाई की ही जमीन का हूँ पत्थर की रगों में भाई का जमीनी खून प्रवाहित यदि हो गया तो भाई कसम ब्लाग पर नहीं डॉन जहाँ चाहेगा वही पर ठाएँ -ठाएँ कर लेगें
डॉन से कहना अपुन के धंधे में बेईमानी नहीं चलती, सो सब कुछ साफ-साफ कह दिया, बाकी उसकी मर्जी.....ब्लाग लिखवाना , न लिखवाना उसकी मर्जी, अब गेंद उसके पाले में......................
त्वरित प्रतिक्रिया का इंतजार है.
चन्द्र मोहन गुप्त
अरे नीरज भाई डरते क्योहो, जिस ने आप को इस रास्ते(ब्लांग ) की दुनिया मै फ़ंसाया (ज्ञानदत्त जी ओर शिव भाई जी)अब यह डालर के बंडल भी इन्हे सोप के सीधे हरिदुवार चले जाये, या फ़िर ताऊ के गले डाल दे यह वला, ताऊ को ताई के लठ्ठ पे बहुत मान है, ओर जब तक ताई का लठ्ठ है कोई ताऊ का बाल भी बाकां नही कर सकता.
ReplyDeleteबाकी मुझे पता नही, मेने अपने सारे फ़ोन कटवा दिये मोबईल भी फ़ेंक दिया, ओर घर भी बदल लिया, यह बात डान सहाब के कानो मै निकाल देना.लेकिन यह पिस्टोल देख कर डर लग रहा है, सच्ची मुच्ची की है क्या.......
खुदा हाफ़िज
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
हम तुमको सलाम करते हैं,
ReplyDeleteतुम उनको सलाम करतो हो।
arey mamla to bada pechida lagta hai bhai....
ReplyDeletedimag ki batti jal gai bhai aur sharir main aisa karant duada ki abhi bhi budhi haddiyon k mafik kaanp raha hai bhai....
aapse kuch bolne kaa hai..
bhailogon ki kartut batane k liye.......shukriya janab shukriya..
हा हा हा नीरज जी नमस्कार,
ReplyDeleteबहोत सही लिखा है आपने क्या खूब कास के ब्यंग मारा है आपने बहोत सही बहोत सही.... मजा आगया जनाब... वाह दिल खुश हो गया ...
बधाई
अर्श
अरे ये आप् हैं नीरज जी आपभी बहुत मजाकिया हो गये हैं बहुत बडिया लिखा है बधाई भी ले लें अब तो डालर की बरसात होने वाली है
ReplyDeleteneeraj ji dhaansoo de maara hai thaayn. maza aa gaya. darte darte main to tippni de hi dun . don ko mera pata mat dena, dhanyawaad.
ReplyDeleteफुरसतिया जी का नाम दे दो उसको. उनके पास बहुत मटेरियल है इस लाईन का. :)
ReplyDeleteमस्त रहा!!
ठाएँ-ठाएँ-ठाएँ-ठाएँ
ReplyDeleteक्या खूब वर्णन है .
वाह महाराज.. ये भी खूब रही.....
ReplyDeletemaza aa gaya . ab to apun bhi kisi se likhvayega apna blog .
ReplyDeleteवाह :-)
ReplyDeleteअपुन को तो कोई टेंशन ही नहीं, एक से एक लिक्खाड़ पड़े हैं ब्लागजगत में। तो डान को हमारी जरूरत कभी नहीं आयेगी। आज समझा कि अनाड़ी होने का भी अपना फ़ायदा है।
ReplyDeleteadbhut sense of humour....kuch baaton pe to baar baar impress hota rahaa main,nihaarta raha un shabdo ki masti ko....ispe to ek chhota sa drama ya standup ban saktaa hai...kamaal ki soch aur presentation :)
ReplyDeletemaja aa gaya post me
ReplyDeleteअपुन को कोई टेंशन नहीं है ये लोचा बस बड़े ब्लोगरों के साथ हो रहा है :)
ReplyDeleteIt was one of the most amazing blog I EVER READ in MY LIFE...
ReplyDeleteOyeeeeeee hoyee....
Bidu apun bolela hai ki tum aisa ich blog likhte rahne kaa ..
Bole to ek dum bindaasssssssssssss!
Maja aa gaya padh ke.. :-)
I think you write something like this in Bhaigiri tone more often..
ए ठांय ए ठांय । ए नीरज बाबू अपुन को सब पता है के ये जो तुमारा ब्लाग है ना ये भोत ही सूपर डूपर हिट हो रेला है । अख्ख्े ब्लाग जगत में इसकी बूमा बूम हो रेली है । अब ज्यादा स्यानपत्ती नइ दिखाने का समझा क्या । बड़े सरोते ने बोला ब्लाग बनाने का तो बनाने का । और पोलिस वोलिस के चक्कर में पड़ने का नइ । अपुन का ये जो भेजा है ये थोड़ा सरकेला है समझा क्या ।
ReplyDeleteऔर ये जो पंगा तुमने कियेला है इसको माफ ये टाइम तो खाली ये वास्ते करता है कि तुम मिष्टी के बाबा हो । अख्खे अंडर वर्ल्ड में मिष्टी के फेन है समझा क्या । अजुन तलक अपन से कोई पंगा लेकर बचा नहीं है । पन गलती तो तुमने किया है तो ये संडे को जब जयपुर जाओ तो मिष्टी के लिये अंडरवल्ड्र के नाम से एक पैकेट लेकर जाना जिसमें भरे हों चाकलेट, आइसक्रीम, क्रीम बिस्किट, और पता नहीं क्या क्या । ले के जाना जरूर नहीं तो ... ज्यासती नहीं बोलेगा, फोटो से तो तुम समझदार दिखता है ।
टेंशन लेने का नई नीरज भाई।जो भी एड़ा ब्लागर टिपण्णी नई कियेला है ना,साले का नाम दे देने का बड़ा सरोता।वो उसका गेम बज़ा डालेगा फ़िर किसी और का नाम देने का फ़िर किसी और का।देख लेना भाय आप भी ना एक दिन इधर का डान बन जायेगा बडा सरोता के माफ़िक्।सब सालो लोग को उसके बाद हप्ता का टारगेट दे देना का और जो उतना टिपण्णी किया उसको ठांय्।देखना भाय खयाल रखने का क्या अपुन को भी सरकिट-चिरकुट टाईप रख लेना। मस्त-पोस्ट्।
ReplyDeleteबोले तो क्या मस्त लिखेला है बावा...वईसे, ये बड़ा सरोता से बात हो तो मेरे को रेफर करने का...अपुन लिखेगा बॉस के लिए..अपुन को डिरहम में कमाने का है...बिना उधर गए ही कमा लेगा.
ReplyDeleteझक्कास है ये डान भाई !
ReplyDelete...अब देखो
इनकी एन्ट्री से
कौन कौन पतली गली से
फूट लेते हैँ ..
- लावण्या
नमस्कार नीरज जी,
ReplyDeleteये डॉन आपको खूब परेशान रखता है. ब्लॉग की शुरुआत की पोस्टिंग्स में जिस डॉन का ज़िक्र है क्या ये वही है, तो ज़रा बच के रहना.
बहुत मज़ेदार लिखा है
:) बहुत बढ़िया रहा आपका यह व्यंग मजेदार :)
ReplyDeleteनीरज जी, शायरी का पहलू छोड कर डान के चक्कर में कैसे पड गये।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
E-mail received from Om Sapra ji from Delhi:
ReplyDeleteshri neeraj ji
it is a good satire, also it is thought provoking article (although you have cautiouned not to use wisdom).
congratulations for the same.
-om sapra, delhi-9
नीरज जी
ReplyDeleteमैं हूँ डान, क्या लिखा है...सच्ची घटना तो नहीं हो सकती यह...
आपने एक अच्छी टिपण्णी दी है मेरे ब्लॉग पर...ध्यान रखूँगा...
आज मैंने १२२,१२२,१२२,१२२ बहर पर ग़ज़ल लिखने की कोशिश की है...पोस्ट कर चूका हूँ आशा है बहुमूल्य टिपण्णी अवश्य करेंगे...
सादर
नीरज
bhai neerajji,
ReplyDeleteblog to khulta rahega don ka ..aap toh meri tippani pahle se hi jamaa rakho....
bhaiya....rivolvar kitte ka liya?
apun ko eda nahi banaae ka ..samjha kya ?
tumhaara don ka watt lagaane ku apun k paas bi ek don hai ...samjha kya ?
naam bataaun ? darenga toh nahin ?
uska naam hai tau raampuriya ....ha ha ha ha ha ha ha ha
Neeraj bhai,
ReplyDeletekamaal ka lekh. tareef kam pad rahi hai.
mast maza aa gaya re baap..
ReplyDeleteapun to padh kar comment kar diyela hai...
hmari jaan to bach gayi.. :D
ये क्या??? मेरे कु मेरे ब्लोग पे से बुला के लाया!!! मेरा प्राब्लम तो साल्व किया नई ----औऊर अपुन का करवाने को लगाया!!!!अब्बीच बडा सरोता को फ़ोन लगाती और तेरी हरकते बताती कि डॊन का ब्लोग तो बनाया नई,और सबको बी खबर कर रयेला है!!!!!!
ReplyDeleteआदरणीय नीरज जी .नमस्कार
ReplyDeleteदेरी से आने के लिए क्षमा चाहूँगा ...
आपकी इस पोस्ट के लिए मैं क्या लिखू... हंसी रुके तो कुछ कहूँ न .....आप सही में उस्ताद हो जी ..कहाँ से सोच लेते है आप ये सब बोलिए तो ... मैं क्या लिखूं... बस अपने घर में सबको पडवा चूका हूँ ... सब हंसी से लोटपोट हो रहे है ..
waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah
नमन है आपको
आपका
विजय
bhut khub neera j ji hash hash kar bura haal hai bhut hi behtreen pahli baar aap ke blog par aaya hun mai aap ka bhakt ho gaya
ReplyDeleteprnaam swikaar kare
saadar
praveen pathik
9971969084
भईया - प्रणाम
ReplyDeleteबहुते गजब का लिख दिए हैं...... आपका मुम्बइया अंदाज बहुत अच्छा लगा.
कुछ लाइन जिंदगी के वास्तिविकता के बहुत करीब लगा.......
"डर अच्छे अच्छे को तहजीब से बोलना सिखा देता है"
" दुनिया का नियम ----जिसके पास टाइम नहीं उसके पास बन्दूक हैं और जिसके पास टाइम हैं उसके पास बन्दूक नहीं होती"
वाह मजा आ गया। क्या लिख मारा है आपने। आपकी लेखनी का यह जादू भी देख लिया।
ReplyDeleteतेरे कू बोला था मेरे लिए ब्लाग तैयार करने को । स्याणे तू अपनाइच ब्लाग बना रहा है, मेरा कब बनायेगा । बनाना हो तो बना नही तो कृष्ण मोहन जैसे फालतू बैठे हुए लोगों को काम पर लगा दूं । - श्री डान खान
ReplyDeleteनीरज जी,
ReplyDeleteआपको एक नये अंदाज में देखकर सचमुच मजा आ गया।इसे आप एक धारावाहिक का रूप दें दें तो और आनन्द आयेगा...
"नीरज जी का देखकर, एक नया अंदाज।
ब्लागिंग के संसार में हो गई हलचल आज।
नये पंख के साथ में एक नई परवाज।
नीरज जी भाया मुझे ये सुन्दर आगाज़।"
ये तो निराला ही अंदाज है नीरज जी....
ReplyDeleteलेकिन फिकर नाँट, अपुन आपके साथ है
bahut khoob. teekha vyangya hai!
ReplyDeleteवाडी साईं,,,,,,
ReplyDeleteये रिवाल्वेर तो पीछे करो नी,,,,
दे तो रहा हूँ कमेंट ,,बाप,,,,,,!!!!!
हा,,हा,,हा,,हा,,,,
क्या जिंदादिली है हुजूर आपकी,,,गजल में ,,या ऐसे लेखन में,,,( और आवाज़ में भी,,)
मजा आ गया,,
आप लिख ही नहीं रहें हैं, सशक्त लिख रहे हैं. आपकी हर पोस्ट नए जज्बे के साथ पाठकों का स्वागत कर रही है...यही क्रम बनायें रखें...बधाई !!
ReplyDelete___________________________________
"शब्द-शिखर" पर देखें- "सावन के बहाने कजरी के बोल"...और आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाएं !!
mjedar rha .aap to blog likhiye ham to tippni de hi dege aur agar bhai tang kre to hmare jaiso 10 - 15 logo se aur tippni likhvadege.
ReplyDeleteअत्यंत रोचक और
ReplyDeleteप्रभावशाली प्रस्तुति.
इसे तो मंच पर खेला जा सकता है,
लोग लोट-पोट हो जायेंगे.
============================
आभार नीरज जी.
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
achchha laga!
ReplyDeleteprakash singh
नीरजबाबू
ReplyDeleteक्या झकास लिखा है मेरे बाप। पुरा का पुरा मुम्बईयॉ अन्दाज!!!!!!
भाई खुशहुऐला
आभार/मगलकामना
महावीर बी सेमलानी "भारती"
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मज़ा आ गया नीरज जी! बहुत बढ़िया लिखा है आपने! मुझे बेहद पसंद आया!
ReplyDeleteभई नीरज जी, क्या कहा जाए....आप तो बिल्कुल गुरू आदमी हो. आज आपका ये एक नया रूप पहली बार देखने को मिल रहा है....बहुत ही उम्दा हास्य रचना प्रस्तुत की है आपने.......आभार
ReplyDeleteUncle ! Chhota Don ko dekha hai apne...ha..ha...ha..
ReplyDeleteक्यों न ताऊ जी का नाम सूझा दिया जाये उन्हें नीरज जी .....??
ReplyDeleteवैसे आपने यह पोस्ट लिख कहीं पंगा तो नहीं ले लिया ....क्या पता कल को कोई सच - मुच के भाई को फोन आ जाये ....अच्छा हुआ मैं गद्य नहीं लिखती ....और ये chanra मोहन जी की बातों पे न जाएँ राज भाटिया जी सही कह रहे हैं जिन्होंने ब्लॉग लिखना सिखाया ये उन्हीं की जिम्मेदारी है ...पंजाबी में एक कहावत है न ...' जो बोले ओही कुंडा खोले ' ...........वैसे अनिल जी की सलाम भी सही है जिसने टिप्पणी नहीं की उसका नाम बजा दें ......!!
[अंत में उठ कर ताली बजाने के लिए तहे दिल से शुक्रिया ...]
नीरज जी आप तो ऐसे न थे .:))
ReplyDeleteवैसे भी आज ताऊ जी की पहेली तो पल्ले पड़ी नहीं सो आपका डॉन पुराण पढकर दिन सार्थक हो गया
दिल खोल के हँसें :))
bole to itnaa time ho gaya le tu abheech tak khalee baithae re. blog likh imaagkharaab ma kar. jitnee der mai tippnita padhee ek din ka blog aa jataa. ( don )
ReplyDeleteनीरज जी बना डालने का। अब तो कोई बोलेगा भी नई। डॉन के ब्लॉगर से भला कौन भिड़ेगा।
ReplyDeleteNeeraj ji .....this is an absolute master piece....I had to really put in efforts to stop laughing especially on the last line....bhai hum dar gaye isi liye comment karne aa gaye
ReplyDeletehahah...solid ...ek dum solid..jahaan jahaan aapne naam diya hai ...pahli baar jab don ko naam diya..uske logic ke sath aur doosri baar jab uske blog ko wo bhi logic ke sath to bas..hansi nkiali to nikal hi gayi ...behad badhiya post
ReplyDelete