आप की उत्सुकुता खीज में बदल जाये इस से पूर्व ही मैं सीधे ही मुद्दे पर आता हूँ. कुछ दिनों पहले मेरे पास सूचना आयी की मेरे गुरु और ब्लॉग जगत के सुपरिचित रचनाकार श्री "पंकज सुबीर जी" को देश की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था "भारतीय ज्ञानपीठ" ने अपनी नवलेखन पुरुस्कार योजना के तहत वर्ष 2008 के तीन श्रेष्ठ युवा कथाकारों में सम्मिलित किया है बल्कि उनका कहानी संग्रह "ईस्ट इंडिया कम्पनी" भी "भारतीय ज्ञानपीठ" से प्रकाशित होकर आ गया है । "भारतीय ज्ञान पीठ" ने तीन कहानी संग्रह प्रकाशित करने हेतु देश भर के युवा कहानीकारों से पांडुलिपियां आमंत्रित कीं थीं । इनमें से जिन तीन कहानीकारों की पांडुलिपियों का चयन प्रकाशन के लिये किया गया उनमें से एक मध्यप्रदेश के सीहोर के लेखक पंकज सुबीर हैं.
सुधि पाठको आप तो जानते ही हैं "भारतीय ज्ञान पीठ " का स्थान हमारे देश में नोबल पुरुस्कारों के समकक्ष रखा जाता है. इसी सर्वोच्च साहित्यिक संस्था भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा युवा साहित्यकारों को बढ़ावा देने हेतु पिछले वर्ष से ही ये नवलेखन पुरुस्कार योजना प्रारंभ की गई है जिसके तहत देश भर के युवा कहानीकारों तथा कवियों से पांडुलिपियां आमंत्रित की जाती हैं तथा उसमें से श्रेष्ठ कहानीकारों तथा कवियों की पांडुलिपियों का चयन वरिष्ठ साहित्यकारों की समिति करती है जिसमें देश के शीर्षस्थ कथाकार श्री रविन्द्र कालिया सहित अन्य वरिष्ठ साहित्यकार हैं । इस वर्ष जिन तीन कथाकारों का चयन किया गया है उनमें श्री "पंकज सुबीर" शामिल हैं
सब से अधिक ख़ुशी की बात ये है की "पंकज जी" हमारे ब्लॉग परिवार के सदस्य हैं. अब हम ताल ठोक कर के कह सकते हैं की ब्लॉग जगत के लेखक भी दमदार लेखन कर सकते हैं. याने ब्लोगर सिर्फ समय बिताने के लिए ही लेखन नहीं करता बल्कि अपने लेखन से समाज को एक नई और सही दिशा देने में भी प्रयास रत है. इस खबर को अधिक से अधिक प्रसारित करें ताकि ब्लोगर्स को समाज इज्ज़त की नज़र से देखे. समाज को हर ब्लोगर में विशेषता नजर आये.
सुधि पाठको मैं देख रहा हूँ की अधिकांश अब मेरे साथ तालियाँ बजाने में शामिल हो गए हैं, मुझे आप से येही आशा थी, जो अब तक संकोच वश या किसी और कारण से दोनों हाथों को एक दूसरे से जोर से जोड़ कर ध्वनि निकालने में समर्थ नहीं हो पाए हैं उनके लिए मुझे और समय देने में कोई आपत्ति नहीं है, क्यूँ की मुझे यकीन है की वो ही अभी नहीं तो कुछ समय बाद सबसे जोरदार तालियाँ बजायेंगे....
अब एक छोटी सी जानकारी किताब के विषय में:
इस कहानी संग्रह में अलग अलग रंगों की पन्द्रह कहानियां शामिल की गईं हैं । तथा संग्रह में ही शामिल एक कहानी के आधार पर इस कथा संग्रह का नाम ईस्ट इंडिया कम्पनी रखा गया है । संग्रह में शामिल अन्य कहानियां कुफ्र, अंधेरे का गणित, घेराव, ऑंसरिंग मशीन, हीरामन, घुग्घू, तस्वीर में अवांछित, एक सीप में, ये कहानी नहीं है, रामभरोस हाली का मरना, तमाशा, शायद जोशी, छोटा नटवरलाल, तथा और कहानी मरती है.
ये सारी ही कहानियां वर्तमान पर केन्द्रित हैं । शीर्षक कहानी ईस्ट इंडिया कम्पनी उस मानसिकता की कहानी है जिसमें उंगली पकड़ते ही पहुंचा पकड़ने का प्रयास किया जाता है ।
कुफ्र कहानी में धर्म और भूख के बीच के संघर्ष का चित्रण किया गया है । अंधेर का गणित में समलैंगिकता को कथावस्तु बनाया गया है तो घेराव और रामभरोस हाली का मरना में सांप्रदायिक दंगे होने के पीछे की कहानी का ताना बाना है । आंसरिंग मशीन व्यवस्था द्वारा प्रतिभा को अपनी आंसरिंग मशीन बना लेने की कहानी है । हीरामन ग्रामीण परिवेश में लिखी गई एक बिल्कुल ही अलग विषय पर लिखी कहानी है । घुग्घू कहानी में देह विमर्श कथा के केन्द्र में है जहां गांव से आई एक युवती के सामन कदम कदम पर दैहिक आमंत्रण हैं । तस्वीर में अवांछित कहानी एक ऐसे पुरुष की कहानी है जो कि अपनी व्यस्तता के चलते अपने ही परिवार में अवांछित होता चला जाता है । एक सीप में तीन लड़कियां रहती थीं मनोवैज्ञानिक कहानी है जिसमें एक ही घर में रहने वाली तीन बहनों की कहानी है जो एक एक करके हालात का शिकार होती हैं । ये कहानी नहीं है साहित्य के क्षेत्र में चल रही गुटबंदी और अन्य गंदगियों पर प्रकाश डालती है । तमाशा एक लड़की के अपने उस पिता के विद्रोह की कथा है जो उसके जन्म के समय उसे छोड़कर चला गया था । शायद जोशी मनोवैज्ञानिक कहानी है । छोटा नटवरलाल में समाचार चैनलों द्वारा समाचारों को लेकर जो घिनौना खेल खेला जाता है उसे उजागर करती है । और कहानी मरती है लेखक की हंस में प्रकाशित हो चुकी वो कहानी है जिसमें कहानी के पात्र कहानी से बाहर निकल निकल कर उससे लड़तें हैं और उसे कटघरे में खड़ा करते हैं । ये पंद्रह कहानियां अलग अलग स्वर में वर्तमान के किसी एक विषय को उठाकर उसकी पड़ताल करती हैं और उसके सभी पहलुओं को पाठकों के सामने लाती हैं ।
पुस्तक की कीमत 130 रुपये है जिसे भारतीय ज्ञानपीठ, 18 इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नयी दिल्ली 110003, Email : sales@jnanpith.net से प्राप्त किया जा सकता है । पुस्तक का ISBN नंबर 978-81-263-1691-5 है.
जो पाठक मेरी इस जानकारी से हर्षित हुए हैं उनसे अनुरोध है की अगर वो श्री "पंकज सुबीर जी" को बधाई देने में, यहाँ मेरे ब्लॉग पर, संकोच कर रहे हैं तो वो उन्हें उनके ब्लॉग http://subeerin.blogspot.com पर बधाई दे सकते हैं.
उन पाठकों से जो सार्वजनिक बधाई देने में संकोच करते हैं, अनुरोध है की वे उन्हें उनके ई-मेल subeerin@gmail.com पर अथवा उनके मोबाईल 09977855399 पर नितांत गोपनीय रूप से संपर्क कर सकते हैं.