Thursday, July 10, 2008

दोहे


(डा.राम स्नेही लाल शर्मा "यायावर")

आशाएं जोगिन हुईं,चाहें चढी सलीब
सपने यायावर हुए,अपना यही नसीब

तन-मन-चिंतन,बुद्धि-बल,घर-आँगन-परिवार
महा नगर में हो गए सबके लघु आकार

आल्हा,ढोला,लोरकी,फगुआ,गीत,मल्हार
कौन सुने?गायें कहाँ?उलझन लगी हजार

मुल्ला-पंडित,पादरी,पीर,सयाने लोग
ये कैसे बांटें दवा,बाँट रहे जो रोग

मिली जिंदगी के लिए,इतनी-सी सौगात
वित्ता भर की चाँदनी,कोसों लम्बी रात

प्रेम,त्याग,बंधुत्व,प्रण,गए मधुरता भूल
फटी जेब थी खो गए,अपने सभी उसूल

तन हो चंदन-पाँखुरी,मन फूलों का सार
कैसे कहें की प्रीति है,कठिन खडग की धार

राम,कृष्ण,ईसा,रिषभ,बुद्ध और महावीर
बेटी तेरे ही ऋणी, संत, महंत, फ़कीर

जाने कब,किस मोड़ पर,तुमसे भेंटें प्राण
भूल गए उस रोज से,हम अपनी पहचान

फागु पर चंद दोहे:


ज्ञान,ध्यान,संयम भला,कैसे रहे स्वतंत्र
जब फागुन पढने लगा,सम्मोहन के मंत्र

फागुन लेकर आ गया,है छैनी का साज
उर-पाषणों में जगी,एक अजंता आज

खोली मन की डायरी,सुधियाँ जगीं अनाम
पृष्ठ पृष्ठ पर लिख गया,फागुन तेरा नाम

चाह राधिका सी सजी,रूप हुआ घनश्याम
फागुन में होने लगा,मन वृन्दावन धाम

तुम साँसों में बस गयीं,बन बंसी अभिराम
तन वृन्दावन हो गया,पागल मन घनश्याम

ज्ञानी,ध्यानी,संयमी,जोगी,जती,प्रवीण
फागुन के दरबार में,सब कौडी के तीन



(विलक्षण प्रतिभा के धनि, डा.राम स्नेही लाल शर्मा "यायावर" एम. ए.,पी.एच.डी.,डी.लिट. फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और वहीँ के एस.आर.के. स्नातकोत्तर कालेज के हिन्दी विभाग में रीडर हैं. आप की कई पुस्तकें प्रणय गीत, मुक्तक, और ग़ज़ल जैसे विषयों पर प्रकाशित हो चुकी हैं. इसके अलावा देश की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में उनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं जो बहुत सराही गयी हैं.
माँ सरस्वती के इस लाडले पुत्र की पुस्तक "आंसू का अनुवाद" के विभिन्न विषयों पर लिखे 720 दोहों में से चुने गए कुछ दोहे अपने ब्लॉग पर पोस्ट कर मैं अति प्रसन्न हूँ. )
{ पुस्तक "अनुसंधान" न्यू माडल कोलोनी, बरेली-243122 मोबाईल: 09410219930 से संपर्क कर के प्राप्त की जा सकती है. मूल्य:80 रु.मात्र }
{ आप लेखक से सीधे 09219412159, 09412316779 पर भी बात कर उन्हें बधाई दे सकते हैं अथवा dr_yayawar@yahoo.com पर लिख सकते हैं. }

12 comments:

  1. चाह राधिका सी सजी,रूप हुआ घनश्याम
    फागुन में होने लगा,मन वृन्दावन धाम

    इनका लिखा मैंने पहले भी पढ़ा हुआ है आपने यहाँ दिया इसको बहुत बहुत शुक्रिया ..यह मुझे विशेस रूप से पसंद आया

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  2. मुल्ला-पंडित,पादरी,पीर,सयाने लोग
    ये कैसे बांटें दवा,बाँट रहे जो रोग

    मिली जिंदगी के लिए,इतनी-सी सौगात
    वित्ता भर की चाँदनी,कोसों लम्बी रात
    vah neeraj ji nida fajil se dohe jaise sundar lagte the theek vaise hi...ye dohe hai...डा.राम स्नेही लाल शर्मा "यायावर" ko meri badhai de..

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  3. लीजिये बधाई इस प्रस्तुति के लिए.
    ==============

    'यायावर' के दोहरे आँसू के अनुवाद
    सच मानो ये कर रहे जीवन से संवाद
    =================

    बात निराली देखिए इन दोहों में आप
    राम सनेही छोड़ते मन से मन पर छाप
    ====================

    नीरज जी तुम दे रहे नित ही नव सौगात
    गहन निशा में कर रहे तुम प्रभात की बात
    =======================

    बरसे बादल झूमकर 'यायावर' के नाम
    नेह राम का दे गए कहलाते घनश्याम
    ==========================

    जोगिन आशा का कवि लगता बड़ा धुरीण
    प्रस्तोता का क्या कहें सच है बड़ा प्रवीण
    =============================
    शुभ भावों सहित
    डा.चन्द्रकुमार जैन

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  4. भाई नीरज जी,
    डा.राम स्नेही लाल शर्मा "यायावर" की पुस्तक "आंसू का अनुवाद" के विभिन्न विषयों पर लिखे 720 दोहों में से चुने गए कुछ दोहे अपने ब्लॉग पर पोस्ट कर हमें पढ़वाने के लिए धन्यवाद. अगर मैं निम्न दोहे

    तन-मन-चिंतन,बुद्धि-बल,घर-आँगन-परिवार
    महा नगर में हो गए सबके लघु आकार

    पर कुछ कहना चाहूँ तो बस यही कह सकता हूँ कि

    थे दोहे रचे रहीम, कबीर, तुलसी ने भी कभी
    शहर की झूंठी रेलमपेल में भूल गए इन्हे सभी

    इस मतलबी , स्वार्थी, धनलोलुप संसार में "मूल्यों की खोज" ही शायद बेमानी है. फिर भी आज कुछ संवेदनशील लोग इस दिशा में जितना भीसही दिशा में कथ्य- अकथ्य प्रयास कर रहे है, उसे संवेदनशील होने के कारण हमें समर्थन देना ही होगा. कोई भी आन्दोलन बिना समर्थन के दम तोड़ देता है. अतः आज हम रहीम, कबीर, तुलसी के दोहों के बहाने न सही पर डा.राम स्नेही लाल शर्मा "यायावर" के अथक प्रयास से रचे दोहों के ही माध्यम से ही सही, आप सभी स्थापित रचनाकारों से अनुरोध है कि "मूल्यों " की स्थापना में जितना प्रयास कर सकते हैं करे, क्योंकि चीटियों के प्रयास जब सफल हो सकते हैं तो फिर आप सभी तो
    "नर हो, न निराश करो मन को"

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  5. Neerajbhai
    Something very new presentation.
    Can u tell us the meaning of Saleeb & Chainee?
    Thanx.

    -Harshad Jangla
    Atlanta, USA

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  6. " a kind spritual peace while reading" great great great

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  7. बहुत अच्छे दोहे हैं. शर्मा जी के बारे में पहली बार जाना. ये किताब जरूर खरीदेंगे अब. शानदार प्रस्तुति.

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  8. प्रस्तुति के लिए बधाई .

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  9. यायावर की बानगी, सुन्दर अपरम्पार.
    नीरज के सौजन्य से, धन्य हो गये यार..

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  10. बहुत अच्छे दोहे हैं...

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  11. सराहनीय , नीरज जी धन्यवाद, उनके ई-मेल पर जरूर बधाई भेजेगें।

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  12. Adarniya Neerajjee, yadi aapko aitraaz n ho to apnee saari kavitain aur gazlain, apne is dost ko email kar deejiyega na. Please. Bahut sunder likhee hain sir. Shabd sitaaron kee tarah saj rahe hain. Kya kahna !

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे