Saturday, April 19, 2008

माँ की लोरी,पप्पी,बातें


(भाईपंकज जी ने इस ग़ज़ल पर कृपा दृष्टि डाल दी थी ,मैं उनके स्नेह से अभिभूत हूँ )

सीधी बातें सच्ची बातें
भूले सारी अच्छी बातें

ठंडे मन से गर कर लो तो
हो जाती सब नक्की बातें

जीवन में लज्जत ले आती
उसकी मीठी खट्टी बातें

बढ़ जाती है उसकी पीड़ा
दिल में जिसने रख्खी बातें

मत ले लेना दिल पर अपने
उसकी पक्की कच्ची बातें

हासिल क्या होता है करके
बे मतलब की रद्दी बातें

जीवन जीना सिखलाती है
माँ की लोरी,पप्पी,बातें

सीखी हमने जो पुरखों से
अब लगती हैं झक्की बातें

उलझें तो ना सुलझें नीरज
ज्यूँ धागे की लच्छी बातें

13 comments:

  1. बहुत खूब...

    हम सब पढने को आ जाते
    आपकी सीधी-सच्ची बातें

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  2. बढ़ जाती है उसकी पीड़ा
    दिल में जिसने रख्खी बातें

    मत ले लेना दिल पर अपने
    उसकी पक्की कच्ची बातें

    hmmm

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  3. सही है जी, सम्प्रेषण खुला रहे तो सभी धागे सुलझ जाते हैं।
    बहुत साफ-सही लिखा।

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  4. जरा गा कर पॉडकास्ट करिये भाई!!

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  5. बच्चा ही समझे है अपनी
    माँ की लोरी,पप्पी,बातें ---- एक साँस में पूरी रचना पढ़ गए. दो तीन दिन में हम भी अपनी माँ का यही स्नेह ममता पाने के लिए दिल्ली रवाना होगें ...

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  6. गजल गजब की है और मधुबाला की फ़ोटो भी.

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  7. खूब कही !........बधाई !
    -------------------------
    भीड़-तंत्र में बोल रही हैं
    देखो धक्का-मुक्की बातें

    रोज़ नशे में झूम रहे हैं
    करते सट्टा-पट्टी बातें

    कर्महीन को नहीं शोभतीं
    महज़ खोखली लक्की बातें

    दिल के साफ़ नहीं करते हैं
    कभी,कहीं भी शक्की बातें

    नीरज बोलें तो पक्का है
    बोल रहे वे पक्की बातें !
    ------------------------------
    शुभकामनाएँ
    डा.चंद्रकुमार जैन

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  8. खूबसूरत पंक्तियां है हुज़ूर.. पढ़कर मज़ा आ गया

    इसी मीटर में कुछ लिखने की गुस्ताख़ी कर रहा हूँ, निहित sarcasm को समझियेगा..

    नीरज वाह क्या खूब सुना दीं
    जीवन की बड़ी सी बच्ची बातें

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  9. भाई नीरज जी,
    क्लास १० में मैंने पंडित बाल कृष्ण भट्ट का एक निबंध " बात" के ऊपर पढ़ा था, आज उसकी याद एक बार फिर से ताज़ा हो गई आपकी " बात " पर ग़ज़ल पढ़ कर.
    जिस खूबसूरत अंदाज़ में आप महत्वपूर्ण बातें सहज ढंग से चंद शब्दों में कह गए उसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है.
    मेरे निम्नलिखित विचार पर अपनी समालोचना प्रस्तुत करें :

    "नासमझ के आगे बातें कहना भैंस के आगे बीन बजाने के बराबर है
    और
    समझदार को बातें कहना उसका अनादर करना है
    फिर
    बात करें तो किससे ?"

    अभी के लिए इतना ही दुसाहस काफी है , बाकि फिर कभी.
    आपका अनुज,
    चंद्र मोहन गुप्ता " मुमुक्षु"

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  10. बढ़ जाती है उसकी पीड़ा
    दिल में जिसने रख्खी बातें

    मत ले लेना दिल पर अपने
    उसकी पक्की कच्ची बातें

    हासिल क्या होता है करके
    बे मतलब की रद्दी बातें

    vah neeraj ji ,aapka blog is light ki aavajahi ke karan der me khula....lekin padh kar dil prafullit ho gaya..sare sher khoob hai.....aor ye vala bahut achha laga...

    सीखी हमने जो पुरखों से
    अब लगती हैं झक्की बातें

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  11. जीवन जीना सिखलाती है
    माँ की लोरी,पप्पी,बातें
    बधाई नीरज जी सिलसिला बना रहेगा अब तो
    ----योगेन्द्र मौदगिल

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  12. देर फिर हो गई - भईया जी
    "चश्मा भूले, भटके बाहर/ कहाँ कहाँ न ढूंढी बातें
    ये मेरा ब्राउज़र है कंडम / बड़ी देर से दिक्खी बातें" [ :-)]

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  13. बढ़ जाती है उसकी पीड़ा
    दिल में जिसने रख्खी बातें

    मत ले लेना दिल पर अपने
    उसकी पक्की कच्ची बातें

    वाह बहुत बहुत अच्छी लगी यह गजल आपकी

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे