Wednesday, March 19, 2008

मूरखता के दोहे


होली का हास्य से भी सम्बन्ध है इसी लिए प्रस्तुत हैं मूरखता के दोहे...अगर आप को लगे की ये दोहे आप की ही बात कर रहे हैं तो समझिए लिखना सार्थक हुआ.

होली के त्योहार पे सब का मन हरषाय
कीचड गोबर से बचे वो मूरख कहलाय

मूरख ढ़ूंढ़न मैं चला, हुआ बहुत हैरान
हर कोने मूरख मिला अपनी छाती तान

जो तोकू मूरख कहे कह उसको विद्वान्
तू मूरख बच जाएगा उसकी जाए जान

मूरख वाणी बोलिए, समझ न कोई पाय
श्रोता सुन पागल बने वक्ता सर खुजलाय


मूरख की इस देश में बड़ी निराली शान
पढ़ना लिखना छोड़ के नेता बना महान


काल बने सो आज बन आज बने सो अब
जिल्लत से बच जायेंगे मूरख बन कर सब


मूरख के गुण पर गधा खूब रहा इतराय
पिटने से डरता नहीं मन की करता जाय


मूरख की भाषा कभी नीरज गयी न व्यर्थ
सुन कर सभी लगा रहे अपने अपने अर्थ

22 comments:

  1. बहुत सुंदर दोहे प्रस्तुत किए आपने , वातावरण को होलिमय बना दिया , बधाईयाँ !

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  2. बोलो मूर्खाधिपति महाराज नीरजानंद की जै.

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  3. मूरख-मूरख ते सौ गुनी मूरखता अधिकाय.
    वा किए बौरायजग व झेले बौराय.

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  4. सुनकर पागल हो रहा, कहूँ तो सिर खुजलाए
    नीरज-वाणी सच कहूँ ,मन को बहुत सुहाय !

    बधाई !

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  5. होली का माहौल बना दिया। :)

    होली मुबारक हो।

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  6. वाह! बहुत बढिया दोहे हैं।पढ कर आनंद आ गया।

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  7. हाहाहाहा मज़ेदार........

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  8. चलिये नीरज जी भी होली मय हो गये! होली की शुभकामनायें। भगवान करें संसार में मस्त मूर्खत्व का अतिशय प्रसार हो।

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  9. bhai neeraj ji,
    main nahi janta ki main hindi mein apna comment kaise pesh karoon ,isiliye devagrimei likraa hoon. Holi ke is avsar par mera bhi ek- do dohe aapki nazare inayat hai:
    kyo sweekare pagla,moorakh ki ajan
    dono mein se ek bhi, na chhode pahchan

    unki hansi hamein,kyon moorakh se lagi
    hamari yahi sonch,unhein paglon se lagi

    inhe jhelne ke liye dhanyavad.

    krapya mujhe hindi mein comment likhana batayen, moorakh samajh kar hi sahi.

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  10. मजेदार. होली तक दोहों का रंगारंग सिलसिला बना रहे तो क्या ही उत्तम होगा...

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  11. मूर्खन पर दोहे लिखे, दिए ब्लॉग पर डाल
    सब मूरख पढ़ खुश भये, अपना-अपना हाल

    वाह वाह भइया वाह....आशा है कि ये कर्टन रेजर है...पूरा प्रोग्राम अभी बाकी है...

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  12. बुद्धी जीवी सब कोई कहे,मुरख कहे ना कोय
    नीरज मूरख कितनौ बनले,पर मुझते बडो ना होय

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  13. वाह जी वाह - लेकिन "मूरख को न सताईये, उसकी मोटी खाल, आप कुंद हो जायेंगे, उसका जाय न बाल" - सादर - वैसे - के मिश्रा जी से रोज़ाना बात करने के "कुछ परिणाम" तो आने थे

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  14. भाई नीरज जी,

    मैं आपके प्रकाशित मूरखता के दोहों मे कुछ और दोहे जोड़ना चाहता हूँ, प्रस्तुत है :

    तुलसी-दोहावली हो, या हो कबीर के दोहे
    देखन में ये बौने लगे, छाये मूरखता-दोहे

    पहन "हार" कहते फिरें,हूँ मैं विश्व- विजयी
    मूरख ये जानत नही,जीत "हार" संग आयी

    किसे कहें मूरख यहाँ , हो चमचा या बॉस
    कैसे मिलकर चल रहे,अविश्वास पर विश्वास

    थोडी दौलतवालों में , दिखावे की भरमार है
    मूरखता के शहंशाह , चीथडों में गुलज़ार हैं

    ऊँचा दिखलाने की ख्वाहिश,मदहोश किए जाए
    पैगों का न होश रहे, पड़े गटर में मिल जाए

    बन ज्ञानी क्या पाया,सर्वस्व उन्होंने लुटाया है
    हों वे बुद्ध या अशोक,ख़ुदको मूरख बतलाया है

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  15. holi ka anupam uphaar hai ye dohe.shukriya

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  16. होली है -होली है - होली है - शुभ मंगल कामनाएं - सादर - मनीष

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  17. बहुत बढ़िया होली पर्व की आपको रंगीन हार्दिक शुभकामना

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  18. कल बधाई दे नही पाई सभी लोगो को घर मेहमानो से भर गया था...:)
    होली की शुभकामनायें...

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  19. नीरज जी,
    इंतज़ार में नये पोस्ट के जब खो जाता धीरज
    समझदार हमसे कहते हैं नहीं आए क्या नीरज ?

    प्रतीक्षा कब तक ?
    डा.चंद्रकुमार जैन

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  20. हमारी भी बधाई ले लीजिए और एक दोहा भी -

    सजना ने गोरे गालों पर ऐसे मला गुलाल
    पल मे पके टमाटर जैसी सजनी हुई है लाल ।

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  21. वाह भाई वाह। कमाल किया । दोहा सुनाकर मूर्खों को मालामाल किया।

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे