Friday, November 9, 2007

शुभकामनाओं की औपचारिकता





ये पोस्ट लिखने की मेरी कोई चाह नहीं थी. नक्कार खाने मैं तूती क्यों बजाई जाए?

कई बार मन की बात या तो कह ली जाए या लिख ली जाए तो कहते हैं मन हल्का हो जाता है अब चूँकि यहाँ मैं अकेला हूँ और सुनने वाला कोई उपलब्ध नहीं है सो लिख रहा हूँ. कोई इसे पढे न पढे ये मेरे लिए महत्व नहीं रखता. मेरी ये पोस्ट मेरे तमाम शुभ चिंतकों के नाम हैं जो पिछले ३ दिनों से मुझे जीवन मैं जो अब तक नहीं मिला वो मिल जाए उसकी कामना मैं घुले जा रहे हैं.

दिवाली क्या आयी मानो मेरी और मोबाइल दोनों की शामत आगई. इन्ही दिनों मुझे मालूम पड़ा की मेरे परिचित लोग मोबाइल कम्पनी वालों के साथ अधिक हैं और मेरे साथ कम. टिड्डी दल की तरह यहाँ वहाँ न जाने कहाँ से दनादन मेसज आ रहे हैं. जो अधिक संपन्न शुभचिन्तक हैं वो ई-मेल का सहारा ले रहे हैं. न दिन देख रहे हैं न रात दनादन भेजें जा रहे हैं एक से रूप शब्दों चित्रों वाले संदेश. कुछ महानुभाव तो अपना नाम भी नहीं लिख रहे संदेश के अंत मैं. वो चाहते हैं की उनके नंबर याद रखना मेरा कर्तव्य है.

मुझे मालूम है की इस तकलीफ को सहने वाला मैं अकेला ही नहीं हूँ बहुत से लोग हैं मेरे जैसे लेकिन खामोश हैं क्यों की उनको अपनी प्रतिष्ठा समाज मैं बनाई जो रखनी है. जो घर फूंके वाले लोग अब कहाँ?

सच बताएं क्या आप को ऐसे शुभ चिंतकों से तकलीफ नहीं होती? अगर आप कहते हैं की नहीं तो क्षमा करें आप भी उनकी के जैसे ही किसी के शुभ चिन्तक हैं. अरे भाई अगर आप किसी के लिए दुआ कर रहे हैं तो उसे एक फ़ोन करने से क्यों शर्मा रहे हैं? संदेश भेजना हो सकता है की बात करने से सस्ता हो तो भाई पहले अपनी जेब देख लो फिर किसी के लिए दुआ करो. अगर आप सोचते है की अगले के घर धन बिना आप की शुभ कामनाओं के नहीं आएगा तो इस सोच को दूर कर लें. यकीन माने अगर जिसको आपने संदेश भेजा है उसको पढ़ कर धन देवी अगर उसके घर पहुँच गयी तो सबसे अधिक तकलीफ आप को ही होगी.सबको कहते रहोगे की देखो संदेश मैंने भेजा और फायदा उसको हो गया. घोर कलयुग है.
ये संदेश भेजने का चलन मातहतों से शुरू होता है जो अपने बॉस को भेजते हैं. गला काट प्रतियोगिता है अगर राम ने बॉस को संदेश भेज दिया तो श्याम की परेशानी बढ़ जाती है. जनवरी से प्रमोशन होने हैं साहेब को अभी याद दिलाना पड़ेगा और दीवाली पर संदेश भेजना सबसे आसान है.उनको ये नहीं मालूम की जिस बॉस को वो ये संदेश भेज रहे हैं वो अपने बॉस कों संदेश भेजने मैं व्यस्त है. ये सिलसिला चलता रहता है और अंत मैं जो शीर्ष पर है उसे ये सब पढने की फुरसत कहाँ उसके संदेश तो उसका पी ऐ पढ़ कर हटा देता है.

हम सच मैं किसी के भले के लिए शुभ कामनाएं नहीं भेजते सिर्फ़ अपने शुभ के लिए ये सब करते हैं. हमारे दिल मैं किसी के प्रति प्रेम या श्रद्धा के लिए समय नहीं है. एक औपचारिकता है जो निभाई जाती है. दीवाली जो न सिर्फ़ अपने आसपास के अंधेरे दूर करने का त्योंहार है वरन हमारे मन के अंधेरे कोनो मैं भी रौशनी करने का अवसर है. क्या आप बता सकते हैं की आप ने इनदिनों किस कों क्या संदेश भेजा या किस ने आप कों क्या संदेश भेजा? गिनती छोडिये शायद आप कों नाम भी याद न हों क्यों की मोबाइल पर फोरवर्ड करने से पहले कहाँ आपने नाम देखा होगा? संदेश आया, देखा या तो हटा दिया या आगे फोरवर्ड कर दिया. कई बार तो पढ़ा भी नहीं जाता क्यों की भाषा एकरस भाव विहीन होती है जो दिल नहीं छूती. हम लोग भी एक रस हो गए हैं सिवा अपने हमको किसी से आत्मीयता नहीं रह गई है. हम इस बाज़ार के हाथों मैं कठपुतलियों की तरह हैं. बाज़ार कहता है की मशीन हो जाओ सिर्फ़ अपना स्वार्थ देखो, अपनी सुविधा अपनी जेब देखो बस.

ये सब बातें पढ़ के आप सोच रहे होंगे की मैं सठिया गया हूँ....क्या बकवास कर रहा हूँ. आप सही सोच रहे हैं क्यों की मुझे भी यही लगता है की मैं सठिया गया हूँ और बकवास ही कर रहा हूँ. छोडिये अपना मोबाइल उठाइए देखिये संदेश टोन बजी है...गिनती कीजिये क्यों की कल आप कों बताना है न की आप के पास ५७४ संदेश आए वरना शर्मा जी के ५७१ के मुकाबले आप पीछे रह जायेंगे ना.

ये चलन अब हर छोटे मोटे त्योहारों पर भी चल पढ़ा है, कहाँ किस कों क्या समझायें....क्यों अपना भेजा फ्राई करें? आप कों एक शेर सुनाते चलते हैं....

"हों जो दो चार शराबी तो तौबा कर लें
कौम की कौम है डूबी हुई मयखाने मैं "

4 comments:

  1. बिल्कुल परेशान न हो। कम से कम आज तो। आज रात आप से एक नयी कविता की आशा है।

    मुझे आपका फोन नम्बर नही मालूम। इसलिये यही से शुभकामनाए कह रहा हूँ।


    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए।

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  2. पंकज जी
    मुझे आपका फोन नम्बर नही मालूम। इसलिये यही से शुभकामनाए कह रहा हूँ।
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए।
    नीरज
    mob:9860211911

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  3. सही कह रहे हैं नीरज जी, मैने तो अपने मोबाइल की एसएमएस अलर्ट टोन बन्द कर दी है। कभी कभी नजर मार ले रहा हूं - कित्ते आ गये!

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  4. हमें इस ज्ञान की प्राप्ति बहुत पहले हो चुकी है कि; 'शुभकामनाओं के संदेश के लिए सबसे बेहतर ऍक्स्प्रॅशन एस एम् एस के पास होता है. उसके बाद इ-मेल का नंबर आता है.' ............

    लेकिन मैं अभी भी ऍक्स्प्रॅशन रहित शुभकामनायें भेजता हूँ....मतलब, मैं फ़ोन पर बात कर लेता हूँ....

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे