नीरज
Monday, August 27, 2018

किताबों की दुनिया - 192

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उसके रंग में रँगे लौट आये हैं घर  घर से निकले थे रँगने उसे रंग में  *** हो ज़रा फ़ुर्सत तो मुझको गुनगुना लो  प्रेम का मैं ढाई आखर हो...
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ये हूँ मैं

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नीरज गोस्वामी
जयपुर, राजस्थान, India
अपनी जिन्दगी से संतुष्ट,संवेदनशील किंतु हर स्थिति में हास्य देखने की प्रवृत्ति. इंजीनियरिंग करने के बाद ,जीवन के 44 साल स्टील कंपनियों में मौज मस्ती के साथ सफलता पूर्वक, गुज़ारने के बाद अब जयपुर अपने घर पूर्ण विश्राम की अवस्था को प्राप्त। कल का पता नहीं।लेखन, अपने को लेखक होने का भ्र्म पाले रखने के लिए।
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