Monday, August 27, 2018
किताबों की दुनिया - 192
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उसके रंग में रँगे लौट आये हैं घर घर से निकले थे रँगने उसे रंग में *** हो ज़रा फ़ुर्सत तो मुझको गुनगुना लो प्रेम का मैं ढाई आखर हो...
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