Monday, July 29, 2013
खोलिए आँख तो सवेरा है
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बंद रखिए तो इक अँधेरा है खोलिए आँख तो सवेरा है सांप यादों के छोड़ देता है शाम का वक्त वो सँपेरा है फ़ासला इक बहुत जरूरी...
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