नीरज
Monday, November 24, 2008

लुटेरे यार सब मेरे

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समझ में कुछ नहीं आता बता मैं यार क्या लिख्खूं गमों की दासतां लिख्खूं खुशी की या कथा लिख्खूं जहां जाता हूं मैं तुझको वहीं मौजूद पाता हूं अगर ...
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ये हूँ मैं

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नीरज गोस्वामी
जयपुर, राजस्थान, India
अपनी जिन्दगी से संतुष्ट,संवेदनशील किंतु हर स्थिति में हास्य देखने की प्रवृत्ति. इंजीनियरिंग करने के बाद ,जीवन के 44 साल स्टील कंपनियों में मौज मस्ती के साथ सफलता पूर्वक, गुज़ारने के बाद अब जयपुर अपने घर पूर्ण विश्राम की अवस्था को प्राप्त। कल का पता नहीं।लेखन, अपने को लेखक होने का भ्र्म पाले रखने के लिए।
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