Saturday, July 1, 2017

अगर भीग जाने की चाहत नहीं है

" आया है मुझे फिर याद वो ज़ालिम ....गुज़रा ज़माना ब्लॉग्गिंग का " --- मैं तो ब्लॉग्गिंग से गया ही नहीं, बस ये गाना गाता रहा " तेरा पीछा न मैं छोडूंगा सोनिये --भेज दे चाहे जेल में " कुछ हलचल फिर से दिखाई दे रही है आज ब्लॉग्गिंग पर कितने दिन रहेगी कोई नहीं जानता --जैसे अच्छे दिन कब आएंगे कोई नहीं जानता। अब आ ही गए हैं तो एक पुरानी सी ग़ज़ल को धो पौंछ कर फिर से पेश कर रहा हूँ , पढ़ कर जो टिपियाये उसका भला और जो ना टिपियाये उसका भी भला।




नहीं है अरे ये बग़ावत नहीं है 
मुझे सर झुकाने की आदत नहीं है 

छुपाये हुए हैं वही लोग खंजर 
जो कहते किसी से अदावत नहीं है 

करूँ क्या परों का अगर इनसे मुझको 
फ़लक़ नापने की इज़ाज़त नहीं है 

इसी का नया नाम जम्हूरियत है 
यहाँ सर किसी का सलामत नहीं है 

तुम्हारे दिए ज़ख्म गर मैं भुला दूँ 
अमानत में क्या ये खयानत नहीं है 

अकेले नहीं तुम मियां इस जहाँ में 
किसे ज़िन्दगी से शिकायत नहीं है 

घटाओं का 'नीरज' भला क्या करोगे 
अगर भीग जाने की चाहत नहीं है

41 comments:

  1. अगर भीग जाने की चाहत न भी हो, घटा तो बरसेगी ही। #हिन्दी_ब्लॉगिंग

    ReplyDelete
  2. वाह गुनगुना रही हूँ

    ReplyDelete
  3. बहुत उम्दा

    अकेले नहीं तुम मियां इस जहाँ में
    किसे ज़िन्दगी से शिकायत नहीं है ...खूब कही

    ReplyDelete
  4. बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
  5. नायाब गजल के लिये बहुत आभार. सर आप तो ब्लागिंग में सदाबहार रहे हैं. आपको देखकर ही यह जोश आया है.
    #हिंदी_ब्लागिँग में नया जोश भरने के लिये आपका सादर आभार
    रामराम
    ०१९

    ReplyDelete
  6. हमको भी आज तक वो ज़माना याद है
    - मैं भी गई नहीं, जा ही नहीं सकी
    देती रही आवाज़, जब जागे तभी सवेरा ...


    घटाओं का 'नीरज' भला क्या करोगे
    अगर भीग जाने की चाहत नहीं है"

    ReplyDelete
  7. बेहतरीन गजल अकेले नही मियाँ तुम इस ज़िन्दगी में ,किसे ज़िन्दगी से शिकायत नहीं है

    ReplyDelete
  8. .
    .
    .
    शानदार गज़ल।
    आभार आपका।

    ...

    ReplyDelete
  9. नीरज जी ये मार्केटिंग का ज़माना है...अपना माल कहां और कैसे बेचना चाहिए, ये आर्ट सीखना भी बहुत अहम है...

    फिर दिल दो #हिन्दी_ब्लॉगिंग को...

    ReplyDelete
  10. आभार आपका ... अन्तर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स डे की शुभकामनायें .....

    ReplyDelete
  11. Bahut achchi Ghazal waaaaaah waaaaaah kya kahne nayaab ashaar se saji waaaaaah

    ReplyDelete
  12. ओहोहो ...आप हमेशा से मारक रहे हैं | पूरी पोस्ट

    ReplyDelete
  13. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-07-2016) को "ब्लॉगिंग से नाता जोड़ो" (चर्चा अंक-2653) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  14. वाह नीरज जी की ग़ज़ल आए और समा न बांधे ऐसा तो हो ही नहीं सकता ... लाजवाब और नायाब ग़ज़ल का हर शेर दिल से वाह वाह अपने आप निकलवा लेता है ... आप का जवाब नहीं ...

    ReplyDelete
  15. आपकी ग़ज़ल और शेरो शायरी के तो हम शुरू से दीवाने हैं .......एक से बढ़कर एक ग़ज़ल .........ब्लॉग पर से तो हम कहीं गए ही नहीं थे बस दूसरों का नहीं पढ़ रहे थे तो
    ताऊ के डंडे ने कमाल कर दिया
    ब्लोगर्स को बुला कमाल कर दिया

    #हिंदी_ब्लोगिंग जिंदाबाद
    यात्रा कहीं से शुरू हो वापसी घर पर ही होती है :)

    ReplyDelete
  16. वाह उस्ताद वाह!

    ReplyDelete
  17. कोई भी दिवस उनके लिये होता जो उसे भूल बैठते हैं। आपने कभी ब्लागिंग छोड़ा ही नहीं तो फिर दिवस काहे का। मैं अपने ब्लाग पर हरेक महीना पंद्रह-बीस पोस्ट डालता हूँ (ट्रैफिक के चिंता किये बिना) और कभी भी ब्लागिंग दिवस नहीं मनाया।

    ReplyDelete
  18. अमानत में ख़यानत...
    क्या शे'र है

    पूरी ग़ज़ल शानदार है
    जय हो

    ReplyDelete
  19. हम तो चले गए थे ती
    तुमने बुलाया और हम चले आये
    गीत ली पोस्ट पर चले आये।

    ReplyDelete
  20. अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस पर आपका योगदान सराहनीय है. हम आपका अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अनंत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद.. आज पोस्ट लिख टैग करे ब्लॉग को आबाद करने के लिए
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

    ReplyDelete
  21. क्या बात है, बहुत बढ़िया, हमेशा की तरह।

    ReplyDelete
  22. अरे वाह्ह्ह...लाज़वाब👌👌

    ReplyDelete
  23. शुभ प्रभात
    दिल बाग-बाग हो गया इस ग़ज़ल को पढ़कर
    सादर

    ReplyDelete
  24. Received on Mail :-

    तुम्हारे दिए ज़ख्म गर मैं भुला दूँ
    अमानत में क्या ये खयानत नहीं है

    kiya likh baithe
    kiya likeh baithe

    bahut khoob

    Chaand Hadiyabadi
    Denmark

    ReplyDelete
  25. Received on mail :-

    dear neeraj ji
    namsatey-
    aap ki yeh ghazal achhi lagi-- ekdum umda-- bahut bahut mubarak--

    khastore par yen lines:-

    छुपाये हुए हैं वही लोग खंजर
    जो कहते किसी से अदावत नहीं है

    kafi din se aap se bhent nahi hui
    kabhi delhi aayen to jaroor milen
    aap ka-
    -OM SAPRA
    N-22, DR. MUKHARJEE NAGAR,
    DELHI-110009
    981818 0932

    ReplyDelete
  26. Received on mail :-

    गज़ल खुबसूरत है जनाब
    Parmeshwari Chaudhry

    ReplyDelete

  27. आपकी लिखी ये रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" पाठकों की पसंद के अंतर्गत सोमवार 03 जुलाई 2017 को लिंक की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  28. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 03 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  29. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर....

    ReplyDelete
  30. भई वाह

    बहुत अरसे के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ने को मिली।
    आपकी शायरी के रंग जीने की सलाह देते हुए नज़र आते हैं।

    सभी शेर् एक से बढ़कर एक।

    तुम्हारे दिए ज़ख्म गर मैं भुला दूँ
    अमानत में क्या ये खयानत नहीं है

    क्या बात है

    सादर
    नकुल

    ReplyDelete
  31. वाह ! वाह ! ज़िंदाबाद आदरणीय ! एक से बढ़कर एक शेर ! लाजवाब !!

    ReplyDelete
  32. सुंदर गजल । बहुत सादगी से कहे गए गहरे भाव ।

    ReplyDelete
  33. ग़ज़ल के शेर लफ़्ज़ों की सरलता के साथ भाव -गाम्भीर्य से लबालब हैं। एक ग़ज़ल जो तरन्नुम बन गयी। बधाई।

    ReplyDelete
  34. वाह ! हर शेर लाज़वाब ...!!

    ReplyDelete
  35. छुपाये हुए हैं वही लोग खंजर
    जो कहते किसी से अदावत नहीं है ...

    वाह नीरज भाई बहुत खूब -- नग्न सच्चाई

    ReplyDelete
  36. बहुत सामयिक गजल
    वाह
    आज आपके ब्लाग देखने की इच्छा हुई और बेहतरीन गजलपढने कोमिली

    ReplyDelete

तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे