" आया है मुझे फिर याद वो ज़ालिम ....गुज़रा ज़माना ब्लॉग्गिंग का " --- मैं तो ब्लॉग्गिंग से गया ही नहीं, बस ये गाना गाता रहा " तेरा पीछा न मैं छोडूंगा सोनिये --भेज दे चाहे जेल में " कुछ हलचल फिर से दिखाई दे रही है आज ब्लॉग्गिंग पर कितने दिन रहेगी कोई नहीं जानता --जैसे अच्छे दिन कब आएंगे कोई नहीं जानता। अब आ ही गए हैं तो एक पुरानी सी ग़ज़ल को धो पौंछ कर फिर से पेश कर रहा हूँ , पढ़ कर जो टिपियाये उसका भला और जो ना टिपियाये उसका भी भला।
नहीं है अरे ये बग़ावत नहीं है
मुझे सर झुकाने की आदत नहीं है
छुपाये हुए हैं वही लोग खंजर
जो कहते किसी से अदावत नहीं है
करूँ क्या परों का अगर इनसे मुझको
फ़लक़ नापने की इज़ाज़त नहीं है
इसी का नया नाम जम्हूरियत है
यहाँ सर किसी का सलामत नहीं है
तुम्हारे दिए ज़ख्म गर मैं भुला दूँ
अमानत में क्या ये खयानत नहीं है
अकेले नहीं तुम मियां इस जहाँ में
किसे ज़िन्दगी से शिकायत नहीं है
घटाओं का 'नीरज' भला क्या करोगे
अगर भीग जाने की चाहत नहीं है
Nice
ReplyDeleteकोई तो टिपियाओ रे
ReplyDeleteअगर भीग जाने की चाहत न भी हो, घटा तो बरसेगी ही। #हिन्दी_ब्लॉगिंग
ReplyDeleteवाह गुनगुना रही हूँ
ReplyDeleteबहुत उम्दा
ReplyDeleteअकेले नहीं तुम मियां इस जहाँ में
किसे ज़िन्दगी से शिकायत नहीं है ...खूब कही
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteनायाब गजल के लिये बहुत आभार. सर आप तो ब्लागिंग में सदाबहार रहे हैं. आपको देखकर ही यह जोश आया है.
ReplyDelete#हिंदी_ब्लागिँग में नया जोश भरने के लिये आपका सादर आभार
रामराम
०१९
हमको भी आज तक वो ज़माना याद है
ReplyDelete- मैं भी गई नहीं, जा ही नहीं सकी
देती रही आवाज़, जब जागे तभी सवेरा ...
घटाओं का 'नीरज' भला क्या करोगे
अगर भीग जाने की चाहत नहीं है"
बेहतरीन गजल अकेले नही मियाँ तुम इस ज़िन्दगी में ,किसे ज़िन्दगी से शिकायत नहीं है
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
शानदार गज़ल।
आभार आपका।
...
नीरज जी ये मार्केटिंग का ज़माना है...अपना माल कहां और कैसे बेचना चाहिए, ये आर्ट सीखना भी बहुत अहम है...
ReplyDeleteफिर दिल दो #हिन्दी_ब्लॉगिंग को...
Nice
ReplyDeleteआभार आपका ... अन्तर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स डे की शुभकामनायें .....
ReplyDeleteBahut achchi Ghazal waaaaaah waaaaaah kya kahne nayaab ashaar se saji waaaaaah
ReplyDeleteओहोहो ...आप हमेशा से मारक रहे हैं | पूरी पोस्ट
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-07-2016) को "ब्लॉगिंग से नाता जोड़ो" (चर्चा अंक-2653) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह नीरज जी की ग़ज़ल आए और समा न बांधे ऐसा तो हो ही नहीं सकता ... लाजवाब और नायाब ग़ज़ल का हर शेर दिल से वाह वाह अपने आप निकलवा लेता है ... आप का जवाब नहीं ...
ReplyDeleteWaaaaaaaaaaaaaaaaaaah
ReplyDeleteआपकी ग़ज़ल और शेरो शायरी के तो हम शुरू से दीवाने हैं .......एक से बढ़कर एक ग़ज़ल .........ब्लॉग पर से तो हम कहीं गए ही नहीं थे बस दूसरों का नहीं पढ़ रहे थे तो
ReplyDeleteताऊ के डंडे ने कमाल कर दिया
ब्लोगर्स को बुला कमाल कर दिया
#हिंदी_ब्लोगिंग जिंदाबाद
यात्रा कहीं से शुरू हो वापसी घर पर ही होती है :)
वाह उस्ताद वाह!
ReplyDeleteकोई भी दिवस उनके लिये होता जो उसे भूल बैठते हैं। आपने कभी ब्लागिंग छोड़ा ही नहीं तो फिर दिवस काहे का। मैं अपने ब्लाग पर हरेक महीना पंद्रह-बीस पोस्ट डालता हूँ (ट्रैफिक के चिंता किये बिना) और कभी भी ब्लागिंग दिवस नहीं मनाया।
ReplyDeleteअमानत में ख़यानत...
ReplyDeleteक्या शे'र है
पूरी ग़ज़ल शानदार है
जय हो
लो जी हम भी आ गए।
ReplyDeleteहम तो चले गए थे ती
ReplyDeleteतुमने बुलाया और हम चले आये
गीत ली पोस्ट पर चले आये।
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस पर आपका योगदान सराहनीय है. हम आपका अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अनंत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद.. आज पोस्ट लिख टैग करे ब्लॉग को आबाद करने के लिए
ReplyDelete#हिन्दी_ब्लॉगिंग
क्या बात है, बहुत बढ़िया, हमेशा की तरह।
ReplyDeleteअरे वाह्ह्ह...लाज़वाब👌👌
ReplyDeleteशुभ प्रभात
ReplyDeleteदिल बाग-बाग हो गया इस ग़ज़ल को पढ़कर
सादर
Received on Mail :-
ReplyDeleteतुम्हारे दिए ज़ख्म गर मैं भुला दूँ
अमानत में क्या ये खयानत नहीं है
kiya likh baithe
kiya likeh baithe
bahut khoob
Chaand Hadiyabadi
Denmark
Received on mail :-
ReplyDeletedear neeraj ji
namsatey-
aap ki yeh ghazal achhi lagi-- ekdum umda-- bahut bahut mubarak--
khastore par yen lines:-
छुपाये हुए हैं वही लोग खंजर
जो कहते किसी से अदावत नहीं है
kafi din se aap se bhent nahi hui
kabhi delhi aayen to jaroor milen
aap ka-
-OM SAPRA
N-22, DR. MUKHARJEE NAGAR,
DELHI-110009
981818 0932
Received on mail :-
ReplyDeleteगज़ल खुबसूरत है जनाब
Parmeshwari Chaudhry
आपकी लिखी ये रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" पाठकों की पसंद के अंतर्गत सोमवार 03 जुलाई 2017 को लिंक की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 03 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर....
भई वाह
ReplyDeleteबहुत अरसे के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ने को मिली।
आपकी शायरी के रंग जीने की सलाह देते हुए नज़र आते हैं।
सभी शेर् एक से बढ़कर एक।
तुम्हारे दिए ज़ख्म गर मैं भुला दूँ
अमानत में क्या ये खयानत नहीं है
क्या बात है
सादर
नकुल
वाह ! वाह ! ज़िंदाबाद आदरणीय ! एक से बढ़कर एक शेर ! लाजवाब !!
ReplyDeleteसुंदर गजल । बहुत सादगी से कहे गए गहरे भाव ।
ReplyDeleteग़ज़ल के शेर लफ़्ज़ों की सरलता के साथ भाव -गाम्भीर्य से लबालब हैं। एक ग़ज़ल जो तरन्नुम बन गयी। बधाई।
ReplyDeleteवाह ! हर शेर लाज़वाब ...!!
ReplyDeleteछुपाये हुए हैं वही लोग खंजर
ReplyDeleteजो कहते किसी से अदावत नहीं है ...
वाह नीरज भाई बहुत खूब -- नग्न सच्चाई
बहुत सामयिक गजल
ReplyDeleteवाह
आज आपके ब्लाग देखने की इच्छा हुई और बेहतरीन गजलपढने कोमिली