Monday, December 16, 2013

मुश्किल है ये जीवन, इसे आसान करेंगे


इन दिनों शादियों का सीजन अपने चरम पर है , हर शहर गली मुहल्लों में शादियों कि धूम मची हुई है। जिनकी हो रही है वो बहुत खुश हैं जिनकी नहीं हुई वो होने कि आस लगाए बैठे हैं और जिनकी हो गयी है वो गा रहे हैं " सोचा था क्या क्या हो गया ...." 

इस मौके को ध्यान में रखते हुए मुम्बई निवासी मेरे प्रिय मित्र श्री सतीश शुक्ला "रकीब" जो गलती से शायर भी हैं ने सप्त पदी पर एक ग़ज़ल कह डाली है। ये ऐसा विषय है जिस पर शायद ही किसी शायर ने कलम चलाई हो।     

मेरी मानें और इस ग़ज़ल को रट कर जिस शादी में जाएँ वहीँ सुनाएँ और वाह वाही पाएं।


अंजान हैं, इक दूजे से पहचान करेंगे
मुश्किल है ये जीवन, इसे आसान करेंगे

खाई है क़सम साथ निभाने की हमेशा 
हम आज सरेआम ये ऐलान करेंगे 

इज़्ज़त हो बुज़ुर्गों की तो बच्चों को मिले नेह
इक दूजे के माँ-बाप का सम्मान करेंगे

हम त्याग, सदाचार, भरोसे की मदद से 
हर हाल में परिवार का उत्थान करेंगे 

आपस ही में रक्खेंगे फ़क़त, ख़ास वो रिश्ते 
हरगिज़ न किसी और का हम ध्यान करेंगे

हर धर्म निभाएंगे हम इक साथ है वादा
तन्हा न कोई आज से अभियान करेंगे

सुख-दुख हो, बुरा वक़्त हो, या कोई मुसीबत 
मिल बैठ के हम सबका समाधान करेंगे 

जीना है हक़ीक़त के धरातल पे ये जीवन 
सपनोँ से नहीं ख़ुद को परेशान करेंगे 

जन्नत को उतारेंगे यही मंत्र ज़मीं पर 
सब मिल के 'रक़ीब' इनका जो गुणगान करेंगे

19 comments:

  1. वाह , बेहद सुंदर गजल ,

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  2. वाह बहुत सुन्दर ग़ज़ल

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  3. आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १७/१२/१३को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है ----यहाँ भी आयें --वार्षिक रिपोर्ट (लघु कथा )
    Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR -

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  4. बहुत उम्दा ग़ज़ल !
    नई पोस्ट चंदा मामा
    नई पोस्ट विरोध

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  5. Msg received on e-mail:-

    bhai neeraj ji
    namsty
    poem abt ''Saptpadi'' is really nice n gud,
    i liked it
    regds
    om sapra
    delhi

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  6. Msg received on e-mail :-

    वाह जी वाह! बहुत बढ़िया आइडिया है

    Sarv Jeet'Sarv'
    Delhi

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  7. बहुत ही लाजवाब ... सरल शब्दों में सहज ही लिखे हैं सब शेर ... कसमें वादे ... सभी कुछ है इन शेरों में ...

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  8. पहले तो मैं चौंक गया कि ये सप्‍तपदी कौनसी नयी ग़ज़ल स्‍टाईल है, पढ़ा तो समझ और आनन्‍द दोनों की प्राप्ति हुई। इस खूबसूरत सप्‍तपदी के लिये आभार।

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  9. रचना के लिए रक़ीब जी को बधाई...और इसे साझा करने के लिए आपको...धन्यवाद नीरज जी...

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  10. कल 19/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  11. विवाह, दाम्पत्य (एक स्त्री एवं एक पुरुष का योग) सूत्र में आबद्ध होने की रीति पर आधारित एक शपथ है, एक सौगंध है अन्यथा रिलेशन अर्थात संबद्ध में तो सभी हैं.....

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  12. सुन्दर अभिव्यक्ति |
    आशा

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  13. सुखी दांपत्य के सूत्र

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  14. आदरणीय नीरज जी,

    मेरी एक और तुकबंदी को अपनी मित्र मंडली के बीच प्रस्तुत करने के लिये के लिये बहुत शुक्रिया.

    सादर,

    सतीश शुक्ला 'रक़ीव'

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे