Monday, October 15, 2012

अब धनक के रंग सारे रात दिन



सिर्फ यादों के सहारे रात दिन
पूछ मत कैसे गुज़ारे रात दिन 

साथ तेरे थे शहद से, आज वो 
हो गए रो-रो के खारे रात दिन

कूद जा, बेकार लहरें गिन रहा
बैठ कर दरिया किनारे रात दिन 

बांसुरी जब भी सुने वो श्याम की
तब कहां राधा विचारे रात, दिन 

आपके बिन जिंदगी बेरंग थी 
अब धनक के रंग सारे रात दिन 

है बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में 
आसमाँ करता इशारे रात दिन 

लौट आएंगे वो नीरज ग़म न कर 
खो गये हैं जो हमारे रात दिन 


(ग़ज़ल की नोंक पलक गुरुदेव पंकज सुबीर जी ने संवारी है)

30 comments:

  1. है बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में
    आसमाँ करता इशारे रात दिन

    लौट आएंगे वो नीरज ग़म न कर
    खो गये हैं जो हमारे रात दिन
    वाह ... बहुत ही अनुपम भाव लिए उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति

    सादर

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  2. बहुत सुंदर !
    "अपने जज़्बातों की हर तह में रख दिए मैनें अश्कों के मोती...
    मौसम चाहे कोई भी हो...तेरी याद महफूज़ है इस दिल में..." :-)
    ~सादर !

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  3. उम्दा गजल कही है सर जी ।।


    शुभकामनायें ।।

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  4. वाह! बहुत खूब!
    इतने कोमल, इतने अच्छे शेर। हमें और क्या चाहिए?

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  5. भावमय उत्कृष्ट गजल,,,,

    है बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में
    आसमाँ करता इशारे रात दिन,,,,,

    RECENT POST ...: यादों की ओढ़नी

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  6. विरह पर लिखी गज़ल बहुत खूबसूरत है ।

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  7. है बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में
    आसमाँ करता इशारे रात दिन

    लौट आएंगे वो नीरज ग़म न कर
    खो गये हैं जो हमारे रात दिन

    आशा है तो जिंदगी है .
    बेहतरीन ग़ज़ल .

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  8. बहुत ही बढियां गजल...
    :-)

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  9. बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ..

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  10. http://apaniraay.blogspot.in/2012/10/blog-post_6918.html#comment-form

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  11. सटीक शब्दों का सटीक प्रयोग...मज़ा आ गया ग़ज़ल पढ़ कर...एक शेर चटका रहा हूँ...

    हमसे न पूछो हिज्र के किस्से
    अपनी कहो अब तुम कैसे हो...

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  12. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १६ /१०/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी ,आपका स्वागत है |

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  13. ग़ज़ल तो आपकी है, खूबसूरत होनी ही थी।
    बांसुरी जब भी सुने वो श्याम की
    तब कहां राधा विचारे रात, दिन
    काश हर आदमी अपना काम करते समय इस तरह ही भूल जाये रात दिन।
    बेहतरीन ग़ज़ल के लिये बधाई।

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  14. बांसुरी जब भी सुने वो श्याम की
    तब कहां राधा विचारे रात, दिन
    है बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में
    आसमाँ करता इशारे रात दिन

    बहुत बढ़िया पंक्तियाँ

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  15. है बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में
    आसमाँ करता इशारे रात दिन
    लौट आएंगे वो नीरज ग़म न कर
    खो गये हैं जो हमारे रात दिन.

    वाह ..बहुत उम्दा ग़जल ,,

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  16. वाह वाह हमेशा की तरह एक बेहद शानदार गज़ल दिल को छू गयी……………नवरात्रि की शुभकामनायें।

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  17. लौट आएंगे वो नीरज ग़म न कर
    खो गये हैं जो हमारे रात दिन
    बहुत सुंदर ,,आशावादी शेर है

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  18. शानदार ग़ज़ल...भावपूर्ण पंक्तियाँ!!

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  19. क्या कहें ... इतना सुन्दर पर इतना सरल तरीके से आपने लिखा है ... वाह !

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  20. वाह नीरज जी....
    बहुत खूबसूरत गज़ल....
    साथ तेरे थे शहद से, आज वो
    हो गए रो-रो के खारे रात दिन,,,,,,,

    बहुत खूब!!


    सादर
    अनु

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  21. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 20/10/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  22. BEHTREEN GAZAL KE LIYE AAPKO
    BADHAAEEYAN AUR SHUBH KAMNAAYEN .

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  23. बहुत ही बढ़िया सर!


    सादर

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  24. पूछ मत कैसे गुजारे रात दिन, बहुत खूब ग़ज़ल। बधाई।

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  25. Msg Received on e-mail:-

    अच्छी ग़ज़ल भाई !
    ग़ज़ल का मतला
    _____________________
    सिर्फ यादों के सहारे रात दिन
    पूछ मत कैसे गुज़ारे रात दिन
    ___________________
    खास तौर पर पसन्द आया . वाह !
    आलम खुरशीद

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  26. छोटे बहर में बड़ी बात .....नीरजजी ...हमेशा की तरह सुन्दर रचना ...

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  27. खुबसूरत गजल जो शेर बहुत अच्छे लगे ......

    सिर्फ यादों के सहारे रात दिन
    पूछ मत कैसे गुज़ारे रात दिन

    साथ तेरे थे शहद से, आज वो
    हो गए रो-रो के खारे रात दिन

    कूद जा, बेकार लहरें गिन रहा
    बैठ कर दरिया किनारे रात दिन

    बांसुरी जब भी सुने वो श्याम की
    तब कहां राधा विचारे रात, दिन

    आपके बिन जिंदगी बेरंग थी
    अब धनक के रंग सारे रात दिन

    है बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में
    आसमाँ करता इशारे रात दिन

    लौट आएंगे वो नीरज ग़म न कर
    खो गये हैं जो हमारे रात दिन

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  28. आपके बिन जिंदगी बेरंग थी
    अब धनक के रंग सारे रात दिन
    अच्छी ग़ज़ल भाई ! खास तौर से यह शेर बहुत पसंद आया .....ढेरों दाद !
    आलम खुरशीद

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे