सिर्फ यादों के सहारे रात दिन
पूछ मत कैसे गुज़ारे रात दिन
साथ तेरे थे शहद से, आज वो
हो गए रो-रो के खारे रात दिन
कूद जा, बेकार लहरें गिन रहा
बैठ कर दरिया किनारे रात दिन
बांसुरी जब भी सुने वो श्याम की
तब कहां राधा विचारे रात, दिन
आपके बिन जिंदगी बेरंग थी
अब धनक के रंग सारे रात दिन
है बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में
आसमाँ करता इशारे रात दिन
लौट आएंगे वो नीरज ग़म न कर
खो गये हैं जो हमारे रात दिन
(ग़ज़ल की नोंक पलक गुरुदेव पंकज सुबीर जी ने संवारी है)
है बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में
ReplyDeleteआसमाँ करता इशारे रात दिन
लौट आएंगे वो नीरज ग़म न कर
खो गये हैं जो हमारे रात दिन
वाह ... बहुत ही अनुपम भाव लिए उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
बहुत सुंदर !
ReplyDelete"अपने जज़्बातों की हर तह में रख दिए मैनें अश्कों के मोती...
मौसम चाहे कोई भी हो...तेरी याद महफूज़ है इस दिल में..." :-)
~सादर !
उम्दा गजल कही है सर जी ।।
ReplyDeleteशुभकामनायें ।।
vaah ji vaah ...
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब!
ReplyDeleteइतने कोमल, इतने अच्छे शेर। हमें और क्या चाहिए?
भावमय उत्कृष्ट गजल,,,,
ReplyDeleteहै बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में
आसमाँ करता इशारे रात दिन,,,,,
RECENT POST ...: यादों की ओढ़नी
विरह पर लिखी गज़ल बहुत खूबसूरत है ।
ReplyDeleteहै बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में
ReplyDeleteआसमाँ करता इशारे रात दिन
लौट आएंगे वो नीरज ग़म न कर
खो गये हैं जो हमारे रात दिन
आशा है तो जिंदगी है .
बेहतरीन ग़ज़ल .
बहुत ही बढियां गजल...
ReplyDelete:-)
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ..
ReplyDeletehttp://apaniraay.blogspot.in/2012/10/blog-post_6918.html#comment-form
ReplyDeleteसटीक शब्दों का सटीक प्रयोग...मज़ा आ गया ग़ज़ल पढ़ कर...एक शेर चटका रहा हूँ...
ReplyDeleteहमसे न पूछो हिज्र के किस्से
अपनी कहो अब तुम कैसे हो...
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १६ /१०/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी ,आपका स्वागत है |
ReplyDeleteग़ज़ल तो आपकी है, खूबसूरत होनी ही थी।
ReplyDeleteबांसुरी जब भी सुने वो श्याम की
तब कहां राधा विचारे रात, दिन
काश हर आदमी अपना काम करते समय इस तरह ही भूल जाये रात दिन।
बेहतरीन ग़ज़ल के लिये बधाई।
बांसुरी जब भी सुने वो श्याम की
ReplyDeleteतब कहां राधा विचारे रात, दिन
है बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में
आसमाँ करता इशारे रात दिन
बहुत बढ़िया पंक्तियाँ
है बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में
ReplyDeleteआसमाँ करता इशारे रात दिन
लौट आएंगे वो नीरज ग़म न कर
खो गये हैं जो हमारे रात दिन.
वाह ..बहुत उम्दा ग़जल ,,
वाह वाह हमेशा की तरह एक बेहद शानदार गज़ल दिल को छू गयी……………नवरात्रि की शुभकामनायें।
ReplyDeleteलौट आएंगे वो नीरज ग़म न कर
ReplyDeleteखो गये हैं जो हमारे रात दिन
बहुत सुंदर ,,आशावादी शेर है
शानदार ग़ज़ल...भावपूर्ण पंक्तियाँ!!
ReplyDeleteक्या कहें ... इतना सुन्दर पर इतना सरल तरीके से आपने लिखा है ... वाह !
ReplyDeleteवाह नीरज जी....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल....
साथ तेरे थे शहद से, आज वो
हो गए रो-रो के खारे रात दिन,,,,,,,
बहुत खूब!!
सादर
अनु
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 20/10/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteBEHTREEN GAZAL KE LIYE AAPKO
ReplyDeleteBADHAAEEYAN AUR SHUBH KAMNAAYEN .
बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
पूछ मत कैसे गुजारे रात दिन, बहुत खूब ग़ज़ल। बधाई।
ReplyDeleteMsg Received on e-mail:-
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल भाई !
ग़ज़ल का मतला
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सिर्फ यादों के सहारे रात दिन
पूछ मत कैसे गुज़ारे रात दिन
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खास तौर पर पसन्द आया . वाह !
आलम खुरशीद
छोटे बहर में बड़ी बात .....नीरजजी ...हमेशा की तरह सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteखुबसूरत गजल जो शेर बहुत अच्छे लगे ......
ReplyDeleteसिर्फ यादों के सहारे रात दिन
पूछ मत कैसे गुज़ारे रात दिन
साथ तेरे थे शहद से, आज वो
हो गए रो-रो के खारे रात दिन
कूद जा, बेकार लहरें गिन रहा
बैठ कर दरिया किनारे रात दिन
बांसुरी जब भी सुने वो श्याम की
तब कहां राधा विचारे रात, दिन
आपके बिन जिंदगी बेरंग थी
अब धनक के रंग सारे रात दिन
है बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में
आसमाँ करता इशारे रात दिन
लौट आएंगे वो नीरज ग़म न कर
खो गये हैं जो हमारे रात दिन
आपके बिन जिंदगी बेरंग थी
ReplyDeleteअब धनक के रंग सारे रात दिन
अच्छी ग़ज़ल भाई ! खास तौर से यह शेर बहुत पसंद आया .....ढेरों दाद !
आलम खुरशीद