Monday, January 2, 2012

ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैं

आप सब को नव वर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाएं.



हजारों में किसी इक आध के ही गैर होते हैं
वगरना दुश्मनी करते हैं जो होते वो अपने हैं


कभी मेरे भी दिल में चांदनी बिखरा जरा अपनी
सुना है लोग तुझको चौदहवीं का चाँद कहते हैं


कोई झपका रहा आंखें है शायद याद कर मुझको
अंधेरी रात में जुगनू कहां इतने चमकते हैं

हमें मालूम है घर में नहीं हो तुम मगर फिर भी
यूं ही आंगन में जा जा कर तुम्हें आवाज़ देते हैं


ज़रूरी तो नहीं के फूल हों या फिर लगे हों फल
ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैं


मनाते हैं बहुत लेकिन नहीं जब मानता है तो
हमीं थक हार कर हर बात दिल की मान लेते हैं


कहीं चलते नहीं दुनिया में फिर भी नाज़ है इनपर
विरासत में ये हमने प्यार के पाए जो सिक्के हैं


दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं


भले थे तो किसी ने हाल त़क 'नीरज' नहीं पूछा
बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं



( इस ग़ज़ल को गुरुदेव पंकज सुबीर जी का आशीर्वाद प्राप्त है )

79 comments:

  1. दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं
    बहुत खूब!

    हर शब्द... हर पंक्ति... बेहतरीन है!!!
    नव वर्ष की शुभकामनाएं!
    सादर!

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  2. नीरज भाई साहब!
    आपने गालियाँ क्या छोडीं बस रौनके महफ़िल ही चली गयी.. मकते में अपने बुरे होने का ज़िक्र करके आप ने हमें सांसत में डाल दिया... नए साल में इतने खूबसूरत अशार लेकर आये आप..हमें दिली खुशी हुई.. ये मोगरे की डाल सदा महकती रहे!!

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  3. मैं हर पल आपके ब्लॉग का इन्तजार करता रहता हूँ नीरज जी, और जब ये इन्तजार ख़त्म होता हैं तो...
    it is always awesome...no word to say for this blog...

    दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं

    भले थे तो किसी ने हाल त़क 'नीरज' नहीं पूछा
    बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं

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  4. नीरज जी ,
    नए साल की मुबारक और अहसास से भरपूर अश'आर के लिए बधाई स्वीकारें!
    वाह:
    हमें मालूम है घर में नहीं हो तुम मगर फिर भी
    यूं ही आंगन में जा जा कर तुम्हें आवाज़ देते हैं ||

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  5. ज़रूरी तो नहीं के फूल हों या फिर लगे हों फल
    ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैं

    दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं

    बहुत खूबसूरत ग़ज़ल! और ये शेर तो बहुत ही खूब हैं

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  6. दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं


    यौ तो हरेक के दिल में भावनाओं का समुद्र उमड़ रहा होता है पर कई लोग इन भावनाओं को शब्द बक्श देते हैं...

    आप उनमें से एक हैं हैं नीरज

    बेहतरीन गज़ल के लिए साधुवाद.

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  7. हमें मालूम है घर में नहीं हो तुम मगर फिर भी
    यूं ही आंगन में जा जा कर तुम्हें आवाज़ देते हैं
    behad umda sir...
    nutan varsh ki hardik shubhkamnayen..

    ReplyDelete
  8. हमें मालूम है घर में नहीं हो तुम मगर फिर भी
    यूं ही आंगन में जा जा कर तुम्हें आवाज़ देते हैं

    ज़रूरी तो नहीं के फूल हों या फिर लगे हों फल
    ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैं

    वाह ...बहुत खूब ...

    नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं ।

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  9. दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं

    भले थे तो किसी ने हाल त़क 'नीरज' नहीं पूछा
    बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं



    वाह, बहुत सुन्दर नीरज जी ! आपको नव-वर्ष की ढेरों मंगलमय कामनाएं !

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  10. लाजवाब... नववर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाएं..

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  11. ज़रूरी तो नहीं के फूल हों या फिर लगे हों फल
    ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैं
    sabhi panktiyan gajab ki hain.
    nav varsh mubarak ho.

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  12. नीरज जी , नए साल की शुभकामनाये . आपकी गज़ल सही कहूँ तो ऐसा लग रहा ही कि , मुझ पर ही लिखी गयी है .. कुछ हाल अपना भी आजकल ऐसा ही है .. वगरना दुश्मनी करते हैं जो होते वो अपने हैं..!!

    आपका
    विजय

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  13. ज़रूरी तो नहीं के फूल हों या फिर लगे हों फल
    ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैं... वरना अब परिंदे भी नज़र नहीं आते , वाह

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  14. खूब कहा है नीरज जी.

    जो दिखे वोह हमेशा सच नहीं होता !!

    नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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  15. हमें मालूम है घर में नहीं हो तुम मगर फिर भी
    यूं ही आंगन में जा जा कर तुम्हें आवाज़ देते हैं

    ज़रूरी तो नहीं के फूल हों या फिर लगे हों फल
    ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैं
    गज़ब गज़ब गज़ब्…………हर शेर दिल मे उतर गया…………बेहतरीन गज़ल सच्चाइयों से रु-ब-रु कराती हुई।

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  16. ज़रूरी तो नहीं के फूल हों या फिर लगे हों फल
    ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैं..

    बहुत सुंदर शेर हैं ....
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ...

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  17. दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं

    बहुत खूबसूरत गज़ल आदरणीय नीरज सर, सादर बधाई और नूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं

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  18. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल... एक - एक शब्द असरदार है...
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ...

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  19. बढ़िया ग़ज़ल . आपकी ग़ज़लों में जीवन का सार हमेशा रहता है .
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें नीरज जी .

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  20. बहुत ही उम्दा और बेहतरीन गजल हैं ...नववर्ष की शुभकामनाएं

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  21. एक खूबसूरत और सार्थक अर्थगम्भीर गज़ल है।

    बहुत आभार

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  22. हमें मालूम है घर में नहीं हो तुम मगर फिर भी
    यूं ही आंगन में जा जा कर तुम्हें आवाज़ देते हैं



    बहुत खूब ...इसी तरह के ज़ज्बात ही जिंदगी में यादो में ..सपने देते हैं ...सपने जो सिर्फ अपने होते हैं ...आभार


    नववर्ष मंगलमय हो

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  23. बहुत सुंदर रचना,
    बहुत ही उम्दा और बेहतरीन गजल हैं

    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  24. कहीं चलते नहीं दुनिया में फिर भी नाज़ है इनपर
    विरासत में ये हमने प्यार के पाए जो सिक्के हैं

    बहुत ख़ूब !!
    और हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम ये विरासत अगली पीढ़ी को सौंपें
    "हम नई नस्ल को दे पाएं तो हो फ़र्ज़ अदा
    जो कि अजदाद ने सौंपी थी विरासत हम को "

    मक़ता भी बहुत ख़ूबसूरत है

    भले थे तो किसी ने हाल त़क 'नीरज' नहीं पूछा
    बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं

    क्या बात है !!

    ज़रूरी तो नहीं के फूल हों या फिर लगे हों फल
    ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैं

    बहुत ख़ूब !!
    ख़ुशक़िस्मत है वो पेड़ जिस पर फल-फूल के न होने पर भी परिंदे आएं

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  25. बहुत ही सुन्दर, ऐसे ही चरचे बने रहें।

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  26. ज़रूरी तो नहीं के फूल हों या फिर लगे हों फल
    ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैं.

    वाह, बढ़िया शेर है.
    एक साहब ऐसे भी शेर कह गए:-

    कोई इन्सान बेमतलब कहीं पर भी नहीं जाता,
    परिंदे भी फलों को देख कर शाखों पे गिरते हैं.

    आपकी ग़ज़ल ज़बरदस्त है भाई.
    नया साल बहुत बहुत मुबारक.

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  27. नीरज जी,

    कभी लफ़्ज़ भी कम रह जाते हैं किसी रचना की तारीफ़् के लिये!

    ये हैं आंखो के धोखे या फिर कुछ रंगीं सपने हैं
    धोखे भी हसीं कितने कि बेगाने भी अपने हैं !

    सर्व

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  28. कोई झपका रहा आंखें है शायद याद कर मुझको
    अंधेरी रात में जुगनू कहां इतने चमकते हैं

    वाह! हमेशा की तरह सभी शेर सादगी लिए हैं, और सीधा दिल में उतर गए!

    ReplyDelete
  29. कोई झपका रहा आंखें है शायद याद कर मुझको
    अंधेरी रात में जुगनू कहां इतने चमकते हैं


    khubsurat

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  30. एक तो आपकी ग़ज़ल, उस पर पंकज भाई का वरद् हस्‍त और उस पर ये सटीक चित्र एक खूबसूरत सैंडविच की तरह है।
    और हुजूर सब कुछ भ्रम ही है, यह तो आप भी जानते हैं।
    दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं

    नज़र भर जिसको देखा था
    समझ आया कि धोखा था।

    और बुरा बनना तो आपके बस में ही नहीं है, चर्चा हो न हो। (बिना बुरा बने कौनसे कम चर्चे हैं आपके)

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  31. हमें मालूम है घर में नहीं हो तुम मगर फिर भी
    यूं ही आंगन में जा जा कर तुम्हें आवाज़ देते हैं...aapki har post ka intezaar rahta hai sir aur jab bhi padhti hu maza aa jata hai

    ReplyDelete
  32. भले थे तो किसी ने हाल त़क 'नीरज' नहीं पूछा
    बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं

    बहुत खूबसूरत |

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  33. नीरज जी हर शेर कमाल का
    कुछ कभी न भूलनेवाले...

    कहीं चलते नहीं दुनिया में फिर भी नाज़ है इनपर
    विरासत में ये हमने प्यार के पाए जो सिक्के हैं

    दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं



    नीरज जी!

    सभी खींचीं हुई रेखाएं न बन पाती तस्वीरें
    उन्हें वो छू जरा सा दें तो सब इंसान बन जातीं।

    इस्स्लाहात खुदा का करिश्मा होती हैं। इससे हमारे हाथ जो आता है वह कमाल होता है साहब! आप की यह गजल उसी जादू की पेशकस है


    नया साल खुशहाल और कामयाब हो।

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  34. Umda ashaar hain . Hardik badhaaee
    aur shubh kamna

    ReplyDelete
  35. कहीं चलते नहीं दुनिया में फिर भी नाज़ है इनपर
    विरासत में ये हमने प्यार के पाए जो सिक्के हैं
    bahut badhiya gazal

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  36. Received through e-mail:-

    thanx and gud wishes for new year
    thansx for sending such a gud poem/gazal
    especially these lines:-

    मनाते हैं बहुत लेकिन नहीं जब मानता है तो
    हमीं थक हार कर हर बात दिल की मान लेते हैं

    कहीं चलते नहीं दुनिया में फिर भी नाज़ है इनपर
    विरासत में ये हमने प्यार के पाए जो सिक्के हैं
    yours
    -om sapra, delhi-9

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  37. ज़रूरी तो नहीं के फूल हों या फिर लगे हों फल
    ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैं
    vaise to har pangti bahut achchi hai......par ye kuch khas hai.

    ReplyDelete
  38. आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
    ख़ूबसूरत चित्र के साथ उम्दा ग़ज़ल! हर पंक्तियाँ लाजवाब लगा!

    ReplyDelete
  39. अरे वाह! शानदार गज़ल लिखी है आपने। नये वर्ष का तोहफा मान कर दिल में बसा लिया। एक से बढ़कर एक शेर। मैने अब तक कमेंट नहीं पढ़े, बहुत दाद मिल चुकी होगी अब तक।

    ज़रूरी तो नहीं के फूल हों या फिर लगे हों फल
    ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैं

    ..इसका तो कहना ही क्या और मक्ता,शुभानअल्लाह!
    बधाई..बधाई..नया वर्ष भी खुश हो गया होगा इसे पढ़कर।

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  40. भाई नीरज जी नए वर्ष में आपकी लेखनी और नई सोच विचार के साथ हम सब को एक अद्भुत ताजगी से भर दे |अच्छी गज़ल |

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  41. दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं

    बेहतरीन प्रस्तुति हर बार की तरह...

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  42. दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं ...

    बहुत खूब ... कमाल की गज़ल है नीअज जी ... पहले तो मैं मकते में ही अटक के रह गया .. फिर आगे बढ़ा तो हर शेर पे वाह वाह ही कहता गया ...
    गुरुदेव की कृपा है आप पर ...
    नए साल की बहुत बहुत मुबारक बाद ...

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  43. Hello Uncle, (Happy New Year)
    Hamen maloom hai ghar men naheen hain..

    Jaroori to naheen ke phool hon ya phir lage hon fal
    Ye kya kam hai meri shakhon pe phir bhee kuchh parinde hain

    Week ki sabse keemati cheejon men se 1 hotee hai aapaki gazal. Sadhuwaad.
    Aabhar jaise shabd isake liye bahut kam hain.

    Rgds
    Vishal

    ReplyDelete
  44. असीमित शुभकामनायें नीरज जी !! आपको !!सिर्फ इसलिये ही नहीं कि आपने अच्छी ग़ज़ल कही बल्कि इसलिये कि आपने नयी ग़ज़ल कही -ज़बान की ग़ज़ल कही -और सच्ची ग़ज़ल कही -- ये सभी बातें किसी एक ग़ज़ल के लिये बहुत मुश्किल होती हैं लेकिन ये कामापने बेहद आसांनी से किया है -- ये कलम ऐसे ही आगे भी चलेगा इसकी उम्मीद भी है और विश्वास भी --
    हजारों में किसी इक आध के ही गैर होते हैं
    वगरना दुश्मनी करते हैं जो होते वो अपने हैं

    कोई झपका रहा आंखें है शायद याद कर मुझको
    अंधेरी रात में जुगनू कहां इतने चमकते हैं-नया खयाल और सुन्दर भाव -भूमि

    हमें मालूम है घर में नहीं हो तुम मगर फिर भी
    यूं ही आंगन में जा जा कर तुम्हें आवाज़ देते हैं
    उम्र भर जिसमें दर पे मै दस्तक दिया करता रहा /// आज ये पर्दा खुला , रहता वहाँ कोई (मैनें ये शेर यहाँ बन्द किया था -आपका शेर यहाँसे आरम्भ हुआ है -- बहुत खूब !!!Sachin starts from where others end their career )

    ज़रूरी तो नहीं के फूल हों या फिर लगे हों फल
    ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैं

    मनाते हैं बहुत लेकिन नहीं जब मानता है तो
    हमीं थक हार कर हर बात दिल की मान लेते हैं

    कहीं चलते नहीं दुनिया में फिर भी नाज़ है इनपर
    विरासत में ये हमने प्यार के पाए जो सिक्के हैं

    दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं
    ऊपर के चारों शेर बेहतरीन हैं अपनी सादगी और अपने प्रवाह के कारण \
    भले थे तो किसी ने हाल त़क 'नीरज' नहीं पूछा
    बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं
    इस शेर का हमख़्याल एक शेर लिखना रहा हूँ --

    बावफा था तो मुझे पूछने वाले भी न थे // बेवफा हूँ तो हुआ नाम भी घर घर मेरा (शायर का नाम भूल रहा हूँ --ग़ज़ल -कभे साया हैकभी धूप मुक़द्दर मेरा - ) --आपको एक बार फिर नये साल कीमुबारकबाद और बधाई इस खूबसूरत ग़ज़ल केलिये ---मयंक

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  45. भले थे तो किसी ने हाल त़क 'नीरज' नहीं पूछा
    बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं
    bahut hi sunder puri gazar kamal ki hai
    aapko aur aapke parivar me sabhi ko nav varsh ki bahut bahut shubhkamnayen
    saader
    rachana

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  46. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 7/1/2012 को होगी । कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें। आभार.

    ReplyDelete
  47. हर पंक्ति उम्दा !
    सुन्दर प्रस्तुति !
    आभार !

    ReplyDelete
  48. बहुत खूब सर!

    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।


    सादर

    ReplyDelete
  49. gazab hi gazal hai..gazal me gazab hai...

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  50. दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं

    वाह ..क्या बात कही है ..बहुत खूबसूरत गज़ल

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  51. कमाल है साहब....हमेशा की तरह
    शुक्रिया आपका.
    ======================
    डॉ.चन्द्रकुमार जैन

    ReplyDelete
  52. bahut khoob. ek ek sher bemisaal

    ReplyDelete
  53. बहुत बढ़िया सर,,
    कहीं चलते नहीं दुनिया में फिर भी नाज़ है इनपर
    विरासत में ये हमने प्यार के पाए जो सिक्के हैं

    लाजवाब पंक्तियाँ..
    सादर.

    ReplyDelete
  54. बहुत अच्छी प्रस्तुति,मन की भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति,सुंदर गजल ,,,
    WELCOME to--जिन्दगीं--

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  55. हमें मालूम है घर में नहीं हो तुम मगर फिर भी
    यूं ही आंगन में जा जा कर तुम्हें आवाज़ देते हैं.waah.very nice.

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  56. क्‍या खूब है अंदाजे-बयां.

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  57. कहीं चलते नहीं दुनिया में फिर भी नाज़ है इनपर
    विरासत में ये हमने प्यार के पाए जो सिक्के हैं
    badhai neeraj ji ....prabhavshali gazal.

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  58. दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं

    ....लाज़वाब...हरेक शेर अपने आप में एक कहानी..बहुत प्रभावी प्रस्तुति...आभार

    ReplyDelete
  59. मुक्कमल गजल ! खूबसूरत ....

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  60. Bhale the to kisi ne hal tak neeraj nahi poocha
    bure bante hi dekha har taraf,apne hi churche hai
    WAH,KYA SACCHAIE BAYAN KAR DI HAI kABILE DAD HAI APKI GAZAL NEERAJJI

    ReplyDelete
  61. बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर

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  62. दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं

    .sach kaha aapne..

    भले थे तो किसी ने हाल त़क 'नीरज' नहीं पूछा
    बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं
    ..aajkal unhi ki hi to charcha hoti hai....lekin bahut din tak burayee tikkar nahi rahti
    waah bahut khoob kahi aapne..
    haardik shubhkamnayen!

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  63. कल 11/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, उम्र भर इस सोच में थे हम ... !

    धन्यवाद!

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  64. ek ek shabd dil ko chu gaya sir
    following your blog
    check mine also

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  65. बहुत अच्छे लगे मुझको,
    ये सारे शेर नीरज के।
    नहीं संदेह इसमें कुछ,
    हृदय में ये उतरते हैं।

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  66. आपकी हर गज़ल बेहतरीन लगती है .. बहुत खूबसूरत गज़ल

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  67. कहीं चलते नहीं दुनिया में फिर भी नाज़ है इनपर
    विरासत में ये हमने प्यार के पाए जो सिक्के हैं...
    ...
    नीरज जी पढ़ता रहा आपको यदा कदा...अब कम से कम ब्लॉग से जुड़ गया हूँ ...कोशिश रहेगी कि अब न चूकूं !

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  68. आदरणीय नीरज जी,
    एक और खूबसूरत ग़ज़ल पढ़कर अच्छा लगा...
    इस बीच ज़रा मसरूफ़ था इस लिए जवाब देने में
    ताखीर हुई.
    वाह! वाह!..बहुत खूब..
    कभी मेरे भी दिल में चांदनी बिखरा जरा अपनी
    सुना है लोग तुझको चौदहवीं का चाँद कहते हैं
    क्या मासूमियत है इस शे'र में...
    हमें मालूम है घर में नहीं हो तुम मगर फिर भी
    यूं ही आंगन में जा जा कर तुम्हें आवाज़ देते हैं
    दिली मुबारकबाद कुबूल फरमाएं.
    सादर,
    सतीश शुक्ला 'रक़ीब'

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  69. हमें मालूम है घर में नहीं हो तुम मगर फिर भी
    यूं ही आंगन में जा जा कर तुम्हें आवाज़ देते हैं
    behad umda sir...
    nutan varsh ki hardik shubhkamnayen..

    ReplyDelete
  70. दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं

    भले थे तो किसी ने हाल त़क 'नीरज' नहीं पूछा
    बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं

    बेहतरीन, वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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  71. भले थे तो किसी ने हाल त़क 'नीरज' नहीं पूछा
    बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं ।

    वाह वाह नीरज जी बेहतरीन गज़ल ।

    ReplyDelete
  72. हमें मालूम है घर में नहीं हो तुम मगर फिर भी
    यूं ही आंगन में जा जा कर तुम्हें आवाज़ देते हैं


    जब ऐसा करते हो तो कैसा कैसा लगता है...कि क्या गजब करते हो जी....वाह!!

    ReplyDelete
  73. khoobsoorat gazal ke sath naye sal ka aagaaz ...vaah , nya sal mubarak ho...

    ReplyDelete
  74. खयालात के बिखराव को
    अपनी गिरफ्त में बाँध लेना
    और उन्हें खूबसूरत लफ़्ज़ों की सौगात दे पाना
    बड़ी महारत और सूझ-बूझ का काम है
    और....
    इन्हीं खूबियों का
    अगर कोई दूसरा नाम है, तो वो है
    नीरज गोस्वामी

    मुबारकबाद कुबूल फरमाएं जनाब .

    ReplyDelete
  75. har sher bahut kamaal, duniya aur duniyadari ka sach hai...

    दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं

    भले थे तो किसी ने हाल त़क 'नीरज' नहीं पूछा
    बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं

    daad sweekaaren.

    ReplyDelete
  76. दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं

    वाह! बहुत सुन्दर.
    सदा जी की हलचले से आपकी इस पोस्ट
    पर आकर बहुत ही अच्छा लगा.
    आभार.

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  77. दिखाई दे रहा है जो, हमेशा सच नहीं होता
    कहीं धोखे में आंखें हैं, कहीं आंखों के धोखे हैं

    खूबसूरत लफ़्ज़ों में सीधी सच्ची बात!

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे