(आज की मेरी ये ग़ज़ल मैं हर दिल अज़ीज़ शायर और मेरे बड़े भाई समान जनाब जाफ़र रज़ा साहब को समर्पित कर रहा हूँ जो अचानक हमें और अपने सभी चाहने वालों को मंगलवार छब्बीस अक्टूबर को बिलखता छोड़ कर चले गए. उन जैसा ज़िंदा-दिल इंसान और बेहतरीन शायर दूसरा ढूँढना मुश्किल है. सिर्फ दो दिन पहले रविवार की रात को उनके साथ शिरकत किये मुशायरे की याद हमेशा दिल में ताज़ा बनी रहेगी. खुदा उस नेक रूह को करवट करवट ज़न्नत नसीब करे.)
तन्हाई में गाया कर
खुद से भी बतियाया कर
हर राही उस से गुज़रे
ऐसी राह बनाया कर
रिश्तों में गर्माहट ला
मुद्दे मत गरमाया कर
चाँद छुपे जब बदली में
तब छत पर आ जाया कर
जिंदा गर रहना है तो
हर गम में मुस्काया कर
नाजायज़ जब बात लगे
तब आवाज़ उठाया कर
मीठी बातें याद रहें
कड़वी बात भुलाया कर
‘नीरज’ सुन कर सब झूमें
ऐसा गीत सुनाया कर
(परम आदरणीय गुरु प्राण शर्मा जी की रहनुमाई में कही ग़ज़ल )
आपके माध्यम से हम भी शायरों के नाम और शायरी पढ लेते हैं, नहीं तो कसम से शायरी पल्ले ही नहीं पडती।
ReplyDeleteऊपर वाला ज़ाफ़र रज़ा साहब की आत्मा को शान्ति दे।
जिंदगी का यही तरीका,
ReplyDeleteमौत को भुलाया कर ...
राजा साहब की आत्मा को शांति मिलें ....
अल्ला तआला उनकी रूह को जन्नत बख्शे।
ReplyDeletewah bhai ji wah....kya sher nikale hain....mazaa aa gaya.....
ReplyDeleteraza saheb ki aatma ko shanti mile yahi kamna hai...
रिश्तों में गर्माहट ला
ReplyDeleteमुद्दे मत गरमाया कर
मीठी बातें याद रहें
कड़वी बात भुलाया कर
neeraj ji ,
bahut badhiya ,bas isee bhaavanaa ki zaroorat hai ,
khuda jafar sahab marhoom ko jannat naseeb kare ,aur un ke mutaalaqen ko sabr ata farmae
रज़ा जी की रूह को सुकून मिले।
ReplyDeleteरज़ा साहब की आत्मा को ईश्वर शांति प्रदान करे।
ReplyDeleteआपकी हर नज़्म मे कुछ ऐसा होता है जो सीधा दिल मे उतर जाता है……………आभार्।
Har sher Umda ! ati sundar !
ReplyDeleteहर बार की तरह शानदार प्रस्तुति
ReplyDeleteआपने कविता जी ली, सच में झुमा दिया।
ReplyDeleteRazaa sahab kee rooh ko sukoon mile.Aapkee rachanake bareme to kya kahen?
ReplyDeleteनीरज जी,
ReplyDeleteअभिभुत हो गया, शब्दों की आभा!!
हर राही उस से गुज़रे
ऐसी राह बनाया कर
रिश्तों में गर्माहट ला
मुद्दे मत गरमाया कर
बहुत सुन्दर लिखा है , छोटी बहर में , क्या कहने ...
ReplyDeleteमरहूम शायर जाफ़र रज़ा साहब को खुदा जन्नतनशीं करे.....आमीन
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने...ये शेर बहुत पसंद आये.....
रिश्तों में गर्माहट ला
मुद्दे मत गरमाया कर
नाजायज़ जब बात लगे
तब आवाज़ उठाया कर
मीठी बातें याद रहें
कड़वी बात भुलाया कर
Bahut khoob, bahut khoob, bahut khoob.
ReplyDelete---------
मन की गति से चलें...
बूझो मेरे भाई, वृक्ष पहेली आई।
खुब सुरत गजलो के लिये आप का धन्यवाद
ReplyDeleteरिश्तों में गर्माहट ला
ReplyDeleteमुद्दे मत गरमाया कर
क्या बात कही है .आज इसी की सबसे ज्यादा जरुरत है .
राजा साहब की आत्मा को शांति मिले.
बेहद खूबसूरत रचना, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
हर राही उस से गुज़रे
ReplyDeleteऐसी राह बनाया कर
रिश्तों में गर्माहट ला
मुद्दे मत गरमाया कर
ज़िन्दा गर रहना है त
हर गम मे मुस्काया कर
नीरज जी आपकी गज़ल के क्या कहने हर एक शेर गज़ब है।
शायर जाफ़र रज़ा साहब के बारे मे जान कर बहुत दुख हुया\ भगवान उनकी आत्मा को शान्ति दे।
वाह !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, सरल एवं सरस ग़ज़ल !
"नीरज" ऐसे ही लिख कर
अपना इल्म नुमायाँ कर
शुभ कामनाएं !
एक खूबसूरत ग़ज़ल और एक दु:खभरी खबर।
ReplyDeleteजाफ़र रज़ा साहब की रूह को खुदा जन्नतनशीं करे...आमीन
शायर जब दिल से उतरता है तो छोटी बह्र में भी क्या खूबसूरत बातें कह जाता है। आपसे आपके अंदर बैठा शायर जरूर कहता होगा कि:
सीधे सादे लफ़्जों को
ग़ज़लों में बहलाया कर।
तभी सीधे सादे शब्दों में आप इतनी खूबसूरत ग़ज़ल कह जाते हैं।
सीधे सादे लफ़्जों को
ReplyDeleteग़ज़लों में बहलाया कर।
नहीं
सीधे सादे लफ़्जों को
ग़ज़लों में अपनाया कर।
त्रुटि हो गयी।
अच्छी ग़ज़ल कही नीरज जी, रज़ा साहब को बतौर खिराजे अकीदत.
ReplyDelete"रिश्तों में गर्माहट ला
मुद्दे मत गरमाया कर."
ये शेर ख़ास पसंद आया.
छोटी बहर में शेर कहना वाकई मुश्किल है. मैं तो चार लाईनों में भी कामयाब नहीं हो पा रहा हूँ.
ख़ुद को मत भरमाया कर,
मत ऐसे शरमाया कर,
आना है तो आ भी जा,
न-न, ना फरमाया कर.
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तन्हा ही तू आया कर,
सींग-चने भी लाया कर,
pet तेरा प्यारा लेकिन
पेट मेरा गरमाया कर.
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जिंदा गर रहना है तो
ReplyDeleteहर गम में मुस्काया कर
नाजायज़ जब बात लगे
तब आवाज़ उठाया कर
जिन्दगी की ऊँचाई नज़र आ रही है इन पंक्तियों में ।
रज़ा साहब की याद में बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है नीरज जी ।
नाजायज़ जब बात लगे
ReplyDeleteतब आवाज़ उठाया कर
खूबसूरत ग़ज़ल
जाफ़र रजा? सानपाड़ा वाले ? अरे! भगवान उनकी आत्मा को शांती दे।
ReplyDeleteapni hi ek ghazal
ReplyDeletetanhai ko tata kar
kuch to sair sapata kar
yaad aa gayi
behad khubsurat matle se shuru hoti ghazal hai neeraj sir
रिश्तों में गर्माहट ला
मुद्दे मत गरमाया कर
bahut hi zabardast aur sadhi hui zabaan ke sath kaha sher hai ...craft ki khubsurti dekhte hi banti hai
aur yahi sher sabse achha bhi laga .... :)
इस्मत जी की तरह मेरी भी सोच है
ReplyDeleteबधाईयां स्वीकारिये
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एक नज़र : ताज़ा-पोस्ट पर
पंकज जी को सुरीली शुभ कामनाएं : अर्चना जी के सहयोग से
पा.ना. सुब्रमणियन के मल्हार पर प्रकृति प्रेम की झलक
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"जिंदा गर रहना है तो
ReplyDeleteहर गम में मुस्काया कर"
नीरज साहब, बहुत खूबसूरत गज़ल लगी।
जाफ़र रज़ा साहब की रूह को सुकून मिले।
राजा साहब की आत्मा को शांति मिलें..श्रद्धांजलि!!
ReplyDeleteराजा साहब को श्रद्धांजलि
ReplyDeleteचाँद छुपे जब बदली में
ReplyDeleteतब छत पर आ जाया करना!!!
..................
रजा साहब की यादों को !!!!!!
जिंदा गर रहना है तो
ReplyDeleteहर गम में मुस्काया कर
ज़िन्दाबाद...नीरज जी, हौसला देने वाला शेर
नाजायज़ जब बात लगे
तब आवाज़ उठाया कर
इंसाफ़ का तकाज़ा तो यही है...
छोटी बहर में मुकम्मल ग़ज़ल पेश की है...वाह.
जनाब जाफ़र रज़ा साहब को खिराज़े-अक़ीदत.
इ-मेल से प्राप्त कमेन्ट:-
ReplyDeleteनीरज भाई,हमेश की तरह एक और उम्दा ग़ज़ल छोटी बहर की.
धन्यवाद और स्वागत /
Dr.Bhoopendra Singh
T.R.S.College,REWA 486001
Madhya Pradesh INDIA
रिश्तों में गर्माहट ला
ReplyDeleteमुद्दे मत गरमाया कर
चाँद छुपे जब बदली में
तब छत पर आ जाया कर
राजा साहब को श्रद्धांजलि ... बहुत ही लाजवाब शेर हैं ... इससे बढ़ कर एक शाएर को क्या श्रधांजलि हो सकती है ...
मीठी बातें याद रहें
ReplyDeleteकड़वी बात भुलाया कर
bahut hi meethe sher hain
रिश्तों में गर्माहट ला
ReplyDeleteमुद्दे मत गरमाया कर...
बहुत ही सुन्दर गज़ल...आज इसी भावना की बहुत आवश्यकता है...आभार
vaah-vaah...har sher dil ko chhoo gayaa. kamaal karate rahate hain aap bhi...badhai. chhotee bahar mey likhi gaee badee ghazal...shubh deepavalee.
ReplyDelete‘नीरज’ सुन कर सब झूमें
ReplyDeleteऐसा गीत सुनाया कर
ऐसे ही गीत सुनाया कीजिए.........
क्या है की इस दुनिया में कुछ और नहीं है........
आपने ही कभी कहा था.. छोटी बहर में ग़ज़ल कहना सबके बस की बात नहीं... आज आपकी छोटी बहर की ग़ज़ल देख मन को अच्छा लगा.. सुन्दर ग़ज़ल हैं.. दिल और दुनिया के करीब..
ReplyDeleteआप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
ReplyDeleteमैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
बहुत सुन्दर रचना है !
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को एक सुन्दर, शांतिमय और सुरक्षित दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें !
आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
ReplyDeleteमैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
रिश्तों में गर्माहट ला
ReplyDeleteमुद्दे मत गरमाया कर
रिश्तों कि गर्माहट आज के युग कि आवश्यकता है..
आपको दीपोत्सव कि हार्दिक शुभकामनाएँ.
सराहनीय लेखन........हेतु बधाइयाँ...ऽ. ऽ. ऽ
ReplyDeleteचिठ्ठाकारी के लिए, मुझे आप पर गर्व।
मंगलमय हो आपको, सदा ज्योति का पर्व॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
नीरज जी,
ReplyDeleteखूबसूरत गज़ल के लिये बधाई........भावपूर्ण अभिव्यक्ति........दीपावली की शुभकामनाएं......
नीरज जी..छोटे मिसरे की इस ग़ज़ल की जितनी तारीफ करूँ कम है..बहुत सुंदर ग़ज़ल..बढ़िया लगी...बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteNajayaj jab bat lage
ReplyDeletetab aawaj uthaya kar
Jinda gar rahana hai to
har gam men muskaya kar
Kafee mushkil par jaroori baten itanee khoobsoorati se aap hee bayan kar sakte hain.
बहर छोटी हो या बड़ी हो, आपकी ग़ज़ल कमाल होती है.
ReplyDeleteयह भी है.
रज़ा साहब की आत्मा को ईश्वर शांति प्रदान करे।
ReplyDeleteसुन्दर ग़ज़ल हैं बधाईयां स्वीकारिये