बात सचमुच में निराली हो गईं
अब नसीहत यार गाली हो गई
ये असर हम पर हुआ इस दौर का
भावना दिल की मवाली हो गई
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी
कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी
थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी
हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई
वाह वाह,
ReplyDeleteबढिया।
कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
ReplyDeleteरो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी
" सभी शेर बेमिसाल.."
regards
बहुत खूब.. मजा आ गया... एक शेर चुरा जर फेस बुक पर डाल रहा हूं :)
ReplyDeleteथी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी
थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
ReplyDeleteमिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी
जोरदार है,बधाई
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
ReplyDeleteवो समझ पूजा की थाली हो गई
***
हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई
हर शेर एक से बढ़कर एक . ये दोनों ही शेर अंतर्मन को छू गए. ख़ास कर अंतिम शेर मुझे ऐसे लगा जैसे हकीकत निकाल कर सामने रख दी हो. ऐसा ही होता है अमूमन और ऐसा ही हुवा है. कमाल के अश'आर . आदरणीय नीरज जी का साधुवाद ! प्रणाम !
har sher lazavab hai neeraj ji. dil se nakal kar aayi hai baat. sahity aisi hi kabil rachanaon se samriddha hota hai.
ReplyDeleteमन को छू जाने वाली गज़ल....
ReplyDeleteडाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
बहुत सुन्दर..
Ab tippanee ke liye alfaaz kahan se laaun?
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteडाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
ReplyDeleteवो समझ पूजा की थाली हो गई
अति सुंदर भावनाओं से ओत-प्रोत पंक्तियां हैं ये
हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई
क्या बात है!
कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
ReplyDeleteरो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी ।
बहुत ही सुन्दर शेर सभी एक से बढ़कर एक लाजवाब प्रस्तुति ।
लाजवाब.
ReplyDeleteकैद का इतना मज़ा मत लीजिये, रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां, वो समझ पूजा की थाली हो गई !!
भावनाओ को शेर बनाकर इस कदर उकेरा, कि सारी दुनिया "नीरज जी" की दीवानी हो गई.
थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
ReplyDeleteमिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी
हमारी तो दीवाली आपकी ग़ज़ल पढ़ कर ही हो गयी .... बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है ... ..
आखिरी शेर भी कमाल है
ReplyDeleteक्या कहूँ नीरज जी…………………हर शेर कमाल का है……………दिल मे उतरती चली गयी।
ReplyDeleteडाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
ReplyDeleteवो समझ पूजा की थाली हो गई
जबाब नही जी. बहुत खुब धन्यवाद
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
ReplyDeleteवो समझ पूजा की थाली हो गई
आह .....कितनी खूबसूरत बात कही है..सीधी दिल में उतर गईं ये पंक्तियाँ ..
ACHCHHE ASHAAR KE LIYE AAPKO BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA.
ReplyDeletebahut bhut bhut bdhiya
ReplyDeleteतय किया चलना जुदा जब भीड़ से
ReplyDeleteहर नज़र देखा, सवाली हो गयी
... sawaalon se ghabrana nahin hai...bheed se alag ek raah milegi
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
ReplyDeleteवो समझ पूजा की थाली हो गई
हर शेर एक से बढ़कर एक है..
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
ReplyDeleteवो समझ पूजा की थाली हो गई
कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी
बहुत खूबसूरत शेर कहे हैं ।
शानदार ।
आज भारी कन्फ़्यूज़न हो गया।
ReplyDeleteग़ज़ल पढ़नाचालू किया तो लगा कि किसी नामी शाइर की किताब का परिचय होगा, मगर जब एक ग़ज़ल में ही पोस्ट समाप्त हो गई तो समझ आया कि ये आपकी ग़ज़ल है।
बहुत-बहुत बधाई। हर शेर उम्दा और एक मुकम्मल ग़ज़ल।
चलिये आपकी हास परिहास की प्रकृति को समर्पित कुछ अशआर लीजिये:
जि़न्दगी में कुछ मज़ा बाकी नहीं
दूर हमसे जबसे साली हो गयी।
इक ज़माना था हसीं थी ये गली,
अब तो ये भी भैंस वाली हो गयी।
उनको लेकर क्यूँ गये बाज़ार हम,
पहले दिन ही जेब खाली हो गयी।
बहुत गहरी बात कह दी । पूजा की थाली । वाह ।
ReplyDeleteबात अब घबराने वाली हो गई.
ReplyDeleteक्या उम्दा बात कही है आपने. संभलकर चलना पड़ेगा. वरना पछताने से कोई नहीं रोक सकता।
उम्दा रचना के लिए बधाई.
ab aap bhi apni ek kitab chhapwa leejiye. bahut umda lagi ye ghazal
ReplyDeleteडाल दी भूखे को जिसने रोटियाँ....
ReplyDeleteइस शे'र पर दाद देने के अलावा आपके आगे नतमस्तक होने का भी दिल कर उठा...
बेहद प्यारी सोच...
और शानदार मक्ते के अलावा...जिसकी सब ने खूब तारीफ की है...
रो पडेंगे, गर बहाली हो गयी..
कमाल...
केवल एक ही शब्द
ReplyDeleteबेहतरीन
बहुत शानदार पेशकश,
ReplyDeleteहर शेर बेशक़ीमती
वाह वाह वाह वाह...
नीरज जी! पूजा का मने समझा दिए आप दुनिया को, दरिद्रनारायण के पूजा का थाली देखाकर... अऊर क़ैद अऊर बहाली के बात पर त मन दर्वित हो गया... चरन स्पर्स का अनुमति दीजिए!!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत शे'र हैं....
ReplyDeleteab to star blloger ne bhi kah diya..
ReplyDeleteथक कर चूर हो गये थे,ब्लोग पढते पढते,
ReplyDeleteगज़ल आपकी एसे में चाय की प्याली हो गयी।
बात सचमुच में निराली हो गईं
ReplyDeleteअब नसीहत यार गाली हो गई
हर शेर मोती
harek pankti lajawab ...
ReplyDeleteडाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
kya baat hai ... is baat pe mera salaam kabul kijiye...
mujhe to ye dono sher adhik achhe lage..
ReplyDeleteथी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी
हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई
....vaah!
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
ReplyDeleteवो समझ पूजा की थाली हो गई
नीरज जी..बहुत सुंदर और भावपूर्ण ग़ज़ल पढ़ी आपने..बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई
.
ReplyDelete.
.
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी
शानदार,
याद रहेंगे ये दोनों शेर...
शुक्रिया आपका!
...
आपकी गज़ल तो हमेशा उस्तादाना ही होती है
ReplyDeleteडाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी
कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी
हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई
हर शेर लाजवाब।
गज़ल की जवाब मे गज़ल? हा हा हा कपूर भाई साहिब का कमेन्ट बहुत अच्छा लगा हंसते हुये पेट मे बल पड गये। बहुत बहुत बधाई ।
E-mail received from Sh.Idranil Bhattacharya:-
ReplyDeleteharek pankti lajawab ...
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
kya baat hai ... is baat pe mera salaam kabul kijiye...
E-mail received from Sh:Praviin Shah:
ReplyDeleteडाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी
शानदार,
याद रहेंगे ये दोनों शेर...
शुक्रिया आपका!
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
ReplyDeleteवो समझ पूजा की थाली हो गई
ufffffffff...gazab hai ye sher to, der se aane ke liye maafi
bahut hi achchhi gazal
हमेशा की तरह बेहतरीन. सारे शेर एक से बढ़कर एक. मुझे पूरी ग़ज़ल अच्छी लगी.
ReplyDeleteजब समझदारी आ जायेगी तो हो सकता है गजल के जो सबसे बढ़िया शेर उन्हें पहचानने लग जाऊं.
लाजवाब गजल पढाने के लिए बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteसद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
डाल दी भूखे को जिसमे रोटियाँ ...
ReplyDeleteयह शेर और आप एक दूसरे के लिए जाने जायेंगे .... कमाल की बात कही है आपने नीरज जी ....
अर्श
तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
ReplyDeleteहर नज़र देखा, सवाली हो गयी
वाह.... बढ़िया रचना ...आभार.
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
ReplyDeleteवो समझ पूजा की थाली हो गई
नीरज जी, आपने टाइटिल यही दिया है....
ये वास्तव में इसका हक़दार भी है..
और निश्चित रूप से....शायर की अपनी पसंद भी..
एक आम पाठक बनकर पढ़ा, तो ये दो शेर ज़्यादा अच्छे लगे...
कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी
और
थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी
आपकी गज़ल का हर शेर....देर तक सोचने पर मजबूर करता है.
सटीक तथा सार्थक शेरों से सजी उत्कृष्ट ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई और पढवाने के लिए आभर
ReplyDeleteGazhab ki upamaayein...sundar rachna...
ReplyDeleteआदरणीय नीरज जी भाईसाहब ,
ReplyDeleteप्रणाम !
लगभग 4-5 दिन नेट बंद रहा । कल शाम को सुधरा है…
आपकी ताज़ा ग़ज़ल पढ़ाने को मिल गई , दिल की राहत का सामान मिल गया ।
शानदार मत्ले के साथ साथ क्या ख़ूब कहा है…
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
…और , मेरे मिज़ाज से मिलता यह शे'र भी बहुत पसंद आया…
थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गए तुम, तो दिवाली हो गई
क्या बात है !
आपकी ख़ूबी के अनुरूप ही ग़ज़ल का समापन भी बेहतर है …
हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई
कुल मिला कर… सुभानल्लाह !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
ReplyDeleteवो समझ पूजा की थाली हो गई!
नीरजजी!... एक एक छंद में बहुत कुछ कह डाला आपने.... बधाई!
"डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
ReplyDeleteवो समझ पूजा की थाली हो गई
तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी
कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी"
बेहद खूबसूरत! बहुत खूब!
नीरज भाई
ReplyDeleteअरसे बाद आपके ब्लॉग पर आया.....मगर देर से आने पर जो ग़ज़ल मिली सच मानिये मज़ा आ गया
"अब नसीहत यार गाली हो गई" बात सच है बहुत ही बेबाक तरीके से कहने का अंदाज़ बहुत ही अच्छा...!
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
यह हुआ शेर......मुक़र्रर !
तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी
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कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी
थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी
वाकई हमारी तो दिवाली हो गयी आपके ब्लॉग पर आकर.
superhit !!
ReplyDeletekhoob surat neeraj ji.kya baat hai.
ReplyDeleteबात सचमुच में निराली हो गईं
ReplyDeleteअब नसीहत यार गाली हो गई
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
आपके अंदाज के बहुत खूबसूरत शेर हुए हैं. ज़िन्दगी जटिलताओं से निकले लेकिन आपके सादा व्यक्तित्व से सहज हुए
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
ReplyDeleteवो समझ पूजा की थाली हो गई
बस इस पंक्ति के बाद कुछ कहने के लिए नहीं रह जाता...लाज़बाब रचना
थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
ReplyDeleteमिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी
हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई
waah waah waah ,har baat aapke kalam ki nirali ho gayi .sundar
Sachmuch sundar Ghazal.
ReplyDeleteअब नसीहत यार गाली हो गई
ReplyDeleteKya baat hai Neeraj g ! bahut wazandar baat kahi hai aapne...
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
Valuable lines with humanity and fundamental ethics.
तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी
ccj'ksj dk andaz hai..bas chalte rahein---
कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी
Dhaatak panktiyan hain huzur! der tak goonjati rahengi.
Bahut bahut badhhaiyan.
कुछ इस तरह पढ़ें...ccj'ksj dk =बबरशेर का
ReplyDeleteडाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
ReplyDeleteवो समझ पूजा की थाली हो गई..
Gajab likhte hain aap.
"कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
ReplyDeleteरो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी "
अरे वाह-वाह नीरज जी, क्या शेर बुना है। लाजवाब...यूं तो हर बार की तरह ग़ज़ल ही पूरी लाजवाब है, किंतु इस शेर का अंदाज तो हाय रेssss..!
नीरज जी,
ReplyDeleteमुझे आपका लिखी हर गज़ल अच्छी लगती है. यह गज़ल भी बाक़ी सभी ग़ज़लों की तरह बहुत अच्छी है.
धन्यवाद.
नमस्कार नीरज जी,
ReplyDeleteआप तो उस्ताद है तो ग़ज़ल तो अच्छी ही होगी कोई शक नहीं, बहुत अच्छे शेर कहें हैं,
इस शेर ने दीवाना बना दिया है,
तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी
एक खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई
वाह!
ReplyDeleteपूजा कमाल की परिभाषित की आपने। तारीख़ी शे'र - मिसाल के तौर पर कोटेबुल।