मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
वोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं
मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं
यही सच्ची वजह है, मेरे तन मन के महकने की
जलाये दिल में तेरी याद का, लोबान रखते हैं
पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
जो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं
मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं
उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं
बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं
( गुरुदेव प्राण शर्मा जी की रहनुमाई में मुकम्मल हुई ग़ज़ल )
उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
ReplyDeleteजो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं
बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं
bas पूजती दुनिया wale masle ko bhula duN to (:) ukt teen sher zyada achchhe lage.
उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
ReplyDeleteजो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
वाह वाह नीरज भाई। क्या बात है? मुग्ध हो जाता हूँ आपको पढ़कर।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
ReplyDeleteतिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं
उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
बहुत लाजवाब. शुभकामनाए.
रामराम.
बहुत लाजवाब. शुभकामनाए
ReplyDeleteनीरज जी कमाल की गज़ल बनी है। भाई साहिब का साथ हो तो बने भी क्यों न ?
ReplyDeleteउसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
ये अलग पहचान है आप दोनो की भी इस शेर मे
पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
जो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं
मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं
वाह वाह बहुत सुन्दर लगी ये गज़ल
मतला तो कमाल का है
बहुत बहुत बधाई
गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
ReplyDeleteचुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं
बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं
yun to poori gazal behtreen hai magar ye 2 sher dil mein utar gaye...........lajawaab.
मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
ReplyDeleteतिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं
आहा ! बढ़िया महफ़िल जमी है यहाँ.
मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
ReplyDeleteतिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं
उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
"bhut sundar"
regards
आनंद आ गया .
ReplyDeleteमजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
ReplyDeleteवोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं
मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं
बहुत ही सुन्दर, लाजबाब !
गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
ReplyDeleteचुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं
वाह बहुत खुबसूरत रचना रोज़ डे पर...बहुत ही खुबसूरत..
neeraj ji , namaskar , sabse pahle kaan pakadkar maafi ji ...deri se aur bahut dino ke baad aane ke liye .. aap karan jaante hai hai ..
ReplyDeletedusra sher mere man ko bha gaya ji. waise to poori gazal hi manmohak aur saral bhasha me kahi gayi abhivyakti ban gayi hai ...
aabhar
vijay
बहुत बढ़िया गजल.
ReplyDeleteमुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं
अद्भुत!!!
मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
ReplyDeleteवोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं
Kya baat hai! Sirf yahi sher nahi,sabhi ashar ekse badhke ek hain!
पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
ReplyDeleteजो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं
सारी जिन्दगी की हकीकत कह डाली है आपने इन दो लाईनों में अगर कोई समझे तो ....
मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
ReplyDeleteसदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं
गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ।
यही सच्ची वजह है, मेरे तन मन के महकने की
ReplyDeleteजलाये दिल में तेरी याद का, लोबान रखते हैं
बेहतरीन.
अब समझा कि कहॉं गुम थे।
ReplyDeleteमुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं
यही सच्ची वजह है, मेरे तन मन के महकने की
जलाये दिल में तेरी याद का, लोबान रखते हैं
बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं
आपके ये तीन शेर तो दिल के पार हो गये।
वाह करूँ या आह भरूँ अभी तय नहीं कर पा रहा।
तय हो जाये तो ई-मेल पर आता हूँ।
विभोर हूँ पढ़कर .........
ReplyDeleteआदरणीय नीरज जी, आदाब
ReplyDeleteहर इक शेर अपनी अलग खुशबू बिखेर रहा है,
मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
वोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं
वाह.
मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं
वाह वाह
गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं
वाह वाह वाह
बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं
लाजवाब, हर इक शेर पर दाद कबूल फरमायें
बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
ReplyDeleteखिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं
बहुत सुन्दर!
गजल में आपने शब्द मोती से टाँक दिये हैं!
पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
ReplyDeleteजो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं
--वाह वाह!! बहुत खूब..आनन्द आ गया.
मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
ReplyDeleteवोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं
आप की इस ग़ज़ल में विचार, अभिव्यक्ति शैली-शिल्प और संप्रेषण के अनेक नूतन क्षितिज उद्घाटित हो रहे हैं।
यही सच्ची वजह है, मेरे तन मन के महकने की
ReplyDeleteजलाये दिल में तेरी याद का, लोबान रखते हैं......
उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं......
नीरज जी ! बहुत प्यारी ग़ज़ल है आपकी , आम तौर पर शब्द रचते, शब्द पढ़ते हैं
कोई 'जी' ले इन शब्दों को ,जिंदगी सफल हो जाये और जाये तो भी एक सुकून लेके .
बडबोलापं ना समझिएगा इसे मेरा ,पर मैंने शब्दों को जीना ,
धर्म को पूजना नही उस पर चलना सीखा .बड़े काँटों भरे हैं ये रास्ते पर दिलिसुकुन देते है
आपकी गजल की कई पंक्तिया मुझे एक राह दिखा रही है.
जियो ,खूब लिखते हैं ,खूब लिखिए
उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
ReplyDeleteजो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं..
वाह वाह क्या बात है! बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! इस लाजवाब रचना के लिए बधाई!
नीरज जी
ReplyDeleteहमेशा की तरह सदाबहार गजल कही है आपने
मतला में जो चमत्कार उत्पन्न किया मक्ता तक कायम रहा
शेर कोट करने चला तो फिर कुछ सोच कर रहने दिया
इस गजल को मैंने ५-६ बार पढ़ा और हर बार बड़ी शिद्दत से लगा कि इसे आपने पहले भी पोस्ट किया है या और कही मैंने इसे पढ़ा है बड़ी दुविधा में हूँ आपकी पुराणी पोस्ट को भी दो बार खंगाला मगर नतीजा सिफर रहा
और कमेन्ट पर भी किसी ने ये बात नहीं कही
अब आप ही शंका समाधान कीजिये
वीनस केशरी
मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
ReplyDeleteसदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं
....बहुत सुन्दर,प्रसंशनीय गजल !!!
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल
ReplyDeleteहर शेर बढ़िया लगा
आप बस ,
इसी तरह लिखते रहीये
स स्नेह,
- लावण्या
उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
ReplyDeleteजो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
...अच्छी गज़ल का सबसे बेहतरीन शेर. वाह!
पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
ReplyDeleteजो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं
मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं
-----आनंद आ गया.
E-mail received from Sh.Om prakash Sapra Ji:-
ReplyDeleteshri neeraj ji, namastey,
This is a good gazal, especially following lines:-
पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
जो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं
मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं
for this you as well as shri pran sharma (gurudev ji) also deserve applaud and heart-felt appreciation.
Have you received mitra sangam patika of fefruary, 2009 issue it has your gazal and photo also. congrats.
pl confirm.
regards,
-om sapra,
bahut hi umda baat kahi hai aapne ...isi tarah samaj aur vyakti ke tallukaat sada santulit rah sakta hai...yahi jindagi ka saar hai...
ReplyDeleteमजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
ReplyDeleteवोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं
zamane ka dastoor hai sahab......
पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
ReplyDeleteजो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं
लाजवाब नीरज जी .......... ग़ज़लों के ऐसे ही पथिक हैं आप भी .......... खूबसूरत ग़ज़लों से हर दिल को महकाते हैं आप ...... सारे शेर कमाल के हैं ......
बहुत लोग हैं तारीफ़ करने वाले , हम भी हैं उनमे से ही एक , दाद देते हैं |
ReplyDeleteनीरज जी ,
ReplyDeleteआपकी रचनाएँ होती ही हैं लाज़वाब , बस इतना ही कहूँगी !!
E-mail received from Navniit G.:-
ReplyDeleteam impressed with this line :
मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
वोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं
NP
नमस्कार नीरज जी,
ReplyDeleteजो शेर मुझे पसंद आया और आप से मिलता जुलता लगा वो है,
"मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं"
उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
ReplyDeleteजो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
बहुत ही सुन्दर गजल हर शेर एक से बढ़कर एक,बधाई
उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
ReplyDeleteजो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं..
neeraj ji, behatareen /lajawaab gazal ke liye dheron badhaai.
पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
ReplyDeleteजो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं
waah kya pate ki baat kah di
मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं
bahut sach sateek
उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
waah waah
गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं
khoobsurat maqta Neeraj ji
matla bhi bahut shaandaar laga
बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं
क्या बात है!...
ReplyDeletekabile tareef......ati sundar.....
ReplyDeleteकल भी आये थे और आज सुबह भी...
ReplyDeleteजब कमेन्ट देने का मूड हो तो आपका कमेन्ट बोक्स नहीं खुलता हम से...
इस वक़्त सिर्फ दोबारा कमेन्ट बोक्स चेक करने आये हैं जी...
अब ठीक है..
neeraj ji ,samajh nahin pa rahi hoon tareef ka aaghaz kaise aur kahan se karoon ,har sher apne aap men mukammal aur baamaani hai ,behad khoobsoorat ghazal ,mubarakbad qubool farmayen .
ReplyDeleteपथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
ReplyDeleteजो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं
बहुत खूब नीरज भाई..
मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
ReplyDeleteसदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं
कुछ हम छोटो के लिए आशीर्वाद भी....
यही सच्ची वजह है, मेरे तन मन के महकने की
ReplyDeleteजलाये दिल में तेरी याद का, लोबान रखते हैं
wah sir!
मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
ReplyDeleteवोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं.kitna sach hai.apki kitabo ki jankari ki tarah gazal bhi lazwaab.
बस सफलता का यही सूत्र गांठ बांध लिया है -
ReplyDeleteपथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
जो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं
बहुत सुन्दर गजल!
ReplyDeleteमुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
ReplyDeleteसदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं
वाह नीरज जी। क्या बात है।
हमेशा की तरह बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteबहुत ही ख़ूब!
मुहब्बत,फूल,खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
ReplyDeleteसदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं
बहुत ही ख़ूब!
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteउसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
ReplyDeleteजो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
Bahoot khoob................
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें !
gazal ko padhta hun aur laut jaata hun bagair kuchh kahe... kya kahun samajh nahi aarahaa neeraj ji ,.. shayad kuchh kah nahi paa rahaa ..
ReplyDeletearsh
गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
ReplyDeleteचुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं
बहुत प्रभावशाली रचना सुंदर दिल को छूते शब्द .मनभावन,अद्भुत
गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
ReplyDeleteचुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं
बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं
आदरणीय नीरज जी, वैसे तो आपकी पूरी गजल ही बहुत खूबसूरती से रची गयी है---पर ये पंक्तियां मन को छू गयीं। पूनम
विलंब से आ रहा हूँ सर जी कि सफर में हूँ। बेमिसाल, नायाब, लाजवाब अशआरों से लदी एक और ग़ज़ल...वाह! क्या शेर बुने हैं सरकार। मजा आ गया।
ReplyDeleteमतले की बुनाई, दूसरे शेर का अंदाज़े-बयां, तीसरे शेर का काफ़िया, चौथे शेर की मुस्कान, पांचवें शेर का तेवर, छठे शेर की पहचान, सातवें शेर की चुभन और मक्ते की आशिकी....आहहा! सलाम नीरज जी!
सबसे अलग अंदाज़!
ReplyDelete--
कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "वसंत फिर आता है - मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा!"
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संपादक : सरस पायस
नमस्कार नीरज जी,
ReplyDeleteजो शेर मुझे पसंद आया
उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
ReplyDeleteजो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
दिल को छू गई। विशेषकर उक्त पंक्तियाँ।
आपका ब्लॉग यहाँ ब्लॉगवुड जोड़ दिया गया है शायद आपको जानकार खुशी हो। शायद न भी हो।
मुहब्बत, फूल, खुशियाँ, दुआ इसके बाद किसी को और क्या चाहिए। इसी चाहत में बार-बार पलटकर आपके ब्लॉग पर आ जाते हैं।
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