दिवाली से पूर्व इस पोस्ट पर सबको अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए मैं अपनी एक मनपसंद कविता जिसे श्री राज जैन जी ने लिखा है को आप सब तक पहुँचाना चाहता हूँ. उम्मीद है सुधि पाठक इसे पसंद करेंगे.
दिया जला देना मेरे मन
एक तमन्ना की तुलसी पर
इक रस्मों की रंगोली पर
इक अपनेपन के आँगन में
एक कायदों की डोली पर
ख्वाब देखती खिड़की पर इक
खुले ख़यालों की छत पर भी
एक सब्र की सीढ़ी ऊपर
इक चाहत की चौखट पर भी
एक तर्जुबे के तहखाने
एक लाज की बारी में भी
एक दोस्ती की ड्योढ़ी पर
इक किस्मत की क्यारी में भी
एक मुहब्बत के कुएँ पर
नोंक झोंक की नुक्कड़ पर भी
एक भरोसे के दरखत पर
चतुराई की चौपड़ पर भी
हर कोना हो जाए रोशन
दिया जला देना मेरे मन
राज जैन
बेहतरीन गीत..दिए जलाने की भाव के साथ एक संदेश देती कविता..हमारी भी प्रिय बन गयी यह कविता..दिए जला देना मेरे मन..
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई..नीरज जी
khubsurat geet har kona roushan karta hua sa,deeputsav ki badhai
ReplyDeleteगोया कहीं पैर रखने का जगेहे नहीं छोड़ा! अब उ कोना में दिया ले के कैसे जाएँ... ? एक ठो दिया हमारे असमंजस पर भी जलाया जाये...
ReplyDeleteआपको भी सपरिवार दिवाली की बहुत बहुत शुभकामनाये..
ReplyDeleteमंटो को पढना सुकूनदायक है.. ये कहानिया कही ना कही पिंच करती है.. दूरदर्शन पर पोटली वाला बाबा आता था पहले आपको किताबो की पोटली वाला बाबा कहना ठीक रहेगा.,. अगली किश्त का इन्तेज़ार है कोई बढ़िया सी किताब मिल जाये बस..
एक मुहब्बत के कुएँ पर
ReplyDeleteनोंक झोंक की नुक्कड़ पर भी
एक भरोसे के दरखत पर
चतुराई की चौपड़ पर भी
हर कोना हो जाए रोशन
aha har pankti khubsurat...! kitni sundar layatmakta..vibhor hun...
बहुत सुन्दर कविता है।
ReplyDeleteअन्तरतम का तम दूर हो गया।
बधाई!
राज जैन की इस शानदार रचना को हम तक लाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार..दीवाली की शुभकामनाएं।...
ReplyDeleteइस कविता में एक और पंक्ति जोड़ता हूं।
हर ब्लॉग पर टिप्पणी रूपी..एक दिया मुझे जलाने दे मेरे मन
मन को रौशन करती एक भावपूर्ण रचना.
ReplyDeleteदीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं.
बहुत अच्छा गीत श्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता आओ फिर से दिया जलाएं की याद आ गई श्री राज जैन जी ने बहुत मेहनत करके वो सारे स्थान ढूंढे हैं जहां पर आज धीरे धीरे तमस फैलता जा रहा है । अटल जी की कविता भी कुछ ऐसे ही प्रारंभ होती है - भरी दुपहरी में अंधियारा सूरज परछांई से हारा, अंतर्तम का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएं, आओ फिर से दिया जलाएं । श्री राज जैन जी को बधाई इस बात के लिये कि उन्होंने बहुत ही सूक्ष्म दृष्टि से उन सारे स्थानों की पड़ताल की है । नीरज जी को आभार कि एक उम्दा गीत पढ़वाया ।
ReplyDeleteतम के खिलाफ अत्यंत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteadbhut..............kya kahein.....itne khoobsoorat bhav ukere hain............har kona roshan kar diya...........badhayi raj ji aur neeraj ji aapko bhi ...........aapki wajah se hi hum itni khoobsoorat kavitayein padh pate hain...........sach diwali ho to aisi.
ReplyDeletebahut sundar.......diwali ki hardik shubhkamnayen
ReplyDeleteनमस्कार नीरज जी,
ReplyDeleteदीपावली कोई ढेरो शुभकामनायें आपको और आपके परिवार को
राज जैन जी का गीत बहुत अच्छा है, ये मन में बहुत ही सहजता से उतर रहा है.
राज जी को भी दीपावली की शुभकामनायें.
बहुत सुंदर कविता.
ReplyDeleteआप का ओर राज जी का धन्यवाद
आप ओर आप के परिवार को दिवाली की बहुत बहुत शुभकामनाये
बहुत अच्छी शुरुआत दिवाली की !
ReplyDeleteशुभकामनाएं एवं बधाई !
दीपक सी सुन्दर चमकती हुई कविता। सच हर कौने में उजाला हो जाए।
ReplyDeleteआप और आपके परिवार को भी दीपावली की बहुत शुभकामनाएं।
काश कि हम इन सभी जगह पर दिये जला सकें बहुत सुन्दर रचना है एक एक शब्द बहुत कुछ कहता है। राज जी को बहुत बहुत बधाई और आपका धन्यवाद सब को दिवाली की शुभकामनायें
ReplyDeleteहर इनसान के मन में भी इक दिया जलाना है ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति के लिये आभार ।
आपको भी दीपपर्व की अग्रिम शुभकामनाएं. अच्छा गीत है.
ReplyDeleteजलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना, अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाये.
नीरज जी नमस्कार,
ReplyDeleteजैन साहिब की कही यह कविता वाकई उत्सव के इस माहौल में मजा दुगना कर रहा है , क्या आला दर्जे की कविता पढ़वाई आपने बहुत बहुत बधाई साहिब...
अर्श
हार्दिक बधाई
ReplyDeleteआगामी शुभ अवसर पर ...
राज जैन जी की कविता पसंद आयी
आपके अगले लेखन की प्रतीक्षा रहेगी
समस्त परिजनों के लिए
बहुत स्नेह के साथ
- - लावण्या
bas yoon hi dhanatmak urja se ye diya jalta rahe inhin shubhkamnaon ke sath aapko bhi happy deepawli
ReplyDeleteदिवाली के अवसर पर राज जैन साहब की इस कविता का परिचय कराने के लिया आभार.आप के ब्लॉग पर आने से लाभ ही मिलता है.
ReplyDeletedipaavli ki haardik shubhkaanaaen!
इस कविता में विचार, अभिव्यक्ति शैली-शिल्प और संप्रेषण के अनेक नूतन क्षितिज उद्घाटित हो रहे हैं। ताजा हवा के एक झोंके समान इस रचना के द्वारा आत्मीयता के चिराग ख़ूबसूरती से जलाए गए हैं।
ReplyDeleteकविता बहुत अच्छी लगी
ReplyDeleteइसे पढ़वाने के लिए शुक्रिया
बस इन लाइनों मे कल्पित हर जगहों पर उजाला बढ़ता रहे... आपको भी दीपावली की सपरिवार शुभकामनायें.
ReplyDeleteआपको भी दीपावली की सपरिवार शुभकामनायें.
ReplyDeleteसुन्दर रचना राज जी की!
Neeraj ji ,
ReplyDeletenamasakar;
aapko aur aapke pariwaar ko diwali ki shubkaamnaye ..Mishti ko kahiyenga ki smbhaal kar fatake jalaye...
ye kavita mujhe bahut acchi lagia ek dum jaise dher saare diyo ka ujaala ho har wo jagaah jahan par dheere dheere andhera cha gaya ho..
Shri raaj ji ko badhai aur diwali ki shubkaamnaye..
dhanywad.
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
एक सब्र की सीढ़ी ऊपर
ReplyDeleteइक चाहत की चौखट पर भी
आदरणीय नीरज जी,
सच कहें राज जी की इन पंक्तियों ने कहीं दिल के भीतर जाकर आवाज़ दी है। आप जो भी कुछ प्रस्तुत करते हैं, हमेशा अनोखा ही होता है और संग्रहणीय के साथ साथ विचारणीय एवं अनुकरणीय भी होता है। आपका बहुत बहुत आभार और हमारी तरफ़ राज साहब को इस अतिउत्तम रचना के लिए बधाई ज़रूर दीजिएगा। स्लाइड शो में मिष्टी बिटिया बड़ी प्यारी और मनमोहक लग रही है। उसे हमारा दुलार दीजिएगा।
खुदा कसम .आज तक आपने जितने मोती चुन के निकाले है उनमे से सबसे बेहतरीन मोतियों में से एक है .......क्या कहूं ....एक बात तय है २०१० में अपना मिलना तय है ....
ReplyDeleteअति सुन्दर भाई . बधाई!!
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteदिया जला देना मेरे मन !
इतनी सुन्दर कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद नीरज जी
ReplyDeleteACHHA GEET HAI NERAJ JI ... DEEPAWALI KE PRAKAASH SE SABKUCH JAGMAGAATA HAI .... AAPKO BHI BAHOOT BAHOOT SHUBHKAAMNAAYEN ......
ReplyDeleteआदरणीय नीरज जी,
ReplyDeleteइतनी सुंदर कविता है कि क्या कहें! तभी तो कहते हैं आपका जवाब नहीं। जैन साहब का आभार।
"एक मुहब्बत के कुएँ पर
ReplyDeleteनोंक झोंक की नुक्कड़ पर भी
एक भरोसे के दरखत पर
चतुराई की चौपड़ पर भी
हर कोना हो जाए रोशन
दिये जला देना मेरे मन"
बहुत सुन्दर... राज जैन जी को बधाई.
नीरज जी प्रस्तुति के लिए आभार आपका!
सुन्दर कविता नीरज जी और उस पर पंकज सुबीर जी ने अटल जी की कविता का जिक्र कर के मन को आनंदित कर दिया....बहुत प्यारी कामना....साधू!!
ReplyDeleteआज जिस तरह का माहौल है, उसमें मन के दिये जलाने की ही आवश्यकता है। इस सामयिक रचना के लिए साधुवाद।
ReplyDelete----------
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बेहतरीन प्रस्तुति भाई जी........ जैन साहब को भी साधुवाद....
ReplyDeleteआपकी मेल मिल गयी थी. कल-परसों तक आपके आदेश की पूर्ति होगी.
राज जैन साब की इस बेहतरीन रचना से परिचय करवाने का शुक्रिया नीरज जी...
ReplyDeleteदीपावली की आपको और दुलारी मिष्टी और पूरे परिवार को अभी से ढ़ेर-ढ़ेर सारी शुभकामनायें...!
एक मुहब्बत के कुएँ पर
ReplyDeleteनोंक झोंक की नुक्कड़ पर भी
एक भरोसे के दरखत पर
चतुराई की चौपड़ पर भी
Badhayi Badhayi Badhayi!!!
दीवाली मुबारक!
बड़ी खुशनुमा याद की ताज़गी है
वो मुरझाए फूलों को फिर से खिलाए
दिवाली का त्यौहार सब को मुबारक
ये त्यौहार ख़ुशियों का हर साल आए
देवी नागरानी
साल की सबसे अंधेरी रात में
ReplyDeleteदीप इक जलता हुआ बस हाथ में
लेकर चलें करने धरा ज्योतिर्मयी
कड़वाहटों को छोड़ कर पीछे कहीं
अपना-पराया भूल कर झगडे सभी
झटकें सभी तकरार ज्यों आयी-गयी
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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नीरज भाई ,
ReplyDeleteआपने सोच भी कैसे लिया की ये नाचीज़ आपको भुला भी सकता है . हाँ इस आपा धापी में भी बीच बीच में आपके और कई स्नेही जनों और तमाम नए पुराने ब्लोगों पे पहुँचता भी रहा .हाँ बेआवाज़ ही सही .
आपके 'बेचैन ' जी की किताब पर लिखा तो सोच सकते हैं कितना मन किया की कितना कुछ कहूं और आपको धन्यवाद दूं.
हम जैसे अभागे जो दुनिया के भरम में इतने रमे हों की इतने बिखरे हुए आनंद को पाने टटोलने का भी मौका न पा सकें , आपकी दर पर दस्तक देने से ही हासिल हो जाते हैं ,खोज खबर के आगे जाकर आपके हाथों हीरे मोती से सज जाते हैं .
आपकी शान में अभी अभी कुछ मन में आया है , अर्ज़ करून ?
ये मत समझ की भूल गया दर को तेरी मैं .
आया गया बहुत मगर सलाम रह गया .
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deep parv ke sab ujalen aap pate bhee rahen aur aise bantate bhee rahen .
.........................और राज जैन ने अपनी इस कविता में किसी कोने के किसी भी अँधेरे को छोडा भी है ?
ReplyDeleteमैं तो नहीं ढूंढ पाया .दीप पर्व पर अद्भुत ज्योति !
"आओ मिल कर फूल खिलाएं, रंग सजाएं आँगन में
ReplyDeleteदीवाली के पावन में , एक दीप जलाएं आंगन में "
......दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ |
यह भेजता हूं दिवाली के दिये नीरज जी!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत कवता है..
ReplyDeleteशिल्प और भाव बेजोड़ हैं...
राज जी , नीजर जी और सब पढने वालों को दिवाली की शुभकामनायें..
E-mail received from Om Sapra Ji:-
ReplyDeleteshri neeraj ji
namastey,
Although dewali is over, but you are still being remembered by us.
";;;;;;;;;diye jalaa dena mere man" is really a good poem.
congratulations,
regards,
-om sapra, delhi-9
बहुत सुंदर कविता है
ReplyDeleteएक मुहब्बत के कुएँ पर
ReplyDeleteनोंक झोंक की नुक्कड़ पर भी
एक भरोसे के दरखत पर
चतुराई की चौपड़ पर भी
ढेर सारे नए-नए बिम्ब..बहुत खूब. राज जैन साहब ने बहुत ही खूबसूरत गीत लिखा है. प्रस्तुति के लिए शुक्रिया.