गीत तेरे, जब से हम गाने लगे
भीड़ में, सबको नज़र आने लगे
सोच को अपनी बदल कर देख तू
मन तेरा गर यार, मुरझाने लगे
बिन तुम्हारे खैरियत की बात भी
पूछते जब लोग, तो ताने लगे
वो मेहरबां है, तभी करना यकीं
जब बिना मांगे ही, सब पाने लगे
प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
अब मिरे दुश्मन, मुझे भाने लगे
सच बयानी की गुजारिश जब हुई
चीखते सब लोग, हकलाने लगे
खार तेरे पाँव में 'नीरज' चुभे
नीर मेरे नैन, बरसाने लगे
as always nice composioton
ReplyDeleteभाई नीरज जी,
ReplyDeleteअपने भी क्या खूब लिखा है..............
सच बयानी की गुजारिश जब हुई
चीखते सब लोग, हकलाने लगे.
कितना खूबसूरत संयोग है की मैंने भी एक "सत्य" की टिर्री (भाई ज्ञान जी के ब्लॉग की टिर्री की तरह) अपने ब्लॉग पर आज ही डाली है, अपने विचारों से अवगत कराएं .
चन्द्र मोहन गुप्त
bahut sunder sir ji . mja a gya padh kar . badahi
ReplyDeleteबिन तुम्हारे खैरियत की बात भी,
ReplyDeleteपूछते जब लोग, तो ताने लगे.....
सच बयानी की गुजारिश जब हुई,
चीखते सब लोग हकलाने लगे.....
बहुत खूब नीरज जी... आपकी ग़ज़ल ने सुबह को खुशनुमा बना दिया....
शानदार गजल है. हर बार की तरह जीने की राह दिखाती हुई.
ReplyDeleteaadarniya neeraj ji [ aur mere guru ji ].
ReplyDeleteaap itni dilkash gazalen likh lete hai ki mujhe shabd nahi sujhte ki main kya tareef me likhu ..
phir bhi , doosara sher , mujhe poori gazal me accha laga ..
" soch teri badal ke dekhiye , man tera gar yaar , murjhaane lage "
wah ji wah ..
padh kar zindagi ki khuraakh mil gayi ..
aapko naman aur der saari badhai ..
aapka
vijay
बहुत खूब बहुत बढ़िया ..सब शेर बहुत अच्छे हैं पर जो सबसे अधिक पसंद आया
ReplyDeleteप्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
अब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे
नीरज जी आपने आज के दौर के दोमुंहे चरित्रों पर धर धर के प्रहार किये हैं । ये तेवर बनाइये रखिये । जिस में तेवर नहीं हो वो सहित्य नहीं होता । सारे शेर ही तेवरों में हैं । एक हकलाने वाला शेर दुष्यंत की याद दिला रहा है । शुभ
ReplyDeleteभई वाह्! नीरज जी, कितनी सुन्दर तथा आनन्ददायक गजल लिखी है......बधाई और आभार दोनो स्वीकार करें.
ReplyDeleteसच बयानी की गुजारिश जब हुई
ReplyDeleteचीखते सब लोग, हकलाने लगे.
खार तेरे पाँव में "नीरज" चुभे
नीर मेरे नैन बरसाने लगे
नीरज जी
आपका अंदाज खूब है. हर शेर में जिंदगी की खुशबू नज़र आती है, जिन्दादिली से लिखी ग़ज़ल है मज़ा आ गया पढ़ कर.
नमस्कार नीरज जी,
ReplyDeleteबहुत उम्दा ग़ज़ल है.............
सारे शेर एक से बड कर एक हैं.
sach bayani ki guzarish jab hui,
ReplyDeletecheekhte sab log haklane lage...
...behterien....
waise to poori ghazal par 2 3 6 7 are ...marvellous!
वाह नीरज जी वाह बहोत ही खुबसूरत ,उम्दा लिखा है आपने... सोच को अपनी बदल कर देख तू... क्या बात कही साहिब अपने .. हाँ आपने सही कहा के गुरु जी से मुलाक़ात होना मेरे पिछले जनम का ही कोई पुण्य है ...
ReplyDeleteढेरो बधाई और आभार..
अर्श
bahut gahre bhav liye sher...........aapko kuch kehna to chirag ko roshni dikhane ke barabar hai.
ReplyDeleteतीसरा शेर विशेष भाया......! गज़ल तो आप मुकम्मल ही लिखते हैं...!
ReplyDeleteबिन तुम्हारे खैरियत की बात भी,
ReplyDeleteपूछते जब लोग, तो ताने लगे.
--वाह बाह!! हर शेर अपने आप में पूरा है भई!! आनन्द आ लिया पूरी गज़ल पढ़कर. बहुत खूब्ब!!!
नीरज जी को पाय लागू....."बिन तुम्हारे खैरियत की बात भी/पूछते जब लोग, तो ताने लगे"
ReplyDeleteआहहाहाहा.....
यूं तो हमेशा की तरह सारे के सारे शेर एक पे एक
लेकिन सच बयानी वाला तो उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़
ati sundar bhavuk panktiyan ...
ReplyDeleteसच बयानी की गुजारिश जब हुई
ReplyDeleteचीखते सब लोग, हकलाने लगे
खार तेरे पाँव में 'नीरज' चुभे
नीर मेरे नैन, बरसाने लगे
waah behad sunder badhai
सभी एक से बढ़कर एक ।
ReplyDeleteसदा की तरह सुन्दर!
ReplyDeleteघुघूती बासूती
पारदर्शी पानी की तरह, बहुत सुन्दर!
ReplyDelete---
गुलाबी कोंपलें
gajal ka dusara para kisi awasaad grast mn ke liye prerana ki tarah hai. bahut sundar.
ReplyDeleteजिंदगी से जुडी हुयी, बेहद खूबसूरत ग़ज़ल.
ReplyDeleteJitni tareef ki jaye kam hai eak se badhkar eak...aabhar..
ReplyDeleteनीरज जी बेरतरीन नज्म आपने पेश किया है । पूरी नज्म लाजबाव है । इसी तरह भेजिए औऱ पाकिस्तान पर लिखे हमारे लेख की प्रतिक्रिया भेजिए धन्यवाद
ReplyDeletesoch ko apni badal kar dekh tu
ReplyDeletemn tera gar yaar murjhane lage...
waah ! waah !!
huzoor , ek-dm nafees lehjaa aur
steek tevar....
ek-ek sher sach ko byaan karta hai
badhaaaaeeee.....
---MUFLIS---
बहोत अच्छे नीरज भाई ..
ReplyDeleteइसी तरह लिखा कीजिये
- लावण्या
bahut achha bayan kiya hai khayalon ko, gahari sonch ka seedha aaina....likahte rakhiye...
ReplyDeletewah wah wah neeraj ji sabhi sher lajawaab,
ReplyDeletekiski main tareef karun
kisko karun nazar-andaz
ek se badh kar ek sher hai
lajawaab jinka andaaz
bahut khoob neeraj, saman baandh diya.dheron badhai
'सोच को अपनी…'
ReplyDelete'प्यार अपनों ने…'
'सच बयानी की गुज़ारिश…'
बेहतरीन! एक से बढ़ कर एक।
बधाई।
गीत तेरे जब से हम गाने लगे है
ReplyDeleteभीड़ में सबको नजर आने लगे है
नीरज जी
बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति है आनंद आ गया पढ़कर.आभार.
सच बयानी वाला शेर खासा अच्छा है.....कभी मुंबई शहर पर लिखिए नीरज जी...अपने घर को यद् करते हुए....
ReplyDeleteबहुत ही नायाब रचना.
ReplyDeleteरामराम.
सच बयानी की गुजारिश जब हुई
ReplyDeleteचीखते सब लोग, हकलाने लगे.
बहुत खूब नीरज जी !!!!!!!!!!
प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
ReplyDeleteअब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे
mujh ko to yah haqiqat lagti hai
मुझे भी बताइये, किनके गीत गा के आप नजर में आ रहे हैं?
ReplyDeleteसुन्दर सलाह नीरज जी। मन मुरझा रहा है। सोच बदल कर देखता हूं।
ReplyDeleteहद है ! चरण किधर हैं सरकार ? आप का जवाब नहीं !!
ReplyDeletebahut achche, ek baar phir anand aaya padh kar
ReplyDeletebahut hi khoobsurat ...padhkar maja aa gaya
ReplyDeleteनीरज जी बहुत ही सुंदर गजल.
ReplyDeleteधन्यवाद
आप बहुत गहरी बातें आसान शब्दों से कह जाते है। हर शेर लाजवाब है।
ReplyDeleteबिन तुम्हारे खैरियत की बात भी
पूछते जब लोग, तो ताने लगे
वाह क्या बात है।
गजल पढकर लगा कि आपने हाथ उठाकर आसमान छू लिया है, बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति !!!!!!
ReplyDeleteप्यार अपनों ने किया इस तरह कि दुश्मन भाने लगे.....
ReplyDeleteसच कहा,बहुत अच्छा लगा
नीरज जी
ReplyDeleteभरपूर गजल कही आपने, भाव स्पष्ट और दिल को छूने वाले हैं
आपका वीनस केसरी
वाह नीरज वाह, अय शाह ऐ सुखन
ReplyDeleteहम लौट कर, तेरी गली आने लगे
रहमत ऐ अल्फाज़, यू ही होती रहे
जो लम्हा तुम से मिले, गाने लगे
बहुत...बहुत....बहुत
ReplyDeleteसुन्दर....सहज....सार्थक.
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शुक्रिया ऐसी सौगात के लिए
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
अपना मन भी कभी मुरझाता है तो सोच बदल लेते है.. आपकी ग़ज़ल अपनी ही बात लगी..
ReplyDeleteComment received on mail:
ReplyDeleteFrom Rahul: Newzealand
Beautiful.....
We really need to change our perception when things don't seem to work as we wish.
I am not really very sure but, I think ..
you wanted to write "aab mere dushman... "
प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
अब मिरे दुश्मन, मुझे भाने लगे
Thank you
Love.
-R
Comment received on e-mail by Sh.Om Prakash Sapra,Delhi:
ReplyDeleteneeaj ji
namastey,
a good poem, especially following lines are most impressive and important:-
सच बयानी की गुजारिश जब हुई
चीखते सब लोग, हकलाने लगे
congrats.
-om sapra, delhi-9
9818180932
नीरज जी रचना बहुत ही खूब है और साथ में लगा फोटो भी प्यारा है।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गजल कही है आपने, बधाई।
ReplyDeletebahut sundar gazal Neeraj ji,
ReplyDeletesabhi sher achchey lagey...
badhayee.
[Mishti ki nayee tasweer achchee lagi.aaj boys ke getup mein hain gudiya rani!]
soch ko apni badal kar dekh tu
ReplyDeletemn tera gar yaar murjhane lage...
wah...wah neeraj ji .tareefon ki is bouchhar men ak boond hamari bhi sweekaren .bahut hi achhi gazal.dhanywad aur badhai ak sath.
प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
ReplyDeleteअब मिरे दुश्मन, मुझे भाने लगे
Laajawab rachna.
बेहतरीन रचना..
ReplyDeleteयह लाईनेँ तो बहुत ही प्रभावशाली हैँ
सच बयानी की गुजारिश जब हुई
चीखते सब लोग हकलाने लगे
आप बहुत अच्छा लिखते हैं।
ReplyDeleteबिन तुम्हारे खैरियत की बात भी,
ReplyDeleteपूछते जब लोग, तो ताने लगे.....Balle ..Balle...!!
सच बयानी की गुजारिश जब हुई,
चीखते सब लोग हकलाने लगे.....Baija Baija ho gayi Niraj ji...tippaniyan ki ktar te lambi hi hoyi ja rahi hai ...bhi sanu vi koi jumle sikha do...???
सच बयानी की गुजारिश जब हुई
ReplyDeleteचीखते सब लोग, हकलाने लगे.
- आज के सूरमाओं की हकीकत बयान करती पंक्तियाँ.
नीरजजी
ReplyDeleteगीत तेरे जब से
बस एक शेर मेवं ही पूरा दीवान संजो दिया आपने
क्या बात है.
ReplyDeleteप्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
ReplyDeleteअब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे
bahut khub
पूरी गज़ल शानदार है .
ReplyDeleteNeeraj jii
ReplyDeletesoch rahe the ki kis sher ko kahen ki ye sabse jyada sundar hai..
par har sher apne aap mein doosre se uppar dikhaa......laajavaab
ab tak aapko jitna bhi padha ye rachna man mein utar gayii
bandhai ho is khoobsurat gazal ke liye.
itni saral or sadha huaa ki har shabd khud ko bayan kar raha hai.
wahhhhhhh
प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
ReplyDeleteअब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं .
खुबसूरत रचना...
ReplyDeleteबेहतरीन.... नीरज जी, वाह.
ReplyDeleteसच बयानी की गुजारिश जब हुई
ReplyDeleteचीखते सब लोग, हकलाने लगे.
बेहद उम्दा...आनंद आ गया पढ़ कर!
Neerajbhai
ReplyDeleteBahot khub saab!
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
बहुत ही खूबसूरत गजल।
ReplyDeleteप्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
ReplyDeleteअब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे ।
वाह वाह नीरज जी बेहतरीन ।
Neeraj
ReplyDeletelekhni ka vistaar vasi hua ja raha hai. kalam ki rawani sailaab ban rahi hi. ek ek sher umda , sach ke aks liye hue
सच बयानी की गुजारिश जब हुई
चीखते सब लोग, हकलाने लगे.
Bahut badhayi ho
Kalam mein zor aage aur bhi
Devi Nangrani
सच बयानी की गुजारिश जब हुई
ReplyDeleteचीखते सब लोग, हकलाने लगे.
किता गज़ब ,,,,एक ही शेर में किता बड़ा सच ,,कितनी बड़ी बात,,,
शानदार अभिव्यक्ति,,,