Monday, March 16, 2009

सोच को अपनी बदल कर देख तू




गीत तेरे, जब से हम गाने लगे
भीड़ में, सबको नज़र आने लगे

सोच को अपनी बदल कर देख तू
मन तेरा गर यार, मुरझाने लगे

बिन तुम्हारे खैरियत की बात भी
पूछते जब लोग, तो ताने लगे

वो मेहरबां है, तभी करना यकीं
जब बिना मांगे ही, सब पाने लगे

प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
अब मिरे दुश्मन, मुझे भाने लगे

सच बयानी की गुजारिश जब हुई
चीखते सब लोग, हकलाने लगे

खार तेरे पाँव में 'नीरज' चुभे
नीर मेरे नैन, बरसाने लगे

74 comments:

  1. as always nice composioton

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  2. भाई नीरज जी,
    अपने भी क्या खूब लिखा है..............

    सच बयानी की गुजारिश जब हुई
    चीखते सब लोग, हकलाने लगे.

    कितना खूबसूरत संयोग है की मैंने भी एक "सत्य" की टिर्री (भाई ज्ञान जी के ब्लॉग की टिर्री की तरह) अपने ब्लॉग पर आज ही डाली है, अपने विचारों से अवगत कराएं .

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  3. bahut sunder sir ji . mja a gya padh kar . badahi

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  4. बिन तुम्हारे खैरियत की बात भी,
    पूछते जब लोग, तो ताने लगे.....
    सच बयानी की गुजारिश जब हुई,
    चीखते सब लोग हकलाने लगे.....

    बहुत खूब नीरज जी... आपकी ग़ज़ल ने सुबह को खुशनुमा बना दिया....

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  5. शानदार गजल है. हर बार की तरह जीने की राह दिखाती हुई.

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  6. aadarniya neeraj ji [ aur mere guru ji ].

    aap itni dilkash gazalen likh lete hai ki mujhe shabd nahi sujhte ki main kya tareef me likhu ..

    phir bhi , doosara sher , mujhe poori gazal me accha laga ..

    " soch teri badal ke dekhiye , man tera gar yaar , murjhaane lage "
    wah ji wah ..
    padh kar zindagi ki khuraakh mil gayi ..

    aapko naman aur der saari badhai ..

    aapka
    vijay

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  7. बहुत खूब बहुत बढ़िया ..सब शेर बहुत अच्छे हैं पर जो सबसे अधिक पसंद आया
    प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
    अब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे

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  8. नीरज जी आपने आज के दौर के दोमुंहे चरित्रों पर धर धर के प्रहार किये हैं । ये तेवर बनाइये रखिये । जिस में तेवर नहीं हो वो सहित्‍य नहीं होता । सारे शेर ही तेवरों में हैं । एक हकलाने वाला शेर दुष्‍यंत की याद दिला रहा है । शुभ

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  9. भई वाह्! नीरज जी, कितनी सुन्दर तथा आनन्ददायक गजल लिखी है......बधाई और आभार दोनो स्वीकार करें.

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  10. सच बयानी की गुजारिश जब हुई
    चीखते सब लोग, हकलाने लगे.
    खार तेरे पाँव में "नीरज" चुभे
    नीर मेरे नैन बरसाने लगे
    नीरज जी
    आपका अंदाज खूब है. हर शेर में जिंदगी की खुशबू नज़र आती है, जिन्दादिली से लिखी ग़ज़ल है मज़ा आ गया पढ़ कर.

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  11. नमस्कार नीरज जी,
    बहुत उम्दा ग़ज़ल है.............
    सारे शेर एक से बड कर एक हैं.

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  12. sach bayani ki guzarish jab hui,
    cheekhte sab log haklane lage...


    ...behterien....


    waise to poori ghazal par 2 3 6 7 are ...marvellous!

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  13. वाह नीरज जी वाह बहोत ही खुबसूरत ,उम्दा लिखा है आपने... सोच को अपनी बदल कर देख तू... क्या बात कही साहिब अपने .. हाँ आपने सही कहा के गुरु जी से मुलाक़ात होना मेरे पिछले जनम का ही कोई पुण्य है ...
    ढेरो बधाई और आभार..

    अर्श

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  14. bahut gahre bhav liye sher...........aapko kuch kehna to chirag ko roshni dikhane ke barabar hai.

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  15. तीसरा शेर विशेष भाया......! गज़ल तो आप मुकम्मल ही लिखते हैं...!

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  16. बिन तुम्हारे खैरियत की बात भी,
    पूछते जब लोग, तो ताने लगे.


    --वाह बाह!! हर शेर अपने आप में पूरा है भई!! आनन्द आ लिया पूरी गज़ल पढ़कर. बहुत खूब्ब!!!

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  17. नीरज जी को पाय लागू....."बिन तुम्हारे खैरियत की बात भी/पूछते जब लोग, तो ताने लगे"
    आहहाहाहा.....
    यूं तो हमेशा की तरह सारे के सारे शेर एक पे एक
    लेकिन सच बयानी वाला तो उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़

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  18. सच बयानी की गुजारिश जब हुई

    चीखते सब लोग, हकलाने लगे



    खार तेरे पाँव में 'नीरज' चुभे

    नीर मेरे नैन, बरसाने लगे

    waah behad sunder badhai

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  19. सभी एक से बढ़कर एक ।

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  20. सदा की तरह सुन्दर!
    घुघूती बासूती

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  21. पारदर्शी पानी की तरह, बहुत सुन्दर!

    ---
    गुलाबी कोंपलें

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  22. gajal ka dusara para kisi awasaad grast mn ke liye prerana ki tarah hai. bahut sundar.

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  23. जिंदगी से जुडी हुयी, बेहद खूबसूरत ग़ज़ल.

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  24. Jitni tareef ki jaye kam hai eak se badhkar eak...aabhar..

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  25. नीरज जी बेरतरीन नज्म आपने पेश किया है । पूरी नज्म लाजबाव है । इसी तरह भेजिए औऱ पाकिस्तान पर लिखे हमारे लेख की प्रतिक्रिया भेजिए धन्यवाद

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  26. soch ko apni badal kar dekh tu
    mn tera gar yaar murjhane lage...

    waah ! waah !!
    huzoor , ek-dm nafees lehjaa aur
    steek tevar....
    ek-ek sher sach ko byaan karta hai
    badhaaaaeeee.....
    ---MUFLIS---

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  27. बहोत अच्छे नीरज भाई ..
    इसी तरह लिखा कीजिये
    - लावण्या

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  28. bahut achha bayan kiya hai khayalon ko, gahari sonch ka seedha aaina....likahte rakhiye...

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  29. wah wah wah neeraj ji sabhi sher lajawaab,

    kiski main tareef karun
    kisko karun nazar-andaz
    ek se badh kar ek sher hai
    lajawaab jinka andaaz

    bahut khoob neeraj, saman baandh diya.dheron badhai

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  30. 'सोच को अपनी…'
    'प्यार अपनों ने…'
    'सच बयानी की गुज़ारिश…'
    बेहतरीन! एक से बढ़ कर एक।
    बधाई।

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  31. गीत तेरे जब से हम गाने लगे है
    भीड़ में सबको नजर आने लगे है
    नीरज जी
    बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति है आनंद आ गया पढ़कर.आभार.

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  32. सच बयानी वाला शेर खासा अच्छा है.....कभी मुंबई शहर पर लिखिए नीरज जी...अपने घर को यद् करते हुए....

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  33. बहुत ही नायाब रचना.

    रामराम.

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  34. सच बयानी की गुजारिश जब हुई
    चीखते सब लोग, हकलाने लगे.


    बहुत खूब नीरज जी !!!!!!!!!!

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  35. प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
    अब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे
    mujh ko to yah haqiqat lagti hai

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  36. मुझे भी बताइये, किनके गीत गा के आप नजर में आ रहे हैं?

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  37. सुन्दर सलाह नीरज जी। मन मुरझा रहा है। सोच बदल कर देखता हूं।

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  38. हद है ! चरण किधर हैं सरकार ? आप का जवाब नहीं !!

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  39. bahut achche, ek baar phir anand aaya padh kar

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  40. नीरज जी बहुत ही सुंदर गजल.
    धन्यवाद

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  41. आप बहुत गहरी बातें आसान शब्दों से कह जाते है। हर शेर लाजवाब है।
    बिन तुम्हारे खैरियत की बात भी
    पूछते जब लोग, तो ताने लगे

    वाह क्या बात है।

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  42. गजल पढकर लगा कि आपने हाथ उठाकर आसमान छू लिया है, बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति !!!!!!

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  43. प्यार अपनों ने किया इस तरह कि दुश्मन भाने लगे.....
    सच कहा,बहुत अच्छा लगा

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  44. नीरज जी
    भरपूर गजल कही आपने, भाव स्पष्ट और दिल को छूने वाले हैं

    आपका वीनस केसरी

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  45. वाह नीरज वाह, अय शाह ऐ सुखन
    हम लौट कर, तेरी गली आने लगे
    रहमत ऐ अल्फाज़, यू ही होती रहे
    जो लम्हा तुम से मिले, गाने लगे

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  46. बहुत...बहुत....बहुत
    सुन्दर....सहज....सार्थक.
    ======================
    शुक्रिया ऐसी सौगात के लिए
    डॉ.चन्द्रकुमार जैन

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  47. अपना मन भी कभी मुरझाता है तो सोच बदल लेते है.. आपकी ग़ज़ल अपनी ही बात लगी..

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  48. Comment received on mail:

    From Rahul: Newzealand

    Beautiful.....

    We really need to change our perception when things don't seem to work as we wish.

    I am not really very sure but, I think ..
    you wanted to write "aab mere dushman... "

    प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
    अब मिरे दुश्मन, मुझे भाने लगे

    Thank you
    Love.
    -R

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  49. Comment received on e-mail by Sh.Om Prakash Sapra,Delhi:

    neeaj ji
    namastey,

    a good poem, especially following lines are most impressive and important:-



    सच बयानी की गुजारिश जब हुई

    चीखते सब लोग, हकलाने लगे


    congrats.
    -om sapra, delhi-9
    9818180932

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  50. नीरज जी रचना बहुत ही खूब है और साथ में लगा फोटो भी प्यारा है।

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  51. बहुत खूबसूरत गजल कही है आपने, बधाई।

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  52. bahut sundar gazal Neeraj ji,
    sabhi sher achchey lagey...
    badhayee.

    [Mishti ki nayee tasweer achchee lagi.aaj boys ke getup mein hain gudiya rani!]

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  53. soch ko apni badal kar dekh tu
    mn tera gar yaar murjhane lage...

    wah...wah neeraj ji .tareefon ki is bouchhar men ak boond hamari bhi sweekaren .bahut hi achhi gazal.dhanywad aur badhai ak sath.

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  54. प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
    अब मिरे दुश्मन, मुझे भाने लगे
    Laajawab rachna.

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  55. बेहतरीन रचना..

    यह लाईनेँ तो बहुत ही प्रभावशाली हैँ

    सच बयानी की गुजारिश जब हुई

    चीखते सब लोग हकलाने लगे

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  56. आप बहुत अच्छा लिखते हैं।

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  57. बिन तुम्हारे खैरियत की बात भी,
    पूछते जब लोग, तो ताने लगे.....Balle ..Balle...!!

    सच बयानी की गुजारिश जब हुई,
    चीखते सब लोग हकलाने लगे.....Baija Baija ho gayi Niraj ji...tippaniyan ki ktar te lambi hi hoyi ja rahi hai ...bhi sanu vi koi jumle sikha do...???

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  58. सच बयानी की गुजारिश जब हुई
    चीखते सब लोग, हकलाने लगे.

    - आज के सूरमाओं की हकीकत बयान करती पंक्तियाँ.

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  59. नीरजजी


    गीत तेरे जब से

    बस एक शेर मेवं ही पूरा दीवान संजो दिया आपने

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  60. प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
    अब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे

    bahut khub

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  61. पूरी गज़ल शानदार है .

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  62. Neeraj jii
    soch rahe the ki kis sher ko kahen ki ye sabse jyada sundar hai..
    par har sher apne aap mein doosre se uppar dikhaa......laajavaab
    ab tak aapko jitna bhi padha ye rachna man mein utar gayii
    bandhai ho is khoobsurat gazal ke liye.
    itni saral or sadha huaa ki har shabd khud ko bayan kar raha hai.

    wahhhhhhh

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  63. प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
    अब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं .

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  64. खुबसूरत रचना...

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  65. बेहतरीन.... नीरज जी, वाह.

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  66. सच बयानी की गुजारिश जब हुई
    चीखते सब लोग, हकलाने लगे.

    बेहद उम्दा...आनंद आ गया पढ़ कर!

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  67. Neerajbhai

    Bahot khub saab!

    -Harshad Jangla
    Atlanta, USA

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  68. बहुत ही खूबसूरत गजल।

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  69. प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह
    अब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे ।

    वाह वाह नीरज जी बेहतरीन ।

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  70. Neeraj
    lekhni ka vistaar vasi hua ja raha hai. kalam ki rawani sailaab ban rahi hi. ek ek sher umda , sach ke aks liye hue

    सच बयानी की गुजारिश जब हुई
    चीखते सब लोग, हकलाने लगे.
    Bahut badhayi ho
    Kalam mein zor aage aur bhi

    Devi Nangrani

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  71. सच बयानी की गुजारिश जब हुई
    चीखते सब लोग, हकलाने लगे.

    किता गज़ब ,,,,एक ही शेर में किता बड़ा सच ,,कितनी बड़ी बात,,,

    शानदार अभिव्यक्ति,,,

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे