Wednesday, November 28, 2007

भइया सुनो पते की बात




जायका बदलना जीवन में ज़रूरी है इसलिए मैंने सोचा की ग़ज़ल की जगह एक कविता पोस्ट करता हूँ. इस कविता की परिकल्पना मेरी छोटी बहिन ने की थी, मैंने सिर्फ़ शब्दों को इधर उधर कर दिया है. आशा है (और तो है भी क्या?) की आप को ये पसंद आएगी.


भइया सुनो पते की बात
नेता गर बनना चाहो तो
मार शरम को लात.

झूठ ,कपट,चोरी मक्कारी
हरदम ख़ूब चलाओ तुम
दीन धरम इमान की मिलकर
धज्जी ख़ूब उडाओ तुम
बेशर्मी से पहन ले रेशम
पर खादी को कात
भइया सुनो पते की बात

रख के सच को ताक पे प्यारे
खुशियाँ रोज मनाये जा
देश समझ के माल बाप का
जितना चाहे खाए जा
कहाँ कहाँ लूटा जा सकता
इसपे रखना घात
भइया सुनो पते की बात

लिख पढने में समय गवाना
तेरा काम नही है
चाक़ू डंडा छुरी चलाना
तेरे लिए सही है
गिर जा जहाँ तलक गिर सकता
पर मत खाना मात
भइया सुनो पते की बात

इक दिन तेरे नाम की माला
देखो जिसे घुमायेगा
पाठ्य पुस्तकों तक में तेरा
चित्र छपाया जाएगा
पता मगर ना चलने देना
तू अपनी औकात

भइया सुनो पते की बात
नेता गर बनना चाहो तो
मार शरम को लात.

14 comments:

  1. पते की बात के लिए धन्यवाद. अनुकरण करने का प्रयास करेंगे.

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  2. आपको कविता के लिये धन्यवाद और यह बालकिशन को सप्रेम नमस्कार। ये अनुकरण करेंगे तो कहीं हमें भूल न जायें! जब बड़े नेता बन जायें तो शरम ही को लात मारें - हमें नहीं! :-)

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  3. @ ज्ञान भइया

    अभी तो मैं कोई नेता बना नही हूँ. इसलिए भय कि कोई आवश्यकता आपको नही होनी चहिये.
    वैसे भइया मैंने सुना है कि इन नेताओं का कोई भरोसा नही होता.

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  4. kavita ke liye dhanyawaad. philhaal aapke shahar mein hoon. aap mumbai mein kidhar rahte hain.

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  5. बहुत उम्दा समसामयिक रचना आज के माहौल को दर्शाती हुई । बधाई के पात्र हैं।

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  6. बहुत बढ़िया कविता, भैया...जायका सचमुच बदला....

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  7. कहीं भी बहुत बड़ा बनना है तो मारो शरम पे लात!

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  8. ishwar karen,aapki lekhni me duniyan ke samast rang aakar bas jayen aur jab ye kagaz par utren to aapke hriday ke rang me sarabor ho aise hi adbhud rang bikhere.Kabhi aansoo ban pathak nayano se bahe,kabhi haas ban hoton par bikhar jaye ,kabhi jeena sikhlaye aur kabhi sidhanton ki raksha ke liye utsarg hone ka marg dikhlaye.

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  9. नीरज जी,
    आपके ब्लाग पर आकर आपकी ग़ज़लें पढीं। यह अलग समसामयिक कविता पढ़कर चेहरे पर मुस्कान आ गयी। प्रयोग करते रहें। शुभेच्छा।

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  10. कल 04/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  11. यही रास्ता है...
    बहुत खूब सर,
    सादर बधाई...

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  12. भइया सुनो पते की बात
    नेता गर बनना चाहो तो
    मार शरम को लात.

    bahut khoob...

    www.poeticprakash.com

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  13. बहुत खूब कहा है आपने ..बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे