Thursday, November 1, 2007

आईने में खास ही कुछ बात थी




गीत तेरे जब से हम गाने लगे
तब जुदा सबसे नज़र आने लगे

आईने में खास ही कुछ बात थी
आप जिसको देख शरमाने लगे

सोच को अपनी बदल के देखिये
मन तुम्हारा जबभी मुरझाने लगे

खोलने से फायदा क्या खिड़कियाँ
जब चले तूफ़ान घबराने लगे

बिन तुम्हारे खैरियत की बात भी
पूछते जब लोग तो ताने लगे

अजनबी जो लग रहे थे रास्ते
तुम मिले तो जाने पहचाने लगे

ये तरीका भी है इक इनाम का
जिसको देदो उसको हरजाने लगे

साँस का चलना थी "नीरज" ज़िंदगी
तुम मिले तो मायने पाने लगे



14 comments:

  1. क्या खूब कहा है....
    वाह् वा.....
    जय हो

    ReplyDelete
  2. हम तो बस आपका ही इंतज़ार कर रहे थे. एक और अच्छी ग़ज़ल के लिए धन्यवाद.
    ------------------------------------------------
    "सोच को अपनी बदल के देखिये
    मन तुम्हारा जबभी मुरझाने लगे"
    "अजनबी जो लग रहे थे रास्ते
    तुम मिले तो जाने पहचाने लगे"
    -------------------------------------------------------
    आनंद की वृष्टि हो रही है. मन करता है पढता की रंहू.
    एक तेरा ही सहारा है भगवन बाकी सब
    तो इस फानी दुनिया मे बेगाने लगे.

    ReplyDelete
  3. वाह!! बहुत खूब कहा!! बधाई.

    ReplyDelete
  4. अजनबी जो लग रहे थे रास्ते
    तुम मिले तो जाने पहचाने लगे
    लेकिन ऐसा मिलना कितनों को नसीब हो पाता है?

    ReplyDelete
  5. आप तो अब ब्लॉग पर आने लगे
    हम भी खुश हो गीत अब गाने लगे
    लिख गये फिर से गजल इक बेहतरीन
    टीप कर हम भी तो अब जाने लगे.

    ReplyDelete
  6. गोस्वामी के भजन गाने लगी
    गुनगुना के मन को बहलाने लगी
    मेरी नीरज से जान पहचान है
    बात यह सुन कर वोह इतराने लगी

    चाँद शुक्ला हदियाबादी डेनमार्क

    ReplyDelete
  7. मैं काकेश को मॉडीफाई कर लिखूंगा -
    आप तो अब ब्लॉग पर आने लगे
    आप तो अब ब्लॉग पर छाने लगे

    ReplyDelete
  8. बहुत खूब

    sajeev sarathie
    http://merekavimitra.blogspot.com/2007/10/blog-post_9334.html

    ReplyDelete
  9. वाह! ये रचना जानदार रही ।

    पढकर मन प्रसन्न हो गया,

    ReplyDelete
  10. हम समझ बैठे थे जिसको ब्लॉग, बस
    असल में गजलों की एक सौगात थी

    गजब लिखे हैं, भैया.....

    ReplyDelete
  11. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  12. आज 05/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  13. वाह सर वाह...

    सादर.

    ReplyDelete

तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे