Monday, January 29, 2018
किताबों की दुनिया -162
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तुम समुन्दर हो न समझोगे मिरी मजबूरियां एक दरिया क्या करे पानी उतर जाने के बाद आएगी चेहरे पे रौनक़ खिल उठेगी ज़िन्दगी ग़म के आईने म...
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