नीरज
Monday, December 29, 2008

वो आँखें, कह देती हैं सब

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कह ना पायें , जो उनके लब वो आँखें , कह देती हैं सब पहले तो सबका इक ही था अब सबका अपना अपना रब हालत तो देखो इन् ‍ सां की...
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ये हूँ मैं

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नीरज गोस्वामी
जयपुर, राजस्थान, India
अपनी जिन्दगी से संतुष्ट,संवेदनशील किंतु हर स्थिति में हास्य देखने की प्रवृत्ति. इंजीनियरिंग करने के बाद ,जीवन के 44 साल स्टील कंपनियों में मौज मस्ती के साथ सफलता पूर्वक, गुज़ारने के बाद अब जयपुर अपने घर पूर्ण विश्राम की अवस्था को प्राप्त। कल का पता नहीं।लेखन, अपने को लेखक होने का भ्र्म पाले रखने के लिए।
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