Monday, January 13, 2014

बच्चों से घर चहके यूँ

ग़ज़ल जंगल की कोयल है सर्कस की नहीं जो ट्रेनर के इशारे पे गाये सो जनाब अरसा गुज़र जाने पे भी जब कोई ग़ज़ल नहीं हुई तो मैं परेशान नहीं हुआ फिर अचानक ज़ेहन कि मुंडेर पे ये कोयल बैठी दिखी जिसने मुश्किल से एक तान लगाईं और फुर्र हो गयी. जैसी भी है, उसी तान को आपके साथ बाँट रहा हूँ बस।



अब रिश्तों में गहराई ? 
बहते पानी पर काई ? 

तुम कमरों में बंद रहे 
धूप नहीं थी हरज़ाई 

तुमसे मिल कर देर तलक 
अच्छी लगती तन्हाई 

बच्चों से घर चहके यूँ 
ज्यूँ कोयल से अमराई 

लाख बुराई हो जिसमें 
ढूंढो उसमें अच्छाई 

तन्हा काली रातों की 
बढ़ती क्यूँ उफ़ ! लम्बाई 

बीती बात उधेड़ो मत 
'नीरज' सीखो तुरपाई

32 comments:

  1. छोड़ी बहर में नीरज
    गहरी बातें भर आई :)

    लिखते रहिये। .

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  2. तुम कमरों में बंद रहे ,धूप नहीं थी हरज़ाई.... बहुत खूब

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  3. तन्हा काली रातों की
    बढ़ती क्यूँ उफ़ ! लम्बाई
    वाह बहुत ही खूबसूरत |

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  4. बेहतरीन शेरों का गुलदस्ता है ये गज़ल ... फुदकती हुई कोयल की तरह ... लाजवाब नीरज जी ...

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  5. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,लोहड़ी कि हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  6. ज़ेहन की मुंडेर पे बैठ कोयल ने बड़ी सुरीली तान छेड़ी।
    ग़ज़ल हुई और बाकमाल हुई। बधाई हो सर।

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  7. http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/01/blog-post_13.html

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  8. Bahut hee badhiya> Aakhri wala to behad bhaya.

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  9. सर, इन दिनों कुछ फुर्सत में हूँ सो फिर से ऑनलाइन पठन पाठन टिपियाना तेज हो गया है.…
    लाख बुराई हो जिसमें
    ढूंढो उसमें अच्छाई
    तन्हा काली रातों की
    बढ़ती क्यूँ उफ़ ! लम्बाई
    बीती बात उधेड़ो मत
    'नीरज' सीखो तुरपाई

    वाह… !! बहुत सुन्दर। । पूरी ग़ज़ल ही कामयाब हुयी है. सभी शे'र जबरदस्त हैं !!

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  10. छोटी बह्र पर अच्छा काम है नीरज साहब, बहुत-बहुत बधाई। तुससी ग्रेट हो सर जी।

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  11. हर मिसरे ने 'कूक' सुनाई,
    'नीरजी' रंग में इतराई,
    क्या खूब ग़ज़ल है गाई।
    लो ! कोयल भी शरमाई।
    http://mansooralihashmi.blogspot.com

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  12. छोटी है ,नटखट है ,बुलन्द आवाज है |
    मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं !
    नई पोस्ट हम तुम.....,पानी का बूंद !
    नई पोस्ट बोलती तस्वीरें !

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  13. बहुत खूब ग़ज़ल हुई है .. बधाई ..

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  14. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल
    है

    शेर किये ऐसे पैदा
    जैसे नीरज हो दाई।
    लंबी बातों पर भारी
    प्रेम भरे अक्षर ढाई।

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  15. तुम कमरों में बंद रहे
    धूप नहीं थी हरज़ाई
    ...वाह...क्या बात है...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...

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  16. कोयल की प्राकृतिक कूक सराहनीय है...बेहद सुंदर ग़ज़ल...

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  17. तुम कमरों में बंद रहे
    धूप नहीं थी हरज़ाई
    बीती बात उधेड़ो मत
    'नीरज' सीखो तुरपाई

    वाह आदरणीय नीरज जी बहुत खूब

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  18. बीती बात उधेड़ो मत,
    नीरज सीखो तुरपाई!!
    क्या बात कही है.. छोटे बहर में एक बेहतरीन ग़ज़ल!! एक एक शे'र लाजवाब!!

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  19. Received on e-mai:-

    अति सुंदर!

    Sarv Jeet Sarv
    Delhi

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  20. अब जीवन में तुरपाई ही सीख रहे हैं

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  21. Waaaaah kya kahney bahut khoob Neeraj Ji....

    "लाख बुराई हो जिसमें
    ढूंढो उसमें अच्छाई"

    Satish Shukla 'Raqeeb'

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  22. बढ़िया है बॉस!

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  23. Received on e-mail:-

    Waah
    Chha gaye janab.

    RAMESH SACHDEVA
    (Principal)
    HPS SENIOR SECONDARY SCHOOL,
    SHERGARH (M.DABWALI)-125104
    DIST. SIRSA (HARYANA) - INDIA

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  24. Received from mail:-

    Beautiful...

    Rahul

    Sent from my iPhone
    Newzealand

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  25. Received on mail:-

    bhai neeraj ji

    namsty

    bhut achhi gazal hai

    khastor par yeh lines--


    तुमसे मिल कर देर तलक

    अच्छी लगती तन्हाई




    बच्चों से घर चहके यूँ

    ज्यूँ कोयल से अमराई




    लाख बुराई हो जिसमें

    ढूंढो उसमें अच्छाई

    badhai-

    om sapra

    Delhi

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  26. वाह, बहुत सुन्दर

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  27. बीती बात उधेड़ो मत
    'नीरज' सीखो तुरपाई ।
    वाह ! क्या बात है!

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे