आप सब को दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं
हर बात पे अगर वो बैठेंगे मुंह फुला कर
रूठे हुओं को कब तक लायेंगे हम मना कर
सच बोल कर सदा यूँ दिल खुश हुआ हमारा
जैसे की कोई बच्चा हँसता हो खिलखिलाकर
अपने रकीब को जब देखा वहां तो जाना
रुसवा किया गया है हमको तो घर बुला कर
पहले दिए हजारों जिसने थे घाव गहरे
मरहम लगा रहा है अब वो नमक मिला कर
गहरी उदासियों में आई यूँ याद तेरी
जैसे कोई सितारा टूटा हो झिलमिलाकर
माना हूँ तेरा दुश्मन बरसों से यार लेकिन
मेरे भी वास्ते तू एक रोज़ कुछ दुआ कर
गर खोट दिल में तेरे बिलकुल नहीं है "नीरज"
फिर किस वजह से करता है बात फुसफुसाकर
फिर किस वजह से करता है बात फुसफुसाकर
दीपोत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ....
ReplyDeleteहर बात पे अगर वो बैठेंगे मुंह फुला कर
ReplyDeleteरूठे हुओं को कब तक लायेंगे हम मना कर
wah kya sadagi se kitni gahri baat kah dee aapne...
सुंदर प्रस्तुति ....
ReplyDeleteदीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें ....
प्रभु, आपकी गजलें बहुत गहरे सन्देश देतीं हैं...आइना दिखा देतीं हैं...
ReplyDeleteबहुत ही बढ़ियाँ गजल है...
ReplyDeleteहर शेर बहुत ही बेहतरीन है...
अति उत्तम...
आपको सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ..
:-)
हर बात पे अगर वो बैठेंगे मुंह फुला कर
ReplyDeleteरूठे हुओं को कब तक लायेंगे हम मना कर
सच बोल कर सदा यूँ दिल खुश हुआ हमारा
जैसे की कोई बच्चा हँसता हो खिलखिलाकर
वाह ... बहुत खूब
!! प्रकाश पर्व की आपको अनंत शुभकामनाएं !!
दीपोत्सव की हार्दिक शुभ कामनाएँ सर!
ReplyDeleteसादर
ग़ज़ल के साथ तस्वीर के क्या कहने! ऐसी हँसी बहुत कम कैमरे की पकड़ में आती है. दिन का बन जाना यही होता है.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteदीपावली की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ,,,,
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वाह नीरज जी, अच्छा लगा पढ़ कर :)
ReplyDeleteKharab sehat ke karan aapko padh nahee pa rahee hun...khair!
ReplyDeleteDiwali aap aapke poore pariwaar ko bahut bahut mubarak ho.
सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteदीप पर्व की आपको व आपके परिवार को ढेरों शुभकामनायें
मन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ
बहुत खूब
ReplyDeleteदीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ
सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
दीवाली का पर्व है, सबको बाँटों प्यार।
आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
--
आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत ही भावपूर्ण रचना |दीपावली शुभ और मंगलमय हो |
ReplyDeleteआशा
दीपोत्सव की बधाई।
ReplyDeleteनेक दिल इंसान की नेकदि ग़ज़ल पर और क्या कहूँ
शिकवा, गिला, शिकायत, भूलो बताओ हमको
क्या चाहते हो ‘नीरज’ ऐसी ग़ज़ल सुनाकर।
गहरी उदासियों में आई यूँ याद तेरी
ReplyDeleteजैसे कोई सितारा टूटा हो झिलमिलाकर ...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ! sundar yekse yek,
दीप पर्व की
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
देह देहरी देहरे, दो, दो दिया जलाय-रविकर
लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
सच हमेशा बच्चों की तरह ही खिलखिलाता हुआ मासूमियत से हँसता है... :-)
ReplyDeleteबहुत खबसूरत ग़ज़ल !
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ !:-)
~सादर !
This comment has been removed by the author.
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ReplyDeleteमाना हूँ तेरा दुश्मन बरसों से यार लेकिन
मेरे भी वास्ते तू एक रोज़ कुछ दुआ कर
गर खोट मन में तेरे बिलकुल नहीं है 'नीरज'
फिर किस वजह से करते हो बात फुसफुसाकर
एक ख़ास सारल्य बहाव अर्थ छटा है गजल में यार .बधाई ,दिवाली .
क्या बात है नीरज भाईजी !
अच्छी ग़ज़ल कही है
आपके यहां आने का शर्तिया आनंद मिला …
आभार !
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान
**♥**♥**♥**● राजेन्द्र स्वर्णकार● **♥**♥**♥**
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
हर शे'र लाजवाब!!!
ReplyDeleteदीपावली की अनंत शुभकामनाएँ!!
खिलखिलाकर यूँ ही हसती रहे जिन्दगी।
ReplyDelete"गहरी उदासियों में आई यूँ याद तेरी
ReplyDeleteजैसे कोई सितारा टूटा हो झिलमिलाकर
माना हूँ तेरा दुश्मन बरसों से यार लेकिन
मेरे भी वास्ते तू एक रोज़ कुछ दुआ कर "
लाजवाब !
माना हूँ तेरा दुश्मन बरसों से यार लेकिन
ReplyDeleteमेरे भी वास्ते तू एक रोज़ कुछ दुआ कर
गर खोट दिल में तेरे बिलकुल नहीं है "नीरज"
फिर किस वजह से करता है बात फुसफुसाकर
बहुत खूब ।
माना हूँ तेरा दुश्मन बरसों से यार लेकिन
ReplyDeleteमेरे भी वास्ते तू एक रोज़ कुछ दुआ कर
कुछ ऐसा ही कहना चाहता हूँ-----
हर बात पे अगर वो बैठेंगे मुंह फुला कर
रूठे हुओं को कब तक लायेंगे हम मना कर
और मतले का तो कहना ही क्या --------
मुद्दत बाद आप तक पहुँच सका हूँ
इतनी प्यारी ग़ज़ल है की जलन होने लगी .
आखिर ऐसे अशआर मैं कब कह सकूंगा !!!
सर्वत एम . जमाल
माना हूँ तेरा दुश्मन बरसों से यार लेकिन
ReplyDeleteमेरे भी वास्ते तू एक रोज़ कुछ दुआ कर ...वाह
गहरी उदासियों में आई यूँ याद तेरी
ReplyDeleteजैसे कोई सितारा टूटा हो झिलमिलाकर
अच्छा लगा ये शेर !
सच बोल कर सदा यूँ दिल खुश हुआ हमारा
ReplyDeleteजैसे की कोई बच्चा हँसता हो खिलखिलाकर
हर बात पे अगर वो बैठेंगे मुंह फुला कर
रूठे हुओं को कब तक लायेंगे हम मना कर
बहुत बढ़िया
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteमाना हूँ तेरा दुश्मन बरसों से यार लेकिन
ReplyDeleteमेरे भी वास्ते तू एक रोज़ कुछ दुआ कर
- प्रदीप कांत
गहरी उदासियों में आई यूँ याद तेरी
ReplyDeleteजैसे कोई सितारा टूटा हो झिलमिलाकर ...
सुभान अल्ला ... मज़ा आ गया नीरज जी पूरी गज़ल पढ़ने के बाद ...
bahut khub , adbhut,
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