tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post9100534634435306139..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: मेरा दिल ये जैसे भुजंग होनीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger44125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-73322970985928707512011-02-08T17:13:28.573+05:302011-02-08T17:13:28.573+05:30उसे रास आती है जिंदगी, जो कबीर जैसा मलंग हो....उसे रास आती है जिंदगी, जो कबीर जैसा मलंग हो....पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-4210748378406979392011-02-08T13:56:40.981+05:302011-02-08T13:56:40.981+05:30है जो मस्त अपने ही हाल में, कोई फ़िक्र कल की न हो ...है जो मस्त अपने ही हाल में, कोई फ़िक्र कल की न हो जिसे<br />उसे रास आती है जिंदगी, जो कबीर जैसा मलंग हो<br /><br />तुझे देख कर मुझे यूँ लगा कोई संदली सी है शाख तू<br />जो न रह सके तुझे छोड़ कर , मेरा दिल ये जैसे भुजंग हो<br /><br />तरही मुशायेरे में मैदान फ़तेह कर चुकी आप की इस ग़ज़ल के ये दोनों शेर लाजवाब हैं............मलंग और भुजंग काफियों का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-32417046136560875532011-02-08T13:30:47.438+05:302011-02-08T13:30:47.438+05:30bhai neeraj ji sundar post ke liye aapko bdhai bas...bhai neeraj ji sundar post ke liye aapko bdhai basant par bhi aapko badhai my mob no.09415898913 aap dwra mangi jankari hamne e-mail kar diya hai dhanyvadजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-15879885075355026742011-02-06T17:34:03.022+05:302011-02-06T17:34:03.022+05:30नीरज जी!
वही रंजिशें वही दुश्मनी, मिला क्या हमें ब...नीरज जी!<br />वही रंजिशें वही दुश्मनी, मिला क्या हमें बता जीत से,<br />तेरी हार में मेरी हार है, यही सोच लें तो न जंग हो।<br />----------+----------------+-----------------+----------<br />हो न लिजलिजा बिना रीढ़ का, है यही दुआ ऐ मेरे खुदा,<br />दे वतन को ऐसा तू रहनुमा, जो दिलेर और दबंग हो<br /><br />बड़ी सादगी से गंभीर तथ्यों को तरह दी है।<br />प्रभावकारी लेखन के लिए बधाई। <br />=====================<br />कृपया पर इस दोहे का रसास्वादन कीजिए।<br />सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी<br />==============================<br />गाँव-गाँव घर-घ्रर मिलें, दो ही प्रमुख हकीम।<br />आँगन मिस तुलसी मिलें, बाहर मिस्टर नीम॥डॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-90326260463138791362011-02-04T10:06:24.337+05:302011-02-04T10:06:24.337+05:30है जो मस्त अपने ही हाल में, कोई फ़िक्र कल की न हो ...है जो मस्त अपने ही हाल में, कोई फ़िक्र कल की न हो जिसे<br />उसे रास आती है जिंदगी, जो कबीर जैसा मलंग हो<br /><br />वाह, क्या शेर है...।<br /><br />ज़िंदगी का साथ निभाने के लिए कबीरत्व का होना बहुत आवश्यक है।<br />शानदार ग़ज़ल।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-72768004752491653592011-02-03T21:25:06.489+05:302011-02-03T21:25:06.489+05:30हो न लिजलिजा बिना रीढ़ का,है यही दुआ ऐ मेरेखुदा
दे...हो न लिजलिजा बिना रीढ़ का,है यही दुआ ऐ मेरेखुदा<br />दे वतन को ऐसा तू रहनुमा, जो दिलेर और दबंग हो<br /><br /><br />अच्छी और सही चाहत है मगर कहाँ से लाया जाये ऐसा रहनुमा.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-58756486519715550072011-02-03T18:25:17.740+05:302011-02-03T18:25:17.740+05:30वही रंजिशें वही दुश्मनी, मिला क्या हमें बता जीत से...वही रंजिशें वही दुश्मनी, मिला क्या हमें बता जीत से<br />तेरी हार में मेरी हार है, यही सोच लें तो न जंग हो<br /><br />वाह ..नीरज जी सच में ताज़ा हवा का झोंके की तरह है ये ग़ज़ल .... मज़ा आ गया ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-60994673381990167512011-02-03T11:43:37.900+05:302011-02-03T11:43:37.900+05:30ैआपकी गज़ल पर सब उस्ताद भी फिदा हो गये थे। फिर मै क...ैआपकी गज़ल पर सब उस्ताद भी फिदा हो गये थे। फिर मै क्या चीज़ हूँ। आपसे तो सदा सीखने के लिये बहुत कुछ मिलता है। बार बार पढी आपकी ये गज़ल कमाल कर दिया आपने। बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-31972589435083218372011-02-02T17:10:04.507+05:302011-02-02T17:10:04.507+05:30वाह नीरज जी, वाह ।।।।।।
क्या बेहतरीन गजल कही है ।...वाह नीरज जी, वाह ।।।।।।<br />क्या बेहतरीन गजल कही है । बधाई ।<br />हां, तीसरे शेर में रंजिशें की जगह रंजिशों टाइप हो गया है, सुधार लें । आखिर के दो शेर तो भीतर तक उतर गये ।मनोज अबोधhttps://www.blogger.com/profile/18362392537626057652noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-19744787337379037412011-02-02T16:48:25.205+05:302011-02-02T16:48:25.205+05:30bhai vaah. is bimb ke liye aap badhai k patra hai....bhai vaah. is bimb ke liye aap badhai k patra hai.dil or bhujang.musaffirhttps://www.blogger.com/profile/18171413841001095201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-67722760604050203342011-02-02T09:31:38.051+05:302011-02-02T09:31:38.051+05:30हो न लिजलिजा बिना रीढ़ का, है यही दुआ ऐ मेरे खुदा
...हो न लिजलिजा बिना रीढ़ का, है यही दुआ ऐ मेरे खुदा<br />दे वतन को ऐसा तू रहनुमा, जो दिलेर और दबंग हो<br /><br />बहुत सुन्दर तरही ग़ज़ल. <br /><br />एक-एक शेर बहुत बढ़िया. खासकर यह ऊपर वाला शेर. डॉक्टर सिंह को भेजता हूँ. लीडरान और रहनुमाओं को शायर ही दुरुस्त कर सकता है. कस्सम से.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-49511317184150813382011-02-01T23:11:36.581+05:302011-02-01T23:11:36.581+05:30एक बार फिर जयपुर में बैठकर आपकी ग़ज़ल का वो आनंद ल...एक बार फिर जयपुर में बैठकर आपकी ग़ज़ल का वो आनंद लिया कि आपकी गजक याद आ गई ।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-62001594583858972092011-02-01T21:53:00.203+05:302011-02-01T21:53:00.203+05:30वही रंजिशों वही दुश्मनी, मिला क्या हमें बता जीत से...वही रंजिशों वही दुश्मनी, मिला क्या हमें बता जीत से <br />तेरी हार में मेरी हार है, यही सोच लें तो न जंग हो<br />वाकई ! बहुत अच्छी लगी आपकी गज़ल !!रजनीश तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10545458923376138675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-49952408951145727942011-02-01T20:27:08.676+05:302011-02-01T20:27:08.676+05:30है जो मस्त अपने ही हाल में, कोई फ़िक्र कल की न हो ...है जो मस्त अपने ही हाल में, कोई फ़िक्र कल की न हो जिसे<br />उसे रास आती है जिंदगी, जो कबीर जैसा मलंग हो<br /><br /><br />वही रंजिशों वही दुश्मनी, मिला क्या हमें बता जीत से <br />तेरी हार में मेरी हार है, यही सोच लें तो न जंग हो<br />बहुत लाजवाब ग़ज़ल है हर शेर दाद के काबिलरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-31191636362808815282011-02-01T20:22:22.344+05:302011-02-01T20:22:22.344+05:30वही रंजिशों वही दुश्मनी, मिला क्या हमें बता जीत से...वही रंजिशों वही दुश्मनी, मिला क्या हमें बता जीत से तेरी हार में मेरी हार है, यही सोच लें तो न जंग हो<br /><br />वाह क्या बात है।<br /><br />सर जी..क्या ख़ूब ग़ज़ल लिखी है! आभार!वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05613141957184614737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-7731229597672749152011-02-01T18:19:14.024+05:302011-02-01T18:19:14.024+05:30बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल... सार्थक सन्देश धन्यवादबहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल... सार्थक सन्देश धन्यवादAmrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-7609240037410154092011-02-01T15:27:22.322+05:302011-02-01T15:27:22.322+05:30नीरज जी ,
बहुत सुन्दर भाव हैं आपकी गज़ल के हर शेर क...नीरज जी ,<br />बहुत सुन्दर भाव हैं आपकी गज़ल के हर शेर के ..खासतौर पर ये दोनों शेर ...<br />तुझे देख कर मुझे यूँ लगा कोई संदली सी है शाख तू<br />जो न रह सके तुझे छोड़ कर , मेरा दिल ये जैसे भुजंग हो<br /><br />हो न लिजलिजा बिना रीढ़ का, है यही दुआ ऐ मेरे खुदा<br />दे वतन को ऐसा तू रहनुमा, जो दिलेर और दबंग हो<br /><br />बहुत बधाई ..मुदिताhttps://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-62673172708959663102011-02-01T15:05:17.990+05:302011-02-01T15:05:17.990+05:30आदरणीय नीरज जी,
यह गज़ल तो गुरूदेव के ब्लॉग पर भी ...आदरणीय नीरज जी,<br /><br />यह गज़ल तो गुरूदेव के ब्लॉग पर भी पढ़ी थी, लेकिन लुत्फ एक ऐसी चीज की एक बार जुबान पर लग गया तो फिर दीवाना करे बिना नही छोड़ता। ऐसा ही कुछ हुआ है........<br /><br />है जो मस्त अपने ही हाल में, कोई फ़िक्र कल की न हो जिसे <br />उसे रास आती है जिंदगी, जो कबीर जैसा मलंग हो<br />यह शे’र दिल को छू जात है।<br /><br />सादर,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-82411225084632018722011-02-01T11:52:05.154+05:302011-02-01T11:52:05.154+05:30आखिरी शेर की पहली लाइन मनमोहन जी पर सही बैठती हुई ...आखिरी शेर की पहली लाइन मनमोहन जी पर सही बैठती हुई लग रही है .... बहुत ज़ोरदार ग़ज़ल कही है आपने ...बहुत दुश्वार काफिया उठाया आपने ..और बाकायदा निभा लिया ... दाद हाजिर है ... इस बेहतरीन ग़ज़ल पर ...भुजंग वाला और मलंग वाला शेर मुझे सबसे अधिक पसंद आये .. :)<br /><br />सादरस्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-86706906212137960552011-02-01T11:38:53.379+05:302011-02-01T11:38:53.379+05:30तुझे देख कर मुझे यूँ लगा कोई संदली सी है शाख तू
जो...तुझे देख कर मुझे यूँ लगा कोई संदली सी है शाख तू<br />जो न रह सके तुझे छोड़ कर , मेरा दिल ये जैसे भुजंग हो<br /><br />... Bohot khub :)vinshttps://www.blogger.com/profile/03120502940249101937noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-75333290266020548992011-02-01T10:55:33.548+05:302011-02-01T10:55:33.548+05:30करूँ जि़क्र मैं किसी शेर का, किसी शेर का नहीं जि़क...करूँ जि़क्र मैं किसी शेर का, किसी शेर का नहीं जि़क्र हो,<br />तेरी इस ग़ज़ल प मैं क्या कहूँ, जहॉं रंग-रंग में रंग हो।<br />हुजूर किसी एक शेर की बात हो कहूँ, सभी शेर उद्धरण योग्य हैं, रंगमंच के रंगारंग कार्यक्रम की तरह।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-29733562160062685192011-02-01T10:35:35.330+05:302011-02-01T10:35:35.330+05:30तुझे देख कर मुझे यूँ लगा कोई संदली सी है शाख तू
जो...तुझे देख कर मुझे यूँ लगा कोई संदली सी है शाख तू<br />जो न रह सके तुझे छोड़ कर , मेरा दिल ये जैसे भुजंग हो...<br /><br />क्या खूब लिखा है आपने...Neeraj Kumarhttps://www.blogger.com/profile/14312648658352009451noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-83576913534595691072011-02-01T09:16:25.834+05:302011-02-01T09:16:25.834+05:30BHAI SAHIB LATHH GAAD DIYE.
MANMOHAN SINGH KO BHEJ...BHAI SAHIB LATHH GAAD DIYE.<br />MANMOHAN SINGH KO BHEJO YA M BHEJUPRINCIPAL HPS SR SEC SCHOOLhttps://www.blogger.com/profile/16365868943940097730noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-21264364711468507892011-01-31T23:45:02.893+05:302011-01-31T23:45:02.893+05:30बहुत सुंदर गजल जी धन्यवादबहुत सुंदर गजल जी धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-57410424365645139162011-01-31T22:30:37.132+05:302011-01-31T22:30:37.132+05:30नया गीत हो, नया साज़ हो, नया जोश और उमंग हो
नए साल...नया गीत हो, नया साज़ हो, नया जोश और उमंग हो<br />नए साल में नए गुल खिलें, नई हो महक नया रंग हो<br />bhhut achchi lagi.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.com