tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post8057188343984556120..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: किताबों की दुनिया - 20नीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger50125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-42421685090215381232013-04-22T14:05:36.252+05:302013-04-22T14:05:36.252+05:30bahut sundar aur vajan dar sher...bahut sundar aur vajan dar sher...शारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-65883005447314689242010-04-09T08:57:25.463+05:302010-04-09T08:57:25.463+05:30this book is really very sttupidthis book is really very sttupidUnknownhttps://www.blogger.com/profile/18034448395533890264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-86508992451635150312010-02-03T12:53:37.458+05:302010-02-03T12:53:37.458+05:30नीरजजी सच में आपका कलेक्सन अच्छा है | पढ़कर आनंद म...नीरजजी सच में आपका कलेक्सन अच्छा है | पढ़कर आनंद मिला..आपको अभिनन्दनkavirajhttps://www.blogger.com/profile/05119004243540386998noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-4538971126624055052010-01-08T18:20:28.533+05:302010-01-08T18:20:28.533+05:30संजय जी को ब्लॉग के माध्यम से तो जानती थी मैं पर ...संजय जी को ब्लॉग के माध्यम से तो जानती थी मैं पर उनका ये सुंदर रूप आपके माध्यम से देखने को मिला बहुत बेमिसाल पेशकश बधाई तो क्या दूँ धन्यवाद देती हूँ इतनी अच्छी रचनाओं को पढवाने के लिएरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-24484960790158222912009-12-25T09:31:17.446+05:302009-12-25T09:31:17.446+05:30एक एक अल्फाज अनमोल है यहाँ, ऊपर से पढ़ा "हैस...एक एक अल्फाज अनमोल है यहाँ, ऊपर से पढ़ा "हैसियत देखे बिना बेख़ौफ़ पत्थर मारना<br />आपके बस का नहीं, बच्चा कोई बुलवाईये" ग़ज़ब की पंक्तिया है, फिर पढ़ता गया तो देखा यहाँ तो हर एक पंक्ति लाजवाब है!!Murari Pareekhttps://www.blogger.com/profile/16625386303622227470noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-2803544800947448222009-12-24T22:25:35.016+05:302009-12-24T22:25:35.016+05:30neerajji
aapka bahut bahut abhar itne behtreen sh...neerajji <br />aapka bahut bahut abhar itne behtreen shayar se milvane ke liye .pustak ki umda smeeksha karne ke liye badhai <br />ताज़ा कौन किताबें निकलीं<br />उतरी हुई जुराबें निकलीं<br /><br />शोहरत के संदूक में अक्सर<br />चोरी की पोशाकें निकलीं<br /><br />मैले जिस्म घरों के अन्दर<br />बाहर धुली कमीज़ें निकलीं<br /><br />bahut bhut sachhi batशोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-7883967059779305252009-12-24T20:30:01.760+05:302009-12-24T20:30:01.760+05:30माननीय नीरज जी,
आपके फोन करके हालत जानने का हार्दि...माननीय नीरज जी,<br />आपके फोन करके हालत जानने का हार्दिक शुक्रिया.<br />दरल साहब और अन्य ब्लागर बंधुओं की चिंतित स्वरों की आत्मिक जानकारी माननीय दराल जी के १६ दिसंबर के ब्लाग से मिली. और उन्हें मैंने निम्न टिप्पणी उनकी २४ दिसंबर की पोस्ट पर प्रेषित की है. हुबहू आपके सूचनार्थ भी प्रेषित है.<br /><br />एक बार पुनः सूचित कर दूं की मैं पुर्णतः स्वस्थ और शकुशल हूँ. बस मज़बूरी का मारा हूँ..................<br />चन्द्र मोहन गुप्त <br />********************************<br />दराल जी को प्रेषित टिपण्णी .............<br /><br />माननीय दराल जी,<br /><br />आज अभी अग्रज नीरज जी से फ़ोन द्वारा ज्ञात हुआ कि आपने ब्लागजगत पर मेरी गुमशुदगी पर पूरी एक पोस्ट १६ दिसंबर को पेश की और तमाम शुभचिंतको नें अपनी त्वरित टिप्पणियां भी दी.<br /><br />आपकी और सभी शुभचिंतकों की गहन आत्मीयता से में हार्दिक रूप से आप सब का ऋणी हो गया. <br /><br />हाँ एक बार और बता दूं कि मैं नहीं जानता कि विजय जी के ब्लाग पर मेरी अंतिम टिपण्णी किस तारीख कि है पर यह सच है कि मैं ब्लाग जगत से 'मज़बूरी" पर अपनी अंतिम पोस्ट पेश कर ऊपर वाले के रहमों करम से "मज़बूरी" के ही चलते मुझे ब्लाग जगत से दूर रहना पड़ा और शायद अभी कुछ और महीने दूर रहना पड़े, कारण कि मैंने तभी से "इन्डियन स्टील कारपोरेशन लिमिटेड , गांधीधाम में विधुत विभाग में सहायक महाप्रबंधक के पद पर नैकरी ज्वाइन कर ली है और वहां पर इंटरनेट की अनुपलब्धता के चलते ब्लाग जगत से दूरी एक मज़बूरी बन गयी है. परिवार जयपुर में ही है, सारी व्यवस्थाएं जयपुर में ही हैं, आज यह कमेंट या कहूँ उत्तर जयपुर से ही लिख रहा हूँ. अभी मुझे कंपनी के काम से ग्वालियर के लिए निकलना है, वहां से १ जनवरी को ही गांधीधाम पुनः जयपुर होते हुए वापस पहुँचूँगा.<br /><br />जो मोबाईल नंबर अग्रज नीरज जी ने दिया है वह मेरा जयपुर का नंबर था, सो रोमिंग के कारण उसे स्विच ऑफ कर के रखा था. अब मेरे पास गांधीधाम का नया मोबाईल नंबर 09725506267 है, <br /><br />आशा है, मेरी अनुपस्थिति की मज़बूरी पर लगा ग्रहण ज्यों ही ईश्वर के रहमो करम से हटेगा, अप सब के साथ एक नयी ताजगी से मिल कर अभिभूत होऊंगा, आप सब को मिस करने का मुझे भी बेहद अफ़सोस है, पर समय के आगे किसी का बस नहीं चलता.........<br /><br />अंत में आप सभी का पुनः एक बार हार्दिक आभार. <br /><br />चन्द्र मोहन गुप्तMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-46649445439551863042009-12-24T20:11:53.872+05:302009-12-24T20:11:53.872+05:30संजय जी को पढ़ना होता रहा है पर वे इतने बेहतरीन शाय...संजय जी को पढ़ना होता रहा है पर वे इतने बेहतरीन शायर हैं ये आपकी इस पोस्ट को पढ़ कर पता चला। पत्थर वाला प्रयोग अनूठा लगा।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-77647506075254067032009-12-24T19:30:14.464+05:302009-12-24T19:30:14.464+05:30वाह आपकी हर समीक्षा हमें एक हीरे से मिलवाती है । आ...वाह आपकी हर समीक्षा हमें एक हीरे से मिलवाती है । आपके उद्धृत सभी शेर एक से बढ कर एक हैं पर ये कितना सामयिक है <br />क्यूँ अमन के तुम उड़ाते हो कपोत<br />धर्म का मतलब तो अब उन्माद है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-70748395312906983722009-12-23T18:40:23.975+05:302009-12-23T18:40:23.975+05:30neeraj ji
jiski shakhein parindon ke gane sunein.....neeraj ji<br />jiski shakhein parindon ke gane sunein.............ye nayi nazm padh nhi pa rahi kyunki open nhi ho rahi hai..........pls dobara publish kijiye.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-85215993400351328252009-12-23T11:34:38.549+05:302009-12-23T11:34:38.549+05:30संजय जी को एक ब्लौगर के तौर पर तो जब-तब पढ़ता था ले...संजय जी को एक ब्लौगर के तौर पर तो जब-तब पढ़ता था लेकिन उनका ये शायर वाला रूप तो लाजवाब कर गया। अशआर के अंदाज और उनकी सोच, उसकी बुनाई...उफ़्फ़्फ़!<br /><br />शुक्रिया नीरज जी, इस अद्भुत शायर से मिलवाने के लिये। उनसे संपर्क करता हूँ उनकी इस किताब के लिये।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-86138328204480082672009-12-23T00:18:27.341+05:302009-12-23T00:18:27.341+05:30पत्थरों को भी जो आईनों के माफिक तोड़ दे
इतनी कुव्व...पत्थरों को भी जो आईनों के माफिक तोड़ दे<br />इतनी कुव्वत रख सके इक ऐसा पत्थर लाईये<br /><br /><br />हैसियत देखे बिना बेख़ौफ़ पत्थर मारना<br />आपके बस का नहीं, बच्चा कोई बुलवाईये<br /><br />" bahut hi badhiya aur aapka sukriya ki aapne " sanjay ji se parichay karvaya ."<br /><br />" umda lekhan aur shandar post ke liye aapko aur sanjay ji ko badhai "<br /><br /><br />------ eksacchai { AAWAZ }<br /><br />http://eksacchai.blogspot.comTulsibhaihttps://www.blogger.com/profile/08821328992864186623noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-82033666053328342752009-12-22T22:26:41.681+05:302009-12-22T22:26:41.681+05:30पुस्तक समीक्षा करना कोई आप से सीखे!पुस्तक समीक्षा करना कोई आप से सीखे!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-18397455477435791232009-12-22T21:00:42.309+05:302009-12-22T21:00:42.309+05:30ताज़ा कौन किताबें निकलीं
उतरी हुई जुराबें निकलीं
...ताज़ा कौन किताबें निकलीं<br />उतरी हुई जुराबें निकलीं<br /><br />शोहरत के संदूक में अक्सर<br />चोरी की पोशाकें निकलीं<br /><br />BEHATAR KITAB SE PARICHAY KARANE KE LIYE ABHAARप्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-62650202083104735642009-12-22T17:21:22.293+05:302009-12-22T17:21:22.293+05:30E-Mail received from Sh:Rakesh Sobti Ji:-
Hello S...E-Mail received from Sh:Rakesh Sobti Ji:-<br /><br />Hello Sir maine apka article para, bahut achchha laga.नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-79901774635943837102009-12-22T16:18:17.746+05:302009-12-22T16:18:17.746+05:30मौत की वीरानियों में ज़िन्दगी बन कर रहा
वो खुदाओं ...मौत की वीरानियों में ज़िन्दगी बन कर रहा<br />वो खुदाओं के शहर में आदमी बन कर रहा<br />..........वाहरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-56910817526743076442009-12-22T13:04:44.849+05:302009-12-22T13:04:44.849+05:30बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भ...बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-30432803982015753162009-12-22T11:18:04.404+05:302009-12-22T11:18:04.404+05:30अरे वाह नीरज जी.. शुभान अल्ला.....
बहुत खूब...अरे वाह नीरज जी.. शुभान अल्ला.....<br />बहुत खूब...kavi kulwanthttps://www.blogger.com/profile/07096995143341561602noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-91203792896973165012009-12-22T10:31:10.233+05:302009-12-22T10:31:10.233+05:30E-Mail received from Sh.Om Prakash Sapra Ji:-
SHR...E-Mail received from Sh.Om Prakash Sapra Ji:-<br /><br />SHRI NEERAJ JI<br /> NAMASTEY,<br /><br />GOOD COLLECTIONS OF SHAIRI.<br />ESPECIALLY POETRY OF SANJAY GROVER'S "KHUDAO KE SHAHAR MEIN AADMI"<br /><br />GOOD EFFORT, CONGRTAS,<br />REGARD, -<br />-OM SAPRA , DELHI-9नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-92135281215699622912009-12-22T09:22:24.485+05:302009-12-22T09:22:24.485+05:30संजय जी को एक ब्लॉगर के रूप में ही जानते थे. आपने ...संजय जी को एक ब्लॉगर के रूप में ही जानते थे. आपने उनकी किताब की चर्चा कर के उनसे परिचय को एक नया आयाम दिया. किताबों से परिचय कराने का आपका अभियान ऐसे ही चलता रहे, यही कामना है.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-28084397812880927782009-12-22T00:56:07.989+05:302009-12-22T00:56:07.989+05:30संजय ग्रोवर जी को ब्लॉग के माध्यम से जानते थे । ...संजय ग्रोवर जी को ब्लॉग के माध्यम से जानते थे । लेकिन आज आपकी इस पोस्ट के माध्यम से विस्तार से उनके रचनाओं के बारे में जानकारी मिली । <br /><br />और इतनी बढिया गजल पढने को मिलीं । <br />संजय ग्रोवर जी की रचनाओं में समाज और आदमी में व्याप्त विसंगतियां उभरकर दिखाई पडती हैं । <br /><br />हैसियत देखे बिना बेख़ौफ़ पत्थर मारना<br />आपके बस का नहीं, बच्चा कोई बुलवाईये<br /><br />शुक्रिया ।अर्कजेशhttps://www.blogger.com/profile/11173182509440667769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-89262280626942738562009-12-22T00:49:32.095+05:302009-12-22T00:49:32.095+05:30'पत्थरों को भी जो आईनों के माफिक तोड़ दे
इतनी ...'पत्थरों को भी जो आईनों के माफिक तोड़ दे<br />इतनी कुव्वत रख सके इक ऐसा पत्थर लाईये'<br />waah!<br /><br />aap ki pasand bhi bahut khoob hai!<br />bahut hi achchee kitaab aur gazalkaar se parichay karwaya.<br /><br />Abhaar.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-31787541449957542182009-12-22T00:20:05.382+05:302009-12-22T00:20:05.382+05:30क्यूँ अमन के तुम उड़ाते हो कपोत
धर्म का मतलब तो अब...क्यूँ अमन के तुम उड़ाते हो कपोत<br />धर्म का मतलब तो अब उन्माद है<br /><br />बहुत ही बढ़िया बढ़िया रचनाएँ पढ़ने को मिली आपके ब्लॉग पर दिल खुश हो गया नीरज जी सभी शानदार रचनाओं के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवादविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-56761759648678195512009-12-21T23:39:10.675+05:302009-12-21T23:39:10.675+05:30नीरज जी,
पुस्तक की रचनाएं अपनी जगह
हमें तो आपका प...नीरज जी, <br />पुस्तक की रचनाएं अपनी जगह<br />हमें तो आपका प्रस्तुतिकरण बहुत अच्छा लगा<br />ग्रोवर जी का ये शेर कितना सच्चा है-<br />कमज़ोरों के आगे दीखते पत्थर जैसे सख्त<br />ताक़तवर कोई आये तो फूल से झरते लोग<br /><br />शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-24357732823426534682009-12-21T23:23:09.334+05:302009-12-21T23:23:09.334+05:30नीरज जी,
ग्रोवर साहब की ग़ज़ल का स्वाद अभी कुछ ह...नीरज जी,<br />ग्रोवर साहब की ग़ज़ल का स्वाद अभी कुछ ही दिन पहले चखा था. आपकी पुस्तक चर्चा ने पूरा पिटारा खोल दिया . वाकई वे आज के एक सशक्त शायर हैं.<br /><br />सभी शेर प्रहार करते हैं, खासकर पत्थरों वाले .<br /><br />धन्यवाद!<br />सुलभSulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.com