tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post6356965834912973350..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: किताबों की दुनिया - 139नीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-83644457935517653772017-09-19T21:11:00.444+05:302017-09-19T21:11:00.444+05:30साधुवाद आपकोसाधुवाद आपकोarun prakashhttps://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-23194287544203877602017-08-27T15:23:09.144+05:302017-08-27T15:23:09.144+05:30बहुत सुन्दर बहुत सुन्दर Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-71433482400782305042017-08-27T08:13:56.360+05:302017-08-27T08:13:56.360+05:30दुष्यंत ने हिंदी गजल की जो परिपाटी शुरू की उसने ग़ज़...दुष्यंत ने हिंदी गजल की जो परिपाटी शुरू की उसने ग़ज़ल के बने बनाये पुराने नियमो को तोडा इसलिए ही उन्होंने अपने शेर में लिखा <br />मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ<br />वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ <br /><br />और दुष्यंत के ये शेर तो शायद ही भारत का कोई आंदोलन रहा हो जिसमे ना सुनाये गये हो <br /><br />सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं<br />मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए<br /><br />मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही<br />हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए<br /><br />दुष्यंत व्यवस्था पे चोट करने वाले कवि शायर थे गर उन्होंने कभी प्रेम पे कोई कविता या ग़ज़ल लिखी तो उसमे भी वो व्यवस्था से लड़ते ही नज़र आये <br /><br />एक बाज़ू उखड़ गया जबसे<br />और ज़्यादा वज़न उठाता हूँ <br /><br />अब गर आप उनके सामानांतर का कोई शायर खोज लाये तो उसमे कोई बात तो जरुर होंगी<br /><br />दाना-पानी तक को ये पिंजरा नहीं खोला गया <br />जब से मैंने कह दिया है -मेरे डैने दीजिये <br /><br />इस शेर में छिपी हुई बेबसी का अंदाजा लगाना आसान नहीं है; ये वर्तमान हालातों पे तंज़ कसता है <br /><br />कुनबों के दरबार हमारी बस्ती में <br />उनके ही अखबार हमारी बस्ती में <br /><br />आज राजधानी जाने की जल्दी में <br />मिलता हर फनकार हमारी बस्ती में <br /><br />हमारे राजनैतिक वंशवाद और उनके तले फलने फूलने वाले चाटुकारों का वर्णन करते ये दो शेर <br /><br />मुखिया का कुरता है रेशम का <br />भीड़ पहनती टाट हमारे गाँव में <br /><br />अब इस शेर के बारे में क्या कहा जाए; लाखो करोडो के घोटाले करने वाले नेताओ और भूख से मरती जनता के बारे बहुत कम शब्दों में जिस तरह लिख दिया गया है वो वास्तव में इन्हें दुष्यंत के समकालीन और उनके बराबर का ही शायर घोषित करता है <br /><br /><br />आप का एक बार फिर से धन्यवादAmit Thapahttps://www.blogger.com/profile/03325771976660801450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-68086653086177596212017-08-27T08:12:26.661+05:302017-08-27T08:12:26.661+05:30This comment has been removed by the author.Amit Thapahttps://www.blogger.com/profile/03325771976660801450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-6696195511495897912017-08-21T18:39:48.708+05:302017-08-21T18:39:48.708+05:30एक बेहतरीन शायर की चर्चा है एक बेहतरीन शायर की चर्चा है प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-81671773043026826952017-08-21T14:30:41.972+05:302017-08-21T14:30:41.972+05:30जिन्दावाद जिन्दावाद Dr. Sunil Niralahttps://www.blogger.com/profile/00712240960395736711noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-76748981422332918912017-08-21T13:07:04.669+05:302017-08-21T13:07:04.669+05:30एक बहुत महत्त्वपूर्ण शायर खोज कर लाये हैं आप। दुष्...एक बहुत महत्त्वपूर्ण शायर खोज कर लाये हैं आप। दुष्यंत के समकालीन इस ग़ज़लकार का नाम बहुत कम सुनने में आया है, जबकि बहुत अच्छा लिखा है इन्होने उस दौर की बात की जाय तो।<br /><br />समीक्षा भी अच्छी हुई है...आप साधुवाद के पात्र हैंके० पी० अनमोलhttps://www.blogger.com/profile/06089888720175049089noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-22157441287692443342017-08-21T12:11:41.949+05:302017-08-21T12:11:41.949+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-08-2017) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "सभ्यता पर ज़ुल्म ढाती है सुरा" (चर्चा अंक 2704) </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'<br /><br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-5163963229894345682017-08-21T11:17:25.664+05:302017-08-21T11:17:25.664+05:30A different kind of poetry and expressions.A different kind of poetry and expressions.Parul Singhhttps://www.blogger.com/profile/07199096531596565129noreply@blogger.com