tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post5770462029491875013..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: हाथ मैं फूलनीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-18005581177269638182007-10-23T17:49:00.000+05:302007-10-23T17:49:00.000+05:30नीरज भैया,गजब का जोर है, गजलों में आपकी भैयाइसी वज...नीरज भैया,<BR/><BR/>गजब का जोर है, गजलों में आपकी भैया<BR/>इसी वजह से इंतजार किया करते हैंShivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-83547092717463005472007-10-23T10:00:00.000+05:302007-10-23T10:00:00.000+05:30इतनी सुन्दर रचना पढ़ने के बाद तो सिर्फ वाह वाह ही न...इतनी सुन्दर रचना पढ़ने के बाद तो सिर्फ वाह वाह ही निकलता है.<BR/><BR/>चाहते तब नहीं मंजिल पे पहुंचना "नीरज"<BR/>जब मेरे साथ सफर मैं वो रहा करते हैं <BR/><BR/>सही कहा.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-35729268695749274022007-10-23T07:36:00.000+05:302007-10-23T07:36:00.000+05:30हम तो दरवाजा खोले रहते हैं। पर यह धूप तो गच्चा देक...हम तो दरवाजा खोले रहते हैं। पर यह धूप तो गच्चा देकर जयपुर चली जाती है! (शिव ने बताया!) <BR/>बहुत दिनो बाद दिखती है। सूरज तो रोज उगना चाहिये।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-30147948332616405122007-10-23T00:27:00.000+05:302007-10-23T00:27:00.000+05:30बेहतरीन-धूप कमरे मैं उन्ही के ही खिला करती हैजिनके...बेहतरीन-<BR/><BR/>धूप कमरे मैं उन्ही के ही खिला करती है<BR/>जिनके दरवाजे नहीं बंद रहा करते हैं <BR/><BR/><BR/>-सुन्दर रचना के लिये बहुत बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-78124921918598795572007-10-22T23:34:00.000+05:302007-10-22T23:34:00.000+05:30आपकी गति कम कैसे हो गई। लगातार लिखते रहे। आपको पढत...आपकी गति कम कैसे हो गई। लगातार लिखते रहे। आपको पढते हुये ऐसा लगता है जैसे नामी-गिरामी कवि को पढ रहे है। काश मै भी ऐसा लिख पाता। आप नीरज ही है नीरस तो बिल्कुल नही हाँ ओजस जरूर है। बधाई। एक बात और, चित्र बढिया चुनते है आप।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.com