tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post576789862150732005..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: किताबों की दुनिया -121नीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger35125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-12873294717137768842016-09-02T11:41:30.087+05:302016-09-02T11:41:30.087+05:30तुम्हें जिस पर हंसी आई मुसलसल
वो जुमला तो अखरना च...तुम्हें जिस पर हंसी आई मुसलसल <br />वो जुमला तो अखरना चाहिए था <br /><br />वहां पर ज़िन्दगी ही ज़िन्दगी थी <br />उसी कूचे में मरना चाहिए था <br /><br />किसी की मुस्कराहट छीन बैठे <br />सलीक़े से मुकरना चाहिए था <br /><br />समझ आया है ये बीनाई खो कर <br />उजालों से भी डरना चाहिए था <br /><br />Irshaad भाई का मैं बहुत बड़ा fan हूँ<br />उनकी शायरी एक सच्ची शायरी लगती है और हम जैसे नौसिखियों के लिए एक text book की तरह है।<br /><br />मैं उनका शुभचिंतक हूँ। इस कामयाब पुस्तक के लिए इरशाद जी को बहुत बहुत।बधाई।<br /><br />नकुलनकुल गौतमhttps://www.blogger.com/profile/08033870691414582297noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-36564684093664639112016-04-13T13:59:19.697+05:302016-04-13T13:59:19.697+05:30इरशाद बहुत अच्छे शायर हैं। इनको बहुत दिनों से पढ़ र...इरशाद बहुत अच्छे शायर हैं। इनको बहुत दिनों से पढ़ रहा हूँ। अच्छी समीक्षा की है आपने। बधाई स्वीकार कीजिए।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-26342540462776403092016-04-13T13:59:15.318+05:302016-04-13T13:59:15.318+05:30इरशाद बहुत अच्छे शायर हैं। इनको बहुत दिनों से पढ़ र...इरशाद बहुत अच्छे शायर हैं। इनको बहुत दिनों से पढ़ रहा हूँ। अच्छी समीक्षा की है आपने। बधाई स्वीकार कीजिए।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-11395411985779781362016-04-03T10:30:02.468+05:302016-04-03T10:30:02.468+05:30बहुत गहरे शेर बहुत गहरे शेर Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-9573193969419435402016-04-02T20:46:35.877+05:302016-04-02T20:46:35.877+05:30बहुत सुंदर
रमेश कँवल
पटनाबहुत सुंदर<br /><br />रमेश कँवल<br />पटनानीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-29302381060858922982016-04-01T12:08:36.011+05:302016-04-01T12:08:36.011+05:30जिस्म दरिया का थरथराया है
हमने पानी से सर उठाया ह...जिस्म दरिया का थरथराया है <br />हमने पानी से सर उठाया है <br /><br />अब मैं ज़ख्मों को फूल कहता हूँ <br />फ़न ये मुश्किल से हाथ आया है <br /><br />वाह <br />क्या ग़ज़लें हैं भाई <br /><br />वाहप्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-7841117266155297662016-03-30T10:46:43.649+05:302016-03-30T10:46:43.649+05:30received on WhatsApp:-
एक बहुत पुराना माकूला है।...received on WhatsApp:-<br /><br /><br />एक बहुत पुराना माकूला है। "बाअदब बानसीब बेअदब बेनसीब " ये माकूला इरशाद खान सिकंदर पर खरा उतरता है। इरशाद के मिज़ाज़ में अथाह सहार है, नतीजन वो अपने बड़ों से खातिरखाह इल्म इस तरह से खुद में समो लेते हैं, जिस तरह तितली फूल से रस उठा लेती है। लगातार की इस सलीकामन्दी ने इरशाद की शायरी को उस मुकाम पर पहुंचा दिया है कि नज़्म और नस्र फर्क नहीं रह गया है। जिस तरह चाबुकदस्ती से इरशाद मफ़हूम को अशआर में तब्दील करते हैं, वो उस्तादों का ही हिस्सा है। उन्हें फरिगुल-इस्लाह हुए ज़माना हुआ ओर अब तो वो खुद कई अच्छा कहने वाले शागिर्दों की तरबियत कर रहे हैं. उन सभी शागिर्दों की शायरी अहसास कराती है कि हज़रते-मुसहफ़ी का आँगन उनके सबब जगमगाता रहेगा। <br /><br />तुफैल चतुर्वेदी<br />नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-59000526211640586662016-03-29T11:06:17.275+05:302016-03-29T11:06:17.275+05:30इरशाद भाई को जबसे पढ़ना शुरू किया है, तब ही से उनका...इरशाद भाई को जबसे पढ़ना शुरू किया है, तब ही से उनका मुरीद हूँ। वो अपनी ग़ज़लों में हर रंग समेटे हुए हैं, और कुछ शेर तो ऐसे कहे हैं जो आने वाले वक़्त में मुहावरे बन जाएंगे। Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-4314936650260421152016-03-29T10:12:24.173+05:302016-03-29T10:12:24.173+05:30Received on Fb:-
Achchhi kitab hai mai padh chuka...Received on Fb:-<br /><br />Achchhi kitab hai mai padh chuka hu mobarakbad<br /><br />Shakeel Azmi<br />Mumbaiनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-45346365793214852852016-03-29T10:10:46.321+05:302016-03-29T10:10:46.321+05:30Received on mail :-
Neeraj Bhai maza aagaya Irsha...Received on mail :-<br /><br />Neeraj Bhai maza aagaya Irshad bhai ki shayri padh kar ...Lajawab shayri, bemisaal sher. Aapki post ka isiliye to intezaar karte hain , hamesha ki tarah aapne ghazab ke shayar aur uski shayri se parichay karvaya hai.<br /><br />Hamara poora group aapka tahedil se ehsaanmand hai, aapki badaulat hum jaise vatan se itni door baithe shayri ke divaane ye sab padh pa rahe hain.<br />Duaon ke saath<br /><br />Rahul<br /><br />Newzealand नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-46607584824089560452016-03-29T10:06:30.396+05:302016-03-29T10:06:30.396+05:30Received on Mail:-
Neeraj Bhai kya kamaal ke sha...Received on Mail:-<br /><br /><br />Neeraj Bhai kya kamaal ke shayar se tarruf karvaya hai aapne. Ghazab ke sher kehne wala ye shayar yun hi kehta rahe ye hi dua karta hoon. <br />Aap ka bemisaal andaaz-e-bayan aur Irshad ki khoobsurat shayri ne is post ko yaadgaar bana diya hai .<br />Bahut bahut mubarakbaad aap dono ko .<br /><br />Chand Shukla haidiyabadi<br />Denmarkनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-70683301722976181982016-03-29T10:03:45.749+05:302016-03-29T10:03:45.749+05:30Received on Fb:-
Sabse pahle to bhai Irshad Khan ...Received on Fb:-<br /><br />Sabse pahle to bhai Irshad Khan Sikandar ko mubarakbaad <br />Neeraj bhai ka likha maiN pahle bhi padhta raha hooN ..un ke likhe meiN sab se achchi baat ye hai k wo aik qaari ki imaandaar raaye ya pratikriya hai ....jaisa paaya waisa kaha ..... <br /><br />Kitaab kyuN ki maiN ne padhi nahiN hai ..is liye us par kuch keh pana mumkin nahiN .<br />Neeraj Goswamy sb ne ba khubi jaayaza liya hai ...mubarakbaa<br /><br /><br />Aadil Raza Mansoori<br />Jaipur<br />नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-63562382477098582562016-03-29T10:02:36.699+05:302016-03-29T10:02:36.699+05:30Received on Fb:-
Mujhe umeed hi nahin ab yaqeen b...Received on Fb:-<br /><br />Mujhe umeed hi nahin ab yaqeen bhi hai umeed to usi din bandh gayi thi jab pehli baar bhai Tufail Chaturvaidi ke yaha'n ek adabi nashisht mein suna <br />Kal teri tasveer mukammal ki main ne <br />Foran us per titli aa kar baith gayi..... <br /><br />Aaj jab us ki kitaab Ansuo'n ka tarjuma meri mez per hai to mujhe chaahiye ke muhabbat ke saath padho'n jald hi apni raay ka izhaar karo'n ga deir ki to dusri kitaab aa jaaye gi jis Raftaar se us ne ye safar tai kiya ye mumkin ho sakta hai.. Irshad Khan Sikandar ne aaj ke insaan ki nabz per haath rakh diya hai Un ke un kahey dukh dard ko sun raha hai aur apni zabaan (jo Urdu Hindi ka aameza hai) mein nayi shayri ke supurd kar raha hai us ki kitaab Achhey logo'n tak punhchey aur sachhi aara us tak punhche;n Rauf Raza ... Khoob duaaye'n<br /><br />Rauf Raza<br />नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-8619810023238560572016-03-29T10:00:54.430+05:302016-03-29T10:00:54.430+05:30RECEIVED ON Fb :-
बेशक इरशाद ख़ान सिकन्दर हमारी पी...RECEIVED ON Fb :-<br /><br />बेशक इरशाद ख़ान सिकन्दर हमारी पीढ़ी के महत्त्वपूर्ण शायर हैं। शायर के साथ-साथ एक बेहतर इंसान होना सोने पे सुहागा। आपकी blog पर जाके मैंने समीक्षा पढ़ी। आप जिस तरह से पुस्तक समीक्षाएं लिखकर पाठकों को किताबों की तरफ़ आकृष्ट करते हैं वो दुहरे फ़ायदे की कोशिश है। इस सिलसिले में आपकी किताब भी अपने आप में एक उदाहरण है। इरशाद भाई को बधाई और आपको भी।<br /><br />Deepak Ruhani<br />LUCKNOWनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-81146859644423421002016-03-29T09:10:39.190+05:302016-03-29T09:10:39.190+05:30इरशादखान सिकंदर साहब की गज़लें
ज़िंदगी के उजालों के ...<br />इरशादखान सिकंदर साहब की गज़लें<br />ज़िंदगी के उजालों के पैग़म्बर ग़ज़लें हैँ। <br />रौशनी ही रौशनी, ज़िंदगी ही ज़िंदगी है उनके यहाँ।<br /><br />वहाँ पर ज़िन्दगी ही ज़िंदगी थी<br />उसी कूचे में मरना चाहिए था।<br /><br />और <br /><br />तज़किरा तो छोड़ दो थकान का<br /><br />क्या बात है बहुत ख़ूब।<br /><br />मैं मुरीद हूँ उनका,उनकी शायरी का<br />और<br />आप जैसे गोहर शनास का भी।<br /><br />हर शे'र हमेशा के लिए ज़बानज़द होने की खूबसूरत सलाहियत रखता है।<br /><br />ज़िंदाबाद शायरी के लिए इरशाद भाई को और ज़िंदाबाद अंदाज़ में उसका ज़िक्र करने के लिए आपको बहुत बहुत मुबारकबाद भी और ढेरों दाद भी| <br />द्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-88162124840992468572016-03-29T08:57:55.764+05:302016-03-29T08:57:55.764+05:30जीवन की विद्रूपता से उपजी हुई स्वाभाविक, सहज, सच्...जीवन की विद्रूपता से उपजी हुई स्वाभाविक, सहज, सच्ची और अच्छी शायरी है इरशाद की शायरी !<br />शायर को शेर कहने के लिए कोशिश नहीं करनी पड़ती बल्कि अशआर उस से खुद को कहलवा लेते हैं . इसी लिए लहजे में बला की बरजस्तगी पाई जाती है. इरशाद के लिए ढेरों दुआएं <br />आप की पारखी नज़र ने बिला शुबहा एक अच्छे शायर को पहचाना है और इसीलिए आप की समीक्षा भी अपनी खूबसूरती के लिए ढेरों दाद चाहती है . Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15254198827346825187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-36201201981006027722016-03-29T07:56:57.610+05:302016-03-29T07:56:57.610+05:30Received on Fb:-
मैं चराग़ से जला चराग़ हूँ
रौशनी...Received on Fb:-<br /><br />मैं चराग़ से जला चराग़ हूँ<br />रौशनी है पेशा खानदान का<br />इरशाद भाई का ये शेर कितना सच्चा है। रौशनी रौशनी है इस शख़्स में इस किताब में। आप के लम्स ने चमक में और रंग भर दिए हैं। लगता है सिर्फ़ आप के ब्लॉग पे आने के लिए अपनी किताब देवनागरी में लानी होगी। :)<br /><br /><br />स्वप्निल तिवारी<br />मुंबईनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-19082337441433153152016-03-28T21:41:14.625+05:302016-03-28T21:41:14.625+05:30चन्द अशआर पढ़कर महसूस हुआ कि इरशाद खान सिकंदर बाकमा...चन्द अशआर पढ़कर महसूस हुआ कि इरशाद खान सिकंदर बाकमाल शायर हैं। उनके पास फ़िक्र है, नजरिया है और सलीका है. इस दौर में अच्छे उस्ताद बड़ी मुश्किल से मिलते हैं। इस मामले में इरशाद भाई खुशकिस्मत हैं। मेरी दुआ है कि वो इसीतरह कामयाबी का सफर तय करते रहें <br /><br />देवमणि पांडेय <br />मुंबई नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-63273940661895731252016-03-28T20:44:22.064+05:302016-03-28T20:44:22.064+05:30इरशाद जी के जो शेर इस समीक्षा में पढ़े उससे मुझे वो...इरशाद जी के जो शेर इस समीक्षा में पढ़े उससे मुझे वो आसमान दिख गया जो वो आसानी से छू लेते हैं। 1983 में जन्में शायर का शेर कहने का तरीका एक उम्रदराज़ शायर जैसा परिपक्व है। इरशाद जी आपका मुकाम बहुत आगे है , यूँ ही मेहनत करते रहें। <br /><br />आतिश इंदौरी <br />+91 9406630247नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-43795471931123452502016-03-28T20:01:12.257+05:302016-03-28T20:01:12.257+05:30परिचित (known) और कम परिचित (lesser known) शायरों ...परिचित (known) और कम परिचित (lesser known) शायरों की शायरी से लोगों को अवगत अवगत कराने का आपका निरंतर प्रयास प्रशंसनीय है जिसके लिए आप को बधाई. इरशाद जी की कुछ रचनाएँ मैंने एक अलग ब्लॉग पर हाल ही में पढ़ी थी. जिसमे से एक एक ग़ज़ल शायरी के प्रेमियों के लिए प्रस्तुत करना चाहता हूँ. आशा है सब को पसंद आएगी.<br /><br />इरशाद खान 'सिकंदर'<br />बंद दरवाज़े खुले रूह में दाख़िल हुआ मैं<br />चंद सज्दों से तिरी ज़ात में शामिल हुआ मैं<br />खींच लायी है मुहब्बत तिरे दर पर मुझको<br />इतनी आसानी से वर्ना किसे हासिल हुआ मैं<br />मुद्दतों आँखें वुज़ू करती रहीं अश्कों से<br />तब कहीं जाके तिरी दीद के क़ाबिल हुआ मैं<br />जब तिरे पांव की आहट मिरी जानिब आई<br />सर से पा तक मुझे उस वक्त लगा दिल हुआ मैं<br />जब मैं आया था जहां में तो बहुत आलिम था<br />जितनी तालीम मिली उतना ही जाहिल हुआ मैं<br />फूल से ज़ख्म की खुशबू से मुअत्तर ग़ज़लें<br />लुत्फ़ देने लगीं और दर्द से ग़ाफ़िल हुआ मैं<br />मोजिज़े इश्क़ दिखाता है ’सिकंदर’साहब<br />चोट तो उसको लगी देखिये चोटिल हुआ मैं ... इरशाद खान ‘सिकंदर’Devdatta Sangep https://www.blogger.com/profile/06682541329233767301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-64167194981503544692016-03-28T19:25:11.773+05:302016-03-28T19:25:11.773+05:30मेरा पसंदीदा शे'र..
उन इलाक़ों में क्या रहा सा...मेरा पसंदीदा शे'र..<br /><br />उन इलाक़ों में क्या रहा साहब,<br />जिन इलाक़ों में शाइरी न रही !<br /><br />इस ख़ूबसूरत किताब पर लिखने का लंबे वक़्त से मन है..देखें कब हो पाता है.<br /><br />इरशाद भाई के बारे में क्या कहूं !बेहद प्यारे इंसान..ख़ूबसूरत शाइर.<br /><br />बकुल देव<br />Bakul Devhttps://www.blogger.com/profile/06467737026083577737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-19101586031283105992016-03-28T19:21:42.852+05:302016-03-28T19:21:42.852+05:30Received on Fb:-
फिर उसके बाद सोच की, बाकी बचेगा ...Received on Fb:-<br /><br />फिर उसके बाद सोच की, बाकी बचेगा क्या ।<br />तू सिर्फ, कृष्ण भक्ति से, रसखान काट दे । लाजवाब सोच<br />महफ़िल की शक्ल आपने देखि है, उस घडी।<br />दानां की बात जब कोई नादान काट दे ।। वाह<br />वहाँ पर, ज़िन्दगी ही ज़िन्दगी थी ।<br />उसे कूचे में, मरणा चाहिए था ।।बहुत खूबसूरत<br />किस किस शेर का ज़िक्र करूँ, हर शेर बाकमाल नजरिया लिए हुए है । बहुत खूब सोच के मालिक जनाब इरशाद साहिब को मेरी तरफ से ढेरों दाद पेश है । क्या इनका कोई ऑनलाइन सन्दर्भ है ताकि इन्हें और पढ़ा जा सके ।<br />नीरज जी आपने इनसे मुलाक़ात करवा के मुझ पर तो एहसान ही किया है । मैं आपका शुक्रगुजार हूँ ।<br /><br />शशि मेहरा<br />पंजाबनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-77097275602483190732016-03-28T19:18:28.839+05:302016-03-28T19:18:28.839+05:30इरशाद जी के अशआर पहली बार मेरी नज़र से गुज़र रहे हैं...इरशाद जी के अशआर पहली बार मेरी नज़र से गुज़र रहे हैं.... बड़ी सादगी से अपने बात कहने का हुनर है उनमे....बहुत प्यारे अशआर लगे मुझे.....अल्लाह उन्हें सुखी रक्खे और ऐसे ही कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ते जायें ,यही दुआ है।Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-12965172277572734102016-03-28T19:17:55.441+05:302016-03-28T19:17:55.441+05:30दहलीज़ मेरे घर की अंधेरों से अट न जाय
पागल हवा चर...दहलीज़ मेरे घर की अंधेरों से अट न जाय <br /><br />पागल हवा चराग़ से आकर लिपट न जाय <br /><br /><br />हमसाये चाहते हैं मिरे घर को फूंकना <br /><br />और ये भी चाहते हैं घर उनके लपट न जाय<br /><br /><br />पा ही गया मैं इश्क़ के मकतब में दाखिला <br /><br />दुनिया संभल, कि तुझसे मिरा जी उचट न जाय <br /><br />आज की पोस्ट में मात्र आरंभिक शेर पढ़कर भी इरशाद ने जिन बुलंदियों को छूना है उनका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। इस उम्र में शायरी की आत्मा से रू-ब-रू होना और इस स्तर के शेर कहना कि एक अनुभवी शायर का अहसास दें।<br />वाह वाह और वाह।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-33070032292285186012016-03-28T18:20:39.957+05:302016-03-28T18:20:39.957+05:30मैं भी कुछ दूर तलक जाके ठहर जाता हूँ
तू भी हँसते ...मैं भी कुछ दूर तलक जाके ठहर जाता हूँ <br />तू भी हँसते हुए बच्चे को रुला देती है <br /><br />ज़ख्म जब तुमने दिए हों तो भले लगते हैं <br />चोट जब दिल पे लगी हो तो मज़ा देती है <br /><br />दिन तो पलकों पे कई ख्वाब सज़ा देता है <br />रात आँखों को समंदर का पता देती है<br />वाह नीरज जी !! बहुत बहुत शुक्रिया आपका। एक अनूठे शायर से रूबरू कराया आपने। मैंने इरशाद भाई को पहले नही पढ़ा था कभी। आज आपकी इस प्रस्तुति से एक उम्दा शायर को जान पाया।<br />गंगा शरण सिंह<br />मुम्बई<br />नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com