tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post3821562492437844521..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: किताबों की दुनिया - 195नीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-13621678180602137422021-10-18T09:00:33.622+05:302021-10-18T09:00:33.622+05:30वाह.... मज़ा आ गया पढ़ कर।
यही किस्मत हमारी है स...वाह.... मज़ा आ गया पढ़ कर। <br /><br />यही किस्मत हमारी है सितारों तुम तो सो जाओ.....Teenahttps://www.blogger.com/profile/08088617759677118791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-68788348236712746002018-09-26T11:22:21.723+05:302018-09-26T11:22:21.723+05:30Nice post Nice post monu gaurhttp://www.onlineincom.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-46424225220610727632018-09-18T02:12:47.387+05:302018-09-18T02:12:47.387+05:30Waaaah Kya kahney Neeraj Sahib ... Bahut khoob... ...Waaaah Kya kahney Neeraj Sahib ... Bahut khoob... RaqeebSATISHhttps://www.blogger.com/profile/05827348428895319151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-57364006320111746102018-09-17T23:19:35.508+05:302018-09-17T23:19:35.508+05:30लिखना आपने आप में एक दुरूह कार्य है और जब आपको क़ती...<br />लिखना आपने आप में एक दुरूह कार्य है और जब आपको क़तील शिफ़ाई साहब जैसी शख्सियत के लिखना पड़े तो मुझ जैसे तुच्छ प्राणी को हज़ार बार सोचना पड़े।खैर पर अपने मन पसंदीदा शायर के बारे में लिखने का अवसर कैसा छोड़ा जाये और वो भी अपने प्रिय ब्लॉग पे। तो बस थोड़ा सा सोच विचार करके बाकि काम छोड़ छाड़ के लग गए इस काम पे। <br /><br />क़तील शिफ़ाई साहब की पहली गजल जो मैंने सुनी थी वो थी "ये मोजज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे कि संग तुझपे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे" जगजीत जी की रेशमी आवाज में; बड़ी ही दर्द भरी ग़ज़ल है पर तब तक क़तील शिफ़ाई साहब का नाम नहीं सुना था और शायद ग़ज़ल का मतलब मेरे लिए जगजीत जी और चित्रा जी की आवाज ही थी।क़तील शिफ़ाई साहब की "दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह" ग़ज़ल सुनी गयी और उसके बाद उनका यूट्यूब पे एक मुशायरा देखते हुए जनाब नवाज देबंदी के मुँह से उनका नाम सुना तो उनके और उनकी ग़ज़लों के बारे में खोजबीन की गयी; एक से बढ़ कर एक दर्द भरी; प्रेम रस में डूबी हुई गजलें; जो बस एक दीवाना और बस एक दीवाना ही लिख सकता है।बाद में पता चला था की एक ग़जल जोकि मैं लड़कपन के समय में सुना करता था वो भी क़तील शिफ़ाई साहब की है "चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल" पंकज उधास जी की आवाज में। <br /><br /><br />कांटा है वो कि जिसने चमन को लहू दिया <br />ख़ूने -बहार जिसने पिया है , वो फूल है <br /><br />इंसानी फिरतरत से हट कर है ये शेर क्योंकि आम इंसान सोचता है कांटे ने ख़ून निकाल दिया जबकि ख़ून निकलने का कारण वो फ़ूल है। <br /><br />थक गया मैं करते करते याद तुझको <br />अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ <br /><br />एक दीवाने की दर्द भरी इल्तिजा की कितना मा'ज़ूर है वो अपनी मोह्ब्बत में <br /><br />ना कोई ख़्वाब हमारे हैं न ताबीरें हैं <br />हम तो पानी पे बनाई हुई तस्वीरें हैं <br /><br />उफ़ कितना दर्द भरा है इस शेर में; कैसे एक दीवाने ने अपना सब कुछ खो दिया <br /><br />न हो उनपे कुछ मेरा बस नहीं , कि ये आशिक़ी है हवस नहीं <br />मैं उन्हीं का था मैं उन्हीं का हूँ ,वो मेरे नहीं तो नहीं सही <br /><br />निःस्वार्थ प्रेम की अनुभूति इस शेर में कर ली जाये; प्रेम वो है जो राधा और मीरा को कृष्ण से था ना कोई स्वार्थ और ना ही कोई गिला शिक़वा। <br /><br />पूछ रही है दुनिया मुझसे वो हरजाई चाँद कहाँ है <br />दिल कहता है गैर के बस में , मैं कहता हूँ मेरे दिल में <br /><br />अब बताइये वो अपना नहीं है; अपने पास नहीं है पर फ़िर भी उसको अपना कहना और उससे कोई शिकवा ना होना ये बस क़तील शिफ़ाई साहब ही कर सकते है। <br /><br />निकल कर दैर-ओ-काबा से अगर मिलता न मय-ख़ाना <br />तो ठुकराए हुए इंसाँ ख़ुदा जाने कहाँ जाते<br /><br />इस शेर को पढ़ कर ग़ालिब का शेर याद आ गया <br /><br />कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइज़ <br />पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले<br /><br />नशा सब पे तारी होता है किसी को मय का; किसी को दौलत का और किसी को मोह्ब्बत का <br /><br />तुम्हारी बे-रुख़ी ने लाज रख ली बादा-ख़ाने की<br />तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते<br /><br />कोई पैमाने की बात करता है और कोई आँखो से पिलाने की <br /><br />इक सिर्फ़ हमीं मय को आँखों से पिलाते हैं <br />कहने को तो दुनिया में मय-ख़ाने हज़ारों हैं <br /><br /><br /> खून से लिथड़े चेहरे पर ये भूखी नंगी रअनाई <br /> देख ज़माने देख ये मेरे ख़्वाबों की शहज़ादी है <br /><br />क्या कहे इस शेर के बारे में एक बार तो पढ़ने के बाद रोने का मन करने लगे; कितनी शिद्दत से शायर ने इंसान ने उसकी हक़ीक़त सामने <br />रख दी है।<br /><br />चमन वाले ख़िज़ाँ के नाम से घबरा नहीं सकते<br />कुछ ऐसे फूल भी खिलते हैं जो मुरझा नहीं सकते <br /><br />शायद क़तील शिफ़ाई साहब ने इस शेर में अपने ही रिश्तों का दर्द बिख़ेर दिया है। जिंदगी में गिले शिकवे सफलता असफलता तो आती ही रहती है पर वो इंसान ही कहा जो इन सब से डर जाये। <br /><br />परेशाँ रात सारी है सितारो तुम तो सो जाओ <br />सुकूत-ए-मर्ग तारी है सितारो तुम तो सो जाओ <br /><br />क्या किसी को मोह्ब्बत में इतना दर्द मिलना चाहिये पर शायद क़तील शिफ़ाई साहब ने इस दर्द को अपनी बेहतरीन शायरी में ज़ब्त कर लिया। <br /><br />सुहानी रात ढल चुकी ना जाने तुम कब आओगे <br /><br />अंत में नीरज जी का तहेदिल शुक्रिया अदा करते हुए क़तील शिफ़ाई साहब को उनके बेहतरीन हुनर के लिए लाखों सलाम <br />Amit Thapahttps://www.blogger.com/profile/03325771976660801450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-14513285286472104612018-09-17T23:07:51.401+05:302018-09-17T23:07:51.401+05:30This comment has been removed by the author.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01864689678887009564noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-45101660752738310652018-09-17T21:21:02.123+05:302018-09-17T21:21:02.123+05:30भाई साहिब
आज फिर जादू जगाया आपने
क़तील साहिब के ब...भाई साहिब <br /><br />आज फिर जादू जगाया आपने<br />क़तील साहिब के बारे में जो नायाब जानकारी आपने <br />दी मुझे उसका इससे पहले कोई इल्म नहीं था। हाँ, उनके बहुत से अशआर मुझे भी याद थे। मैं अव्वल दर्ज़े का भुलक्कड़ आदमी हूँ और मैं कामयाब शेर उसे मानता हूँ जो मुझे भी याद रह जाए। <br /><br />आपको एक बार फिर बधाई नगीनों का एक और बेजोड़ ज़ख़ीरा ढूँढ कर लाने और यहाँ प्रस्तुत करने के लिए।<br /><br />दो अशआर और :<br /><br />सदियों का रतजगा मेरी रातों में आ गया<br />मैं एक हसीन शख़्स की बातों में आ गया<br /><br /><br />क़तील अपने लिए वो कशिश ज़मीन में है<br />वहीं गिरेंगे जहाँ से गिरा दिए जाएं<br /><br />और यह इबादत मेहदी हसन साहब की आवाज़ में:<br /><br />तेरी हर चाप से जलते हैं ख़यालों में चराग़<br />तू जो आए तो जगाता हुआ जादू आए<br />तुझको छू लूँ तो फिरे जामे तमन्ना मुझको<br />देर तक अपने बदन से तेरी खुशबू आए<br />तू बहारों का है उन्वान तुझे चाहूंगा<br /><br /><br />द्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-46954682236818753312018-09-17T18:37:53.121+05:302018-09-17T18:37:53.121+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (18...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (18-09-2018) को <a href="javascript:void(0);" rel="nofollow"> "बादलों को इस बरस क्या हो रहा है?" (चर्चा अंक-3098) </a> पर भी होगी।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />--<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-64576925967564855402018-09-17T18:34:56.791+05:302018-09-17T18:34:56.791+05:30http://sanskritisangam.blogspot.com/2014/08/blog-p...http://sanskritisangam.blogspot.com/2014/08/blog-post_22.html?m=1देवमणि पांडेय Devmani Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/09583435334580761206noreply@blogger.com