tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post1745256929098825328..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: फूल कर कुप्पा हुआ करती थीं जिस पर रोटियांनीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger59125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-8916562456406895382012-03-09T09:37:29.973+05:302012-03-09T09:37:29.973+05:30मेरे बचपन का वो साथी है अभी तक गाँव में
इक पुराना ...मेरे बचपन का वो साथी है अभी तक गाँव में<br />इक पुराना पेड़ बाकी है अभी तक गाँव में<br /><br />आपकी तो पूरी कविता ही इतनी सुन्दर है .....इतने से अन्तराल में ...गाँव में जी लिए!Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-49565284098087779822012-03-07T15:12:42.280+05:302012-03-07T15:12:42.280+05:30khubsurat kavita...holi ki shubhkamnayen:)khubsurat kavita...holi ki shubhkamnayen:)Ankur Jainhttps://www.blogger.com/profile/17611511124042901695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-18893160643035475692012-03-07T14:46:19.676+05:302012-03-07T14:46:19.676+05:30होली पर बहुत बहुत शुभकामनाएंहोली पर बहुत बहुत शुभकामनाएंmark raihttps://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-13373481558341520132012-03-07T11:16:09.108+05:302012-03-07T11:16:09.108+05:30**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**...**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**<br />~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~<br />*****************************************************************<br /><b><i>♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥<br />♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥</i></b> <br /><b> </b><br /><b> </b><br /> आपको सपरिवार <br /><b> होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ! </b> <br />- राजेन्द्र स्वर्णकार <br />*****************************************************************<br />~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~<br />**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-33239115507298259002012-03-04T22:04:16.043+05:302012-03-04T22:04:16.043+05:30हर शेर बेहतरीन...ला-जवाब!!हर शेर बेहतरीन...ला-जवाब!!abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-39264486374253708852012-03-04T16:54:58.028+05:302012-03-04T16:54:58.028+05:30bahut sahi aur bahut sundarbahut sahi aur bahut sundarOnkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-18216804856892607902012-03-04T08:08:31.263+05:302012-03-04T08:08:31.263+05:30एक-एक शब्द लाजवाब!एक-एक शब्द लाजवाब!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-21319593587988506502012-03-04T00:38:14.144+05:302012-03-04T00:38:14.144+05:30वाह नीरज जी! एक-एक शेर कमाल का कहा है आपने! अफ़सोस...वाह नीरज जी! एक-एक शेर कमाल का कहा है आपने! अफ़सोस कि मसरूफ़ियत के कारण देर से इसे पढ़ पाई!<br /><br />वाह-वाह!sushilahttps://www.blogger.com/profile/05803418860654276532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-58154148056371848812012-03-04T00:33:54.472+05:302012-03-04T00:33:54.472+05:30वाह नीरज जी! कमाल का कहा है आपने! अफ़सोस है कि व्य...वाह नीरज जी! कमाल का कहा है आपने! अफ़सोस है कि व्यस्तताओं के कारण मैं देर से आपकी गज़ल पढ़ पाई!sushilahttps://www.blogger.com/profile/05803418860654276532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-6669223342740874552012-03-03T18:46:36.871+05:302012-03-03T18:46:36.871+05:30MSG RECEIVED ON MAIL:-
आदरणीय नीरज जी,
पूरी ग़ज़ल...MSG RECEIVED ON MAIL:-<br /><br />आदरणीय नीरज जी,<br />पूरी ग़ज़ल में कोई शे'र तो है ही नहीं, सब सवा शेर हैं<br />किसको ज्यादा अच्छा कहें और किसको कम.....<br /><br />ज़हर सी कडवी बहुत हैं इस नगर में बोलिया <br />हर जबां पर गुड़ की भेली, है अभी तक गाँव में<br />वाह वाह...<br /><br />पेट भरता था जिसे खा कर मगर ये मन नहीं <br />ढूध वाली वो जलेबी, है अभी तक गांव में <br />बहुत ख़ूब...<br /><br />दोस्ती, अख़लाक़, नेकी, अदबियत, इंसानियत <br />जानिसारी, खाकसारी है अभी तक गाँव में <br />क्या कहने..<br /><br />कभी कभार बचपन में गुज़ारे वो गाँव के दिन याद <br />आ गए आपकी यह ग़ज़ल पढ़कर....<br />कुछ अशआर तो मानो कह रहे हों...<br />मेरा एक शे'र आपकी नज्र है... <br /><br />"घुट न जाए कहीं यहाँ दम उठाओ डेरा पयाम कर लो <br />चलो, चलें उस चमन की जानिब वहाँ हमें ताज़गी मिलेगी" <br />---- 'रक़ीब'<br /><br />खूबसूरत ग़ज़ल पर ढेरों बधाइयां और पढ़वाने के<br />लिए अनेकानेक साधुवाद. <br />सादर,<br />सतीश शुक्ला 'रक़ीब'<br />जुहू, मुंबई-49.नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-45863983173187416582012-03-02T11:34:11.902+05:302012-03-02T11:34:11.902+05:30"फूल कर कुप्पा हुआ करती थीं जिस पर रोटियां......"फूल कर कुप्पा हुआ करती थीं जिस पर रोटियां.................." जिंदाबाद नीरज जी.<br /><br />"ज़हर सी कडवी बहुत हैं इस नगर में बोलिया...........", वाह वाह<br /><br />"शहर में देखो जवानी में बुढ़ापा आ गया/पर बुढ़ापे में जवानी, है अभी तक गांव में". वाह वा<br /><br />तरही में पढ़ के भी लाजवाब हो गया था और आज भी बस पढ़े जा रहा हूँ.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-56020376137939093312012-03-02T10:49:38.207+05:302012-03-02T10:49:38.207+05:30डॉ टी एस दराल said...
बहुत शानदार ग़ज़ल है नी...डॉ टी एस दराल said...<br /><br /> बहुत शानदार ग़ज़ल है नीरज जी .<br /> बस शायर की नज़र में गाँव का स्वरुप कभी नहीं बदलता .<br /><br /><br /><br /><br />मैं भी दलाल सर की बात से सहमत हूँ ...छोटे शहर से होने के नाते ..गावों के करीब हूँ ...आज के गाँव पहले जैसे नहीं हैं ....फिर भी कुछ यादे ऐसी हैं जो हमेशा के लिए मन में बस जाती हैं ...<br /><br /><br />जिंदगी गुज़र जाती हैं आधी ..अपनी ही आपाधापी में <br />ये अपना ही ज़ेहन हैं जो यादो में खुद का वजूद तलाशता हैं ....(अनु)Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-57369400770725807982012-03-02T10:49:37.005+05:302012-03-02T10:49:37.005+05:30डॉ टी एस दराल said...
बहुत शानदार ग़ज़ल है नी...डॉ टी एस दराल said...<br /><br /> बहुत शानदार ग़ज़ल है नीरज जी .<br /> बस शायर की नज़र में गाँव का स्वरुप कभी नहीं बदलता .<br /><br /><br /><br /><br />मैं भी दलाल सर की बात से सहमत हूँ ...छोटे शहर से होने के नाते ..गावों के करीब हूँ ...आज के गाँव पहले जैसे नहीं हैं ....फिर भी कुछ यादे ऐसी हैं जो हमेशा के लिए मन में बस जाती हैं ...<br /><br /><br />जिंदगी गुज़र जाती हैं आधी ..अपनी ही आपाधापी में <br />ये अपना ही ज़ेहन हैं जो यादो में खुद का वजूद तलाशता हैं ....(अनु)Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-43834023406764250192012-03-01T21:50:19.435+05:302012-03-01T21:50:19.435+05:30बहुत अच्छी ग़ज़ल... एक - एक शब्द प्रभावित कर रहा ह...बहुत अच्छी ग़ज़ल... एक - एक शब्द प्रभावित कर रहा है...संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-37059004217796077022012-03-01T16:41:04.957+05:302012-03-01T16:41:04.957+05:30जिस्म की पुरपेच गलियों में कभी खोया नहीं
प्यार तो ...जिस्म की पुरपेच गलियों में कभी खोया नहीं<br />प्यार तो "नीरज" रूहानी है अभी तक गाँव में<br /><br />वाह ही वाह! एक से बढ़कर एक अशआर. खूबसूरत ग़ज़ल!Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-19144853297565832492012-03-01T15:00:51.453+05:302012-03-01T15:00:51.453+05:30वाह....वाह....वाह
बहुत खुबसूरत है ग़ज़ल । दाद कबू...वाह....वाह....वाह<br /><br />बहुत खुबसूरत है ग़ज़ल । दाद कबूल करें।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-5062455634549703962012-02-29T21:58:49.885+05:302012-02-29T21:58:49.885+05:30हर शेर खूबसूरत..एक से बढ़कर एक,,,
सादर.हर शेर खूबसूरत..एक से बढ़कर एक,,,<br />सादर.ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-74877359429844405912012-02-29T13:25:47.024+05:302012-02-29T13:25:47.024+05:30ज़हर सी कडवी बहुत हैं इस नगर में बोलिया
हर जबां पर...ज़हर सी कडवी बहुत हैं इस नगर में बोलिया<br />हर जबां पर गुड़ की भेली, है अभी तक गाँव में<br /><br />क्या बात है !!<br />गाँव के माहौल की बड़ी हसीन मंज़रकशी है !!<br />बहुत ख़ूब !!इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-38905779096205773292012-02-29T12:22:32.766+05:302012-02-29T12:22:32.766+05:30Msg received on mail:-
बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है नी...Msg received on mail:-<br /><br />बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है नीरज जी !<br />कई अशआर पसंद आये .<br />बहुत खूब !<br />आलम खुर्शीदनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-83821972587328359072012-02-28T21:29:32.513+05:302012-02-28T21:29:32.513+05:30dosti akhlak,neki,adabiat,Insaniyat,
janisari,khak...dosti akhlak,neki,adabiat,Insaniyat,<br />janisari,khaksari,hae abhi tak gaon me<br />BAHUT HI SUNDAR GAZAL,HAR EK SHER ALAG ANDAZ ME KUCH AHASOSIYAT RAKHTA HAE.<br />DAD DETA HOO APKI KALAM KOdr.mahendraghttps://www.blogger.com/profile/07060472799281847141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-19947927415489424592012-02-28T21:25:54.487+05:302012-02-28T21:25:54.487+05:30खूबसूरत गज़ल. आपकी शायरी शबाब पर है, और आपकी जवानी...खूबसूरत गज़ल. आपकी शायरी शबाब पर है, और आपकी जवानी शहर में भी बरकारार है.Mansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-45897987166215214722012-02-28T21:12:36.461+05:302012-02-28T21:12:36.461+05:30कोशिशें उसको उठाने की सभी ज़ाया हुईं
इक अजब सी नात...कोशिशें उसको उठाने की सभी ज़ाया हुईं<br />इक अजब सी नातवानी, है अभी तक गाँव में<br />बहुत खूबसूरत ग़ज़ल.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-58422864920995237072012-02-28T20:29:18.143+05:302012-02-28T20:29:18.143+05:30जो भी था,वह वक्त का बियबान जंगल हो गया।
अब तो कुछ...जो भी था,वह वक्त का बियबान जंगल हो गया। <br />अब तो कुछ आहें और कुछ यादें बसी हैं गांव में!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-12958843927058966332012-02-28T17:42:03.877+05:302012-02-28T17:42:03.877+05:30कोई लौटा दे वो गाँव या फिर मैं खुद लौट जाऊं?
जिस ज...कोई लौटा दे वो गाँव या फिर मैं खुद लौट जाऊं?<br />जिस ज़िन्दगी की तलाश में शहर आया था मैं,<br />वो तो छोड़ आया हूँ उसी गाँव में, वो तो छोड़ आया हूँ उसी गाँव में..<br /><br />बहुत सुन्दर प्रस्तुति थी यह तो..Pratik Maheshwarihttps://www.blogger.com/profile/04115463364309124608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-24325811280589936232012-02-28T15:40:11.927+05:302012-02-28T15:40:11.927+05:30नीरज जी ,
सभी शे'र एक से बढ़ कर एक.... आपकी गज...नीरज जी ,<br />सभी शे'र एक से बढ़ कर एक.... आपकी गज़ल कहने कि कला कि मैं हमेशा कायल रही हूँ..बधाई इस खूबसूरत गज़ल के लिएमुदिताhttps://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com