tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post1541485830102503054..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: प्यार की छाया में सुस्ताने लगेनीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-43635010849838464622007-12-25T00:22:00.000+05:302007-12-25T00:22:00.000+05:30है लिखी सुन्दर गज़ल ये आपनेबा अदब जो हैं, वे शरमाने...है लिखी सुन्दर गज़ल ये आपने<BR/>बा अदब जो हैं, वे शरमाने लगे<BR/><BR/>बहुत खूबसूरत अदायगी हैराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-8226431713185044502007-12-23T15:29:00.000+05:302007-12-23T15:29:00.000+05:30नीरज जीबहुत बढ़िया लिखा है। कटु यथार्थ का चित्र खी...नीरज जी<BR/>बहुत बढ़िया लिखा है। कटु यथार्थ का चित्र खींचा है । बधाई स्वीकारें ।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-20784713771576351322007-12-23T02:28:00.000+05:302007-12-23T02:28:00.000+05:30हमको अपने नोचने खाने लगेदेख इसको गिद्ध शरमाने लगेम...हमको अपने नोचने खाने लगे<BR/>देख इसको गिद्ध शरमाने लगे<BR/><BR/>मानते गहना जो थे इमान को<BR/>आज उसको बेच कर खाने लगे<BR/><BR/>बढ़िया है ...बहुत खूब ...बधाईReetesh Guptahttps://www.blogger.com/profile/12515570085939529378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-84419115910067994932007-12-22T20:20:00.000+05:302007-12-22T20:20:00.000+05:30वाह!!!वाह!!!इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-18934426291804644182007-12-22T18:48:00.000+05:302007-12-22T18:48:00.000+05:30सच को उजागर करती,बहुत बेहतरीन बढिया रचना है।बधाई।सच को उजागर करती,बहुत बेहतरीन बढिया रचना है।बधाई।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-33391863236625120002007-12-22T18:24:00.000+05:302007-12-22T18:24:00.000+05:30सच्ची बातें जब भी नीरज ने कहीफेर कर मुंह लोग मुस्क...सच्ची बातें जब भी नीरज ने कही<BR/>फेर कर मुंह लोग मुस्काने लगे<BR/>___________________________<BR/>अरे नीरज जी, मुस्कुराने का सवाल ही नहीं। असल में कहें तो मुंह खुला का खुला है। क्या सशक्त रचना है?! यह पढ़ कर गर्व होता है - इस अहसास से कि इसके कवि को मैं जानता हूं।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-1386605155139709162007-12-22T17:40:00.000+05:302007-12-22T17:40:00.000+05:30गुजरता हूं जब भी ब्लॉग जगत में,ठिठक सा जाता हूं आप...गुजरता हूं जब भी ब्लॉग जगत में,<BR/>ठिठक सा जाता हूं आपके ब्लॉग पे,<BR/>शब्द आपकें खींच लेते हैं,<BR/>भाव आपके बांध लेते हैं।<BR/>ठिठका सा रहता हूं,<BR/>पढ़ता हूं और चला जाता हूं।<BR/>समझ नही पाता<BR/>कि <BR/>क्या कहूं जवाब में।<BR/>और<BR/>बहुत कुछ <BR/>अनकहा लेकर लौट जाता हूं।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-12660402578392492722007-12-22T16:32:00.000+05:302007-12-22T16:32:00.000+05:30बहुत .. बहुत.. बहुत.. बहुत .. बहुत खूबबहुत .. बहुत.. बहुत.. बहुत .. बहुत खूबAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-33984733914149192942007-12-22T16:21:00.000+05:302007-12-22T16:21:00.000+05:30बा खिदमते अक्सद बाज़्बुल इज्ज़त जनाबे मोहतरम, नीरज ...बा खिदमते अक्सद बाज़्बुल इज्ज़त <BR/>जनाबे मोहतरम, नीरज साहिब . <BR/>शिद्दते एहसास की गर्मी से मोम को भी पिघला <BR/>देता है आपका नायाब फन.<BR/>ग़ज़ल की दुनिया मैं जो गुल आप खिला रहे हो <BR/>चार सु बुए मोहबत को फैला रहे हो शुक्रिया <BR/>तेरी ग़ज़लों का हुया ऐसा असर <BR/>चलते फिरते नींद में गाने लगे !<BR/><BR/>चाँद हदियाबादी डेनमार्कhaidabadihttps://www.blogger.com/profile/00389775957099138608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-71335891169386774002007-12-22T16:01:00.000+05:302007-12-22T16:01:00.000+05:30नीरज भैया,कैसे लिखते हैं ऐसी गजलें? कितना बड़ा भण्ड...नीरज भैया,<BR/><BR/>कैसे लिखते हैं ऐसी गजलें? कितना बड़ा भण्डार है अच्छे खयालातों का? ....कभी मापने की मत सोचियेगा....बहुत खूब गजल है, भैया....Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.com