tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post886191479704841132..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: चाँद आशा कानीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-85628860073412097282010-05-15T11:45:31.144+05:302010-05-15T11:45:31.144+05:30bhasha ke sath sath thoughts me bhi nayapan hai .....bhasha ke sath sath thoughts me bhi nayapan hai ...kai sher behad pasand aaye.... :)स्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-35640285676804752132008-03-15T02:31:00.000+05:302008-03-15T02:31:00.000+05:30मुम्बई की हिन्दी को कभी गम्भीरता से नहीं लिया । ...मुम्बई की हिन्दी को कभी गम्भीरता से नहीं लिया । सुनकर हँसी ही आई हमेशा , लेकिन आपकी गजल ने सोचने पर मजबूर कर दिया। सचमुच अभिव्यक्ति महत्वपूर्ण है, सिर्फ़ भाषा नहीं ।<BR/>बधाई ।<BR/>इलाIlahttps://www.blogger.com/profile/15571289109294040676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-12244530190057950042008-03-13T19:16:00.000+05:302008-03-13T19:16:00.000+05:30श्रधेय महावीर जी की उक्त टिपण्णी से इस ग़ज़ल पर भविष...श्रधेय महावीर जी की उक्त टिपण्णी से इस ग़ज़ल पर भविष्य में होने वाली किसी भी बहस पर विराम लग गया है. पसंद या नापसंद सब की अपनी होती है और उसे व्यक्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता का मैं हामी हूँ. मैं श्री महावीर जी का तहे दिल से शुक्र गुज़ार हूँ जिन्होंने मुझे इतना हौसला दिया है.<BR/>एक दिलचस्प टिपण्णी मुझे मेरी ई मेल पर मिली है जिसे आप भी पढ़ें इसे यू .के. से दिव्या माथुर साहिबा ने भेजा है: <BR/>Your gazal made my day, I have a big smile on my face. well written, I don't know whether they will treat it as a masterpiece in literature but it is wonderful, entertained me one hundred per cent. <BR/>With all good wishes, <BR/>Divya Mathur<BR/>The Nehru Centreनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-29507549053100119712008-03-13T17:21:00.000+05:302008-03-13T17:21:00.000+05:30एक बार फिर इस ग़ज़ल के बारे में लिखना चाहता हूं। ह...एक बार फिर इस ग़ज़ल के बारे में लिखना चाहता हूं। हिन्दी साहित्य में प्रदेशीय और प्रांतीय भाषाओं का योग हमेशा से रहा है। बृज और राजस्थानी के उदाहरण सामने हैं।<BR/>यह तो सिद्ध हो चुका है कि साहित्य में प्रांतीय भाषाओं के समावेश से हिंदी साहित्य का विस्तार ही हुआ है। मुम्बईया भाषा भी हिन्दी का ही एक अंग है, इसको असाहित्यिक कह कर या अन्य रूप में लेना नाइंसाफ़ी होगी। नीरज जी ने इस प्रयास <BR/>में ग़ज़ल का खिलवाड़ न कर, बहरो-वज़न आदि नियमों का पालन करते हुए ग़ज़ल को पूरा सम्मान दिया है। भाषा का रूप देखते हुए इसे 'हज़ल' की श्रेणी में न लाई जाए, यह एक ख़ूबसूरत ग़ज़ल है।महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-39119573359507555762008-03-13T10:07:00.000+05:302008-03-13T10:07:00.000+05:30ये कमेंट मुझे सीधे मेरे ई मेल से मिले सोचा इन्हे भ...ये कमेंट मुझे सीधे मेरे ई मेल से मिले सोचा इन्हे भी आप तक पहुँचा दूँ.<BR/>१. मेरी दीदी "देवी नागरानी " जी का कमेंट:<BR/>bahut khoob prayog kiya hai <BR/>dekh Neeraj ne kya karela hai( Do matlab)<BR/>kaun kahta hai tu aakela hai. <BR/>daad ke saath Tejendraji aur neeraj ko is prastuti ke liye <BR/>Devi<BR/>are is par nazar gayi hai <BR/>रोक पाओगे तुम नहीं "नीरज"<BR/>वो गिरेगा जो फल पकेला है <BR/>kahti maaN hai doodh pi jaaO<BR/>kaise pee lein vo, jo fatela hai. <BR/>thanks for the incentive<BR/>देवी<BR/><BR/>२. यू.के. से ज़किया जी का कमेंट: <BR/>Gajal aapki jo padhela haye<BR/>Aa gaya bahut majela haye<BR/>Gajal ki taNg aisi tutela haye<BR/>Galib sir pakday baithela haye<BR/>Mazedar haye <BR/>Experiment tak hi theek haye.<BR/>Aisa lagta haye asli ghzal aap achchhi likh latay hoNgay.<BR/>Best wishes<BR/>Zakiaनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-14966863029109342992008-03-13T07:45:00.000+05:302008-03-13T07:45:00.000+05:30आपका ये अनोखा अंदाज़ बहुत खूब है.आपका ये अनोखा अंदाज़ बहुत खूब है.रजनी भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/08154642819162396396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-46591991041762727922008-03-13T04:46:00.000+05:302008-03-13T04:46:00.000+05:30ग़ज़ल अब उस पुराने ढर्रे से निकल कर, पुरानी ज़ुबान...ग़ज़ल अब उस पुराने ढर्रे से निकल कर, पुरानी ज़ुबान की कैद से बाहर निकल कर सांस ले रही है। यह प्रयास सराहनीय है, बहुत पसंद आया।महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-7608766494806948502008-03-13T01:28:00.000+05:302008-03-13T01:28:00.000+05:30क्या भाय गुगली फेंकेला है सब टपोरी मस्त लिखेला है ...क्या भाय गुगली फेंकेला है <BR/>सब टपोरी मस्त लिखेला है <BR/>अपुन को नईच सम्झेला है <BR/>टिच है मस्त सिखेला है <BR/>- मनीष <BR/>p.s. - हाफ सेंचुरी अप का बधाई लियेला हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-35230264154799130732008-03-12T08:44:00.000+05:302008-03-12T08:44:00.000+05:30नीरज भाई तुम ये क्या करेला है ये क्या नया झमेला ...नीरज भाई तुम ये क्या करेला है<BR/> ये क्या नया झमेला है<BR/> ग़ज़ल तो बहुत प्यारी सी विधा है<BR/> तुम कहां इसे बंबइया इस्टाइल में धकेला है<BR/> पन बात तो फिर भी बनेला हैसूरज प्रकाश का रचना संसारhttps://www.blogger.com/profile/03298796278677102563noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-61953995133788101092008-03-12T01:28:00.000+05:302008-03-12T01:28:00.000+05:30आपका यह नया अन्दाज़ भी निराला है... बहुत खूब !आपका यह नया अन्दाज़ भी निराला है... बहुत खूब !मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-91981251259241399192008-03-11T18:03:00.000+05:302008-03-11T18:03:00.000+05:30जिसे मवाली भाषा समझता था उसमें भी गज़ल लिखी जा सकती...जिसे मवाली भाषा समझता था उसमें भी गज़ल लिखी जा सकती है यह देख कर ताज्जुब हुआ . सुखद आश्चर्य ! सच में छोटी बहर की यह गज़ल बहुत अच्छी बन पड़ी है .Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-36935435308418595982008-03-11T17:03:00.000+05:302008-03-11T17:03:00.000+05:30POST EKYAVAN KIYE PURE BADHAI LIJIYE,SHABDA KI DUN...POST EKYAVAN KIYE PURE BADHAI LIJIYE,<BR/>SHABDA KI DUNIYA KO NISHDIN NAYA TOHFA DIJIYE.<BR/>KAMNA KARTE HAIN AAGE SHATAK BHI PURA KAREN,<BR/>AUR HAR EK PRASTUTI,MUSKAN BAN <BR/>JUG-JUG JIYE.<BR/>NEERAJ JI...SHUBHKAMNAYEN...Dr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-58251316189998065122008-03-11T16:23:00.000+05:302008-03-11T16:23:00.000+05:30में अपने सभी पाठकों का नमन करता हूँ जिन्होंने इस र...में अपने सभी पाठकों का नमन करता हूँ जिन्होंने इस रचना को पढ़ा और पसंद किया. ऐसी उत्साहवर्द्धक टिप्पणियों से अच्छा और अलग हट कर लिखने की प्रेरणा मिलती है. आप सब का स्नेह यूँ ही मिलता रहे यही कामना है.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-29512636914812587302008-03-11T10:30:00.000+05:302008-03-11T10:30:00.000+05:30उसकी गज़लों में ताजगी देखोबात नीरज नई कहेला है ।उसकी गज़लों में ताजगी देखो<BR/>बात नीरज नई कहेला है ।अनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-32505417336692989972008-03-11T06:46:00.000+05:302008-03-11T06:46:00.000+05:30नीरज भाई किसी झाकास्कर से यह ग़ज़ल पहले ठीक करवा लेत...नीरज भाई किसी झाकास्कर से <BR/>यह ग़ज़ल पहले ठीक करवा लेते तो अच्छा रहता <BR/>अमूमन ऐसा होता है हिन्दी में <BR/>श्री मति कुलकर्णी आज कल अपने <BR/>शोहर से बहुत परेशान हैं कहती हैं <BR/>हाय रे उनकी ब्लोगिन मेरी सौतन हो गई <BR/>अर्ज़ किया है <BR/>ब्लॉग में पड़ गया है तू नीरज <BR/>जान ले यह बड़ा झमेला है <BR/>घर की सब्जी कहाँ तू लाएगा <BR/>तेरा बाटा का शु फटेला है <BR/>अब ब्लोगिन का घर ही तेरा है <BR/>तू तो हम सभ से अब कटेला है <BR/>नीरज भाई अपना ख्याल रखें <BR/>ना चाहते हुए भी हम आपके शुभचिंतक हैं <BR/>चाँद शुक्ला हदियाबादी डेनमार्कhaidabadihttps://www.blogger.com/profile/00389775957099138608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-19717605120264642652008-03-11T04:39:00.000+05:302008-03-11T04:39:00.000+05:30क्या कमाल की मुंबईया ग़ज़ल लिखी है नीरज जी आपने। इ...क्या कमाल की मुंबईया ग़ज़ल लिखी है नीरज जी आपने। <BR/>इसी अंदाज़ का एक पूरा दीवान हो जाए।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-92167429429771146652008-03-10T22:54:00.000+05:302008-03-10T22:54:00.000+05:30Maharastra me rahte -rahte vanha ki Boli par bhi ,...Maharastra me rahte -rahte vanha ki Boli par bhi , lagta hai, achchhi pakad ho gai hai. 51ve Post me local bhasha ko mahatva dene ke liye dhanyavad ke patra hai aap. <BR/><BR/>Prayas ek se badh kar eak nazar aa rahein hain. vah din door nahin jab ham 101ve post se bhi nazare inayat karenge.<BR/><BR/>Chandra Mohan Gupta, JaipurMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-36717992990713043682008-03-10T21:09:00.000+05:302008-03-10T21:09:00.000+05:30वाह नीरज जी इस झमेले को क्या जमेला हैबहुत ही बड़िया...वाह नीरज जी इस झमेले को क्या जमेला है<BR/>बहुत ही बड़िया लिखेला हैAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-75107539689409561722008-03-10T19:55:00.000+05:302008-03-10T19:55:00.000+05:30वाह वाह..मुम्बईया प्रभु की जय हो.वाह वाह..मुम्बईया प्रभु की जय हो.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-73818191985657143742008-03-10T19:42:00.000+05:302008-03-10T19:42:00.000+05:30नीरज जी अभी पोस्ट लगाने के बाद आपकी अन्य पोस्ट ...नीरज जी अभी पोस्ट लगाने के बाद आपकी अन्य पोस्ट भी देखीं आपने कई जगहों पर मेरा नाम लगा रखा है । मान और सम्मान देने के लिये आभार । मगर मैं इस टिप्पणी के जरिये कवल ये ही दूसरों को बताना चाहता हूं कि मैं तो वास्तव में आपकी ग़जलों में कुछ कर ही नहीं पाता हूं क्योंकि वे पहले से ही मुकम्मिल होती हैं । फिर भी आप कुछ नहीं करने के बाद भी मेरा नाम दे रहे हैं ये आपका बड़प्पन है। पुन: आभारपंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-36647652225155736862008-03-10T19:34:00.000+05:302008-03-10T19:34:00.000+05:30रात काली हो बेअसर ग़म कीचाँद आशा का गर उगेला हैनीर...रात काली हो बेअसर ग़म की<BR/>चाँद आशा का गर उगेला है<BR/>नीरज जी आपने जो कुछ लिखा हे वो भाषा का एक नया ही प्रयोग है ओर ये प्रयोग ही भाषा के हित में होते हैं । आपने समां बांध दिया है । विशेष कर ऊपर जो शेर मैंने कोट किया है उसमें तो तो आपने चांद आशा का गर उगेला कह के जाने क्या ही कर दिया है । मैं जानता हूं कि कई विशेषज्ञों को ये ग़ज़ल पसंद नहीं आएगी पर मैं तो ये ही जानता हूं कि <BR/>ग़ज़ल को ले चलो अब गांव के दिलकश नजारों में <BR/>मुसल्सल फन का दम घुटता है इन अदबी इदारों में <BR/>मैं आपकी प्रशंसा इसलिये नहीं कर रहा हूं कि आप मेरे मित्र हैं बल्कि इसलिये कि मैं हमेशा से ही साहित्य को आम आदमी तक पहुंचाने का हामी रहा हूं । ऐसी कविता किस काम की जो आम आदमी से ही बात न कर पाए । आपको पुन: बधाईपंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-66350873080320897712008-03-10T19:10:00.000+05:302008-03-10T19:10:00.000+05:30नीरज जी, यहां तो "ला" की तुक का रेला लग गया है! लो...नीरज जी, यहां तो "ला" की तुक का रेला लग गया है! लोगों में कवित्व जगा दिया आपने!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-11919184071752460652008-03-10T18:34:00.000+05:302008-03-10T18:34:00.000+05:30रात काली हो बेअसर ग़म कीचाँद आशा का गर उगेला हैक्य...रात काली हो बेअसर ग़म की<BR/>चाँद आशा का गर उगेला है<BR/><BR/><BR/>क्या लिखेला है नीरज जी आपने मान गए :)रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-78137813876497273992008-03-10T18:25:00.000+05:302008-03-10T18:25:00.000+05:30झकास उकेला भाईझकास उकेला भाईसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-47693077597822979842008-03-10T18:13:00.000+05:302008-03-10T18:13:00.000+05:30NIRALI KALAM...NIRALA PRAYOGEK AUR BADHAI.NIRALI KALAM...NIRALA PRAYOG<BR/>EK AUR BADHAI.Dr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.com