tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post8573020204760702889..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: किताबों की दुनिया -108नीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-89159901740500171132017-05-20T02:27:19.819+05:302017-05-20T02:27:19.819+05:30तू न था पर हाथ में खत देख कर
फिर कबूतर पास आये आद...तू न था पर हाथ में खत देख कर <br />फिर कबूतर पास आये आदतन <br /><br />Badhiya gazalen hain <br /><br />प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-12009506991225062732015-09-12T19:23:04.748+05:302015-09-12T19:23:04.748+05:30उत्कृष्ट प्रस्तुतिउत्कृष्ट प्रस्तुतिOnkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-41894333031544489972015-09-12T18:00:46.637+05:302015-09-12T18:00:46.637+05:30जाया जी की गज़लों के सुन्दर प्रस्तुतीकरण के लिए आपक...जाया जी की गज़लों के सुन्दर प्रस्तुतीकरण के लिए आपका आभार! जाया जी को हार्दिक शुभकामनायें!<br />कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-26885851432134591802015-09-12T13:21:09.769+05:302015-09-12T13:21:09.769+05:30Received on e-mail :-
प्रिय नीरज जी,
क्षमा| आप क...Received on e-mail :-<br /><br />प्रिय नीरज जी,<br /><br />क्षमा| आप का ब्लॉग देर से देखा | पढ़ कर आनंद हुआ| लगा कि बरसों से बंद दरीचे अब खुले हैं| इस समीक्षा में जैसे एक अनजाने अँधेरे में जो खिड़कियाँ खुली हैं वे लहराती ठंडी हवा, मोगरे की महक और हिमखण्डों के आसपास छलछलाते पानी की याद जगाती हैं|<br /><br />इस चर्चा में आपकी अभ्युक्ति सटीक है कि जहाँ सरल हिन्दी या उर्दूनिष्ठ गज़लें हैं उनमें में उर्दू के स्थापित या सर्वमान्य बहर पर ध्यान नहीं दे पाई हूँ और न अब तक उसे समझा है| उर्दू शायरी लिखने का मेरा मंतव्य कभी भी था ही नहीं | मैं बस शुद्ध हिन्दी छंद परंपरा में गज़लें कहना चाहती आ रही हूँ| मेरी ग़ज़लें जैसा आपको पता ही होगा – हिन्दी के छंदों - वीर, गीतिका, हरिगीतिका, भुजंगप्रयात, चौपाई, मालिनी, आदि की लय पर निबद्ध हैं और उसी तर्ज़ पर अन्य गज़लें भी कह दी गयी हैं| वस्तुतः में खुद इन्हें गज़ल नहीं कहती| इन्हें सामान्य कविता कहा जाए तो बेहतर| फिर भी इस पर भी कथित उर्दूदां ग़ज़लकर्मियों को ऐतराज़ क्यों हो? आपकी काव्य-पारखी दृष्टि से मेरी रचनाओं का यह आकलन प्रेरक है| अलग से आपको अपना नया गीत-संग्रह समीक्षार्थ भेजती हूँ | देखें, भाव रखें|<br /><br />सस्नेह,<br /><br />(जया गोस्वामी) <br /><br />द्वारा <br />HEMANT SHESH / हेमंत शेष <br /> <br /> IAS (Retd.)<br />Res: 40/158, Swarna Path, Mansarovar,<br />Jaipur-302020 INDIA<br />--------------------------------------------------<br />Phone 0141-2391933 (Res.) <br />M:09314508026<br /><br />नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-81121287844531006662015-09-10T05:55:21.944+05:302015-09-10T05:55:21.944+05:30नीरज जी,
सर्वप्रथम तो इतना विलम्ब से पढ़ पाने के लि...नीरज जी,<br />सर्वप्रथम तो इतना विलम्ब से पढ़ पाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। परंतु इस विलम्ब का दण्ड विलम्ब में ही प्राप्त जानकारी व आनंद के माध्यम से पा भी चुका हूँ।<br />बहुत उम्दा जानकारी, शानदार ग़ज़लों से रूबरू कराने के लिए आपको अनेक धन्यवाद व आपके इस अनुपम कार्य के लिए अनेक साधुवाद।<br /><br />सादर,<br />हितेश शर्मा "पथिक"Hitesh Sharmahttps://www.blogger.com/profile/06689345735586456719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-32703909128144624342015-09-04T11:34:40.375+05:302015-09-04T11:34:40.375+05:30Received on Whatsapp:-
नीरज जी
देर से लिखने के ...Received on Whatsapp:-<br /><br />नीरज जी <br /><br />देर से लिखने के लिए माफ़ी चाहूंगा। जया जी ने प्रयोगधर्मी शायरी की है। कई शेर चौंकाते हैं। उन्हें बधाई। <br /><br />प्रताप सोमवंशी <br />ग़ज़लकार <br />नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-37669579322983945792015-09-02T18:21:45.944+05:302015-09-02T18:21:45.944+05:30जाया जी की गज़लों से रूबरू करवाने का शुक्रिया ... न...जाया जी की गज़लों से रूबरू करवाने का शुक्रिया ... नए अंदाज़ की नए शबोब के साथ गूंथी हुयी माला बहुत लाजवाब है .... <br />जाया जी की बधाई इस सुन्दर काव्य रचनाओं की ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-54568410292661912612015-09-02T09:03:54.590+05:302015-09-02T09:03:54.590+05:30बहुत ख़ूबसूरती से ग़ज़ल की, भाषा की, जया जी की ग़ज...बहुत ख़ूबसूरती से ग़ज़ल की, भाषा की, जया जी की ग़ज़लों की बात की गई है। मनमोहक पोस्ट, अनुभव ही ये लिख सकता है। पोस्ट के आरम्भ में गिनाए गए शब्द अद्भुत । कम शब्दज्ञान और लेखन की शुरूआत करने वालों के लिए तो ये तो एक छोटा सा शब्दकोश। आपको पढ़ना सदैव सुखद होता है। आपके निरन्तर लेखन के लिए शुभकामनाएँ ।Parul Singhhttps://www.blogger.com/profile/07199096531596565129noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-16665452169450895252015-09-02T08:09:07.737+05:302015-09-02T08:09:07.737+05:30प्रिय श्री नीरज सप्रेम अभिवादन ! आज आपने सुश्री जय...प्रिय श्री नीरज सप्रेम अभिवादन ! आज आपने सुश्री जया गोस्वामी से परिचय कराया । यह काम आप वर्षों से और बहुत खूबसूरती से काफी ज़िम्मेदारी के साथ कराते आ रहे हैं ।जिसे मैं साहित्य की ज़रूरी सेवा मानता हूँ । दरअस्ल आप एक ऐसे जोहरी हैं जो न केवल हीरे की अच्छी परख रखता है अपितु हीरे को खदान से उठाकर ( मैं तराशने की बात नहीं कर रहा ) <br />इस खूबसूरती से शो केस में रखता है कि देखने वाले की आँखों में रौशनी फैलने लगती है । इसके लिए आप यक़ीनन मुबारकबाद के हक़दार हैं । जया जी से मैं अभी तक अनभिज्ञ था , इसे मेरी अपढ़ता भी कह सकते हैं जो मैं उन्हें अभी तक नहीं पढ़ पाया । जया जी ने हिंदी शब्दों का मुनासिब उपयोग करते हुए शेर के अनुशासन का पूरी तरह पालन किया है ।विशेषता यह है कि अपनी ग़ज़लों में काफियों का रदीफ़ के साथ समायोजन ( जो कि अपेक्षाकृत कुछ दुष्कर काम है ) बड़ी चाबुक दस्ती से किया है जिसकी मैं तारीफ़ करता हूँ । जहां तक उनके शिल्प और शैली का प्रश्न है तो भी मश्शाकी ( परिपक्वता ) का भरपूर सुबूत दे रही हैं । कथ्य के स्तर पर भी कह सकता हूँ कि वे अत्यंत खुशफिक्र शाइरा हैं , फ़िक्र के साथ शेर कहती हैं ।फ़िक्र उनकी रचनात्मक और सरोकार सकारात्मक हैं । उनके जज़्बातो - एहसासात जीवन की अनुभूतियों से उभरते हैं जिन्हें हुस्ने - खूबसूरती से शेर के साँचे में ढाल देती हैं । ऐसी रचनाएँ ही हमारे साथ लम्बा सफ़र तय करती हैं । उनकी इस कामयाब शाइरी पर मैं दिल से मुबारकबाद कहता हूँ । कृपया जया जी तक मेरा सलाम पहुंचा दीजिये । अनवारे इस्लाम , भोपाल । 1 सितम्बर 2015नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-12005278398556045652015-09-01T11:47:23.337+05:302015-09-01T11:47:23.337+05:30Received on fb :-
Anil Kumar Bansal
नीरज जी, ज...Received on fb :-<br /><br /><br />Anil Kumar Bansal <br /><br />नीरज जी, जो भी लिखते हो बहुत बढ़िया लिखते हो। बारबरा पढ़ने को दिल करता है।नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-79616471610788877112015-09-01T11:40:45.379+05:302015-09-01T11:40:45.379+05:30Received on fb:-
Satish Tewari
बहुत बढ़ियाReceived on fb:-<br /><br />Satish Tewari <br /><br />बहुत बढ़ियानीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-23125667615055969822015-09-01T11:39:18.763+05:302015-09-01T11:39:18.763+05:30Received on fb :-
Kamal Tandon
wonderfulllllll...Received on fb :-<br /><br />Kamal Tandon <br /><br /><br />wonderfullllllllll lines sirनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-5974312221037022562015-09-01T11:37:42.365+05:302015-09-01T11:37:42.365+05:30Received on fb :
Raghav Tiwari :
Lajawab lekhan...Received on fb :<br /><br />Raghav Tiwari :<br /><br /><br />Lajawab lekhan sir ji<br />Subh Sandhya jai shri Krishnaनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-37552067976254363382015-09-01T11:31:39.883+05:302015-09-01T11:31:39.883+05:30Received on fb :-
Narayan Singh Adhikari
wah wa...Received on fb :-<br /><br />Narayan Singh Adhikari <br /><br />wah wah wah..!नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-51322494932234033212015-09-01T11:13:05.014+05:302015-09-01T11:13:05.014+05:30नीरज जी
प्रणाम
तिलक जी की बात से पूरी तरह सहमत हूँ...नीरज जी<br />प्रणाम<br />तिलक जी की बात से पूरी तरह सहमत हूँ। आपकी इस कोशिश को सलाम जिसके कारण हिंदी की अप्रतिम खूबसूरती लिए जया जी की रचनाओं से रूबरू होने का मौका मिला।<br />उनसे बात भी हुई। जल्द ही उनकी कृति पढ़ पाउंगी।<br />आपका शुक्रिया की आपने ये मौका उपलब्ध करवाया।<br />सादर<br />पूजाPooja Bhatiahttps://www.blogger.com/profile/03904863659354014021noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-64831067624060005582015-08-31T18:29:24.279+05:302015-08-31T18:29:24.279+05:30भाषा के विवाद में पड़े बिना एक बात जो मुझे सहज स्...भाषा के विवाद में पड़े बिना एक बात जो मुझे सहज स्वीकार्य लगती है वह है मनुष्य की आदतें। हमें आदत सी हो गयी है हर चीज पारंपरिक रूप में देखने की और शायद यही वह कारण है जिसके कारण हिन्दी में अच्छी भली बात करने वाला शायर उर्दू शब्दों की ओर आकर्षित हो उठता है। ऐसा अक्सर होता है जब किसी मंच पर ग़ज़ल कहने की बात आती है और शायर के अास-पास से उर्दू-बहुत अशआर की बरसात होती है और उन पर तालियॉं पिटती हैं। एकाएक लगता है कि हिन्दी ग़ज़ल लोकप्रिय नहीं है। फिर यही लोकप्रियता का मोह शायर के मन में वह भाव उँडेलता है जो उसे उर्दू शब्दों के मोह की ओर ले जाता है। <br />मुझे आश्चर्य है कि जया जी इस मोह से मुक्त रह सकीं और सिद्ध करने में कामयाब हो सकीं कि काव्य में भाषा नहीं भाव का महत्व होता है। <br />इस खूबसूरत प्रस्तुति पर भी आपका आभार (अभी थका नहीं हूँ)। तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-36949503877982051232015-08-31T15:49:17.184+05:302015-08-31T15:49:17.184+05:30bahut badhiya ...!bahut badhiya ...!nayee duniahttps://www.blogger.com/profile/12166123843123960109noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-79178569536957581022015-08-31T15:13:47.379+05:302015-08-31T15:13:47.379+05:30आदरणीय नीरज भाई साहब
जया गोस्वामी जी की ग़ज़लों की ...आदरणीय नीरज भाई साहब<br /><br />जया गोस्वामी जी की ग़ज़लों की बानगी को " किताबों की दुनिया" में<br />लाने के लिए आभार। शुद्ध हिंदी सुभाव की ग़ज़लों को लेकर आपने वाजिब सवाल उठाए हैं।<br />जया जी की हिंदी सुभाव की ग़ज़लों की भाषा उनकी ग़ज़लों का कथ्य और शिल्प आकर्षक हैं। उनके पास एक व्यापक अनुभव क्षेत्र है जो उनके कोमल एहसास के साथ उनकी शायरी में बहुत खूबसूरती से परिलक्षित हो रहा है।<br /><br />आपने जितने भी शेर उद्धृत किए हैं उनकी सतत साधना की अक्कासी कर रहे हैं। बहुत सलीक़े से जया जी अपनी बात कहती हैं<br />शे'रों में पेंटिंग का जादू भी सम्मोहित करने वाला है। जया जी को हार्दिक बधाई, आपका हार्दिक धन्यवाद एक बार फिर किताबों की दुनिया के ख़ज़ाने में एक और हीरा शामिल करने के लिए।<br /><br /><br /><br />द्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-15597740016657683292015-08-31T11:19:14.704+05:302015-08-31T11:19:14.704+05:30" युग-युगों के मोह तम में प्रेम चन्द्रोदय हुआ..." युग-युगों के मोह तम में प्रेम चन्द्रोदय हुआ <br />ज्योति के वे क्षण युगों से शक्तिशाली हो गये "<br /><br />वाह...!!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-8667403118908931942015-08-31T11:05:26.322+05:302015-08-31T11:05:26.322+05:30नीरज जी! जया जी की लिखीं खूबसूरत ग़ज़लों से रूबरू कर...नीरज जी! जया जी की लिखीं खूबसूरत ग़ज़लों से रूबरू करवाने के लिए शुक्रिया! रदीफ़ काफ़िया अनूठे है - "रुनझुन, बुन , सुन ", "उतारे, तारे, किनारे". ये जया जी के अनुभवों और अलग-अलग क्षेत्रों में उनकी हुनरमंदी को दर्शाता है. आपने इस पोस्ट में कुछ और ज़रूरी बातें उठाई हैं. शायद ये ग़ज़ल का ढांचा ही है के इसे कोई भी ज़बान छुए, तो वो ज़बान निखर जाती है. <br /><br />आपका विनय<br />dilsaaz.wordpress.comAnonymousnoreply@blogger.com