tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post7288385795428277440..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: काव्य संध्या: आखरी खुराकनीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-29449315652318049202008-10-02T16:28:00.000+05:302008-10-02T16:28:00.000+05:30भइया,देवमणि पाण्डेय जी तो छा गए...उनकी रचनाओं में ...भइया,<BR/>देवमणि पाण्डेय जी तो छा गए...उनकी रचनाओं में कुछ है. देवी नागरानी जी की गजल भी बहुत खूब रही....अगली बार जिस काव्य संध्या में भी जाईयेगा, ऐसी ही प्रस्तुति करियेगा.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-25489398430247635712008-10-01T23:56:00.000+05:302008-10-01T23:56:00.000+05:30नीरज जी नमस्कार जिस तरह से रोग का प्रकोप कम होने ...नीरज जी नमस्कार <BR/>जिस तरह से रोग का प्रकोप कम होने पर आदमी को आलस्य घेर लेता है और वो दावा लेने में कोताही करने लगता है उसी तरह आपकी आखरी खुराक लेने में मुझको भी विलंब हो गया <BR/>मगर आखरी खुराक लेते ही रोग जड़ सहित गायब हो गया <BR/>इस पूरी ट्रीटमेंट के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद <BR/>वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-34988868490691419692008-10-01T22:12:00.000+05:302008-10-01T22:12:00.000+05:30आदरणीय नीरज जी, क्या हम आपके नहीं हैं ? इतना सुंद...आदरणीय नीरज जी, क्या हम आपके नहीं हैं ? इतना सुंदर आयोजन देखकर मैं तो ठगा सा ही रह गया था . क्या टीपता, क्या टीप ही सकता था ? बहुत बेहतर. अल्फाज़ की ज़द के परे तारीफ़ है सर . मैं देर से नहीं आया मालिक बस देखता रह गया न इसीलिये . आपकी फ़रमाइश पर शेर छोड़ा था ब्लॉग पर. थोड़ा वक्त निकाल कर पढ़ लीजियेगा . आपका अपनाबवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-57945008156237786952008-10-01T17:20:00.000+05:302008-10-01T17:20:00.000+05:30वॉह्ट ए प्रेसेंटेशन सर जी,नमनवॉह्ट ए प्रेसेंटेशन सर जी,नमनAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-53253232589411146222008-10-01T16:52:00.000+05:302008-10-01T16:52:00.000+05:30Niraj ji bahut mehanat ki aapne..kaabile taarif ha...Niraj ji bahut mehanat ki aapne..<BR/>kaabile taarif hai aap ki mehnat.. bahut rang le ke aayee hai...... yeh aap ki report(s)...Kavi Kulwanthttps://www.blogger.com/profile/03020723394840747195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-72133571060236980482008-10-01T09:14:00.000+05:302008-10-01T09:14:00.000+05:30नीरज जी,सच कहूँ आखिरी खुराक ने तोबिल्कुल चंगा कर द...नीरज जी,<BR/>सच कहूँ आखिरी खुराक ने तो<BR/>बिल्कुल चंगा कर दिया.<BR/>इस किस्त की ग़ज़लें लाजवाब हैं<BR/>और आपकी वह बात भी जो<BR/>मुस्कान का मोल समझा रही है.<BR/>===========================<BR/>शुक्रिया<BR/>डॉ.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-46965850678608027992008-09-30T17:46:00.000+05:302008-09-30T17:46:00.000+05:30aapne iske liye bahut mehnat ki hai.. aur aapki me...aapne iske liye bahut mehnat ki hai.. aur aapki mehnat ke liye koti koti badhai.. <BR/><BR/>sari hi khurake asardar rahi..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-32715797603403313572008-09-30T14:43:00.000+05:302008-09-30T14:43:00.000+05:30नीरज भाई खा करके खुराकें तंग आ गए थे अब रोगी की द...नीरज भाई <BR/>खा करके खुराकें तंग आ गए थे <BR/>अब रोगी की दशा उत्तम हो गई होगी <BR/>देवी जी और देव साहिब ने तो कमाल कर दिया है <BR/>उनको पढ़ कर बड़ जाती है मुख की आभा <BR/>अब तो भोग पढ़ चुका है <BR/>स्वामी नीरज का शेर बहुत पसंद आया <BR/>जब तलक जीना है "नीरज" मुस्कुराते ही रहो<BR/>क्या ख़बर हिस्से में अब कितनी बची है जिन्दगी<BR/>मौके का फ़ायदा उठाते हुए मैं भी अपना एक शेर चिपकाने <BR/>ज़ुर्रत कर रहा हूँ <BR/>जिन्दगी तो फरेब देती है <BR/>मौत से काश हम मिले होते<BR/><BR/>चाँद शुक्ला हदियाबादी <BR/>डेनमार्कhaidabadihttps://www.blogger.com/profile/00389775957099138608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-64067778391015842402008-09-30T11:57:00.000+05:302008-09-30T11:57:00.000+05:30आपको ईद और नवरात्रि की बहुत बहुत मुबारकबादआपको ईद और नवरात्रि की बहुत बहुत मुबारकबादrakhshandahttps://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-54106297285579511002008-09-30T11:56:00.000+05:302008-09-30T11:56:00.000+05:30आप ऐसे ही आयोजन करवाते रहीये नीरज jiआप ऐसे ही आयोजन करवाते रहीये नीरज jirakhshandahttps://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-77456076240135106452008-09-30T06:47:00.000+05:302008-09-30T06:47:00.000+05:30नीरज भाई,जब तलक जीना है "नीरज" मुस्कुराते ही रहोक्...नीरज भाई,<BR/><BR/>जब तलक जीना है "नीरज" मुस्कुराते ही रहो<BR/>क्या ख़बर हिस्से में अब कितनी बची है जिन्दगी<BR/><BR/>जिन्दादिली से परपूर्ण इन पंक्तियों के लिए बधाई। हो सके तो पूरी रचना के दर्शन करवाने की कृपा करें।<BR/><BR/>सादर <BR/>श्यामल सुमन<BR/>09955373288<BR/>मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।<BR/>कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।<BR/>www.manoramsuman.blogspot.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-88330709406617300972008-09-30T02:26:00.000+05:302008-09-30T02:26:00.000+05:30अहा! आनंद ही आनंद। सब एक से बढ़कर एक! पर ये आपने गल...अहा! आनंद ही आनंद। सब एक से बढ़कर एक! पर ये आपने गलत किया नीरज जी....सिर्फ़ एक शेर!!! भूखे को भरपेट भोजन न देकर सिर्फ़ एक कौर देकर टरकाना भारतीय परंपरा के विपरीत है।रविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-5589742860348862262008-09-29T22:46:00.000+05:302008-09-29T22:46:00.000+05:30....मनभावन.मजा आ गया.हर खुराक एक से बढ़ कर एक....क्.......मनभावन.मजा आ गया.हर खुराक एक से बढ़ कर एक....क्षुधा को और और बढ़ाती हुई.<BR/>और इस समापन शेर की पूरी गज़ल कब पढ़्वा रहे हैं?गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-15020840928275680412008-09-29T22:39:00.000+05:302008-09-29T22:39:00.000+05:30आप ऐसे ही आयोजन करवाते रहीये नीरज भाई साहब और हमेँ...आप ऐसे ही आयोजन करवाते रहीये नीरज भाई साहब और हमेँ देवीजी , देवमणि पाँडेयजी जैसे कवियोँ को सुनने का सुअवसर मिलता रहे<BR/>आप कहीँ नहीँ जायेँगेँ ..<BR/>लिखते, सुनते, सुनवाते रहेँगेँ ..<BR/>ये पक्का विश्वास है :)<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-5185735856754569492008-09-29T21:00:00.000+05:302008-09-29T21:00:00.000+05:30आपने दोनों जगह मंच का सही संचालन किया। इस आनंदानु...आपने दोनों जगह मंच का सही संचालन किया। इस आनंदानुभूति के लिए आभार।जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-14093490952362566422008-09-29T19:14:00.000+05:302008-09-29T19:14:00.000+05:30नीरज जी, काश ऐसी संध्या मे हम भी वहाँ होते, कितनी ...नीरज जी, काश ऐसी संध्या मे हम भी वहाँ होते, कितनी प्यारी सुन्दर रचनाएं मिलती सुनने को। पर पढ कर भी बहुत ही आनंद आया। <BR/><BR/>जब तलक जीना है "नीरज" मुस्कुराते ही रहो<BR/>क्या ख़बर हिस्से में अब कितनी बची है जिन्दगी।<BR/> <BR/>बहुत खूब। <BR/><BR/>ना हंसते हैं ना रोते हैं<BR/>ऐसे भी इंसा होते हैं.<BR/>दुख में रातें कितनी तन्हा<BR/>दिन कितने मुश्किल होते हैं.<BR/>खुद्दारी से जीने वाले<BR/>अपने बोझ को खुद ढोते हैं.<BR/>सपने हैं उन आंखों में भी<BR/>फुटपाथों पर जो सोते हैं<BR/><BR/>वैसे सभी बहुत अच्छी लगी। पर ये दिल के पास आकर कुछ कह गई।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-58221463863743971202008-09-29T16:49:00.000+05:302008-09-29T16:49:00.000+05:30बेहतरीन काव्य गोष्टी का स्वाद मिला ! तिवारी साहब क...बेहतरीन काव्य गोष्टी का स्वाद मिला ! <BR/>तिवारी साहब का सलाम !दीपक "तिवारी साहब"https://www.blogger.com/profile/04863783412484935270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-83488864538305487822008-09-29T15:05:00.000+05:302008-09-29T15:05:00.000+05:30ये हुआ न धमाकेदार आयोजन. देव मणी जी भी खूब छाये. आ...ये हुआ न धमाकेदार आयोजन. देव मणी जी भी खूब छाये. आपको अपनी गजल का लिंक तो जरुर ही देना चाहिये. :)<BR/><BR/>बहुत बहुत बधाई, जय हो और शुभकामनाऐ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-64569847379399979802008-09-29T14:17:00.000+05:302008-09-29T14:17:00.000+05:30नीरज जी....आपके शेर से inspire होकर कुछ कलम-घसीटी ...नीरज जी....आपके शेर से inspire होकर कुछ कलम-घसीटी करने का मन हो आया सो ठेल रहा हूँ...मुआफ करना ...<BR/><BR/>मिल के साथ बैठे एक वक़्त गुजरा <BR/>इन दिनों तू कहाँ है जिंदगी !डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-7181342196156901142008-09-29T13:16:00.000+05:302008-09-29T13:16:00.000+05:30नीरज जी आपने ये बिल्कुल नए अंदाज का काम किया है ! ...नीरज जी आपने ये बिल्कुल नए अंदाज का काम किया है ! इस तरह से पुरे आयोजन को इतने लोगो तक<BR/>इस जीवंत अंदाज में पहुचाना कोई हँसी खेल नही है ! आपने इतना दुरूह कार्य किया है की आपको जितना <BR/>धन्यवाद दिया जाए वो कम पडेगा ! मैं आपको प्रणाम करता हूँ और अनंत शुभकामनाएं स्वीकार कीजिये मेरी तरफ़ से !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-19311183072171076902008-09-29T11:41:00.000+05:302008-09-29T11:41:00.000+05:30जब तलक जीना है "नीरज" मुस्कुराते ही रहोक्या ख़बर हि...जब तलक जीना है "नीरज" मुस्कुराते ही रहो<BR/>क्या ख़बर हिस्से में अब कितनी बची है जिन्दगी<BR/><BR/>बहुत खूब ..पर यह बात तो ग़लत है सब खुराके इतने अच्छे ढंग से दी .पर अपनी बारी आने पर सिर्फ़ एक शेर ..कोई बात नही आप दुबारा सुने दे ..बहुत अच्छा रहा यह सफर ...एक तो ख़ुद को साथ महसूस किया ..दूसरा लगा की इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए ...शुक्रिया आपकी मेहनत काबिले तारीफ है जो हम तक यह आपने पहुंचायारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-74025592062003212008-09-29T10:27:00.000+05:302008-09-29T10:27:00.000+05:30आपकी पोस्टों से एक बात स्पष्ट लगी। कविता और काव्य ...आपकी पोस्टों से एक बात स्पष्ट लगी। कविता और काव्य करने वाला मन सब तरफ पाया जाता है। और काव्य-उकृष्टता व्यापक है।<BR/>आशा है आप लोगों से इसी प्रकार मिलाते रहेंगे।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-80460545565520419922008-09-29T09:52:00.000+05:302008-09-29T09:52:00.000+05:30ये तो ग़लत बात है कि अपनी बारी आने पर पतली गली पकड...ये तो ग़लत बात है कि अपनी बारी आने पर पतली गली पकड़ ( श्रोताओं की हूटिंग का डर था क्या , और हमारा क्या जो हम पिछले चार पौस्टों से अंडे टमाटर लिये तैयार बैठे थे ) कम अ स कम वो लिंक तो देते जहां पर वो ग़ज़ल है । खैर आपने एक मुश्किल काम ऐसे कर दिया जैसे बह़त ही आसान था । आपको बधाई पहले एक अच्छे आयोजन के लिये और फिर उसकी बहुत बहुत अच्छी रिपोर्टिंग के लिये ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-48261014353896816762008-09-29T09:22:00.000+05:302008-09-29T09:22:00.000+05:30भाई नीरज जी,काव्य संध्या का प्रस्तुतीकरण जितना उम्...भाई नीरज जी,<BR/>काव्य संध्या का प्रस्तुतीकरण जितना उम्दा था, उसकी जितनी भी तारीफ की जाय कम है, एक बार फिर हार्दिक बधाई स्वीकार करें.<BR/>सच कहा आपने अंत एक सत्य है.<BR/>इस सत्य को हर जीवित आत्मा भली भांति जानती है, किंतु जन्म एक सत्य है किसी को पता नही होता, क्योंकि तब कोई होता ही नही, इसी तरह कब क्या कोई नई प्रस्तुति कब -कहाँ-कैसे मिल जायेगी ,कोई नही जानता, परन्तु सामने आने के बाद प्रतिक्रियाएं, आलोचनाएं, समालोचनाएँ ज्यादा आसन हो जाती है , क्योंकि यह आम मानव का एक स्वाभाविक स्वभाव है. <BR/>आपने एक और सत्य बात कही कि<BR/>" समय को शायरी की समझ कहाँ...खुश्क, संवेदनहीन, भागने, दौड़ने वाले और गणित में उलझे हुओं को शायरी से वैसे भी कोई नाता नहीं रहता..."<BR/>कारण कि घायल की गति घायल ही जानता है.<BR/>जीवन की सच्ची समझ जीवन के संध्या बेला में, सारे अनुभवों के बाद ही हो पाती है . तभी समझ में आता है कि क्या खोया क्या पाया, समाज को क्या दिया, समाज से क्या मिला, किस-किस को लुटा, किस-किस से लुटे आदि-आदि..............<BR/><BR/>चन्द्र मोहन गुप्तMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-56962912273972284612008-09-29T09:08:00.000+05:302008-09-29T09:08:00.000+05:30जब तलक जीना है "नीरज" मुस्कुराते ही रहोक्या ख़बर हि...जब तलक जीना है "नीरज" मुस्कुराते ही रहो<BR/>क्या ख़बर हिस्से में अब कितनी बची है जिन्दगी<BR/>" bda jindadil sher hai aapka, or utne hee jindadil aap inssan bhee hain, iss kavy sandyha ke sath ka safar bhut accha rha, ek se bdh kr ek rachaneyn pdhne ko mile or bhut kuch sikhne ko bhee mila. khair end to hr cheez ka ek din hona hee hai, magr ye safar yadgar rhega, or apke vjes se hume ye safar ka hisa bnne ka mauka mila uske liye bhut bhut shukriya"<BR/><BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com