tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post7214401311373435137..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: किताबों की दुनिया - 4नीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger53125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-15344376944107098742013-07-16T23:14:54.074+05:302013-07-16T23:14:54.074+05:30घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे
चुप...घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे<br />चुपके चुपके कर देती है, जाने कब तुरपाई अम्मा<br /><br />सारे रिश्ते-जेठ -दुपहरी, गर्म-हवा, आतिश, अंगारे<br />झरना, दरिया, झील, समंदर, भीनी सी पुरवाई अम्मा<br /><br />बाबूजी गुजरे,आपस में सब चीजें तक्सीम हुईं, तब-<br />मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा<br /><br />अब तो उस सूने माथे पर कोरे पन की चादर है<br />अम्माजी की सारी सजधज, सब जेवर थे बाबूजी<br /><br />भीतर से खालिस जज्बाती और ऊपर से ठेठ पिता<br />अलग, अनूठा, अनभूझा सा एक तेवर थे बाबूजी<br /><br />कभी बड़ा सा हाथ खर्च थे, कभी हथेली की सूजन<br />मेरे मन का आधा साहस, आधा डर थे बाबूजी<br /><br /><br />बहुत आभार , अलोक जी के बारे में बताने के लिए, अम्मा और बाबूजी लगभग रोज़ एक बार तो सुन ही लेता हूँ, और हर बार आँख भर आती है, माँ बाप के लिए ऐसी गजल आज तक मैंने अपनी जिन्दगी में नही सुनी,<br />Dr. Shoryahttps://www.blogger.com/profile/03251125311923382578noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-66886617925443646392012-06-16T04:00:39.957+05:302012-06-16T04:00:39.957+05:30Aaj ek bar fir se ameen ke bare men padh kar bahut...Aaj ek bar fir se ameen ke bare men padh kar bahut anand aaya. Alok jee ke aur aap ke dono ke kalam ko salam.Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-52192943935483066772010-07-23T18:10:43.221+05:302010-07-23T18:10:43.221+05:30ये जिस्म क्या है कोई पैरहन उधार का है
यहीं संभाल क...ये जिस्म क्या है कोई पैरहन उधार का है<br />यहीं संभाल के पहना, यहीं उतार चले<br /><br />रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब, मंज़िल बढ़ती आती है,<br />चुपके-चुपके मेरे हक़ में, कौन दुआएं करता है। <br /><br />जिस्म से होते हुए दिल को छू गए दोनों शेर। मेरी दिली ख्वाहिश थी कि इस सभी टिप्पणियों में केवल मैं ही सराहूँ ऊपर वाला शेर तो बेहतर होगा और ऐसा ही हुआ।vishalhttps://www.blogger.com/profile/12747208755957238186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-40994340403363852202009-10-27T22:56:30.017+05:302009-10-27T22:56:30.017+05:30आलोक जी
आमीन के लिए ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं...आलोक जी <br />आमीन के लिए ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं हो अलोक जी और नेर्राज को इसे हम सब तक पहुँचने के लिए.<br />नीरज<br /> को बधाई देना एक मात्र लफ्जों का समूह होगा. मन की भावना को किसी<br /> भी तरह से यहाँ ढाल नहीं पा रही हूँ. आज आलोक जी के मंच से यहाँ तक का सफ़र मुझे साहित्य के इस सफ़र नामे का अनुभव करा गया. नीरज को जानती हूँ पहचानने की कोशिश अब शुरू हुई है. प्राण जी ने बताया था नीरज कुछ लिखने वाले है मैं ग़ज़ल कहता हूँ पर, पर कहाँ ये पत्ता न था..और अब सब साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है. नीरज You are a walking Talking Encyclopedia.<br />स्नेह भरी शुभकामनाएं कबूल हो<br />देवी नागरानीDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-53513910059110729622009-03-19T14:17:00.000+05:302009-03-19T14:17:00.000+05:30रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब, मंज़िल बढ़ती आती है,चुपक...रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब, मंज़िल बढ़ती आती है,<BR/>चुपके-चुपके मेरे हक़ में, कौन दुआएं करता है।<BR/><BR/>भाई, एक अर्से से अपने इस शे'र को लिए घूम रहा हूं कि कहीं तो वो शख़्स मिले जो मेरे लिए दुआगो है और मुझे उसकी ख़बर तक नहीं!? मेरी ये तलाश ख़त्म कराने के लिए, आपका शुक्रिया। आप जैसे दानिशमंद ने इस खाकसार को नवाज़ा है तो आज आपसे वादा करता हूं कि-<BR/><BR/>तुम मुझे रोज़ चिट्ठियां लिखना,<BR/>मैं तुम्हें रोज़ इक ग़ज़ल दूंगा।<BR/><BR/>आपका ही आलोकaalok shrivastavhttps://www.blogger.com/profile/11326346129473048021noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-62446818379010985832009-01-27T02:10:00.000+05:302009-01-27T02:10:00.000+05:30neeraj jee,aapko padhne ka aanand hee alag hai.aap...neeraj jee,<BR/><BR/>aapko padhne ka aanand hee alag hai.aapka to apna likha turup to hota hee hai ,hai hee,lekin hamare jaison ke liyee gota laga badhiya sundar motee pesh karna lazbab hai.<BR/><BR/>aap aanand kee manzil ko aasan kar dete hain aur vividhta se do char karate huye vistarit bhee.maze le raha hoon !<BR/><BR/>aapse milne ka maza to kabhee likhunga par pahle padh kar to adyatan ho jaoon .AAPKE SATH GUZREE VO SHAM YADON ME HAMESHA DARZ RAHEGEE . GAM-YE ROZGAR NA HOTA TO KHOPOLEE PAR KARNA , AAPSE FIR MILE BINA ,AASAN NA HOTA .HAAN KASAK AUR JIYADA HO GAYEE HAI.RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-24245865751445250352009-01-25T23:53:00.000+05:302009-01-25T23:53:00.000+05:30नीरज जी,आलोक जी को तो कोटि-कोटि प्रणाम..........मग...नीरज जी,आलोक जी को तो कोटि-कोटि प्रणाम..........मगर आपको भी कोटि-कोटि धन्यवाद,कि आपने इन अद्भुत रचनाओं का दीदार हमें कराया....ट्रेलर ही ऐसा था तो पिक्चर कैसी होगी यही सोचकर मैं अभिभूत हुआ जा रहा हूँ....!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-90929045263859066282009-01-25T22:02:00.000+05:302009-01-25T22:02:00.000+05:30गणतंत्र दिवस पर यह हार्दिक शुभकामना और विश्वास कि ...गणतंत्र दिवस पर यह हार्दिक शुभकामना और विश्वास कि आपकी सृजनधर्मिता यूँ ही नित आगे बढती रहे. इस पर्व पर "शब्द शिखर'' पर मेरे आलेख "लोक चेतना में स्वाधीनता की लय'' का अवलोकन करें और यदि पसंद आये तो दो शब्दों की अपेक्षा.....!!!Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-67669452096850972142009-01-25T21:37:00.000+05:302009-01-25T21:37:00.000+05:30गणतंत्र दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएंhttp:...गणतंत्र दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं<BR/><BR/>http://mohanbaghola.blogspot.com/2009/01/blog-post.html<BR/><BR/>इस लिंक पर पढें गणतंत्र दिवस पर विशेष मेरे मन की बात नामक पोस्ट और मेरा उत्साहवर्धन करेंमोहन वशिष्ठ https://www.blogger.com/profile/00939783274989234267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-79822076057788603052009-01-24T14:50:00.000+05:302009-01-24T14:50:00.000+05:30नीरज जी इतनी सुंदर पुस्तक की उतनी ही सुंदर समीक्षा...नीरज जी इतनी सुंदर पुस्तक की उतनी ही सुंदर समीक्षा । आपके सारे दिये उध्दरण एक लसे बढ कर एक हैं । किसे चुनें किसे छोडें । बहुत धन्यवाद ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-31592185871586427652009-01-23T19:32:00.000+05:302009-01-23T19:32:00.000+05:30नीरज जी नमस्कारआमीन ये शब्द एक ऐसा है कि अगर कान...नीरज जी नमस्कार<BR/><BR/>आमीन ये शब्द एक ऐसा है कि अगर कान में पडे या आंखों के सामने आए तो असंख्य शेर कानों में सुनाई पडते हैं दरअसल आलोक जी की आमीन मैंने भी काफी पहले पढ ली और इस बारे में आलोक जी से बात भी की थी बहुत ही पसंद की गई है यह बाकी आज आपने इसका रिव्यू देकर सोने पे सुहागा वाली रश्म अदा कर दी इसके लिए आपको और आलोक जी को हार्दिक बधाई <BR/>बाकी देरी के लिए माफी चाहता हूं कई दिनों से ब्लागजगत में ज्यादा सक्रिय नहीं रहा हूंमोहन वशिष्ठ https://www.blogger.com/profile/00939783274989234267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-33186071734832191392009-01-22T17:52:00.000+05:302009-01-22T17:52:00.000+05:30जानकारी के लिए साधुवादजानकारी के लिए साधुवादBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-1447920470084531932009-01-22T14:50:00.000+05:302009-01-22T14:50:00.000+05:30नीरज जी जय श्री राम। क्या बात है जनाब। आलोक जी की ...नीरज जी जय श्री राम। क्या बात है जनाब। आलोक जी की शायरी तो शायरी ऊपर से आपकी समीक्षा सुभानअल्लाह। वैसे मैं ये किताब पहले ही पढ़ चुका हूं। क्योंकि आमीना का हमारी अख़बार में रिव्यू छपने के लिए आया था और छप भी चुका है, तो हमारे पास तो ये ख़जाना पहले से ही है।vijaymaudgillhttps://www.blogger.com/profile/10488293173878643670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-56796380948972180472009-01-22T01:01:00.000+05:302009-01-22T01:01:00.000+05:30नीरज जी इलाहबाद में पुस्तक मेला लगा हुआ है (१६ जनव...नीरज जी <BR/>इलाहबाद में पुस्तक मेला लगा हुआ है (१६ जनवरी से २५ जनवरी) दूसरे दिन ही जा कर विजय वाते जी की पुस्तक खरीद ली ४० रु. मूल्य २५ % छूट मात्र ३० रु. में खजाना हाँथ लगा सब आपके परिश्रम का फल है <BR/><BR/>आमीन भी जरूर खरीदूंगा <BR/><BR/>आपका वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-11090919982016676972009-01-21T10:56:00.000+05:302009-01-21T10:56:00.000+05:30एक अच्छी किताब का सम्यक परीक्षण कर पाना कुशल रचन...एक अच्छी किताब का सम्यक परीक्षण कर पाना कुशल रचनाकार के हाथों से ही सम्भव है। आपकी यह पोस्ट इसी बात की निशानी है।adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-19322675042643804232009-01-21T08:52:00.000+05:302009-01-21T08:52:00.000+05:30नीरज जी, मैरे मित्र अलीक ने ही आपको राजीव नाम से स...नीरज जी, मैरे मित्र अलीक ने ही आपको राजीव नाम से सम्बोधित कर दिया था,मुझसे आपका परिचय पाकर्।<BR/>शायरी ही नही शायरों में भी आपका चिंतन गहन है। आलोक जी को आप के नज़रिये से देखा, बहुत अच्छा लगा।<BR/>मन्सूर हाशमी।Mansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-32696099683570066102009-01-20T23:08:00.000+05:302009-01-20T23:08:00.000+05:30नीरज जी,आपकी प्रस्तुति चुपके-चुपकेतुरपाई कर जाती ह...नीरज जी,<BR/>आपकी प्रस्तुति चुपके-चुपके<BR/>तुरपाई कर जाती है,<BR/>जीवन के कितने अभावों की<BR/>भरपाई कर जाती है !<BR/>=======================<BR/>शुक्रिया<BR/>डॉ.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-33550974057407828902009-01-20T21:20:00.000+05:302009-01-20T21:20:00.000+05:30आलोक साब और उनकी आमीन के हम भी जबरदस्त फैन हैं.......आलोक साब और उनकी आमीन के हम भी जबरदस्त फैन हैं.....विगत चार एक महिनों से इस किताब के पन्नों में डूबते-उतरा रहे हैंगौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-65352196396059280452009-01-20T17:55:00.000+05:302009-01-20T17:55:00.000+05:30अब तक जितनी किताबों की आपने चर्चा की है सारी बेहतर...अब तक जितनी किताबों की आपने चर्चा की है सारी बेहतरीन लगीं हैं। अगले पुस्तक मेले में इन पर नज़र रहेगी।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-14827217946048164232009-01-20T17:18:00.000+05:302009-01-20T17:18:00.000+05:30अब तो उस सूने माथे पर कोरे पन की चादर हैअम्माजी की...अब तो उस सूने माथे पर कोरे पन की चादर है<BR/>अम्माजी की सारी सजधज, सब जेवर थे बाबूजी<BR/><BR/>भीतर से खालिस जज्बाती और ऊपर से ठेठ पिता<BR/>अलग, अनूठा, अनभूझा सा एक तेवर थे बाबूजी<BR/><BR/>कभी बड़ा सा हाथ खर्च थे, कभी हथेली की सूजन<BR/>मेरे मन का आधा साहस, आधा डर थे बाबूजी<BR/><BR/><BR/>ye panktiya.n dil ke us hisse ko choo gai.n jo hamesha hi geela rahata hai....! kya aap mujhe ye poori gazal bhej sakte hai.n...jab tak mai kitab kharidoo us ke pahaleकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-58697892202983891452009-01-20T17:15:00.000+05:302009-01-20T17:15:00.000+05:30bahut acchha kaam kar rahey hain aap neeraj ji..bahut acchha kaam kar rahey hain aap neeraj ji..पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-90168553837826738022009-01-20T15:20:00.000+05:302009-01-20T15:20:00.000+05:30neeraj ji aapko maanana padhenga , kahan se ye kha...neeraj ji <BR/><BR/>aapko maanana padhenga , kahan se ye khazana dhoondh kar le aaten hai aap .. sher padkar bahut accha lagaa. aur aap jo vivran deten hai , us se bhi bahut jyada information milti hai .. <BR/><BR/>aap yun hi nayi nayi kitaabon ke baaren mein batate jaayen.. <BR/><BR/>mera dil se dhanyawaad. <BR/><BR/>aap exhibition men aayenge?<BR/><BR/>vijayvijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-29103453713772224072009-01-20T12:57:00.000+05:302009-01-20T12:57:00.000+05:30बहुत सुंदर दोहे हैं.बहुत सुंदर दोहे हैं.सतपाल ख़यालhttps://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-68996173108473865122009-01-20T12:55:00.000+05:302009-01-20T12:55:00.000+05:30मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई..म...मैं घर में सबसे छोटा था,<BR/> मेरे हिस्से में मां आई..मुनव्वर जी का ये शे’र और आलोक जी का ये शे’र का कया महज़ इतेफ़ाक है .<BR/> घर में सबसे छोटा था,<BR/> मेरे हिस्से आई अम्मा<BR/>ऐसा टकराव संभव है पर इसके बारे मे आप सब की राये चाहता हूँ. नीरज जी ये आपने बड़े भले का काम किया कि sameeksha शुरू की है.<BR/>सादर ख्यालसतपाल ख़यालhttps://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-35911930238830193982009-01-20T06:07:00.000+05:302009-01-20T06:07:00.000+05:30शुक्रिया जानकारी के लिये। अब किताब तो क्या खरीदेंग...शुक्रिया जानकारी के लिये। अब किताब तो क्या खरीदेंगे? ऐसे ही कहिये तो कह दें लेकिन आलोक के दोहे बहुत अच्छे लगे।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com