tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post6576361209957761162..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: किताबों की दुनिया - 157नीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-66920883620022582862017-12-30T18:45:59.498+05:302017-12-30T18:45:59.498+05:30बहुत सुन्दर बहुत सुन्दर Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-47095055624213343452017-12-26T17:29:33.917+05:302017-12-26T17:29:33.917+05:30Bahut khoobsoorati se kisi shayar ka taarruf padhn...Bahut khoobsoorati se kisi shayar ka taarruf padhna ho to Neeraj ji ka blog post khangala Jaye wah wah Renu ji k ashaar bhi apka lekh bhimgtapishhttps://www.blogger.com/profile/05875054316342019400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-63181303197711687002017-12-26T10:30:29.094+05:302017-12-26T10:30:29.094+05:30सुंदर समीक्षा। रेणु नैयर जी को आपकी क़लम से जाना बह...सुंदर समीक्षा। रेणु नैयर जी को आपकी क़लम से जाना बहुत अच्छा लगा।<br />बधाई Nusrat Mehdihttps://www.blogger.com/profile/10552229676546713132noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-59448878886557307482017-12-26T09:54:18.028+05:302017-12-26T09:54:18.028+05:30पूरी पोस्ट एक सांस में पढ़ गया|
शाइर और शाइरी पर ...पूरी पोस्ट एक सांस में पढ़ गया| <br /><br />शाइर और शाइरी पर बात करने के आपके हुनर को सलाम ! शायद इसी को सम्मोहन विद्या कहते हैं | रेणु जी शाइरी वाकई काबिले तारीफ़ है| संकलन में से शे'रों के जो मोती आप निकाल कर लाए हैं, रेणु जी के कलाम की बुलंदी की निशानदेही करते हैं | <br /><br />"ये खामोशी अचानक लग गयी जो<br />मुसलसल गुफ्तगू है और क्या है"<br /><br />वाह वाह क्या बात है ! शाइरी की सारी प्रक्रिया इस एक शेर में समाई हुई है! मुसलसल गुफ्तगू ही तो है शाइरी भी! लेकिन ख़ामोशी लग के जाने के बाद की! सलाम !!<br /><br />संकलन संग्रहणीय है !<br />रेणु जी को हार्दिक बधाई !<br /><br /><br /> द्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-12090634176028236402017-12-25T23:36:47.964+05:302017-12-25T23:36:47.964+05:30रेणु जी की शायरी क़ाबिले तारीफ है। बधाई। रेणु जी की शायरी क़ाबिले तारीफ है। बधाई। देवमणि पांडेय Devmani Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/09583435334580761206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-63510833540524873552017-12-25T20:42:56.349+05:302017-12-25T20:42:56.349+05:30
Posted: 24 Dec 2017 08:35 PM PST
नदी, झरने, कि...<br />Posted: 24 Dec 2017 08:35 PM PST<br /><br /><br /><br />नदी, झरने, किताबें, चाँद, तारे और तन्हाई <br />वो मुझसे दूर हो कर हर किसी के पास जा बैठा <br /><br />मैं जब घबरा गया हर रोज़ के सौ बार मरने से <br />उठा शिद्दत से और फिर ज़िन्दगी के पास जा बैठा <br /><br />ये मेरी बेख़ुदी है या है उसके प्यार का आलम <br />उसी के पास से उठ कर उसी के पास जा बैठा <br /><br />सिर्फ़ इन तीन अशआर के हवाले ही से बात करूं तो शायद मुझे यह कहना चाहिए कि:<br />अपने जज़्बात ओ एहसासात के लिए मोतियों जैसे सुंदर शब्दों का चयन, उन शब्दों क़रीने से माला में पिरोने का हुनर और सहजता,मृदुता और नम्रता से पेश कर देने सलीक़ा ही मन को मोह लेने के लिए काफ़ी है और रेणु नय्यर के आगे की सुखद साहित्यिक यात्रा की भविष्यवाणी करता है.<br />मेरी ओर से रेणु जी प्राग अग्रवाल और आप को इस सुंदर परिचय के लिए बधाई! Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15254198827346825187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-14635432595425463552017-12-25T19:00:08.215+05:302017-12-25T19:00:08.215+05:30Waah kya baat hai Waah kya baat hai www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-56000585348729717862017-12-25T17:22:40.631+05:302017-12-25T17:22:40.631+05:30Waahhh khoob lajwab
Waahhh khoob lajwab <br /><br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01729282516533047523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-67676337331050389952017-12-25T11:44:31.413+05:302017-12-25T11:44:31.413+05:30"शायरी फ़क़त काफिया पैमाइश, रदीफ़ और बहर का ही न..."शायरी फ़क़त काफिया पैमाइश, रदीफ़ और बहर का ही नाम नहीं है" यह गैर जरूरी वाक्य है। बाद-बाँकी तो हर दिन के ही तरह अच्छा है।Ashish Anchinharhttps://www.blogger.com/profile/11963153563939587957noreply@blogger.com