tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post6258013270302656852..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: किताबों की दुनिया - 169नीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-80441760527620588942018-03-26T01:47:16.768+05:302018-03-26T01:47:16.768+05:30आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ...आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २६ मार्च २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आपकी रचना लिंक की गई इसका अर्थ है कि आपकी रचना 'रचनाधर्मिता' के उन सभी मानदण्डों को पूर्ण करती है जिससे साहित्यसमाज और पल्लवित व पुष्पित हो रहा है। अतः आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/<br /><br /> टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।'एकलव्य'https://www.blogger.com/profile/13124378139418306081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-14534287260394263842018-03-23T15:07:22.205+05:302018-03-23T15:07:22.205+05:30"तभी मैं मश्वरा करता हूँ सब से
जब अपने दिल क..."तभी मैं मश्वरा करता हूँ सब से <br />जब अपने दिल की करना चाहता हूँ"<br />" सब को होना है बड़ा और बड़ा और बड़ा <br />कौन है इतना समझदार कि बच्चा हो जाय"<br />" पढाई चल रही है ज़िन्दगी की <br />अभी उतरा नहीं बस्ता हमारा"<br />" रात थी जब तुम्हारा शहर आया <br />फिर भी खिड़की तो मैंने खोल ही ली"<br />इन शेरों का जबाब नहीं....<br />नीरज जी, लाजवाब शायर से मिलवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....... प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-79337298190007093032018-03-22T22:04:57.044+05:302018-03-22T22:04:57.044+05:30वैसे तो मैं नीरज जी का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ पर मैं...वैसे तो मैं नीरज जी का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ पर मैं उनकी इस बात सहमत नहीं हूँ की वो अपने जीवन से पूर्णतय: संतुष्ट है; गर वो संतुष्ट होते तो हर बार एक से बढ़ कर एक किताब हमारे सामने हर बार से बेहतर समीक्षा के साथ ना लातेl एक तो शायर और उसकी किताब इतनी बेहतरीन और उस पे नीरज जी के शब्दों का जादू ऐसा लगता है की किताब खुद आपके सामने बोल रही होl <br /><br />ये शायद पहली बार है की नीरज जी ने किसी शायर का तआ'रुफ़ कराते हुए इतना मजमून लिखा होगा पर गर लिखा है तो शायर भी कुछ खास ही होगाl वैसे तो शेरों शायरी में सबकी अपनी अपनी पसंद है कौन किस तरह की शायरी पसंद करता हैl पर मेरा खुद का मानना है की शायरी वो ही बेहतर है जो आपके मिजाज़ को दुरुस्त कर सके और शायर भी वो ही बेहतर है जिसकी शायरी एक तरफ प्यार मोहब्बत से जुड़ी हुई हो और साथ में समाजिक सरोकार भी उसमे शामिल होl<br /><br />और शायद नीरज जी के इस बार के शायर "शारिक़ कैफ़ी" अपनी शायरी में इन दोनों से ही नजदीक का रिश्ता रखते हैl शायद ये नीरज जी का अंदाज है की वो शायर की बेहतरीन गजल से अपने मजमून की शुरुवात करते हैl <br /><br />खुद भी आखिर-कार उन्हीं वादों से बहले <br />जिन से सारी दुनिया को बहलाया हमने <br /><br />मौत ने सारी रात हमारी नब्ज़ टटोली <br />ऐसा मरने का माहौल बनाया हमने <br /><br />घर से निकले चौक गए फिर पार्क में बैठे <br />तन्हाई को जगह जगह बिखराया हमने<br /><br />ये तीनों शेर अपनी दास्ताँ खुद ही बयाँ कर रहे है अब इंसान कितना अलग-थलग हो गया है; सब कुछ होते हुए भी वो कितना तन्हा है उदास हैl<br /><br />तिरे ग़म से उभरना चाहता हूँ <br />मैं अपनी मौत मरना चाहता हूँ<br /><br />मोहब्बत में हारे हुए आशिक की दास्ताँ ये ही हैl<br /><br /><br />सब को होना है बड़ा और बड़ा और बड़ा <br />कौन है इतना समझदार कि बच्चा हो जाय<br /><br />मैं खुद आज अपने बचपन को फिर से जीना चाहता हूँ पर वो मुमकिन नहीं इसके विपरीत राजेश रेड्डी साहब का मेरा मनपसंद शेर है <br /><br />मिरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चा <br />बड़ों की देख कर दुनिया बड़ा होने से डरता है<br /><br /><br />जिस्म की सतह पे मिलते ही नहीं हम वर्ना <br />दो मुलाकातों में ये इश्क पुराना हो जाय<br /><br />आज की मोहब्बत की सच्चाई है बस जिस्म की भूख है <br /><br />एक से बढ़ कर एक गजल और शेर बस आप पढ़ते रहो, नीरज जी की मेहरबानी से उनकी गजल और शेर पढने को मिले तो अब ये किताब जरुर मेरी किताबों की दौलत का हिस्सा बनेगीl<br /><br />शारिक साहब का शुक्रिया की उन्होंने इतने बेहतरीन शेर और ग़जल लिखे और नीरज जी का शुक्रिया की वो उन्हें हमारें सामने ले कर आयेl <br />Amit Thapahttps://www.blogger.com/profile/03325771976660801450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-8976075555252807782018-03-21T19:01:58.462+05:302018-03-21T19:01:58.462+05:30shaariq bhai zindabadshaariq bhai zindabadwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-91379772103510540012018-03-20T23:55:48.051+05:302018-03-20T23:55:48.051+05:30Mohtaram Shaariq Sahib ko bahut mubarakbaad aur aa...Mohtaram Shaariq Sahib ko bahut mubarakbaad aur aapka haardik aabhar ek nayab heere se ghaybana mulaaqaat karwane ke liye... RaqeebSATISHhttps://www.blogger.com/profile/05827348428895319151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-53565521071228670822018-03-20T01:35:54.416+05:302018-03-20T01:35:54.416+05:30बहुत शुक्रिया नीरज जी ऐसे नायाब ख़ज़ाने से रूबरू करा...बहुत शुक्रिया नीरज जी ऐसे नायाब ख़ज़ाने से रूबरू कराने के लिए । वो कहते हैं न 'अगर किसी शायर का शेर, उसके तार्रुफ़ से पहले सुनने वालों तक पहुंच जाए' तो वो शायर यक़ीनन बाकमाल होगा !! '....किसको इतनी आसानी से हासिल था मैं" वही शेर है । लेकिन इस गुल के अलावा इस गुलशन में कितने ही ऐसे गुल हैं जो खुद में मुकम्मल है, यह आज आपकी पोस्ट पढ़कर ज्ञात हुआ । सच में किस ख़ूबसूरतगी से ज़िन्दगी के हर मुक्तलिफ़ एहसास को तस्वीर की तरह उकेरा है । क्या लफ्ज़, क्या कहन ....भाई वाह !!! दिली मुबारकबाद शायर साहब को और आपको भी !!गौरव दीक्षित "राहत"https://www.blogger.com/profile/16344240083870680506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-91703363051829943032018-03-19T21:36:11.189+05:302018-03-19T21:36:11.189+05:30मुझे आज पहली बार अफसोस हो रहा है नीरज सर के आपके ब...मुझे आज पहली बार अफसोस हो रहा है नीरज सर के आपके ब्लॉग पर सुबह 10:05a.m.की ये पोस्ट मैंने इतनी देर बाद पढ़ी। बेहतरीन शायर श़ारिक कैफ़ी साहब और उनकी किताब से रूबरू कराने का दिल से शुक्रिया। कुछ दिन पहले ही केवल ये वीडियो देखा था फेसबुक पर, मेरा अल्पज्ञान मैंने नही सुना था ये नाम। किसी एक शेर का जिक्र करना तो धृष्टता होगी यहाँ उद्दरित सभी शेर बाकमाल हैं। इस पाए के शायर के ज़िक्र के लिए आपसे बेहतर कौन हो सकता था। आपको बहुत बधाई। बहुत दिलचस्प तरीके से आपने परिचय दिया। हम तो मोबाइल पर बधाई नही देंगे श़ारिक साहब को, मिलकर बधाई देंगे और मिलवाएंगे आप। और ये किताब हम ऑनलाइन मंगा रहे हैं,आप तो भेजेंगे नही हर बार की तरह वादा करके भी। Parul Singhhttps://www.blogger.com/profile/07199096531596565129noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-25939086686078207672018-03-19T21:10:27.322+05:302018-03-19T21:10:27.322+05:30शारिक जी आप को मुबारकबाद नीरज जी आप को बहुत बहुत म...शारिक जी आप को मुबारकबाद नीरज जी आप को बहुत बहुत मुबारकबाद और शुक्रिया हम सब लोगो तक ये मालोज़र पहुंचाने के लिए SagarSialkotihttps://www.blogger.com/profile/04269500607792133060noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-52379655373017553202018-03-19T18:15:54.378+05:302018-03-19T18:15:54.378+05:30सौभाग्यशाली हैं आप कि इतनी पुस्तकें पढ़ चुके हैं और...सौभाग्यशाली हैं आप कि इतनी पुस्तकें पढ़ चुके हैं और वक़्त निकाल लेते हैं। आपके माध्यम से किसी ऐसे शायर से भी मुलाकात हो जाती है जिसे शायद कभी पढ़ने सुनने जा मौका भी नहीं मिलता।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-41768289882414011112018-03-19T13:07:54.554+05:302018-03-19T13:07:54.554+05:30जिस्म की सतह पे मिलते ही नहीं हम वर्ना
दो मुलाकात...जिस्म की सतह पे मिलते ही नहीं हम वर्ना <br />दो मुलाकातों में ये इश्क पुराना हो जाय <br />Waaaaaah waaaaaah kya kahnemgtapishhttps://www.blogger.com/profile/05875054316342019400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-34470426261126974612018-03-19T12:15:08.619+05:302018-03-19T12:15:08.619+05:30अपनी तरह की अलग बुनघट और बाँधने की न्यारी रँगत वाल...अपनी तरह की अलग बुनघट और बाँधने की न्यारी रँगत वाली कहन है.....सलीम ख़ाँ फ़रीदhttps://www.blogger.com/profile/14983995665945263314noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-45806338048894342532018-03-19T12:10:12.040+05:302018-03-19T12:10:12.040+05:30Shariq kaefi sahab muhabbat hein...Shukriya un ke ...Shariq kaefi sahab muhabbat hein...Shukriya un ke kalaam pr is khubsoorati se roushani dalne ke liye...🙏☺️Pooja Bhatiahttps://www.blogger.com/profile/03904863659354014021noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-48589062369995822902018-03-19T11:42:16.820+05:302018-03-19T11:42:16.820+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20-03-2017) को <a href="javascript:void(0);" rel="nofollow"> "ख़ार से दामन बचाना चाहिए" (चर्चा अंक-2915) </a> पर भी होगी।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />--<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com