tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post3419665685192627225..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: किताबों की दुनिया -159 नीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-10823738904004793332018-07-12T18:50:47.262+05:302018-07-12T18:50:47.262+05:30Aapke har shayaari ka ek khaas andaaz hai jo har a...Aapke har shayaari ka ek khaas andaaz hai jo har alfaaz dil ko chu jaati hai...Mohobbat si ho gayi shayarana se aapki shaayari sunke Sanhttps://www.blogger.com/profile/09491399221717881742noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-589155026306606342018-01-19T19:30:01.797+05:302018-01-19T19:30:01.797+05:30Waah kya baat hai Waah kya baat hai www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-41904783585679151442018-01-14T19:54:21.454+05:302018-01-14T19:54:21.454+05:30उम्दा शायरी और गजल गायन भी ईश्वर कृपा है
यू ट्यूब...उम्दा शायरी और गजल गायन भी ईश्वर कृपा है <br />यू ट्यूब पर ढूंढते है इनकी गजलों को <br />सभी शेर एक से बढ़ कर एक है <br /><br />शंकर बना कर पूजते रहे है लोग<br />के अशआर बहुत अच्छा लगा<br />arun prakashhttps://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-81450709194972479242018-01-09T13:25:57.466+05:302018-01-09T13:25:57.466+05:30Kya kahne ek aur shair ko padhne Jan ne ka sukhd e...Kya kahne ek aur shair ko padhne Jan ne ka sukhd ehsaas badhai ake lekhan ko<br />Namanmgtapishhttps://www.blogger.com/profile/05875054316342019400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-71654675311823989492018-01-09T10:44:35.825+05:302018-01-09T10:44:35.825+05:30ग़ज़ल की प्रस्तुति के बाद ....शब्दों को अर्थ के सम...ग़ज़ल की प्रस्तुति के बाद ....शब्दों को अर्थ के समझ कर ...एक बेहतरीन ग़ज़ल पढने को मिली<br />मैं तो सब कुछ भूल चूका हूँ <br />तू भूले तो बात बराबर संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-65884518922409531322018-01-09T00:58:09.246+05:302018-01-09T00:58:09.246+05:30ग़ज़ल के साथ जुड़े हुए बड़े बड़े शब्दों (रदीफ़,काफिया, ब...ग़ज़ल के साथ जुड़े हुए बड़े बड़े शब्दों (रदीफ़,काफिया, बहर) ने एक तरह से शायद ग़ज़ल का नुकसान ही ज्यादा किया है, मेरे जैसे एक साधारण सुनने वाले के लिए इन शब्दों से हटकर ग़ज़ल में ज्यादा जरुरी ये है की किसी भी ग़ज़ल में किस तरह के हर्फ़ रखे गये है, ग़ज़ल के अरूज़ की ज्यादा समझ ना होते हुए सिर्फ इतना कह सकता हूँ की ग़ज़ल वो ही अच्छी होती है जो एक आम इन्सान भी समझ सके, इसलिए ही ग़ालिब भले ही कितने बड़े शायर हुए पर उनके भी वो ही अश’आर आज तक जिंदा रह सके जो उन्होंने बहुत ही साधारण शब्दों में लिखे <br /><br />हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले<br />बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले<br /><br /><br />और शायद डॉ. प्रेम भंडारी जी की ग़ज़लों में खासियत है की उन्होंने बहुत ही आसान शब्दों का प्रयोग करते हुए बड़ी बात कह दी है जो की आसानी से मुझ से साधारण पढने सुनने वाले को भी समझ आ सके और गर आपको रदीफ़, काफिया, बहर की परिभाषा आपको समझ आती है तो ये ग़ज़ल आपको आसानी से उसका उदहारण के तौर पे समझा सकती है <br /><br />कल रात गुदगुदा गई यादों की उँगलियाँ<br />दिल पे मेरे वो भरती रही नर्म चुटकियाँ<br /><br />झोंका हवा का आयेगा कर जायेगा उदास<br />इस डर से खोलते नहीं यादों की खिड़कियाँ<br /><br />मैं सोचता हूँ तुझको ही सोचा करूँ मगर<br />इक शै पे कैसे ठहरें ख्यालों की तितलियाँ<br /><br />ये बात दीगर है की वो ग़ज़ल कहने के साथ ही साथ ग़ज़ल गायक भी है <br /><br />तुम समंदर ही सही मैं भी तो इक दरिया हूँ <br />मेरी बाहों में किसी रोज़ सिमट कर देखो <br /><br />तुम अगर मेरी तरह मुझको परखना चाहो <br />मेरे साये की तरह मुझसे लिपट कर देखो <br /><br />कौन है कैसा यहाँ जान सकोगे तुम भी <br />जिस जगह तुम हो वहां से कभी हट कर देखो <br /><br />किसी इंसान को समझने के लिए एक उम्र कम है और ये ग़ज़ल इस बात को चरितार्थ करती है <br /><br /><br />इक उम्र अपने आप में, मैं देवता रहा <br />मेरा ग़रूर टूटा तो इंसान हो गया<br /><br />अब इस शेर की क्या तारीफ की जाए बस इतना ही काफी है काश हम सब इंसान हो जाये तो ये दुनिया खूबसूरत हो जाये <br /><br />सच का ज़हर लबों से उगलना पड़ा मुझे<br />फिर यूँ हुआ सलीब पर चढ़ना पड़ा मुझे <br /><br />सच कहना कितना मुश्किल है, सच वास्तव में कड़वा हो होता है <br /><br /><br />खैर, नीरज जी का एक बार फिर से शुक्रिया अदा करते हुए उन्हें उनकी नयी किताब '५१ क़िताबे ग़ज़ल की' के विमोचन पे बधाई <br /><br /> Amit Thapahttps://www.blogger.com/profile/03325771976660801450noreply@blogger.com