tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post2538649542897452972..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: मैं लाकर गुल बिछाता हूंनीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger65125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-26427161893084673282011-11-19T22:01:14.904+05:302011-11-19T22:01:14.904+05:30bahut sunder hamesha ki tarah lajawab gazel.bahut sunder hamesha ki tarah lajawab gazel.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-17543605149647882472011-11-19T19:24:03.809+05:302011-11-19T19:24:03.809+05:30जिसे सब ढूंढ़ते फिरते हैं मंदिर और मस्जिद में
हवाओ...जिसे सब ढूंढ़ते फिरते हैं मंदिर और मस्जिद में<br />हवाओं में उसे हरदम मैं अपने साथ पाता हूं<br />एक दम सच कहा ..बधाईMamta Bajpaihttps://www.blogger.com/profile/00085992274136542865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-3757357738020801062011-11-19T16:50:35.953+05:302011-11-19T16:50:35.953+05:30मुझे मालूम है मैं फूल हूं झर जाऊंगा इक दिन
मगर ये ...मुझे मालूम है मैं फूल हूं झर जाऊंगा इक दिन<br />मगर ये हौसला मेरा है हरदम मुस्कुराता हूं<br /><br />वाह नीरज सर, कम्माल के अशआर हैं...<br />और दोनों ही मकते जानदार...<br />बहुत ही उम्दा ग़ज़ल..<br />सादर बधाई...S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-29553663605190183362011-11-19T14:54:49.573+05:302011-11-19T14:54:49.573+05:30नहीं तहजीब ये सीखी कि कह दूं झूठ को भी सच
गलत जो ब...नहीं तहजीब ये सीखी कि कह दूं झूठ को भी सच<br />गलत जो बात लगती है गलत ही मैं बताता हूं<br /><br />बहुत खूब लिखा है सर!<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-57751883509993421902011-11-19T12:55:56.575+05:302011-11-19T12:55:56.575+05:30नहीं तहजीब ये सीखी कि कह दूं झूठ को भी सच
गलत जो ब...नहीं तहजीब ये सीखी कि कह दूं झूठ को भी सच<br />गलत जो बात लगती है गलत ही मैं बताता हूं...क्या बात है....बढ़िया!!Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-80076956669632531712011-11-19T07:30:13.078+05:302011-11-19T07:30:13.078+05:30बहुत खूब लिखा है |
आशाबहुत खूब लिखा है |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-15800568301255374672010-05-26T20:39:29.976+05:302010-05-26T20:39:29.976+05:30जिसे सब ढूंढ़ते फिरते हैं मंदिर और मस्जिद में
हवाओ...जिसे सब ढूंढ़ते फिरते हैं मंदिर और मस्जिद में<br />हवाओं में उसे हरदम मैं अपने साथ पाता हूं<br /><br />waah waah kya sher kaha hai <br /><br />नहीं तहजीब ये सीखी कि कह दूं झूठ को भी सच<br />गलत जो बात लगती है गलत ही मैं बताता हूं<br /><br />ahaaaaaaaa<br /><br />नहीं जब छांव मिलती है कहीं भी राह में मुझको<br />सफर में अहमियत मैं तब शजर की जान जाता हूं<br /><br />kamaal ka sher<br /><br />bahut hi asardaar gazal ......श्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-68479618713052643362010-05-21T10:33:21.536+05:302010-05-21T10:33:21.536+05:30गलत जो बात लगती है गलत ही मैं बताता हूँ...आह, क्या...गलत जो बात लगती है गलत ही मैं बताता हूँ...आह, क्या मिस्रा बुना है उस्ताद। आज की सुबह बन गयी अपनी। बेहतरीन ग़ज़ल हमेशा की तरह और दोनों मकते ने तो ऐसा माहौल क्रियेट किया है कि उफ़्फ़्फ़्फ़.....विशेष कर घटायें, धूप, बारिश..ये तमाम शब्द कितनी खूबसूरती से बहर में बैठ गये हैं।<br />वाह!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-66791388055392271362010-05-16T17:38:45.771+05:302010-05-16T17:38:45.771+05:30This comment has been removed by the author.daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-13625213664332641782010-05-15T23:43:17.908+05:302010-05-15T23:43:17.908+05:30ऎसी उम्दा ग़ज़ल हमारे प्यारे नीरज दा के अलावा कौन लि...ऎसी उम्दा ग़ज़ल हमारे प्यारे नीरज दा के अलावा कौन लिख सकता है। हर सम्त आग थी और आप ठंडी फ़ुहार छोड़ आए। अश अश!बवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-8882411108269429112010-05-15T18:09:53.110+05:302010-05-15T18:09:53.110+05:30ईश्वर तो हमारे पास ही है आपकी इस गजल ने अहसास करव...ईश्वर तो हमारे पास ही है आपकी इस गजल ने अहसास करवा दिया है |गजल के बारे में ज्यादा तो नहीं जानती किन्तु जितना भी लिखा है आपने बहुत ही सुखदायक है |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-74916740790508085772010-05-15T17:56:42.735+05:302010-05-15T17:56:42.735+05:30तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम...तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे <br />दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे<br /><br /><br /><br /><br />मैं भी यही चाहता हूंR.Venukumarhttps://www.blogger.com/profile/17501996519970954554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-44147219633146033852010-05-15T17:54:45.677+05:302010-05-15T17:54:45.677+05:30नहीं जब छांव मिलती है कहीं भी राह में मुझको
सफर मे...नहीं जब छांव मिलती है कहीं भी राह में मुझको<br />सफर में अहमियत मैं तब शजर की जान जाता हूं<br /><br />मुझे मालूम है मैं फूल हूं झर जाऊंगा इक दिन<br />मगर ये हौसला मेरा है हरदम मुस्कुराता हूं<br /><br />उतरता हूँ कभी 'नीरज' मैं बन कर बीज धरती पर <br />फसल बनकर तभी तो झूमता हूँ लहलहाता हूँ<br /><br /><br /><br />सम्मानीय नीरज भाई नमस्कार ।<br />एक एक शेर दमदार और अनुभव की तपिश में तपकर खरा हुआ है। <br />आपके सान्निध्य की हमेशा प्रतीक्षा रहेगीR.Venukumarhttps://www.blogger.com/profile/17501996519970954554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-64481398210058266732010-05-15T17:37:54.806+05:302010-05-15T17:37:54.806+05:30सुंदर गज़ल कही है आपने..
और यह शेर खासकर पसंद आया ह...सुंदर गज़ल कही है आपने..<br />और यह शेर खासकर पसंद आया है<br /><br />नहीं जब छांव मिलती है कहीं भी राह में मुझको<br />सफर में अहमियत मैं तब शजर की जान जाता हूं<br /><br />बेहतरीन ग़ज़ल पढ़वाने के लिये आभारअपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-68307787249306061072010-05-15T10:25:22.840+05:302010-05-15T10:25:22.840+05:30charchamanch pe dekh kar aaya..outstanding type to...charchamanch pe dekh kar aaya..outstanding type to nahi hai ..par ek achhi ghazal kahi hai aapne...स्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-35562245456584842212010-05-15T07:32:54.614+05:302010-05-15T07:32:54.614+05:30फिर से आया हूँ कहने कि:
तुझे दिल याद करता है तो ...फिर से आया हूँ कहने कि:<br /><br /><br />तुझे दिल याद करता है तो नग़्मे गुनगुनाता हूँ<br />जुदाई के पलों की मुश्किलों को यूं घटाता हूं<br /><br /><br />-सच में!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-58139094505901991502010-05-14T20:49:10.667+05:302010-05-14T20:49:10.667+05:30हर शेर नायाब, पूरी की पूरी गज़ल किसी मोती माला सी ...हर शेर नायाब, पूरी की पूरी गज़ल किसी मोती माला सी ।<br /><br />फसादों से न सुलझे हैं, न सुलझेगें कभी मसले<br />हटा तू राह के कांटे, मैं लाकर गुल बिछाता हूं ।<br /><br />उतरता हूँ कभी 'नीरज' मैं बन कर बीज धरती पर<br />फसल बनकर तभी तो झूमता हूँ लहलहाता हूँ<br /> नीरज जी बहुत ही कमाल ।आशा जोगळेकरhttps://www.blogger.com/profile/14609401024069814020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-85949659136624361462010-05-14T17:01:26.717+05:302010-05-14T17:01:26.717+05:30नमस्कार नीरज जी,
हर शेर किसी मोती से कम नहीं है, ...नमस्कार नीरज जी,<br /><br />हर शेर किसी मोती से कम नहीं है, बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने, अरे नहीं बहुत ज्यादा खूबसूरत.<br /><br />आपके लफ़्ज़ों की ये सादगी आपसे ही उभर के आई है, और शेरों में ढल गयी है<br />मतले से लेकर मकते तक ये जादू कर देती है, हर शेर अच्छा है, सोच रहा हूँ किसे कोट करूं, एक को करूँगा तो दूसरे से ज्यादती हो जाएगी.<br />दिल से वाह वाह ही निकल रही है और बारहां ग़ज़ल को पढ़ रहा हूँ.............................<br />आज का दिन मुकम्मल हो गया.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-78364486963942883222010-05-13T23:26:13.127+05:302010-05-13T23:26:13.127+05:30जिसे सब ढूंढ़ते फिरते हैं मंदिर और मस्जिद में
हवाओ...जिसे सब ढूंढ़ते फिरते हैं मंदिर और मस्जिद में<br />हवाओं में उसे हरदम मैं अपने साथ पाता हूं<br /><br />फसादों से न सुलझे हैं, न सुलझेगें कभी मसले<br />हटा तू राह के कांटे, मैं लाकर गुल बिछाता हूं<br /><br />नीरज जी बहुत ही पाकीज़ा ख़यालात की तर्जुमानी करते हैं ये अश’आर ,<br />अगर हम सब फूल बिछाने में यक़ीन करने लगें तो बात ही क्या हैइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-79601637613506690802010-05-13T22:01:40.770+05:302010-05-13T22:01:40.770+05:30Bahut Sunder !!Bahut Sunder !!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13680139649745437697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-62361133511448243202010-05-13T19:58:11.638+05:302010-05-13T19:58:11.638+05:30जनाब चाँद शुक्ला जी की बात से सहमत हूँ
और उन्हें ...जनाब चाँद शुक्ला जी की बात से सहमत हूँ <br />और उन्हें गुजारिश करता हूँ <br />कि अपनी 'आवाज़ की दुनिया' में इस ग़ज़ल को <br />आपकी आवाज़ में लगा कर सब को सुनवाएंdaanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-3569585565744175392010-05-13T19:57:23.477+05:302010-05-13T19:57:23.477+05:30ग़ज़ल की नफ़ासत
ग़ज़ल की रा`नाई
ग़ज़ल की शिगुफ्त्...ग़ज़ल की नफ़ासत <br />ग़ज़ल की रा`नाई <br />ग़ज़ल की शिगुफ्त्गी <br />..... ......... <br />ग़ज़ल की और ना जाने <br />किन-किन खूबियोंका ज़िक्र किया जाता है aksar <br />और बात आ के ठहरती है <br />जनाब नीरज साहब की ग़ज़लों तक.. <br />...अब इस फ़न की क्या मिसाल दूं <br />"घटायें,धूप,बारिश,फूल,तितली,चांदनी 'नीरज." <br />आफ़रीं. . . .<br />और,,,,,<br />"मुझे मालूम है मैं फूल हूं झर जाऊंगा इक दिन<br /> मगर ये हौसला मेरा है हरदम मुस्कुराता हूं..."<br />बस.... अब बेलफ्ज़ हूँ .<br />मुबारकबाद .<br />'daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-37629361675709270422010-05-13T13:08:16.571+05:302010-05-13T13:08:16.571+05:30E-mail received from Mansoor Ali Hashmi Saheb:-
ख...E-mail received from Mansoor Ali Hashmi Saheb:-<br /><br />खूबसूरत ग़ज़ल, हर शेर ला जवाब..... बस यही कह सकता हूँ कि:-<br /><br />"उतर आओ, फलो फूलो, बड़ी ज़रखेज़ धरती है,<br />उगाओ फूल शब्दों के उसे आँखों से चुनता हूँ."नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-78383665462981633972010-05-12T23:52:53.158+05:302010-05-12T23:52:53.158+05:30फसादों से न सुलझे हैं, न सुलझेगें कभी मसले
हटा तू ...फसादों से न सुलझे हैं, न सुलझेगें कभी मसले<br />हटा तू राह के कांटे, मैं लाकर गुल बिछाता हूं<br />क़ौमी यकजहती के लिये कितना बड़ा पैग़ाम दिया है नीरज जी.....ज़िन्दाबाद<br />और....<br />जिसे सब ढूंढ़ते फिरते हैं मंदिर और मस्जिद में<br />हवाओं में उसे हरदम मैं अपने साथ पाता हूं<br />इंसान ये हक़ीक़त समझ ले तो...इंसान बन जायेशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-18816516847568273892010-05-12T22:18:04.279+05:302010-05-12T22:18:04.279+05:30मुझे मालूम है मैं फूल हूं झर जाऊंगा इक दिन
मगर ये ...मुझे मालूम है मैं फूल हूं झर जाऊंगा इक दिन<br />मगर ये हौसला मेरा है हरदम मुस्कुराता हूं<br /><br />बधाई नीरज जी खुबसूरत ग़ज़ल के लिए दिनों बाद आया हूँ , मगर खुबसूरत ग़ज़ल से मुलाकात हुई ...<br /><br />ढेरो बधाई <br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.com