tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post1989200684071932319..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: जो सुकूं गाँव के मकान में हैनीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-58515328829870444252013-12-23T14:17:44.344+05:302013-12-23T14:17:44.344+05:30बेहद सुकून देने वाली
मनोहारी, भोली-सी रचना।
बध...बेहद सुकून देने वाली <br />मनोहारी, भोली-सी रचना। <br /><br />बधाई नीरज भाई.<br /><br />डॉ.चन्द्रकुमार जैन Dr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-60563978321778420942011-06-23T22:27:09.962+05:302011-06-23T22:27:09.962+05:30वो ना महलों की ऊंची शान में है
जो सुकूं गांव के मक...वो ना महलों की ऊंची शान में है<br />जो सुकूं गांव के मकान में है<br />जब चढ़ा साथ तब ज़माना था<br />अब अकेला खडा ढलान में है<br />जिंदगी की हकीकत को खूबसूरती से ग़ज़ल में ढाला है.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-61309396103338222372011-06-23T10:31:23.610+05:302011-06-23T10:31:23.610+05:30जिसको बाहर है खोजता फिरता
वो ही हीरा तेरी खदान में...जिसको बाहर है खोजता फिरता<br />वो ही हीरा तेरी खदान में है<br /><br />बिलकुल सही बात कही है सर इन पंक्तियों में.<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-12744918894057294442007-09-26T15:25:00.000+05:302007-09-26T15:25:00.000+05:30"जब चढ़ा साथ तब ज़माना था अब अकेला खडा ढलान में है ..."जब चढ़ा साथ तब ज़माना था<BR/> अब अकेला खडा ढलान में है<BR/><BR/> बोल कर सच हुए हैं शर्मिंदा<BR/> क्या करें मर्ज़ खानदान में है।"<BR/><BR/>इस आभासी दुनिया में आपका स्वागत है . इन बेहतरीन गज़लों से आप जल्दी ही अनेक पाठक-मित्र पाएंगे .Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-66134951341897705492007-09-22T22:39:00.000+05:302007-09-22T22:39:00.000+05:30तेरे आने से " चाँद " लगता है अब मेरा ब्लॉग भी उठा...तेरे आने से " चाँद " लगता है <BR/>अब मेरा ब्लॉग भी उठान मैं हैneeraj1950https://www.blogger.com/profile/14535699204221748898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-25514493619636917352007-09-22T21:28:00.000+05:302007-09-22T21:28:00.000+05:30नीरज गोस्वामी के नाम मेरा यह कलाम किसी का चाँद स...नीरज गोस्वामी के नाम मेरा यह कलाम <BR/><BR/>किसी का चाँद सा चेहरा मेरे धयान में है <BR/>के जिसके जिस्म की खुशबु मेरे मकान में है <BR/><BR/><BR/>मैं जिसकी याद में खोया हुआ सा रहता हूँ <BR/>उसी का नाम ही हर दम मेरी ज़ुबान में है <BR/><BR/><BR/>में जिसकी याद में ख़ुद को भुलाये बैठा हूँ <BR/>उसी का ज़िक्र ही अब मेरी दास्तान में है<BR/><BR/>जो बात गीता में अन्जील और कुरान में है<BR/>उसी तरह की सदाकत तेरी मुस्कान में है <BR/><BR/>चाँद शुक्ला हदियाबादी डेनमार्कhaidabadihttps://www.blogger.com/profile/00389775957099138608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-17802401722370560902007-09-22T16:24:00.000+05:302007-09-22T16:24:00.000+05:30हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है नीरज जी। उम्मी...हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है नीरज जी। उम्मीद है नियमित लेखन जारी रहेगा।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-30802783671797116682007-09-22T11:46:00.000+05:302007-09-22T11:46:00.000+05:30बधाई इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए !बधाई इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए !Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-44734792192998827592007-09-21T20:43:00.000+05:302007-09-21T20:43:00.000+05:30बहुत सहज, सरल और गहरी महफिल सजाई है, जनाब.तभी तो ह...बहुत सहज, सरल और गहरी महफिल सजाई है, जनाब.<BR/><BR/>तभी तो हम ज्ञान जी की बताये रास्ते पर आँख बंद किये चले आते हैं. देखिये, क्या सही जगह भेजा है. एकाध बार शायद हमारा रास्ता भी वो लोगों को बतायें. :)<BR/><BR/>स्वागत है, जारी रहें.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-57801141500434623812007-09-21T19:17:00.000+05:302007-09-21T19:17:00.000+05:30आप आए तो सज गई महफ़िल पाँव मेरे अब आसमान में हैं सो...आप आए तो सज गई महफ़िल <BR/>पाँव मेरे अब आसमान में हैं <BR/><BR/>सोचकर खुश हुआ मैं जाता हूँ <BR/>कुछ असर मेरी भी जुबान में है<BR/><BR/>नीरज भैया,<BR/><BR/>बहुत खुशी हुई आपका ब्लॉग देखकर. आपकी रचनायें पढते हुए दिन गुजरेगा अब. शुक्रिया मेरी बात रखकर अपनी गजलें प्रस्तुत करने के लिए.<BR/><BR/>शिवShivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-10723625237704310932007-09-21T17:54:00.000+05:302007-09-21T17:54:00.000+05:30पहले मैं आपकी सरल शब्दों की बहुत ही प्यारी कविता/ग...पहले मैं आपकी सरल शब्दों की बहुत ही प्यारी कविता/गज़ल पर टिप्पणी करने वाला था. पर तबतक यह पुराणिक जी डराते दीख गये. आप हास्य-व्यंगकार को ज्यादा सीरियसली न लीजियेगा! <BR/>ये खुद ही कहते हैं कि अपने आप को सीरियसली नहीं लेते. :) <BR/>मैं "दर्द हिदुस्तानी" से इत्तेफाक-राय रखता हूं.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-37781359144879060052007-09-21T17:21:00.000+05:302007-09-21T17:21:00.000+05:30नीरजजी बढि़या कहा है जी-लूटा उसने ही सारी फसलों को...नीरजजी <BR/>बढि़या कहा है जी-<BR/>लूटा उसने ही सारी फसलों को<BR/>हमने समझा जिसे मचान में है<BR/><BR/><BR/>बोल कर सच हुए हैं शर्मिंदा<BR/>क्या करें मर्ज़ खानदान में है<BR/>ब्लागिंग की दुनिया में स्वागत है, पर कुछ हमरी भी सुनिये -<BR/>अच्छा हुआ कि शुरु कर दी आपने ब्लागिंग<BR/>समझिये कि अब कदरदानों की खदान में हैं<BR/><BR/>पर ये भी समझ लीजै ब्लागिंग के माने<BR/>बोले तो हर समय जान अपलोडिंग लदान में हैALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-13346368800364156212007-09-21T17:05:00.000+05:302007-09-21T17:05:00.000+05:30यही तो फायदा है इंटरनेट पर आने का। बहुत अच्छी रचना...यही तो फायदा है इंटरनेट पर आने का। बहुत अच्छी रचना। यकीन मानिये अब जग आपको हाथो-हाथ लेगा। बधाई।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-2748817307077623452007-09-21T14:00:00.000+05:302007-09-21T14:00:00.000+05:30नीरज जी,बहुत सुन्दर लिखा है, घहन अर्थ है इन पंक्ति...नीरज जी,<BR/><BR/>बहुत सुन्दर लिखा है, घहन अर्थ है इन पंक्तियों में<BR/><BR/>जब चढ़ा, साथ में ज़माना था<BR/>अब अकेला, बड़ा ढलान में है<BR/>हम को बस हौसला परखना था<BR/>तू चला तीर जो कमान में है<BR/><BR/><BR/>लूटा उसने ही सारी फसलों को<BR/>हमने समझा जिसे मचान में है<BR/><BR/><BR/>बोल कर सच हुए हैं शर्मिंदा<BR/>क्या करें मर्ज़ खानदान में है<BR/><BR/>बधाईMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-79306724180284117122007-09-21T13:47:00.000+05:302007-09-21T13:47:00.000+05:30बहुत अच्छा लिखते हैं आप नीरज साहब, कहां छिपे बैठे ...बहुत अच्छा लिखते हैं आप नीरज साहब, कहां छिपे बैठे थे? ब्लागवाणी पर तो आप आज पहली बार दिखे!<BR/><BR/>आपकी ज़ुबान में वकई गुड़ की मिठास तो है ही.जगत चन्द्र पटराकर 'महारथी'https://www.blogger.com/profile/01389375821591467876noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-90566272899346959092007-09-21T13:44:00.000+05:302007-09-21T13:44:00.000+05:30बढ़िया!!!आखिरकार आ ही गए आप ब्लॉगर जगत में, शुभकामन...बढ़िया!!!<BR/><BR/>आखिरकार आ ही गए आप ब्लॉगर जगत में, शुभकामनाओं के साथ स्वागत है आपका!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.com