tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post1684098695161506704..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: लीक पर चलना, कहाँ दुश्वार हैनीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger55125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-77352058910373927812010-08-10T09:17:31.999+05:302010-08-10T09:17:31.999+05:30नीरज जी, ब्लाग की दुनिया में आकर जिन कुछ मोतियों स...नीरज जी, ब्लाग की दुनिया में आकर जिन कुछ मोतियों से मिला, उनमें आप को न गिनूं तो ठीक नहीं होगा. जिसका जीवन लयबद्ध होता है, केवल वही अच्छी रचनायें दे पाते हैं. मैं समझ सकता हूं आप के जीवन के बारे में, उसकी लय के बारे में. मैं भी इसी रास्ते पर कहीं चलता आया हूं. आप की गज़लों में मुझे अपनी आवाज सुनायी पड़्ती है. बधाई. Subhash Raihttps://www.blogger.com/profile/15292076446759853216noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-74636534987530564292010-04-27T00:40:05.510+05:302010-04-27T00:40:05.510+05:30नीरज जी,
आदाब, बल्कि कोर्निश!
इस ग़ज़ल ने नतमस्तक कर...नीरज जी,<br />आदाब, बल्कि कोर्निश!<br />इस ग़ज़ल ने नतमस्तक कर दिया।<br /><br />ख़्वाहिशे-तारीफ़, पर अल्फ़ाज़ कम<br />किस क़दर मेरी ज़ुबाँ लाचार है<br /><br />आपका हर शेर घुँघरू है, ग़ज़ल<br />हर कदम पर इक नयी झंकार है<br /><br />क्या सुख़न है! क्या है अन्दाज़े-बयाँ!<br />जिस तरफ़ देखो नया अन्वार है<br /><br />ख़ूबसूरत सोच, फिर लहज़ा गिरह<br />गज़ल है या नौलखा सा हार है<br /><br />क्या तनासुब है कि हर इक चीज़ की<br />हर जगह बिल्कुल सही मिकदार है<br /><br />सादर,Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-23674000388754792142010-04-21T23:04:27.658+05:302010-04-21T23:04:27.658+05:30एक से बढ़ कर एक शेर. बधाई.एक से बढ़ कर एक शेर. बधाई.Rajeev Bharolhttps://www.blogger.com/profile/03264770372242389777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-39411827643856219922010-04-21T07:17:56.810+05:302010-04-21T07:17:56.810+05:30जो गज़ल में ज़िन्दगी को घोल दे
नाम नीरज उसका मेरे या...जो गज़ल में ज़िन्दगी को घोल दे<br />नाम नीरज उसका मेरे यार है<br />क्या कहें इस दौर में बतलाइये<br />संयमित हर चाह का विस्तार हैराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-11046513584978385922010-04-14T18:03:15.688+05:302010-04-14T18:03:15.688+05:30लुत्फ़ है जब राह अपनी हो अलग
लीक पर चलना, कहाँ दुश...लुत्फ़ है जब राह अपनी हो अलग<br />लीक पर चलना, कहाँ दुश्वार है <br /><br /><br />waah kya kamaal ka sher hua hai Neeraj ji <br /><br />बोल कर सच फि़र बना 'नीरज' बुरा<br />क्या करे आदत से वो लाचार है।<br /><br />is sher ke liye kya kaha jaaye .......<br /><br />bahut hi khoobsurat gazal hui hai Neeraj ji<br />aap ko padh kar hamesha achcha lagta hai<br />sakun milta haiश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-8915129441696019772010-04-12T14:38:56.571+05:302010-04-12T14:38:56.571+05:30neeraj ji deri se aane ke liye maafi .....
लुत्फ़...neeraj ji deri se aane ke liye maafi .....<br /><br />लुत्फ़ है जब राह अपनी हो अलग<br />लीक पर चलना, कहाँ दुश्वार है <br /><br />is sher ne mera din bana diya sir , hats off to you ....<br /><br />vijayvijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-59415986218464286862010-04-07T03:55:34.291+05:302010-04-07T03:55:34.291+05:30बोल कर सच फि़र बना 'नीरज' बुरा
क्या करे आद...बोल कर सच फि़र बना 'नीरज' बुरा<br />क्या करे आदत से वो लाचार है।<br /><br /><br />कह रहा हूँ सच, कुबूले दाद यो<br />एक जुमला यह हजारों बार हैराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-49928560340152943822010-04-04T20:38:50.526+05:302010-04-04T20:38:50.526+05:30बहुत शानदार गजल है।बहुत शानदार गजल है।Satish Panchamhttps://www.blogger.com/profile/17579914452924942049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-77666993320705886452010-04-04T00:12:36.152+05:302010-04-04T00:12:36.152+05:30बहुत खूब लिखा सर जी
दुश्मनों से बच गए, तो क्या हुआ...बहुत खूब लिखा सर जी<br />दुश्मनों से बच गए, तो क्या हुआ<br />दोस्तों के हाथ में तलवार है !!!!!!<br /><br />bahut bahut badhai!!Tapashwani Kumar Anandhttps://www.blogger.com/profile/07541666638279554388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-57404237005240094722010-04-03T22:59:30.851+05:302010-04-03T22:59:30.851+05:30खौफ का जो कर रहा व्यापार है
आदमी वो मानिये बीमार ह...खौफ का जो कर रहा व्यापार है<br />आदमी वो मानिये बीमार है <br /><br />क्या खूब कहा बंधुवर !Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-54431166516838497652010-04-03T22:43:47.689+05:302010-04-03T22:43:47.689+05:30खौफ का जो कर रहा व्यापार है
आदमी वो मानिये बीमार ह...<b>खौफ का जो कर रहा व्यापार है<br />आदमी वो मानिये बीमार है </b><br />--------<br />शुक्रिया। कई बीमारों के चेहरे यादों में घूम गये। बेचारे, क्या समझते हैं अपने को! :(Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-71601636903637687992010-04-03T05:38:29.097+05:302010-04-03T05:38:29.097+05:30शुक्रिया ,
मतले से मक़ते तक बस एक ही लफ्ज़ ज़बान से...शुक्रिया ,<br />मतले से मक़ते तक बस एक ही लफ्ज़ ज़बान से निकला ........वाह !लता 'हया'https://www.blogger.com/profile/10512517381147885252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-47365964891867014952010-03-31T13:48:24.277+05:302010-03-31T13:48:24.277+05:30ज़िन्दगी भरपूर जीने के लिए
ग़म, खुशी में फ़र्क ही ...ज़िन्दगी भरपूर जीने के लिए<br />ग़म, खुशी में फ़र्क ही बेकार है<br /><br />बोल कर सच फि़र बना 'नीरज' बुरा<br />क्या करे आदत से वो लाचार है।<br /><br />हमारी पसंद के इन दो शेर पर आपका क्या विचार है। वैसे हमें तो अपने से लगे।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-4593605204795203912010-03-30T23:27:11.660+05:302010-03-30T23:27:11.660+05:30नीरज साहिब
ग़ज़ल देखी मज़ा आ गया एक से बढ़ कर एक शेर...नीरज साहिब <br />ग़ज़ल देखी मज़ा आ गया एक से बढ़ कर एक शेर अल्लाह करे <br />जोरे कलम और ज्यादा <br />चाँद शुक्ला हदियाबादी <br />डेनमार्कhaidabadihttps://www.blogger.com/profile/00389775957099138608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-72379818902057336882010-03-30T19:03:14.743+05:302010-03-30T19:03:14.743+05:30दुश्मनों से बच गए, तो क्या हुआ
दोस्तों के हाथ में ...दुश्मनों से बच गए, तो क्या हुआ<br />दोस्तों के हाथ में तलवार है<br /><br />लुत्फ़ है जब राह अपनी हो अलग<br />लीक पर चलना, कहाँ दुश्वार है<br /><br />बहुत खूब लिखा है नीरज जी । सुन्दर प्रस्तुति।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-38736172947112150622010-03-30T17:44:04.490+05:302010-03-30T17:44:04.490+05:30E-mail received from Om Sapra Ji:
shri neraj ji
n...E-mail received from Om Sapra Ji:<br /><br />shri neraj ji<br />namastey<br />thanks for sending this good gazal,<br />regards<br />-om sarpa, delhi-9<br />9818180932नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-26478434019433113772010-03-30T17:41:58.538+05:302010-03-30T17:41:58.538+05:30E-Mail received from Ratan Kumar: Newzealand.
Wah...E-Mail received from Ratan Kumar: Newzealand.<br /><br />Wah ji.. wah.. bahut khub.<br /><br />Ratanनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-35109063291373532502010-03-30T16:54:31.126+05:302010-03-30T16:54:31.126+05:30नमस्कार नीरज जी,
नपे तुले लफ़्ज़ों में उम्दा बात कही...नमस्कार नीरज जी,<br />नपे तुले लफ़्ज़ों में उम्दा बात कही है, मतले के मिसरा-ए-सनी में काफिये के रूप में आया बीमार लफ्ज़ बहुत अच्छे तरीके से अपनी बयानगी दे रहा है.<br />खौफ का जो कर रहा व्यापार है<br />आदमी वो मानिये बीमार है<br />ये शेर आप की खुशमिजाजी का एक और उदाहरण है,<br />चार दिन की ज़िन्दगी में क्यूँ बता<br />तल्खियाँ हैं, दुश्मनी, तकरार है<br />इस शेर में आपने, आसान सी लगने वाली मुश्किल बात कह दी है,<br />लुत्फ़ है जब राह अपनी हो अलग<br />लीक पर चलना, कहाँ दुश्वार है<br />बहुत उम्दा ग़ज़ल.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-72940955388358578802010-03-30T15:39:06.850+05:302010-03-30T15:39:06.850+05:30antim pankti to bilkul sahi kahi hai aapne..
badh...antim pankti to bilkul sahi kahi hai aapne.. <br />badhiya prastuti..SAHITYIKAhttps://www.blogger.com/profile/04679315164213973593noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-53080016221980601352010-03-30T14:47:53.388+05:302010-03-30T14:47:53.388+05:30नीरज जी आपकी ग़ज़ल का हमेशा ही इंतज़ार रहता है ......नीरज जी आपकी ग़ज़ल का हमेशा ही इंतज़ार रहता है .... और ग़ज़ल पढ़ कर लगता है ... गलत प्रतीक्षा नहीं करता ... <br />बहुत ही ताजगी सी नज़र आती है आपकी ग़ज़ल में ... कमाल के शेर हैं सब ... सुभान अल्ला ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-66595532772473905712010-03-30T09:33:34.489+05:302010-03-30T09:33:34.489+05:30दुश्मनों से बच गए, तो क्या हुआ
दोस्तों के हाथ में...दुश्मनों से बच गए, तो क्या हुआ <br />दोस्तों के हाथ में तलवार है <br />नीरज जी, दोस्तों के हाथ भी तलवार है कैसा रहता? वे दोस्त ही क्या जो तलवार ना रखे। बहुत ही सार्थक गजल, बधाई।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-46237171347595428232010-03-30T08:43:55.641+05:302010-03-30T08:43:55.641+05:30ज़िन्दगी भरपूर जीने के लिए
ग़म, खुशी में फ़र्क ही ...ज़िन्दगी भरपूर जीने के लिए<br />ग़म, खुशी में फ़र्क ही बेकार है<br />---वाह क्या बात है<br />कितना प्यारा जीवन दर्शन<br />पुलकित होता अपना भी मनदेवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-50001227812101713542010-03-30T01:29:47.374+05:302010-03-30T01:29:47.374+05:30बढ़िया गजल ! सत्य वचन !बढ़िया गजल ! सत्य वचन !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-57811969977414337752010-03-30T00:33:49.207+05:302010-03-30T00:33:49.207+05:30वह नीरज भैया ,हर बार कि तरह इस बार भी बेहद उम्दा ग...वह नीरज भैया ,हर बार कि तरह इस बार भी बेहद उम्दा ग़ज़ल ,बस यूं कहिये के मज़ा आ गया /<br />दुश्मनों से बच गए तो क्या हुआ /दोस्तों के हाथ मे तलवार है /<br />बहुत दिनों से चुप हैं ,क्यों?सादर,<br />डॉ.भूपेन्द्र रीवाडॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंहhttps://www.blogger.com/profile/07345306084462566690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-38439651013240517302010-03-29T23:41:31.555+05:302010-03-29T23:41:31.555+05:30नीरज जी क्या कहूँ, कहाँ से अपनी बात शुरू करूँ समझ ...नीरज जी क्या कहूँ, कहाँ से अपनी बात शुरू करूँ समझ नहीं आ रहा :)<br /><br />जिस तरह इन्द्रधनुष देख कर बच्चे खुशी से किलकारी भरने लगते है उसी तरह आज की सात रंगों में रंगी गजल पढ़ कर मेरा हाल हुआ <br /><br />हर शेर नायाब मोती, इस गजल को भूल अब मेरे लिए मुमकिन नही है <br /><br />तिलक जी को भी बहुत बहुत धन्यवाद <br />अब तो आपको मेरी बात माननी पड़ेगी :)<br /><br />जब लिंक पर आपकी पोस्ट की हेडिंग पढ़ी तो ही पता चल गया आज की ब्लोगिंग सफल हुई :)<br /><br /><br />ज़िन्दगी भरपूर जीने के लिए<br />ग़म, खुशी में फ़र्क ही बेकार है<br /><br />उफ्फ्फ्फ्फ्फ़ इस फलसफे को लाख सलाम ...<br /><br />वीनसवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.com