Monday, July 13, 2015

पालकी लिए कहार की



ज़बान पर सभी की बात है फ़क़त सवार की 
 कभी तो बात भी हो पालकी लिए कहार की 

 गुलों को तित्तलियों को किस तरह करेगा याद वो 
कि जिसको फ़िक्र रात दिन लगी हो रोजगार की 

 बिगड़ के जिसने पा लिया तमाम लुत्फ़े-ज़िन्दगी 
 नहीं सुनेगा फिर वो बात कोई भी सुधार की 

वो खुश रहे ये सोच कर सदा मैं हारता गया 
 लड़ाई जब किसी के साथ लड़ी आरपार की

 जिसे भी देखिये इसे वो तोड़ कर के ही बढ़ा 
 कहाँ रहीं हैं देश में जरूरतें कतार की 

तुझे पढ़ा हमेशा मैंने अपनी बंद आँखों से 
 ये दास्तान है नज़र पे रौशनी के वार की 

 चढ़े जो इस कदर कि फिर कभी उतर नहीं सके 
 तलाश ज़िन्दगी में है मुझे उसी खुमार की

26 comments:

  1. चढ़े जो इस कदर कि फिर कभी उतर नहीं सके
    तलाश ज़िन्दगी में है मुझे उसी खुमार की ....mujhe bhi....nice expression

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  2. बाकमाल ख़ूबसूरत ग़ज़ल ।

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  3. तलाश जिंदगी में है मुझे उसी खुमार की
    हर शेर लाजवाब

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  4. खूबसूरत ग़ज़ल.

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  5. तुझे पढ़ा हमेशा मैंने अपनी बंद आँखों से
    ये दास्तान है नज़र पे रौशनी के वार की


    ​वाह! वाह! वाह!​ बहुत ही ​खूबसूरत, लाजवाब ​और ​बेहतरीन गज़ल !

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  6. "जिसे भी देखिये इसे वो तोड़ कर के ही बढ़ा
    कहाँ रहीं हैं देश में जरूरतें कतार की " वाह नीरज भाई साहब। एक और उम्दा ग़ज़ल ।

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  7. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, फ़िल्मी गीत और बीमारियां - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  8. Umda Ghazal Ke Liye Aapko Badhaaee Aur Shubh Kamna

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  9. चढ़े जो इस कदर कि फिर कभी उतर नहीं सके
    तलाश ज़िन्दगी में है मुझे उसी खुमार की.

    सुंदर ग़ज़ल.

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  10. बिगड़ के जिसने पा लिया तमाम लुत्फ़े-ज़िन्दगी
    नहीं सुनेगा फिर वो बात कोई भी सुधार की

    एख ऐसा शेर जो आज के तमाम राजनीतिक दलों पर एक साथ व्यंग्य कर रहा है... खूबसूरत रचना।......

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  11. वो खुश रहे ये सोच कर सदा मैं हारता गया
    लड़ाई जब किसी के साथ लड़ी आरपार की ..
    नीरज जी ... दिली दाद कबूल करें इस बेहतरीन ग़ज़ल पर ... मज़ा आ गया सर ...

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  12. Received on fb:-

    अमित कुमार नेमा

    बिगड़ के जिसने पा लिया तमाम लुफ़्ते ज़िन्दगी
    नहीं सुनेगा फिर वो बात कोई भी सुधार की...............क्या बात ! क्या बात !!

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    Vijay Sappatti

    बिगड़ के जिसने पा लिया तमाम लुफ़्ते ज़िन्दगी
    नहीं सुनेगा फिर वो बात कोई भी सुधार की

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  14. Received on fb:-

    Bakul Dev

    वाह !!
    क्या कहने नीरज जी..

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    Parul Singh

    कभी तो बात भी हो पालकी लिए कहार की.. वाह सर बहुत ख़ूब । पूरी ग़ज़ल तो पढ़नी ही होगी अब।

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  16. Received on fb :-

    प्रकाश सिंह अर्श

    bahut achhee ghazal hui hai sir............. daad qubul karen.

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  17. Received on fb :-

    Kamna Chaturvedi Saxena


    Bahut umdaa jazbaat aur kareegari alfaaz ki.Mashallah

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  18. Received on fb :-

    Pramod Kumar

    पढ़ लिए ...........बहुत ही शानदार .........तलाश ज़िंदगी मे है मुझे उसी खुमार की

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  19. Received on fb :-

    Nirmla Kapila चढ़े जो इस कदर की उतर नहीं सके____। वाह लाजवाब बहुत दिनों बाद आपको पढने का अवसर मिला ब्लॉग पर कंरन्त पोस्ट नहीं हुया मोबालि से । गूगल पास वार्ड माग रहा था ज़ुबानी याद नहीं।

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  20. Received on fb :-

    Vijay Bansal .

    तलाश ज़िंदगी मे है मुझे उसी खुमार की

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  21. बहुत सुन्दर रचना

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  22. Respected Neeraj Sahib,
    Kya ghazab ki Ghazal kahee hai maza aa gaya padhkar
    ek se badhkar ek she'r .... aur is she'r ka to jawab
    hi naheen lagta mere liye hi kaha gaya hai...

    " गुलों को तित्तलियों को किस तरह करेगा याद वो
    कि जिसको फ़िक्र रात दिन लगी हो रोजगार की"

    Bahut mubaarak........

    Satish Shukla 'Raqeeb'
    Juhu, Mumbai

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  23. सुंदर प्रस्तुति

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे