Monday, July 5, 2010

पूजा की थाली हो गई


बात सचमुच में निराली हो गईं
अब नसीहत यार गाली हो गई

ये असर हम पर हुआ इस दौर का
भावना दिल की मवाली हो गई

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी

कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी

थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी

हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई

66 comments:

नीरज मुसाफ़िर said...

वाह वाह,
बढिया।

seema gupta said...

कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी
" सभी शेर बेमिसाल.."
regards

रंजन (Ranjan) said...

बहुत खूब.. मजा आ गया... एक शेर चुरा जर फेस बुक पर डाल रहा हूं :)


थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी

अजय कुमार said...

थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी

जोरदार है,बधाई

Narendra Vyas said...

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
***
हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई
हर शेर एक से बढ़कर एक . ये दोनों ही शेर अंतर्मन को छू गए. ख़ास कर अंतिम शेर मुझे ऐसे लगा जैसे हकीकत निकाल कर सामने रख दी हो. ऐसा ही होता है अमूमन और ऐसा ही हुवा है. कमाल के अश'आर . आदरणीय नीरज जी का साधुवाद ! प्रणाम !

girish pankaj said...

har sher lazavab hai neeraj ji. dil se nakal kar aayi hai baat. sahity aisi hi kabil rachanaon se samriddha hota hai.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मन को छू जाने वाली गज़ल....

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

बहुत सुन्दर..

kshama said...

Ab tippanee ke liye alfaaz kahan se laaun?

रंजू भाटिया said...

हर शेर लाजवाब बहुत सुन्दर ...

इस्मत ज़ैदी said...

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

अति सुंदर भावनाओं से ओत-प्रोत पंक्तियां हैं ये

हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई

क्या बात है!

सदा said...

कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी ।

बहुत ही सुन्‍दर शेर सभी एक से बढ़कर एक लाजवाब प्रस्‍तुति ।

Bhavesh (भावेश ) said...

लाजवाब.

कैद का इतना मज़ा मत लीजिये, रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां, वो समझ पूजा की थाली हो गई !!

भावनाओ को शेर बनाकर इस कदर उकेरा, कि सारी दुनिया "नीरज जी" की दीवानी हो गई.

दिगम्बर नासवा said...

थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी

हमारी तो दीवाली आपकी ग़ज़ल पढ़ कर ही हो गयी .... बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है ... ..

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

आखिरी शेर भी कमाल है

vandana gupta said...

क्या कहूँ नीरज जी…………………हर शेर कमाल का है……………दिल मे उतरती चली गयी।

राज भाटिय़ा said...

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
जबाब नही जी. बहुत खुब धन्यवाद

shikha varshney said...

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
आह .....कितनी खूबसूरत बात कही है..सीधी दिल में उतर गईं ये पंक्तियाँ ..

pran sharma said...

ACHCHHE ASHAAR KE LIYE AAPKO BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA.

शोभना चौरे said...

bahut bhut bhut bdhiya

रश्मि प्रभा... said...

तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी
... sawaalon se ghabrana nahin hai...bheed se alag ek raah milegi

स्वाति said...

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

हर शेर एक से बढ़कर एक है..

डॉ टी एस दराल said...

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी

बहुत खूबसूरत शेर कहे हैं ।
शानदार ।

तिलक राज कपूर said...

आज भारी कन्‍फ़्यूज़न हो गया।
ग़ज़ल पढ़नाचालू किया तो लगा कि किसी नामी शाइर की किताब का परिचय होगा, मगर जब एक ग़ज़ल में ही पोस्‍ट समाप्‍त हो गई तो समझ आया कि ये आपकी ग़ज़ल है।
बहुत-बहुत बधाई। हर शेर उम्‍दा और एक मुकम्‍मल ग़ज़ल।
चलिये आपकी हास परिहास की प्रकृति को समर्पित कुछ अशआर लीजिये:
जि़न्‍दगी में कुछ मज़ा बाकी नहीं
दूर हमसे जबसे साली हो गयी।

इक ज़माना था हसीं थी ये गली,
अब तो ये भी भैंस वाली हो गयी।

उनको लेकर क्‍यूँ गये बाज़ार हम,
पहले दिन ही जेब खाली हो गयी।

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत गहरी बात कह दी । पूजा की थाली । वाह ।

राजकुमार सोनी said...

बात अब घबराने वाली हो गई.
क्या उम्दा बात कही है आपने. संभलकर चलना पड़ेगा. वरना पछताने से कोई नहीं रोक सकता।
उम्दा रचना के लिए बधाई.

Manish Kumar said...

ab aap bhi apni ek kitab chhapwa leejiye. bahut umda lagi ye ghazal

manu said...

डाल दी भूखे को जिसने रोटियाँ....

इस शे'र पर दाद देने के अलावा आपके आगे नतमस्तक होने का भी दिल कर उठा...
बेहद प्यारी सोच...

और शानदार मक्ते के अलावा...जिसकी सब ने खूब तारीफ की है...

रो पडेंगे, गर बहाली हो गयी..

कमाल...

विवेक रस्तोगी said...

केवल एक ही शब्द

बेहतरीन

Dr.Ajmal Khan said...

बहुत शानदार पेशकश,
हर शेर बेशक़ीमती
वाह वाह वाह वाह...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

नीरज जी! पूजा का मने समझा दिए आप दुनिया को, दरिद्रनारायण के पूजा का थाली देखाकर... अऊर क़ैद अऊर बहाली के बात पर त मन दर्वित हो गया... चरन स्पर्स का अनुमति दीजिए!!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत खूबसूरत शे'र हैं....

manu said...

ab to star blloger ne bhi kah diya..

सुज्ञ said...

थक कर चूर हो गये थे,ब्लोग पढते पढते,
गज़ल आपकी एसे में चाय की प्याली हो गयी।

M VERMA said...

बात सचमुच में निराली हो गईं
अब नसीहत यार गाली हो गई
हर शेर मोती

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

harek pankti lajawab ...

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

kya baat hai ... is baat pe mera salaam kabul kijiye...

देवेन्द्र पाण्डेय said...

mujhe to ye dono sher adhik achhe lage..

थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी

हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई
....vaah!

विनोद कुमार पांडेय said...

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

नीरज जी..बहुत सुंदर और भावपूर्ण ग़ज़ल पढ़ी आपने..बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई

प्रवीण said...

.
.
.
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी


शानदार,
याद रहेंगे ये दोनों शेर...
शुक्रिया आपका!


...

निर्मला कपिला said...

आपकी गज़ल तो हमेशा उस्तादाना ही होती है

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी

कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी


हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई
हर शेर लाजवाब।
गज़ल की जवाब मे गज़ल? हा हा हा कपूर भाई साहिब का कमेन्ट बहुत अच्छा लगा हंसते हुये पेट मे बल पड गये। बहुत बहुत बधाई ।

नीरज गोस्वामी said...

E-mail received from Sh.Idranil Bhattacharya:-

harek pankti lajawab ...


डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

kya baat hai ... is baat pe mera salaam kabul kijiye...

नीरज गोस्वामी said...

E-mail received from Sh:Praviin Shah:

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी


शानदार,
याद रहेंगे ये दोनों शेर...
शुक्रिया आपका!

Avinash Chandra said...

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
ufffffffff...gazab hai ye sher to, der se aane ke liye maafi
bahut hi achchhi gazal

Shiv said...

हमेशा की तरह बेहतरीन. सारे शेर एक से बढ़कर एक. मुझे पूरी ग़ज़ल अच्छी लगी.

जब समझदारी आ जायेगी तो हो सकता है गजल के जो सबसे बढ़िया शेर उन्हें पहचानने लग जाऊं.

डॉ० डंडा लखनवी said...

लाजवाब गजल पढाने के लिए बधाई स्वीकारें।
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

"अर्श" said...

डाल दी भूखे को जिसमे रोटियाँ ...
यह शेर और आप एक दूसरे के लिए जाने जायेंगे .... कमाल की बात कही है आपने नीरज जी ....

अर्श

समयचक्र said...

तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी

वाह.... बढ़िया रचना ...आभार.

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
नीरज जी, आपने टाइटिल यही दिया है....
ये वास्तव में इसका हक़दार भी है..
और निश्चित रूप से....शायर की अपनी पसंद भी..
एक आम पाठक बनकर पढ़ा, तो ये दो शेर ज़्यादा अच्छे लगे...
कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी

और
थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी

आपकी गज़ल का हर शेर....देर तक सोचने पर मजबूर करता है.

Anonymous said...

सटीक तथा सार्थक शेरों से सजी उत्कृष्ट ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई और पढवाने के लिए आभर

monali said...

Gazhab ki upamaayein...sundar rachna...

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

आदरणीय नीरज जी भाईसाहब ,
प्रणाम !
लगभग 4-5 दिन नेट बंद रहा । कल शाम को सुधरा है…
आपकी ताज़ा ग़ज़ल पढ़ाने को मिल गई , दिल की राहत का सामान मिल गया ।
शानदार मत्ले के साथ साथ क्या ख़ूब कहा है…

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

…और , मेरे मिज़ाज से मिलता यह शे'र भी बहुत पसंद आया…
थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गए तुम, तो दिवाली हो गई

क्या बात है !

आपकी ख़ूबी के अनुरूप ही ग़ज़ल का समापन भी बेहतर है …
हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई


कुल मिला कर… सुभानल्लाह !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं

Aruna Kapoor said...

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई!
नीरजजी!... एक एक छंद में बहुत कुछ कह डाला आपने.... बधाई!

Shah Nawaz said...

"डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी

कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी"


बेहद खूबसूरत! बहुत खूब!

Pawan Kumar said...

नीरज भाई
अरसे बाद आपके ब्लॉग पर आया.....मगर देर से आने पर जो ग़ज़ल मिली सच मानिये मज़ा आ गया
"अब नसीहत यार गाली हो गई" बात सच है बहुत ही बेबाक तरीके से कहने का अंदाज़ बहुत ही अच्छा...!


डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
यह हुआ शेर......मुक़र्रर !

तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी
*********
कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी


थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी
वाकई हमारी तो दिवाली हो गयी आपके ब्लॉग पर आकर.

ankur goswamy said...

superhit !!

شہروز said...

khoob surat neeraj ji.kya baat hai.

संजीव गौतम said...

बात सचमुच में निराली हो गईं
अब नसीहत यार गाली हो गई

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
आपके अंदाज के बहुत खूबसूरत शेर हुए हैं. ज़िन्दगी जटिलताओं से निकले लेकिन आपके सादा व्यक्तित्व से सहज हुए

rashmi ravija said...

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
बस इस पंक्ति के बाद कुछ कहने के लिए नहीं रह जाता...लाज़बाब रचना

ज्योति सिंह said...

थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी
हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई
waah waah waah ,har baat aapke kalam ki nirali ho gayi .sundar

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

Sachmuch sundar Ghazal.

kumar zahid said...

अब नसीहत यार गाली हो गई
Kya baat hai Neeraj g ! bahut wazandar baat kahi hai aapne...

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
Valuable lines with humanity and fundamental ethics.

तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी

ccj'ksj dk andaz hai..bas chalte rahein---

कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी

Dhaatak panktiyan hain huzur! der tak goonjati rahengi.

Bahut bahut badhhaiyan.

kumar zahid said...

कुछ इस तरह पढ़ें...ccj'ksj dk =बबरशेर का

ZEAL said...

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई..

Gajab likhte hain aap.

गौतम राजऋषि said...

"कैद का इतना मज़ा मत लीजिये
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी "

अरे वाह-वाह नीरज जी, क्या शेर बुना है। लाजवाब...यूं तो हर बार की तरह ग़ज़ल ही पूरी लाजवाब है, किंतु इस शेर का अंदाज तो हाय रेssss..!

Rajeev Bharol said...

नीरज जी,

मुझे आपका लिखी हर गज़ल अच्छी लगती है. यह गज़ल भी बाक़ी सभी ग़ज़लों की तरह बहुत अच्छी है.
धन्यवाद.

Ankit said...

नमस्कार नीरज जी,
आप तो उस्ताद है तो ग़ज़ल तो अच्छी ही होगी कोई शक नहीं, बहुत अच्छे शेर कहें हैं,

इस शेर ने दीवाना बना दिया है,

तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी

एक खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई

Himanshu Mohan said...

वाह!
पूजा कमाल की परिभाषित की आपने। तारीख़ी शे'र - मिसाल के तौर पर कोटेबुल।