Monday, December 1, 2008

सौवीं पोस्ट : एक नन्ही सी कली

"सब से पहले नतमस्तक हूँ उन असाधारण जांबाजों के लिए जिन्होंने सिर्फ़ इसलिए अपनी ज़िन्दगी कुर्बान कर दी की हम जैसे साधारण लोग जिंदा रहें."

दोस्तों ये मेरी सौवीं पोस्ट है...इसे उपलब्धि कहना ग़लत होगा...ये मुझे आपसे मिले प्यार का परिणाम है...धन्यवाद....नफरत, हिंसा, लोभ और तनाव ने मिल कर हमारी सोच को बंधक बना रखा है...ऐसे में शायरी या कविता हमें इस जकड से छूटने का एक खुशनुमा रास्ता दिखाती है...हमारी संवेदना और आशाओं को जगाये रखती है... इस अवसर पर अधिक कुछ कहने की बजाये पेश करता हूँ आदरणीय प्राण शर्मा साहेब की एक ताजा ग़ज़ल:




पेश ना आए कोई ऐ दोस्त, तुझ से बेदिली से
बात मत करना हमेशा, हर किसी से बेरुखी से

इतना भी कट कर रहो मत, दोस्तों से दोस्त मेरे
कुछ न कुछ होता है हासिल, हर किसी की दोस्ती से

दोस्त,अंधिआरा भी होना चाहिए, कुछ जिंदगी में
तंग पड़ जाओगे वरना, रौशनी ही रौशनी से

मुस्कराओगे तो सारा, मुस्कराएगा ज़माना
जगमगाती है की जैसे, सारी धरती चांदनी से

ये ज़रूरी तो नहीं कि, फूल ही महकें चमन में
आने लगती है महक भी, एक नन्ही सी कली से

आप खुश होते तो खुश, होता मेरा दिल हम खयालो
क्यों न हो मायूस अब, ये आपकी नाराजगी से

जी में आता है की कह दू, उस से तू है दिल का सूफी
जी रहा है इस ज़माने में, जो इतना सादगी से

घर में आई है खुशी तो, उस का स्वागत करना सीखो
शै नहीं है और कोई, दुनिया में बढ़ कर खुशी से

बाद मुद्दत के था आया, घर तुम्हारे एक मेहमां
क्या मिला गर तुम मिले, ऐ "प्राण"उस से अजनबी से

48 comments:

Smart Indian said...

सुंदर रचना, धन्यवाद!

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

शुक्रिया नीरज जी प्राण जी की इतनी खूबसूरत ग़ज़ल यहाँ पेश करने का। सारे शेर उम्दा हैं पर दिल को जो ख़ास कर भाये-

मुस्कराओगे तो सारा, मुस्कराएगा ज़माना
जगमगाती है की जैसे, सारी धरती चांदनी से

घर में आई है खुशी तो, उस का स्वागत करना सीखो
शै नहीं है और कोई, दुनिया में बढ़ कर खुशी से

इतना भी कट कर रहो मत, दोस्तों से दोस्त मेरे
कुछ न कुछ होता है हासिल, हर किसी की दोस्ती से

--मानोशी

Anonymous said...

दोस्त,अंधिआरा भी होना चाहिए, कुछ जिंदगी में
तंग पड़ जाओगे वरना, रौशनी ही रौशनी से
good lines but too depressing yet true

दिनेशराय द्विवेदी said...

सौवीं पोस्ट की बधाई, आप हजारवीं भी लिखें।

रचना बहुत सुंदर है, बस थोड़ा माहौल से अलग है, अभी तो ताज में मेहमान बन कर ठहरे अजनबी सैंकड़ों की जान ले चुके हैं।

नीरज मुसाफ़िर said...

दोस्त, सौ पोस्ट करने की शुभकामनाएं. बहुत ही सुंदर रचना. लगे रहो.

ताऊ रामपुरिया said...

बधाई !

mehek said...

दोस्त,अंधिआरा भी होना चाहिए, कुछ जिंदगी में
तंग पड़ जाओगे वरना, रौशनी ही रौशनी से

मुस्कराओगे तो सारा, मुस्कराएगा ज़माना
जगमगाती है की जैसे, सारी धरती चांदनी से
bahut badhiya,bahut badhai

Ashish Khandelwal said...

सौंवीं पोस्ट पर बधाइयां... सुंदर रचना.. 101वीं पोस्ट का इंतजार है..

seema gupta said...

ये ज़रूरी तो नहीं कि, फूल ही महकें चमन में
आने लगती है महक भी, एक नन्ही सी कली से
खुबसुरत शेर उम्मीद की किरण को दर्ज करता हुआ
सौवीं पोस्ट की हार्दिक बधाई
Regards

Udan Tashtari said...

मुस्कराओगे तो सारा, मुस्कराएगा ज़माना
जगमगाती है की जैसे, सारी धरती चांदनी से


--वाह!! प्राण साहब की गज़ल के तो क्या कहने..बहुत ही उम्दा!!

क्या तुमको शतक वीर कहूँ
या ब्लॉगिंग का ही पीर कहूँ
हर तरफ विषै्ला आलम है
मैं तुमको अमृत नीर कहूँ....


--बहुत बहुत बधाई इस शतकीय पोस्ट की. ऐसे ही कई शतक लगाईये. शुभकामनाऐं.

Ashok Pandey said...

नीरज भाई, सौवीं पोस्‍ट के लिए बधाई और शुभकामनाएं।

डॉ .अनुराग said...

क्या कहूँ नीरज जी ...बस इतना कहूँगा ..आपकी जमीन पर जो खून बहा है....उसके निशान दिल पर रहेंगे ....देश के जाबांजो को मेरा भी नमन

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाहवा
बधाई के योग्य प्रस्तुति
प्राण साहब को प्रणाम
साधुवाद

Gyan Dutt Pandey said...

बहुत बधाई नीरज जी। आपके ब्लॉग पर आने में सदैव अपनापा लगता है। यह जीवन्तता सतत बनी रहे, सर्वदा।

शोभा said...

घर में आई है खुशी तो, उस का स्वागत करना सीखो
शै नहीं है और कोई, दुनिया में बढ़ कर खुशी से

बाद मुद्दत के था आया, घर तुम्हारे एक मेहमां
क्या मिला गर तुम मिले, ऐ "प्राण"उस से अजनबी से
वाह बहुत सुन्दर लिखा है।

Satish Saxena said...

बहुत अच्छी रचना ! शुभकामनायें !

Shardula said...

Neeraj Ji,
Congrats on your 100th post. Wishing you luck for many thousands to come!
I am just checking my google account.If it works the will comment in Hindi.

Shardula said...

हाँ नीरज जी, अब हिन्दी में । आपकी रचना अनुभूति पे पढीं । आपने जब से ब्लोग का लिन्क भेजा था, तब से सोच रही थी आने का । वाह! किस शुभ दिन आना हुआ है आपके आंगन में । बहुत अच्छा लगा कि आज आपने प्राण साहब की अत्यंत सुन्दर रचना पोस्ट की, ये आप की विनम्रता दर्शाता है । आप ऐसे ही बेहतरीन सोचें और लिखें । मंगल कमनाएं !
सादर, शार्दुला

राज भाटिय़ा said...

बधाई

Abhishek Ojha said...

सौवें पोस्ट के लिए बधाई, बाकी क्या कहें... टीवी देख कर दिमाग ख़राब चल रहा है.

राकेश खंडेलवाल said...

शत पग रख कर आये यहाँ तक, यह पहला पड़ाव है साथी
शत सहस्र पग आगे रखने को दीपित रखनी है बाती
रहे धैर्य औ’ साहस मन में कुछ भी नहीं असम्भव रहता
मिलें कदम दर कदम आपको, राहों में कलियाँ मुस्काती

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

नीरज जी,
प्राण जी की गज़ल,
बहुत अच्छी लगी
आपकी १०० वीँ पोस्ट के लिये
बधाई -
लिखते रहीये
इसी जज़्बे के साथ

Anil Pusadkar said...

बधाई पहली सेँचुरी की,आप ब्लॉग जगत के सचिन बने.सुँदर रचना के लिये प्राण साब को भी बधाई.

sandhyagupta said...

Ek padav par pahunchane ke liye badhai.

उन्मुक्त said...

सैकड़ा बनाने पर बधाई।

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi sundar khyaal ........

घर में आई है खुशी तो, उस का स्वागत करना सीखो
शै नहीं है और कोई, दुनिया में बढ़ कर खुशी से

Ankit said...

नमस्कार नीरज जी,
मुंबई में जो हुआ वो बहुत ही शर्मनाक था हम सबके लिए, मगर शत शत नमन उन वीर शहीदों को जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी.
बहुत ही सुंदर ग़ज़ल है,
कुछ शेर जो मुझे बेहद पसंद आए.
जी में आता है की कह दू, उस से तू है दिल का सूफी
जी रहा है इस ज़माने में, जो इतना सादगी से

बाद मुद्दत के था आया, घर तुम्हारे एक मेहमां
क्या मिला गर तुम मिले, ऐ "प्राण"उस से अजनबी से

कुश said...

सौवीं पोस्ट की बधाई

art said...

shubh mangalkaamnayen is uplabdhi par ......aapke aashirwaad ki kamna me....
swati

सुनीता शानू said...

प्राण जी की यह गज़ल बहुत बेहतरीन है नीरज जी। सौंवी पोस्ट की बधाई...

गौतम राजऋषि said...

नीरज जी बहुत - बहुत शुक्रिया पहले तो प्राण साब की गज़ल के लिये और बधाई सौवीं पोस्ट के लिये

बस यूं ही गज़ल सुनाते रहिये

Dr. Chandra Kumar Jain said...

नीरज जी,
आपको इस सुंदर शतकीय
प्रस्तुति पर
अंतर्मन से बधाई.
और सच कहूँ
कोई सूफी मिजाज़ का
पाक-दिल शायर ही इतनी
खूबसूरत ग़ज़ल कह सकता है.
प्राण साहब का शुक्रिया.
यह पड़ाव हमेशा याद रहेगा.
=======================
डॉ.चन्द्रकुमार जैन

"अर्श" said...

neeraj ji aapko 100 post ke liye dhero badhai upar se praan sahab ko itni achhi ghazal ke liye sadar abhar......

महावीर said...

जब भी कभी दिल उदास होता है तो प्राण जी की ग़ज़ल पढ़ कर दिल में एक सुकून सा मिलता है। उनकी ग़ज़लों और दूसरी रचनाओं में भी सकारात्मक भावनाएं जीवन के हर पहलू में सहायक होती हैं।
मुस्कराओगे तो सारा, मुस्कराएगा ज़माना
जगमगाती है की जैसे, सारी धरती चांदनी से

ये ज़रूरी तो नहीं कि, फूल ही महकें चमन में
आने लगती है महक भी, एक नन्ही सी कली से
क्या बात है!
प्राण जी आपको बधाई हो और नीरज जी आपको
दोहरी बधाई - १००वीं पोस्ट के लिए और इस ख़ुबसूरत ग़ज़ल के पढ़वाने के लिए!

Asha Joglekar said...

बहुत ही खूबसूरत गज़ल । इस अंधेरे माहौल में रोशनी की किरण सी । आपकी सौ वी पोस्ट पर बधाई ।

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह said...

badhiya,shaandar racnaon ke liye hardik dhanyavad ,aabhar,aur aabhar us anand ke liye bhee jo inhe padhne se mila
dr.bhoopendra

haidabadi said...

कवि नीरज साहिब को बधाई हो
प्राण साहिब ने अपनी नई ग़ज़ल का
एक एक बंद नगीने की तरह पिरो कर
हिन्दी ग़ज़ल हो अलंकृत कर दिया है
हर बंद में ख़याल की पुख्तगी है
रवानी है. मैं कवि नीरज साहिब को
शतक लगाने पर दिल की गहराईयों
से मुबारिक बाद देता हूँ और "प्राण साहिब"
के बिल्मुकाबिल कंदील रखने के लिए
नीरज साहिब की तारीफ भी करता हूँ

चाँद शुक्ला हदियाबादी
डेनमार्क

दिगम्बर नासवा said...

ये ज़रूरी तो नहीं कि, फूल ही महकें चमन में
आने लगती है महक भी, एक नन्ही सी कली से

वाह क्या अंदाज है, क्या बात है
बहुत खूब लिखा, सुंदर भावः सुंदर अभिव्यक्ति

नीरज गोस्वामी said...

आदरणीय प्राण शर्मा साहेब ने इ-मेल के जरिये ये संदेश भेजा है:
आपको आपकी सौवीं पोस्ट पर अनेकोनेक बधाईँ .आप में ऊर्जा है ,शक्ति है और क्षमता है .अग्रसर हों .शतक पर शतक बनाते रहें ,मेरी शुभ कामना है .सौवीं पोस्ट में आपने मेरी ग़ज़ल लगाई है ,ये आपका बड़प्पन है .मैं उन सभी टिप्पणीकारों का हृदय से आभारी ही नहीं बल्कि ऋणी भी हूँ जिन्होंने मेरी ग़ज़ल के बारे में बहुमूल्य शब्द लिख कर मेरा हौसला बढाया है .सब को नमन
प्राण शर्मा
[प्राण साहेब ये मेरा बड़प्पन नहीं बल्कि सौभाग्य है की आप की ग़ज़ल अपनी सौवीं पोस्ट के रूप में लगा पाया हूँ....:नीरज}

Harshad Jangla said...

Neerajbhai
Congrats for this Century!!!
Wish you make more and more centuries in the days to come.

-Harshad Jangla
Atlanta, USA

समयचक्र said...

ये ज़रूरी तो नहीं कि, फूल ही महकें चमन में
आने लगती है महक भी, एक नन्ही सी कली से

गज़ल बहुत बेहतरीन है.. सौ वी पोस्ट पर बधाई.

Vinay said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

राहुल सि‍द्धार्थ said...

har baree aur chhotee cheej kee apnee ahmiyat hai jindagee me.sundar gajl.

बवाल said...

आदरणीय नीरज जी, क्या बात है, बहुत ही बेह्तरीन गज़ल प्राण साहब की, पढ्वाने के लिये बहुत बहुत आभार आपका.

shama said...

Neeraj ji,
Aapki rachnayon pe mai, ek adna-si wyakti tippanee karneme hamesha sakuchatee hun...Aur jab 44 tippaniyon ke baad mai alagse kya likhun ?
Mere blogpe commentke liye bohot shukrguzaar hun...aur aap kehte hain ki gar wo log padh len to kya pratikriya hogi....asliyat ye hai ki mera pateeke alawa (unke ek bhaee jo retired army afsar hain) aur koyi mujhe takleef denawala jeevit nahi. Haan, ishwar mere pateeko lambi umr de, ve abhi maujood hain....ham donoka aapasme jaisabhi rishta rahe ho, ve ek nihayat eemaandaar police afsar reh chuke hain...ab avkaash prapt hain.Kiseeko bhi takleef pohchana ye mera hetu nahi hai is shrinkhlaake peechhe...sirf ye kehna chahti hun ki maa pita tatha anya pariwaarke aapsi vyavhaar aanewaali naslpe behad doorgaami parinaam karta hai...aur kayi baar us nasl se aise logonko dukh pohochata hai, jinhone unhen( un bachho ko) sabse adhik pyar kiya tha...! Ye kaisi vidanbana hai...! Khata koyi aur karta hai aur bhugatna kisee aurko padta hai..
Aapki rachanayonke baareme sirf itnaa kahungi ki behad saraltaase aap zindageeki sachhaiyon se rubaru karate hain....

Alpana Verma said...

100vin post ke liye badhayee.

Pran sahab ki ghazalen hamesha hi dil ko bhaati hain.
ये ज़रूरी तो नहीं कि, फूल ही महकें चमन में
आने लगती है महक भी, एक नन्ही सी कली से
bahut si sakaratmak soch liye ek sundar rachna.
[aap ka chitra chayan bahut achcha hai--lagta hai prakriti ke bahut nazdeek hain aap]

रेवा स्मृति (Rewa) said...

ये ज़रूरी तो नहीं कि, फूल ही महकें चमन में
आने लगती है महक भी, एक नन्ही सी कली से

Wah!

akshaya gawarikar said...

bahot achha kaha hai,saahab!